Marks - Season-1 - 5 in Hindi Moral Stories by ARUANDHATEE GARG मीठी books and stories PDF | मार्क्स - Season-1 - भाग - 5

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मार्क्स - Season-1 - भाग - 5

नादिर चुप - चाप नदी के किनारे घंटो बैठा रहा । तभी उसे अपने दोस्तों की हंसने की आवाज़ आई । नादिर ने उस तरफ देखा , और अपने क्लास मेट्स को देखकर वह उनकी तरफ चला गया । नादिर की इस वक्त जो मानसिकता थी , उसमें वह ये भूल चुका था कि क्या सही और क्या गलत। वो जनता था कि उसके ये दोस्त गलत हैं , लेकिन तब भी वह उनकी तरफ गया । नादिर जब वहां पहुंचा , तब उसके दोस्त ताश खेल रहे थे । साथ में उनके पास तरह - तरह की नशे की चीजें थीं , जैसे - सिगरेट, शराब,ड्रग्स इत्यादि । नादिर को वहां देख सभी चौंके और फिर उसे बैठा लिया । नादिर बस चुप - चाप वहां बैठा रहा और उन्हें नशा करते और खेलते देखता रहा । दिमाग की नशें दर्द से फट रही थीं और उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह इस वक्त कहां बैठा है । नादिर को उदास देख , उसके दोस्तों ने उदासी का कारण पूछा , तो दोस्तों की जिद में आकर नादिर ने सबको सच - सच बता दिया । सभी ने उसकी बात सुनी और उसे इससे कुछ पल की मुक्ति के लिए नशा करने को कहा । उस वक्त एक दोस्त ड्रग्स की फांकें बना रहा था और एक उसे अपनी नाक से अपने शरीर में ले रहा था । ये सब देखकर नादिर को बहुत अजीब लग रहा था । तभी उसके एक दोस्त ने उसे उसी तरह ड्रग्स ट्राय करने को कहा । नादिर ने माना किया , पर उन सबने जिद की । उनकी जिद के कारण नादिर ने उसे ले लिया । लेकिन उसने उसे नाक से न लेकर , उसने ड्रग्स को उंगली में हल्का सा लिया और टेस्ट करने के बहाने उसे जीभ से लगा लिया । अगले ही पल नादिर को अजीब सी घुटन होने लगी , जबकि बाकी के दोस्त मजे से अपना खेल, खेल रहे थे । अगले पांच से दस मिनट में नादिर वहीं बेहोश हो गया , क्योंकि उसकी बॉडी पहली बार ड्रग्स के सेवन को अब्सोर्व नहीं कर पाई । जब दोस्तों ने उसे बेहोश देखा , तो घबरा गए और सब कुछ वहीं छोड़ - छाड़ कर सब वहां से भाग गए । लेकिन जाते - जाते उनमें से एक दोस्त ने नादिर के घर पर कॉल कर दिया , शायद उसे ये लगा कि अगर नादिर यहीं रहा तो कहीं कोई और अनहोनी न हो जाए , इस लिए उसने कॉल कर दिया था।

जब नादिर की आंख खुली , तब वह अपने घर में खुद के रूम में था । बिस्तर पर लेटे हुए नादिर ने अपने आस पास देखा , तो वहां उसके रूम में मां पापा थे । डॉक्टर नादिर का चेकअप कर जा चुका था । जब संदीप ने नादिर को होश आया देखा , तो उनका गुस्सा फट पड़ा , जो कि लाजमी था । संदीप ने नादिर को बहुत सुनाया , जबकि सुप्रिया सिर्फ संदीप को शांत कराते ही रह गई । लेकिन नादिर ने संदीप की बात सुनते हुए अपनी आंखें बंद कर ली और उनके आंखों से आसुओं की कुछ बूंदे कानो की तरफ लुढ़क गई । धीरे - धीरे उसे संदीप की बातें सुनाई देना बंद हो गई और वह सो गया ।

इधर सुहाना को नादिर की हालत पता लग चुकी थी , इस लिए सुबह होते ही वह नादिर की घर चली गई । उसने नादिर को शांत लहजे में समझाया , कि उसने जो किया वो गलत था और वह दोबारा ऐसा न करे । तो नादिर ने कुछ नहीं कहा , लेकिन उसके दिमाग में अब बहुत कुछ चलने लगा था । पिछली सारी घटनाएं अब उसे सामने होते हुए दिखने लगी थीं ।

