Marks - Season-1 - 4 in Hindi Moral Stories by ARUANDHATEE GARG मीठी books and stories PDF | मार्क्स - Season-1 - भाग - 4

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मार्क्स - Season-1 - भाग - 4





स्कूल की छुट्टी की बेल लगने पर , सुहाना जल्दी - जल्दी अपना सामान समेटने लगी , क्योंकि उसे नादिर से बात करनी थी , पूछना था कि वह इतना चुप - चुप सा क्यों है ।
इधर नादिर ने जैसे ही बेल सुनी , तुरंत अपना बैग उठाया और बिना किसी से कुछ कहे क्लास से बाहर निकल गया । सुहाना आगे बैठती थी और नादिर पीछे । जब तक अपना बैग लेकर सुहाना नादिर के ओर गई, तब तक नादिर पीछे के डोर से तेज़ी चला गया । सुहाना उसके पीछे गई और उसे खूब आवाज़ दी , लेकिन नादिर को तो जैसे कुछ सुनाई ही नहीं दे रहा था , वह बिना सुहाना की आवाज़ पर ध्यान दिए स्कूल से निकल गया । सुहाना उदास सी अपनी साइकिल के पास आई और फिर वह भी अपने घर चली गई । घर पहुंचने पर नादिर ने वहां भी किसी से कोई बात नहीं की और चुप - चाप अपना काम करता रहा और फिर कोचिंग चला गया ।

अगले एक महीने तक नादिर का यही व्यवहार चलता रहा । वह सिर्फ अपनी मां और सुहाना से बात करता , वो भी सिर्फ और सिर्फ काम की , और फिर बिना उनके सवालों के जवाब दिए अपने काम पर लग जाता । सुहाना ने बहुत कोशिश की , लेकिन नादिर उसे इन सब बातों के लिए हमेशा इग्नोर कर चला जाता । एक बार को तो सुहाना भी उसके इस रवैए से चिढ़ गई, कि " काम पड़ने पर बस बात करता है , बाकी समय तो पूछता तक नहीं है । " लेकिन कुछ समय पहले जो उसके साथ घटित हुआ , यही सोचकर उसे नादिर की चिंता होने लगती । ट्राइमेस्टर के बाद के टेस्ट में नादिर की पूरे क्लास में थर्ड रैंक आई थी । सुहाना ने खुश होकर उसे विश किया , लेकिन नादिर ने उससे कुछ नहीं कहा और वापस अपने कामों में लग गया , जैसे उसे कोई फर्क ही न पड़ा हो अपने टॉप थ्री में आने का ।

अब दो महीने बीत चुके थे । लेकिन नादिर का रवैया नहीं बदला था । हमेशा हंसने मुस्कुराने वाला , सुहाना के साथ मस्ती करने वाला नादिर अब चुप हो गया था । इस महीने नादिर मंथली टेस्ट में पूरी क्लास में सेकंड पोजिशन पर आया था । जब इस बार सुहाना ने उसे विश किया , तो नादिर का वही रवैया रहा । उसने कुछ नहीं कहा और अपनी डेस्क पर आकर बैठ गया । सुहाना को इस बार भी बहुत बुरा लगा और उसे गुस्सा भी आया । और उसका गुस्सा नादिर पर फूट पड़ा । सुहाना नादिर के पास गई और उसकी डेस्क पर जोर से हथेली मार कर चिल्ला कर नादिर से बोली ।

सुहाना - तेरी प्रॉब्लम क्या है नादिर..???? पिछले दो महीने से तू इस तरह बिहेव कर रहा हैं, जैसे हम फ्रेंड्स नहीं अजनबी हों । कितनी बार पूछा तुझसे, कि कोई प्रॉब्लम हो तो बता , मैं हेल्प करूंगी तेरी , लेकिन नहीं...।
काम होता है , तो बात करता है , वरना एक बार भी मेरी या क्लास में किसी की तरफ देखता तक नहीं । हो क्या गया है तुझे नादिर...???? क्यों ऐसे बिहेव कर रहा है ...???

