टीटू जैसे ही समुंदर किनारे आया तो वहां का हाल देख कर डर गया । समुंदर किनारे हजारों की भीड़ थी । छोटे – बड़े, लंबे - चौड़े हर तरह के गणपति की मूर्ति को लेकर लोग समंदर में घुस रहे थे लेकिन यह क्या ..??? भीड़ के पैरों के नीचे जब टीटू ने देखा तो कई सारी मूर्तियों के अवशेष पड़े हुए थे, वो यह देख कर हैरान हो गया और दौड़ कर भीड़ में घुस कर उन टूटे हुए मूर्ति के अवशेषों को उठाने लगा कि तभी भीड़ उस पर हावी होती हुई दिखी तो वो अपनी जान बचाकर दूसरी ओर चला गया ।
वहां जाकर उसने देखा की बड़ी-बड़ी मूर्तियां समुंदर के किनारे ऐसे पड़ी हुई हैं थी जैसे वह बेसहारा हैं, कौवे उन पर मंडरा रहे हैं और गणपति पर चढ़े हुए प्रसाद को खा रहे थे, कई मूर्तियों के पास तो कुत्ते भी मंडरा रहे थे ।
टीटू यह देखकर बिल्कुल हैरान था कि जिन गणपति बप्पा को हम इतना प्यार से सजाते सवांरते, पूजा और भक्ति करते हैं, उनको कोई इस तरह कैसे छोड़ कर जा सकता है तभी उसे भीड़ का हुजूम उमड़ता हुआ दिखाई दिया जो उसी की ओर आ रहा था ।
वह अपनी जान बचाने के लिए फिर एक किनारे से दूसरे किनारे भाग गया । भीड़ गणपति बप्पा मोरया.... गणपति बप्पा मोरया..... का नारा लगाते हुए समुंदर में घुस गयी और एक भारी सी मूर्ति समुद्र के अंदर विसर्जित कर दी, जो कुछ ही देर बाद लहरों के साथ फिर मुहाने पर आ गई लेकिन अब वह मूर्ति टूट चुकी थी । गणपति की ये हालत देख कर टीटू जोर जोर से चिल्लाने लगा और रोने लगा “ मेरे गणपति को मार दिया......मेरे गणपति को मार दिया....नहीं यह नहीं हो सकता.... यह नहीं हो सकता....” ।
वह अपने हाथ पैर पटकने लगा तभी उसे रेनू की आवाज सुनाई दी “ उठो बेटा.... उठो क्या हुआ....”? टीटू ने आंखें खोली तो देखा कि वह तो सपना देख रहा था । वह तो अपने घर पर बिस्तर पर था, वो फिर जोर जोर से चिल्लाने लगा “ गणपति बप्पा को उन्होंने मार दिया.....माँ” ।
गौरव और रेनू ने उसको बहुत समझाया कि उसने एक बुरा सपना देखा है भला गणपति बप्पा को कौन मार सकता है वह तो सब के विघ्नहर्ता हैं, सब के स्वामी हैं” । यह कहकर सब तैयार होने लगे लेकिन टीटू के दिमाग में अभी भी उसका सपना चल रहा था उसने पापा से कहा कि “ पापा आखिर लोग गणपति बप्पा को ऐसे समुंदर में क्यों फेंक कर आते हैं”?
पापा ने बड़े प्यार से टीटू को समझाया “ बेटा.....इसे फेंकना नहीं इसे विसर्जन करना कहते हैं, भगवान को घर में नहीं रख सकते, यह परंपरा है” ।
टीटू जोर जोर से रोने लगा और बोला “ नहीं पापा इनको घर से मत ले चलो, मेरे गणपति को घर पे ही रहने दो ” । टीटू को समझाना बड़ा मुश्किल हो गया । गौरव ने उसे समझाया कि “ बेटा.... हमारे गणपति तो बहुत छोटे हैं, हम उनको आराम से विसर्जित कर देंगे, उन्हें कुछ भी नहीं होगा, यही इस त्योहार का नियम है” ।