कुछ दिन तक नादिर को रेस्ट करने दिया गया । और फिर जब वह स्कूल गया , तब तक हॉफ इयरली की एग्जाम डेट अनाउंस हो चुकी थी । नादिर अब सुहाना की हेल्प से दिन रात पढ़ाई में लग गया और उसने उन दोस्तों से जो थोड़ा बहुत बात करता था , अब वो भी बंद कर दी । अगले बीस दिन ऐसे ही बीत गए । बदलाव तो कुछ खास नहीं आया , लेकिन अब इतना जरूर हुआ , कि नादिर अपने पैरेंट्स की बातें चुप - चाप सुनने लगा । अपने आसुओं को और गुस्से को खुद के अंदर दबा लेता था अब वह । स्कूल और कोचिंग के सिवा उसने घर के बाहर निकलना पूरी तरह से बंद कर दिया । दिनभर अपने रूम में रहता और पढ़ाई करता ।

एग्जाम के फर्स्ट पेपर के दिन , नादिर अपना एग्जाम लिख रहा था , कि तभी उसके कानों में अपने पापा की , अपनी मां की , अपने टीचर्स की डांट सुनाई देने लगी , उसने अपने पास देखा , तो वहां सभी अपना एग्जाम देने में लगे थे । नादिर ने अपना सिर झटक दिया , लेकिन अगले ही पल अब उन आवाजों के साथ उसे वही सब चीजें अपने सामने होते हुए दिखने लगीं । जो वह लिख रहा था , वो सारे शब्द अब उसके सामने उड़ने लगे और फिर वह एक होकर उनसबका आकर लेने लगे , जिसने आज तक नादिर को पढ़ाई को लेकर डांटा था या फिर बहुत कुछ सुनाया था , उसके सामने वो दिन भी शब्दों के रूप में तैरने लगा , जिस दिन उसने अपने दोस्तों के कहने पर नशा किया था । उसे ऐसा लगने लगा , कि सभी उसके सामने खड़े हैं और उसे बेतहाशा सुनाए जा रहे हैं । नादिर ने परेशान होकर अपने कानों पर हाथ रख लिया और जोर से चिल्लाया , " नो............। " अगले ही पल नादिर बेहोश हो गया ।

जब उसे होश आया , तब वह अपने रूम में था । जहां उसके मां बाप के साथ सुहाना भी थी और साथ में डॉक्टर भी । डॉक्टर ने उसका हल चाल लिया और कुछ जरूरी बातें समझाकर चले गए । सुहाना वहीं बैठकर नादिर से बातें करने लगी , जिससे नादिर को काफी अच्छा लग रहा था । आज एक बात अजीब हुई , नादिर को संदीप ने और सुप्रिया ने कुछ नहीं कहा , और ये बात रह - रहकर नादिर को कचोट रही थी । सुहाना रात होने पर अपने घर चली गई । नादिर भी सो गया ।

अगले पेपर में नादिर को रेस्ट करने के लिए कहा गया , जो कि खुद उसके पैरेंट्स ने कहा । नादिर को काफी अजीब लगा , पर उसने कुछ नहीं कहा । अगले दिन नादिर रात में खाना खाकर सोकर गया , लेकिन आधी रात को उसकी नींद खुल गई । उसने पानी का जग उठाया , पानी पीने को और फिर पानी पी कर उसने जग वापस रख दिया और फिर से चादर ओढ़कर सोने लगा , कि तभी उसे दीवाल पर कुछ दिखा । नादिर ने ध्यान से देखा , उसे दीवाल के कलर किसी आकर को लेते हुए दिखे । देखते ही देखते उसे अपने सामने वो दृश्य दिखने लगा , जब संदीप ने उसके ऊपर हाथ उठाया था । इतना ही नहीं ...., अब अपने रूम में रखी हर एक चीज को देख ऐसा लग रहा था , कि उसे उठाकर संदीप नादिर को मार रहे हैं । देखते ही देखते ये डर उसके मन में भयानक रूप लेने लगा और उसे पूरे कमरे में संदीप उसे ही मारते हुए दिखने लगे । कभी वो उसे फ्लावर वॉश से मारते, तो कभी उसकी बुक से , हर सामान से संदीप उसे मारते हुए दिखने लगे । डर के मारे नादिर अपने बिस्तर पर दुबक गया और चारों तरफ देखते हुए जोर - जोर से रोते हुए चिल्लाने लगा । उसकी आवाज़ सुनकर संदीप और सुप्रिया आए । दोनों ने जब उसकी हालत देखी तो उसे संभालने की कोशिश करने लगे और तुरंत डॉक्टर को बुला लिया । संदीप को सामने देखकर नादिर बुरी तरह डर से कांप रहा था , उसने संदीप को खुद की तरफ आने तक नहीं दिया । डॉक्टर ने आकर नादिर को बेहोशी का इंजेक्शन दिया , क्योंकि इस वक्त नादिर को शांत करने का यही एक उपाय था । बेहोशी की वजह से नादिर वापस से सो गया । डॉक्टर ने संदीप और सुप्रिया से कहा।

