Raat - 10 in Hindi Horror Stories by Keval Makvana books and stories PDF | रात - 10

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रात - 10


प्रोफ़ेसर शिव और आयशा मैडम हवेली के हॉल में रोहन की मौत के बारे में बात कर रहे थे। प्रोफेसर शिव को कॉलेज के प्रिन्सिपाल का फोन आया। प्रोफेसर शिव ने कहा, "Hello sir!" प्रिन्सिपाल ने गुस्से में कहा, "ये सब छोड़ो, तुम मेरी बात ध्यान से सुनो।" प्रोफेसर शिव ने कहा, "जी सर! आप बोलिए, मैं ध्यान से सुन रहा हूं।" प्रिन्सिपाल ने कहा, "मुझे आज सुबह से स्टुडेंट्स के माता-पिता के फोन आ रहे हैं। वो मुझे सभी स्टुडेंट्स को वापस बुलाने के लिए कह रहे हैं। आप सभी स्टुडेंट्स को लेकर वहा से निकल जाइए।" प्रोफेसर शिव ने कहा, "सर! मैं तो नहीं आऊंगा, लेकिन मैं सभी स्टुडेंट्स को वापस भेज दूंगा।" प्रिन्सिपाल ने कहा, "जो आपको ठीक लगे वही करो। मुझे अपने स्टुडेंट्स यहाँ वापस चाहिए।" प्रोफेसर शिव बोले, "Ok sir।"


प्रोफेसर शिव ने सभी स्टुडेंट्स को हवेली के हॉल में बुलाया और कहा, "Hello Everyone! प्रिन्सिपाल को आपके पैरेंट्स के कॉल आये थे और वो आपको वापस भेजने के लिए कह रहे हैं। आप सब जाओ और अपना बैग पैक करो, आपको शाम के पांच बजे निकलना है।" सभी अपने-अपने कमरे में चले गए और अपना-अपना बैग पैक करने लगे।


आयशा मैडम प्रोफेसर शिव के पास गई और बोली, "क्या आप सब के साथ वापस नहीं जा रहे हैं?" प्रोफेसर शिव ने कहा, "नहीं! भक्ति के जेल से छूटने के बाद ही मैं यहां से निकलूंगा। मुझे नहीं लगता कि भक्ति ने रोहन को मारा होगा। मैं भक्ति को ऐसी स्थिति में छोड़ कर कैसे वापस जा सकता हूं?" आयशा मैडम ने कहा, "तो क्या मैं भी यहाँ रह सकती हूँ?" प्रोफेसर शिव ने कहा, "जैसा आप ठीक समझे!" आयशा मैडम कुछ कहने ही वाली थी की तभी रवि और उसके दोस्त वहा आ गए। रवि ने कहा, "Hello शिव सर! Hello आयशा मे'म!" शिव सर और आयशा मैडम ने कहा, "Hello!" रवि ने कहा, "सर! हम सबके साथ वापस नहीं जा रहे हैं। हमारी दोस्त भक्ति जेल में है, हम उसे यहां से वापस लेकर ही जाएंगे।" प्रोफेसर शिव ने कहा, "Ok! No problem! अगर आपके पैरेंट्स की परमिशन है तो आप यहां रह सकते हैं।" स्नेहा ने कहा, ''हमने अपने पैरेंट्स से बात कर ली है और उनकी परमिशन भी ले ली है।'' प्रोफेसर शिव ने कहा, "ठीक है, आप यहाँ रह सकते हैं और एक बात और; इस हवेली की स्थिति देखकर मुझे नहीं लगता कि यहाँ रहना सही होगा। इसलिए मैंने दादाजी से बात कर ली है, उन्होंने हमें उन के घर में रहने की परमिशन दे दी है। तो तुम सब भी जाकर अपना बैग पैक कर लो, हम वहाँ जा रहे हैं।" सभी ने कहा, "Ok! Thank You Sir।" फिर सब अपने-अपने कमरे में चले गए।


साक्षी और श्रद्धा ये सब बातें सुन रही थीं। साक्षी ने श्रद्धा से कहा, "प्रोफेसर शिव यहीं रहेंगे तो मैं भी यहीं रहूंगी।" श्रद्धा बोली, ''लेकिन क्या तुम्हारे पैरेंट्स परमिशन देंगे?'' साक्षी ने कहा, "हाँ, जरूर देंगे। क्योंकि तुम यहाँ मेरे साथ रहोगी।" श्रद्धा बोली, ''लेकिन मेरे पैरेंट्स परमिशन नहीं देंगे!'' साक्षी ने कहा, "तुम चिंता मत करो! तुम मेरे लिए मेरे पैरेंट्स से परमिशन लोगी और मुझे तुम्हारे पैरेंट्स से तुम्हारे लिए परमिशन मिल जाएगी।" श्रद्धा बोली, ''और प्रोफेसर शिव से परमिशन कौन लेगा?'' साक्षी ने कहा, "वो सब तुम मुझ पर छोड़ दो।" श्रद्धा ने कहा, "Ok, चलो प्रोफेसर शिव के पास चलते हैं और परमिशन ले लेते हैं।" साक्षी ने कहा, "हां, चलो।" फिर साक्षी और श्रद्धा प्रोफेसर शिव के पास गईं और वहां रहने की परमिशन ले ली।