सुहाना के सवाल पर नादिर ने खाली आंखों से उसकी तरफ देखा , और अगले ही पल उसने बैग उठाया और चुप - चाप क्लास से बाहर चला गया । नादिर के ऐसे बिहेव पर सभी आश्चर्य थे , क्योंकि इतना चिल्लाने पर तो नादिर तुरंत सामने वाले से लड़ जाता था , लेकिन आज उसने एक शब्द नहीं कहा । सुहाना तो बस हैरान नजरों से उसे जाते हुए देखती रही । आगे कुछ कह ही नहीं पाई वह , नादिर के चुप होने की वजह से । लेकिन उसे आज नादिर की ये चुप्पी , अंदर तक कचोट गई ।

लगभग कुछ पंद्रह दिन भी ऐसे ही बीत गए । इन सबमें नादिर ने अपना रिजल्ट अपने घर वालों को नहीं बताया । एक दिन सुहाना ने नादिर के बारे में उसके घर वालों से बात करने का सोचा । और वह उस वक्त घर गई , जब नादिर कोचिंग जाता था और किस्मत से उस वक्त संदीप भी नहीं थे । सुप्रिया ने जब सुहाना को देखा , तो उसे घर के अंदर ले आई और उसकी आवभगत की । बातों - बातों में सुहाना ने नादिर का जिक्र किया , तो सुप्रिया ने उसे ट्राइमेस्टर के रिजल्ट के दिन की बात बता दी , जिसे सुनकर सुहाना को बहुत बुरा लगा और अब उसे समझ आ रही थी , नादिर की चुप्पी की वजह , कि वह अंदर तक कितना टूट चुका था। सुहाना ने सुप्रिया को नादिर के दोनों टेस्ट का रिजल्ट बताया , जिसे सुनकर सुप्रिया खुश भी हुई और हैरान भी , कि " आखिर ये बात नादिर ने सबसे छिपाई क्यों ...??? "

सुहाना नादिर के आने से पहले ही घर चली गई । नादिर जब घर वापस आया, तब सुप्रिया उसके कमरे में गई । उस वक्त नादिर अपने नोट्स बना रहा था । सुप्रिया ने जब उसे पढ़ाई करते देखा, तो एक बार को वह दरवाजे पर ही रुक गई, लेकिन उसे लगा कि शायद नादिर से बात करना इस वक्त जरूरी है, तो वह नादिर के कमरे में आ गई और उसे आवाज दी, तो नादिर ने हाथ में पकड़े हुए पेन को साइड में रखा और फिर सुप्रिया को देखा और कहा ।

नादिर - जी कहिए मॉम....!!!!

सुप्रिया नादिर के पास आई और प्यार से उसके सर में हाथ फेर कर उससे बोली ।

सुप्रिया - थोड़ा कभी हमारे साथ भी बैठ लिया कर......, क्या दिन भर कॉपी किताब में ही लगा रहता है ।

नादिर ने कुछ नहीं कहा और चुपचाप अपने स्टडी में लग गया । सुप्रिया ने देखा तो उसे उसे महसूस हुआ, कि नादिर शायद अब तक पिछली बात से अपसेट है । सुप्रिया ने उसके हाथ से कॉपी और पेन छुड़ाया और साइड में रखते हुए उसने कहा ।

सुप्रिया - बेटा...!!!! तुमने बताया नहीं तुम्हारा रिजल्ट कैसा आया है, पिछले दो महीने के मंथली टेस्ट में?

नादिर ( उसकी तरफ देखते हुए ) - क्यों ....???? इतना इंपोर्टेंट है क्या मेरे टेस्ट का रिजल्ट..???

सुप्रिया ( उसे देखकर ) - हां...., क्यों नहीं.....। वैसे मुझे पता चला है , कि तुम ने टॉप किया है, टॉप थ्री में तुम्हारा नाम है । हमें बताया नहीं....!!! या फिर बेटा जरूरी नहीं समझा यह बताना ..???

नादिर ( जमीन की तरफ देखकर ) - हां मॉम....., नहीं समझा जरूरी, कि मैं टॉप थ्री में आ चुका हूं । ( थोड़ा रूड होकर ) लास्ट टाइम जो हुआ , क्या वो आपको याद नहीं ...?????

यह बात सुनकर सुप्रिया को काफी बुरा लगा , लेकिन उसने नादिर की तरफ देखा और फिर कहा ।

सुप्रिया - बेटा....., तू अब तक नाराज है अपने पापा से और मुझसे...?? क्या तू उस दिन की बात को कभी भूल नहीं सकता ..????