डॉक्टर - मैंने आप दोनों को उसी दिन कहा था , कि आपका बेटा अब धीरे - धीरे मानसिक रोगी बनता जा रहा है । आपके बेटे को फोबिया के लक्षण हैं , जिसमें वह बुरी तरह से मानसिक प्रताड़ना से जूझ रहा है । मेरी बात मानिए , तो एक हफ्ते के अंदर - अंदर अपने बेटे का किसी अच्छे हॉस्पिटल में चेकअप करवाइए और उसका उचित इलाज करवाइए ।

इतना कहकर डॉक्टर चले गए । अगले दिन जब सुहाना नादिर के घर आई, तो उसे सुप्रिया ने सब कुछ बता दिया । जिसे जानकर सुहाना को नादिर के लिए टेंशन होने लगी । सुहाना जब नादिर से मिलने गई , तो उसने सुहाना से बहुत अच्छी तरह से बात की , लेकिन जैसे ही उसने अपने रूम में लगी संदीप की तस्वीर देखी , वह बुरी तरह से डर से कांपने लगा । सुहाना ने जब ये बात नोटिस की , तो तुरंत उसने तस्वीर हटाई और नादिर को संभाला । बड़ी मशक्कत के बाद नादिर शांत हुआ , जिसे सुहाना ने बहला फुसला के शांत करवाया था । नादिर की हालत देख उसका तुरंत इलाज शुरू करवाया गया । इन सबमें एक चीज जो नोटिस करने वाली थी , कि नादिर अब धीरे - धीरे खुद के मां बाप से और अंजान लोगों से बुरी तरह डरने लगा था , लेकिन वह सुहाना के साथ होने पर काफी हद तक संभल जाता । शायद ये इस वजह से था , कि सुहाना ने अब तक उसका हर सुख दुख में साथ दिया था और वह उससे हमेशा शांत लहजे में बात करती थी , साथ ही दोनों ने काफी अच्छे और दोस्ती से भरे खूबसूरत पल साथ में बिताए थे , शायद इसी लिए नादिर सिर्फ और सिर्फ सुहाना के संभाले आता था। अगले डेढ़ साल तक नादिर का इलाज चला , जिसमें उसे मानसिक रोगी की तरह ट्रीट किया गया । इन सबमें नादिर की पढ़ाई पीछे छूट गई । सुहाना ने इन डेढ़ सालों में नादिर का खूब खयाल रखा । उसके खाने पीने से लेकर , उससे बात करने तक । लेकिन इन सब में उसने अपनी पढ़ाई नहीं छोड़ी , और वह पढ़ती रही । वह दिनभर नादिर के साथ रही , जैसे वह उसकी मां हो , और जब नादिर सो जाता , तो वह अपनी पढ़ाई करती । उसे ऐसा करने से उसके मां बाप और खुद संदीप और सुप्रिया ने भी माना किया, क्योंकि इस उम्र में एक लड़की का इस तरह से किसी पराए लड़के के साथ रहना , किसी को भी रास नहीं आ रहा था , जिसके कारण सुहाना और उसके पिता के बीच के संबंध पर बहुत गहरा असर पड़ा। सुप्रिया और संदीप चाहते थे , कि नादिर की वजह से सुहाना अपना करियर दांव पर मत लगाए , इस लिए उन्होंने मना किया ,लेकिन सुहाना नहीं मानी और वह दिनरात नादिर की सेवा करती रही , और करती भी क्यों न , आखिर उसके इकलौते दोस्त को आज सबसे ज्यादा उसकी जरूरत थी । लेकिन इसका असर उसने अपनी पढ़ाई पर नहीं पड़ने दिया और टेवेल्थ बोर्ड में उसने पूरे जिले में टॉप किया । पूरे जिले में वह फर्स्ट रैंक पर आई , लेकिन उसे उसकी खुशी नहीं हुई , क्योंकि उसकी खुशी में शामिल होने वाला उसका सबसे प्यारा दोस्त आज अपनी फोबिया नामक मानसिक बीमारी से लड़ रहा था ।

अगले डेढ़ साल में सबकी देख रेख और उचित चिकित्सा मिलने पर नादिर ठीक हो गया...... ।

क्रमशः