Chhal - 1 in Hindi Moral Stories by Sarvesh Saxena books and stories PDF | छल - Story of love and betrayal - 1

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छल - Story of love and betrayal - 1







"अरे वर्मा जी कुछ लीजिए ना, और आपकी ग्लास और प्लेट तो दोनों खाली हैं, क्या वर्मा जी आप तो ना ही शरमायें" ।
मिसेज़ शर्मा ने वर्मा जी से दोस्ताना अंदाज में कहा |

"नहीं मिसेज शर्मा जी, ऐसी कोई बात नहीं है, बस मैं ले चुका हूं" ।
वर्मा जी ने मुस्कुराकर जवाब दिया |

मिसेस शर्मा : - "आप भाभी जी को साथ में नहीं लाए, क्या बात है? आप उनको भी ले आते तो महफिल में कुछ और ही रौनक होती" |

वर्मा जी :- " दरअसल उनकी तबीयत आज कुछ गड़बड़ है, वर्ना उनकी आने की पूरी तैयारी थी इसलिए उन्होंने आने से मना कर दिया और वैसे भी मैं तो आ ही गया हूं "|

वर्मा जी यह कहकर मुस्कुराने लगे और मिसेज़ शर्मा भी अन्य मेहमानों से बात करने लगीं |

शर्मा परिवार बहुत ही खुश और हर तरह से संपन्न है और आज मिस्टर प्रेरित शर्मा और मिसेज प्रेरणा दोनों की शादी की सालगिरह है । प्रेरित जो कि कई कंपनी के मालिक हैं और एक बहुत ही अच्छे इंसान भी हैं, मिसेस प्रेरणा एक बहुत अच्छी पत्नी, बहू और माँ भी हैं, प्रेरित का एक बेटा स्वप्निल है जो लगभग पाँच साल का होगा |

सभी आज बहुत खुश हैं, पार्टी इतनी जानदार थी कि सब लोग शर्मा परिवार की तारीफ कर रहे हैं, चारों तरफ रौनक ही रौनक थी, सभी के चेहरे पर खुशी और पार्टी की रौनक दिख रही थी सिवाय एक चेहरे के जो की थी पुष्पा |

पुष्पा प्रेरित की विधवा मां है जिनके पति का देहांत हुए पंद्रह साल हो गया, प्रेरित अपने पिताजी को बहुत प्यार करता था और आज भी उसे अपने पिता पर गर्व है क्योंकि उसके पिता एक आर्मी ऑफिसर थे और देश के लिए उन्होंने अपनी जान दे दी थी |

व्हीलचेयर पर बैठी पुष्पा ना जाने किस सोच मे डूबी हुई थी, अभी एक साल पहले ही पुष्पा ने दुर्घटना मे अपने दोनों पैर खो दिए और दिन-ब-दिन बीमार ही रहती थी, सब उसे बहुत चाहते थे पर न जाने क्यों वो बहुत दुखी रहने लगी थी |

प्रेरित ने उनसे कई बार पूछा कि मां आपको कोई तकलीफ है क्या, प्रेरणा ने भी पूछने की काफी कोशिश करी लेकिन पुष्पा हमेशा तबीयत का हवाला देकर बात को टाल जाती थी |

सबकी जिंदगी ऐसे ही खुशहाल बीत रही थी पर एक दिन अचानक पुष्पा की हालत बहुत खराब हो गई, उन्हें तुरंत अस्पताल मे भर्ती कराया गया लेकिन पुष्पा अपनी अंतिम सांसे गिनने लगी, तब उन्होंने प्रेरित को अपने पास बुलाया |

प्रेरित ने मां को बहुत समझाया कि मां तुम चिंता मत करो, ठीक हो जाओगी | डॉक्टरों के काफ़ी इलाज के बाद पुष्पा को कुछ आराम मिला |

एक दिन जब प्रेरणा पुष्पा के पास बैठी उनका सर दबा रही थी तो प्रेरणा भी काफी उदास थी क्योंकि प्रेरणा और पुष्पा में मां बेटी जैसा रिश्ता था |

आज पुष्पा बस एक ही रट लगाए थी, प्रेरित को बुला दो… प्रेरित को बुला दो |

प्रेरणा बार-बार उससे कहती कि मां जी वो बस आ रहे होंगे कुछ देर और तभी प्रेरित मां के पास आता है और प्रेरणा उठ कर बाहर चली जाती है |