Chandrika ek nanhi jadugarni - 3 in Hindi Short Stories by Pooja Singh books and stories PDF | चंद्रिका एक नन्ही जादुगरनी - 3

Featured Books
  • शून्य से शून्य तक - भाग 40

    40== कुछ दिनों बाद दीनानाथ ने देखा कि आशी ऑफ़िस जाकर...

  • दो दिल एक मंजिल

    1. बाल कहानी - गलतीसूर्या नामक बालक अपने माता - पिता के साथ...

  • You Are My Choice - 35

    "सर..."  राखी ने रॉनित को रोका। "ही इस माई ब्रदर।""ओह।" रॉनि...

  • सनातन - 3

    ...मैं दिखने में प्रौढ़ और वेशभूषा से पंडित किस्म का आदमी हूँ...

  • My Passionate Hubby - 5

    ॐ गं गणपतये सर्व कार्य सिद्धि कुरु कुरु स्वाहा॥अब आगे –लेकिन...

Categories
Share

चंद्रिका एक नन्ही जादुगरनी - 3

जादुगरनी गजमोहीनी चंद्रिका का पता करके अपनी गुफा में वापस आती है और चंद्रिका को मारने के लिए अपनी शक्ति से एक सुंदर से लेकिन विषैले खरगोश बनाती हैं ताकि इस बहकावे में फंस जाऐ ।
जादुई खरगोश यमार पहाड़ी पहुंंचता है
"चंद्रिका रुको इतनी तेज मत भागो" ऊरु ने कहा
"तुम छोटे हो मैं नही "
"नही चंद्रिका भाई ने पहाड़ी से नीचे जाने के लिए मना किया है"
"हां मुझे पता है"
भागते भागते चंद्रिका को एक खरगोश दिखता है जो बहुत घायल है
"ऊरू देखो इसे चोट लगी है इसे घर ले चले "
"बड़े भाई नाराज तो नही होंगे तो ले चलो"
"नही !भैयया नाराज नही होंगे"
चंद्रिका जैसे ही खरगोश को उठाती है वो खरगोश चंद्रिका के हाथ पर काट लेता है तभी ऊरू चिल्लाता है
"चंद्रिका इसे नीचे छोड़ दो जल्दी इसने तुम्हारे हाथ पर काट लिया है"
"तो क्या हूआ ये सांप थोड़े ही है तुम इतना क्यू डर रहे हो "
"चंद्रिका ठीक कह रही ऊरू तुम इतना क्यू डर रहे हो"
"डरना पड़ेगा फागू तू भुल गया भैया ने क्या कहा था की चंद्रिका का ध्यान रखना है"
"क्या ऊरु तुम तो बड़े भैय्या जैसे बोल रहे हो देखो बेचारा खरगोश भाग गया ऊरू भैय्या से मत कहना कि खरगोश ने काटा है कह देना खेलने में गिर गयी थी तब लगी है समझे "
"ठीक है चलो अब"
मासूम चंद्रिका उसे क्या पता था कि जिसे वो प्यारा खरगोश समझ रही है असल में वो गजमोहीनी द्धारा भेजा जहरीला खरगोश है ।
तीनो घर पहुंचते है
"फागू ऊरु तुम दोनो जाओ मैं अभी आती हुं "
"चंद्रिका मौहानी दीदी बुला रही खाने के लिए "
"हां !मुझे पता है बस हाथ धोकर आती हुं"
"ठीक है"
चंद्रिका जैसे ही कमरे से बाहर जाने वाली होती है तभी चक्कर खाकर गिर जाती है
"मौहानी देखना चंद्रिका आई क्यू नही खाने के लिए"
"हां!अभी लेकर आती हुं"
मौहानी चंद्रिका के कमरे में जाती हैं और चंद्रिका को बेहोश देखकर घबरा जाती हैं और जोर से चिल्लाती है
"निलेश जी निलेश जी !जल्दी आईये "
"क्या हुआ मौहानी तुम चिल्लाई क्यु "
"चंद्रिका उठ ही नही रही है"
निलेश भी घबरा जाता है
"क्या हुआ इसे चंद्र उठो "
गुस्से से चिल्लाता है
"फागू ऊरू इधर आओ दोनो "
दोनो डरे डरे आते है
"जी !बड़े भैय्या "
"जी वी छोड़ो और ये बताओ आज क्या हुआ था आज से पहले चंद्रिका कभी बेहोश नही हुई फिर आज अचानक क्या हो गया "
"भैय्या में तो बता ही रहा था पर चंद्रिका ने मना किया था"
"तुम इसकी बात कब मानने लगे"
"भैय्या आज हम जब खेल रहे थे तब चंद्रिका को एक खरगोश दिखा था जो बहुत घायल था हमारे मना करने पर भी चंद्रिका ने उसे उठाया तभी उस खरगोश ने इसके हाथ पर काट लिया था
तभी मौहानी बोलती हैं
" नीलेश जी जरूर वो खरगोश छली खरगोश था क्योकी ये देखिए इसका हाथ नीला होने लगा है "
"जरुर ये गजमोहीनी ने भेजा होगा "
"आप देर मत कीजिए और अपनी माँ से चंद्रिका को ठीक करने की पूछो जाओ जल्दी "
निलेश कोंचना की गुफा में पहुंचकर सारा हाल सुना देता है तब कोंचना उसे बताती हैं
"निलेश !तुम वनभक्षी जंगल जाओ और वहां जलकुंभी पर जाओ वहां पर तुम्हे घृतफनी जो नीले रंग की औषिधी लाकर चंद्रिका को दे देना वो ठीक हो जाऐगी"
घृतफनी की खोज ?