Wo khoufnak barsaat ki raat - 7 in Hindi Thriller by निशा शर्मा books and stories PDF | वो खौफनाक बरसात की रात.. - भाग-७

Featured Books
Categories
Share

वो खौफनाक बरसात की रात.. - भाग-७

चारों ओर खुशी का माहौल था। लोनावला के एक फार्महाउस में चारों तरफ़ सफेद और पीले फूलों की सुगंध और सजावट के बीच सिल्वर कलर के खूबसूरत गाउन में बहुत ही हल्का मेकअप और हल्की ज्वैलरी पहनकर तैयार हुई शिवानी का रूप आज तो देखते ही बनता था। दूसरी तरफ़ डार्क ग्रीन जिसे कि काही कलर भी कहते हैं कि शेरवानी पहने हुए समर भी कुछ कम नहीं लग रहा था बल्कि आज वो दोनों ही मिलकर बिजलियाँ गिरा रहे थे। समर के परिवार में से बस उसका एक बड़ा भाई और भाभी इस प्रोग्राम में शामिल हुए थे और उसके दो - दोस्त! हालांकि शिवानी समेत उसके पापा - माँ को भी ये बात बहुत ही अटपटी लग रही थी मगर इस बात पर भी शिवानी नें समर का ही साथ दिया और उसके अटपटे बहानों को पूरी तरह से आँख बंद करके सच मान लिया।

अपनी माँ के लिए जहाँ उसका ये कहना था कि वो घुटनों के दर्द के कारण ज़रा भी चलफिर नहीं सकती तो वहीं पापा उन्हें छोड़कर कहीं अकेले नहीं जाते का बहाना उसनें दिया मगर शिवानी ने इस बात को एक बार भी नहीं सोचा कि क्या ये बात व्यवहारिक है और क्या फिर वो इसलिए सगाई अपने प्लेस पर नहीं रख सकते थे मगर कहने वाले ने बहुत ही सही कहा है कि प्यार अंधा होता है।

सगाई के पूरे फंग्शन में समर का मूड उखड़ा हुआ सा था जिसका कारण शिवानी समेत उसके परिवार व रिश्तेदारों ने भी उसके माता - पिता की यहाँ पर गैरमौजूदगी को ही समझा मगर बाद में शिवानी के बहुत पूछने पर समर ने उसे अपने बिजनेस में हुए घाटे की बात बताई और उसे दस लाख रूपयों का तुरंत इंतजाम करने के प्रैसर के बारे में भी बताया और हमेशा की तरह इस बार भी शिवानी नें उसे पैसे देने की बात कहकर एक पल में ही चिंतामुक्त कर दिया।

सबकुछ निपटने के बाद जब सभी रिश्तेदार और दोस्त वापिस जाने लगे तब समर के किसी एक दोस्त की पत्नी नें शिवानी से हाथ मिलाते हुए उसके हाथ में कागज़ का एक टुकड़ा थमा दिया और फिर सबकी निगाहों से बचकर फोन करने का एक छोटा सा इशारा करके वो वहाँ से चली गई।

शिवानी नें उस टुकड़े को समर की नज़र से बचाकर धीरे से अपने क्लच में रख लिया और फिर वो सबके साथ सामान्य व्यवहार करने लगी। शिवानी के माँ और पापा उसे कुछ दिनों के लिए अपने पास दिल्ली ले जाने के इरादे से आये थे जिसकी खबर शिवानी को पहले से थी पर इस फोन नंबर वाली बात के बाद उसनें अपने माता - पिता को अगले हफ्ते आने का कहकर टाल दिया और कारण ऑफिस का काम और अपने नये नये प्रमोशन को बताया।

शिवानी अब अपने फ्लैट पर अकेली थी और फिर समर का उसके पास पैसे ट्रांसफर करने के लिए फोन आने लगा जिसपर शिवानी ने अपने लैपटॉप खराब होने की बात उससे कही जिसपर समर ने कल उसे अपना लैपटॉप लेकर उसके फ्लैट में आने की बात कही और शिवानी को गुडनाइट एंड लव यू के साथ ढ़ेर सारी किसेस देकर फोन रख दिया मगर इस नाइट में नींद तो शिवानी की आँखों को छूकर भी नहीं गुज़र रही थी कि तभी उसे उस फोन नंबर का ख्याल आया। फिर उसनें फटाफट से अपने क्लच बैग में से उस पर्ची को ढ़ूँढ़कर निकाला जिसपर एक फोन नंबर के साथ ही साथ किसी का नाम भी लिखा हुआ था। वो नाम पर्ची के पीछे की तरफ लिखा था जो कि पर्ची के बहुत ज्यादा मुड़ने से अब कुछ धुंधला पड़ चुका था। शिवानी नें अपनी आँखों पर बहुत ज़ोर देकर उसे पढ़ा.....प्रिया! वहाँ किसी प्रिया का नाम लिखा हुआ था और फिर शिवानी के मुंह से अपनेआप ही एक प्रश्न निकला कि ये प्रिया कौन है???

क्रमशः...
आपकी लेखिका...🌷निशा शर्मा🌷