नादिर ( चिढ़ते हुए , हल्के गुस्से के साथ तना मारते हुए ) - भूलना तो चाहता था मॉम, लेकिन क्या करूं......, नहीं भूल पाया । खैर जाने दीजिए....., मैं उस बारे में कोई बात नहीं करना चाहता ।

सुप्रिया - पर बेटा....., मैं तो करना चाहती हूं ना...।

नादिर ( गुस्से से ) - प्लीज मॉम......, स्टॉप इट.....। मैं नहीं करना चाहता हूं इस बारे में बात, तो प्लीज...., आप वो टॉपिक स्टार्ट मत कीजिए । मेरे स्टडी का टाइम हो चुका है, मुझे अपने नोट्स बनाने हैं । सो प्लीज...., मुझे अपनी स्टडी पर फोकस करने दीजिए ।

इतना कहकर नादिर फिर से अपने कॉपी और बुक में लग गया । सुप्रिया ने कुछ कहना चाहा , लेकिन तभी संदीप की जोरदार आवाज आई, जो कि सुप्रिया को ढूंढते हुए नादिर के रूम में ही आ गए थे । जब उन्होंने नादिर को अपनी मॉम से इस तरह बात करते देखा, तो तुरंत गुस्से से कहा ।

संदीप - यह क्या तरीका है अपनी मॉम से बात करने का ....???? इस तरह से बात की जाती है, अपनी मां से..??? यही सिखाया है हमने तुम्हें..??? बिल्कुल भी तमीज ही नहीं तुममें तो , बात करने की ।

नादिर ने कुछ नहीं कहा और चुपचाप बैठा रहा, जबकि सुप्रिया ने जब सुना, तो तुरंत संदीप को समझाने लगी । लेकिन संदीप गुस्से - गुस्से में कहते गए ।

संदीप - इतना बड़ा हो गया है यह , कि अपने मां-बाप से इस तरह बात करेगा । अपने मां-बाप से नाराज होगा, यही सिखाया है हमने इसे । यह कोई तरीका है बड़ों से बात करने का..???? अधिकार कैसे मिला तुम्हें , अपने ही मां बाप से नाराज होने का , इतनी रुडली बात करने का..??? इतने बड़े तो तुम नहीं हो गए, कि अपने मां-बाप से नाराज हो जाओ और हमें ही सिखाने लगो, कि हमने क्या गलत कहा और क्या सही । तुम भूल रहे हो शायद, कि तुम अगर आज इतने अच्छे स्कूल में पढ़ रहे हो, तो मेरी मेहनत की बदौलत और तुम हो कि अपनी मां से ऐसे बात कर रहे हो , उनसे ऊंचे लहजे में बात कर रहे हो , उन्हें फ्रस्टेशन दिखा रहे हो..!! अपना ये गुस्सा कहीं और जाकर दिखाना .....।

यही सब कहते हुए संदीप ने उसे बहुत सुनाया, लेकिन नादिर ने अब तक कुछ नहीं कहा, उसे गुस्सा बहुत ज्यादा आ रहा था , पर वो चुप ही रहा । फिर संदीप ने आगे कहा ।

संदीप - अगर यही तुम्हारा रवैया रहेगा, तो मैं तुम्हें अपने घर में रखूंगा ही नहीं । ये कोई तरीका नहीं है बात करने का , अपने ही मां बाप से । इससे अच्छा है कि तुम यहां से निकल जाओ , मेरे घर में ऐसे बच्चे की कोई जगह नहीं है ।

नादिर ( हैरान होकर ) - डैड, बट मैंने तो.....!!!!!