शाम पांच बजे सभी स्टुडेंट्स वहां से निकल गए। प्रोफेसर शिव और बाकी सबने हवेली भी खाली कर दी और दादा के घर चले गए।


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••• कुछ दिनों के बाद •••

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स्नेहा और रवि अपने दोस्तों के साथ दादाजी के घर के हॉल में बैठे थे। स्नेहा ने कहा, ''कोई इतना पागल कैसे हो सकता है की अपने प्यार को पाने के लिए दूसरों की जान को भी जोखिम में डाल दें।'' विशाल ने कहा, ''अच्छा हुआ कि रोहन मर गया। अगर वो जिंदा होता और तब मुझे इस बात का पता चलता तो मैं ही उसे मार डालता।'' रवि ने कहा, "रोहन कितना पागल है! उसने स्नेहा को पाने के लिए और उसे मुझसे दूर ले जाने के लिए भक्ति की जान जोखिम में डाल दी।" रिया ने कहा, ''मुझे तो ये समझ नहीं आता कि पुलिस भक्ति पर कैसे शक कर सकती है। जब वो ठीक से खड़ी भी नहीं हो सकती थी, तब वो किसी की जान क्या लेगी?'' अवनि ने कहा, ''अब जो हो गया उसके बारे में बात करने का कोई मतलब नहीं है। अब ये सोचिए कि भक्ति को जेल से कैसे निकाला जाए।'' भाविन ने कहा, "अब तो जब हम इस हवेली के बारे में जानेंगे, तभी भक्ति को बाहर निकाल पायेंगे।" विशाल ने कहा, "तो चलिए! इंतजार करने का समय नहीं है? मैं भक्ति को किसी भी हाल में जेल से बाहर निकाल कर रहूंगा।" स्नेहा ने कहा, ''इससे पहले हम एक बार भक्त से मिल लेते हैं।'' सभी ने कहा, "ठीक है! तो चलो।"


सभी भक्ति से मिलने थाने गए। भक्ति को लॉक-अप में बंद कर दिया गया था। सबको देखते ही वो रोने लगी। विशाल उसके पास दौड़ कर गया और उसे शांत किया। विशाल ने कहा, "भक्ति, मैं तुम्हें यहाँ ज्यादा समय तक नहीं रहने दूंगा। तुम जल्द ही यहां से बाहर आ जाओगी। तुम्हे मुझ पर भरोसा है ना?" भक्ति बोली, "हाँ, मुझे तुम पर भरोसा है।" सब उनकी बाते सुन रहे थे। भाविन ने कहा, "तो ये दोनों भी प्यार के समंदर में पड़ गए।'' अवनि ने कहा, "तुम चुप रहो। अभी इस तरह की बात करने का समय नहीं है।''


पुलिस इंस्पेक्टर थाने पहुंचे। उसने कहा, "तो खूनी के दोस्त उससे मिलने आ ही गए।" विशाल गुस्से में बोला, "आप अपनी हद में रहो, वरना...'' पुलिस इंस्पेक्टर ने कहा, "वरना क्या करोगे?'' विशाल उसकी ओर जाने ही वाला था की भाविन ने उसे रोक लिया। इंस्पेक्टर ने कहा, "अरे, इस खूबसूरत लड़की को अपनी सुंदरता को जीवन भर जेल में रखना होगा। अगर इसने हत्या नहीं की होती, तो ये सुंदरता किसे के काम तो आती।" इतना कहकर इंस्पेक्टर जोर-जोर से हंसने लगा। विशाल को बहुत गुस्सा आया। विशाल ने गुस्से में बगल में पड़ी लकड़ी की कुर्सी को उठा कर, इंस्पेक्टर के सिर में मार दिया। इंस्पेक्टर के सिर से खून बहने लगा। वहां मौजूद एक कांस्टेबल ने विशाल को पकड़ लिया। इंस्पेक्टर ने कहा, "इसे भी जेल में बंद कर दो।" कांस्टेबल ने विशाल को लॉक-अप में बंद कर दिया।



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