संदीप ( तेज़ आवाज़ में ) - चुप......!!!! एकदम चुप...। एक लफ्ज़ भी आगे कहा ना, तो मैं तुझ पर हाथ उठा दूंगा ।

नादिर ( सुप्रिया की तरफ देखकर ) - मॉम ......,आप तो जानते हो ना, मैंने ऐसा कुछ ........।

सुप्रिया ने संदीप को चुप रहने का इशारा किया और कहा ।

सुप्रिया - बेटा....., तुमने यह गलत किया, तुम्हें तमीज होनी चाहिए थी मां बाप से बात करने की और अपने पापा के लिए या अपने बड़ों के लिए ऐसा कहना तुम्हें शोभा नहीं देता बेटा ।

नादिर ने जब सुना, तो कुछ नहीं कहा । लेकिन जो थोड़ी बहुत आस बची थी, कि "शायद उसके मां-बाप उसे समझेंगे ", वह अब पूरी तरह से मिट चुकी थी । नादिर को गुस्सा बहुत आ रहा था , इसलिए उसने अपनी कॉपी बुक चुपचाप बंद की और रूम से बाहर निकल गया । सुप्रिया ने उसे रोकना चाहा, लेकिन तब तक नादिर घर से बाहर जा चुका था । नादिर ने अपनी साइकिल उठाई और वह शहर से बाहर एक पुल के नीचे आकर बैठ गया । पुल काफी बड़ा था और उसके नीचे से नदी बह रही थी । अब क्योंकि वह हाईवे के अंतर्गत आता था, इसलिए वहां गाड़ियों के शोर के अलावा, अक्सर शांति रहती थी । सिर्फ गाड़ियों बसों का ही शोर रहता था, तो वहां शहरी इलाकों के लोगों का जाना कम ही होता था । इसलिए पुल के नीचे काफी सुनसान इलाका था । नादिर को इस वक्त इसी चीज की जरूरत थी, तो नादिर चुपचाप वहां आकर बैठ गया । पार्क में इसलिए नहीं गया , क्योंकि उसे पता था कि सुहाना उसे ढूंढते हुए पार्क जाएगी । शाम का वक्त हो चला था , हल्का - हल्का अंधेरा भी गहराने लगा था । नादिर को वहां बैठे लगभग डेढ़ घंटा हो चुका था । तभी वहां पर उसी के क्लास के कुछ आवारा दोस्त आ गए, लगभग चार-पांच और आकर वह नादिर से लगभग 20 कदमों की दूरी पर बैठ गए । नादिर को इस बात का आभास ही नहीं था , क्योंकि वह तो अपनी सोच में गुम था । उसे उम्मीद ही नहीं थी , कि उसके मां-बाप इस हद तक उससे एक्सपेक्टेशन रखेंगे और वह पूरी भी नहीं कर पाएगा । उसे बिल्कुल भी विश्वास नहीं हो रहा था कि उसके मां-बाप छोटी-छोटी बातों को लेकर इतना कुछ कह जाएंगे , कि नादिर को इतनी ज्यादा तकलीफ होगी । इतनी छोटी सी बात के लिए संदीप ने उसे घर से बाहर जाने तक के लिए कह दिया जो कि उचित नहीं था ।

संदीप और सुप्रिया ने जो कहा , बिल्कुल सही कहा लेकिन गलत वक्त पर कहा। उन्हें माहौल के अनुकूल बात करनी चाहिए थी । उन्हें समझना चाहिए था , कि नादिर इस वक्त क्या सोच रहा है । दो महीनों से उसका बिहेव दोनों ही देख रहे थे , जिसे संदीप उसकी अकड़ समझ रहे थे । लेकिन सुप्रिया को कहीं न कहीं ये आभास था , कि वह आजकल अपसेट चल रहा है । उस नाते उसे , संदीप के चिल्लाने पर उन्हें शांत करना चाहिए था और नादिर की गलती बताने की जगह , उसे शांत लहजे में सही वक्त आने पर समझना चाहिए था । पैरेंट्स गुस्से में बहुत कुछ कह जाते हैं , जिससे बच्चों को बहुत तकलीफ होती है । नादिर को भी हो रही थी । कई बच्चे उसे भूल जाते हैं , कि पैरेंट्स ही तो हैं , जाने दो , शांत हो जायेंगे तो अपने आप प्यार देंगे और कुछ बच्चों पर इसका गलत प्रभाव पड़ता है , कि आखिर उसके मां बाप उसे समझ क्यों नहीं रहे , क्यों उससे ऐसे बात कर रहे हैं । ऐसे में पैरेंट्स को बच्चो पर गुस्सा करने की बजाय , उनसे शांति से बात करनी चाहिए और उनके दोस्त बनकर उन्हें सही गलत समझाना चाहिए , जिसकी जरूरत इस वक्त नादिर को बहुत ज्यादा थी ......।

क्रमशः