Risky Love - 21 in Hindi Thriller by Ashish Kumar Trivedi books and stories PDF | रिस्की लव - 21

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रिस्की लव - 21



(21)

अंजन ने लंदन में रहने वाले अपने दोस्त सागर खत्री को फोन किया। सागर को बताया कि उस पर हुए हमले में दो लोगों पर शक है। हमला करने वाला लंदन से आया था। उसने अपना नाम नीतीश सक्सेना बताया था। उसके साथ एक औरत भी थी।
उसने उन दोनों का हुलिया बताने के बाद कहा कि उसके पास उन दोनों का सीसीटीवी फुटेज है। ‌वह फुटेज उसे ईमेल पर भेज रहा है। अपने आदमियों को काम पर लगा दो। जो भी खर्च हो वह देने को तैयार है। लेकिन इन दोनों का पता जितनी जल्दी हो सके लगाकर उसे बताए।
सागर खत्री ने आश्वासन दिया कि वह अंजन पर हमला करने वालों को ढूंढ़ने में कोई कसर नहीं छोड़ेगा। जितनी जल्दी हो सके वह सारी डिटेल्स भेज दे।
अंजन ने सारे डीटेल्स सागर खत्री को ईमेल पर भेज दिए।

अंजन ने डीटेल्स सागर खत्री को भेज दिए थे। लेकिन अब उसका मन भारत में नहीं लग रहा था। वह चाहता था कि खुद लंदन जाकर मानवी और निर्भय को खोजे। उन्हें उनके किए की सज़ा दे। इसके अलावा उसका मन मीरा से मिलने के लिए भी तड़प रहा था। वह उसे मनाना चाहता था।
उसका घाव पूरी तरह भर चुका था। अब लंदन जाने में कोई दिक्कत नहीं थी। उसने अपने ट्रैवल एजेंट से लंदन के लिए टिकट करवाने को कहा।
लंदन जाने से पहले उसने एंथनी को अपने बंगले पर बुलवाया। उसने एंथनी से कहा कि हमलावरों की पहचान सामने लाने में उसने बहुत मदद की है। उसका काम हर बार की तरह लाजवाब है। अभी उसे उसकी सेवाओं की ज़रूरत नहीं है। इसलिए अब तक उसने जो भी किया उसका हिसाब कर ले। भविष्य में जब भी उसकी ज़रूरत होगी अंजन उससे संपर्क कर लेगा।
अंजन ने एंथनी का हिसाब पूरा कर दिया।

विनोद नफीस का उसके घर के पास वाले रेस्टोरेंट में इंतज़ार कर रहा था। नफीस को आने में कुछ देर हो गई थी। करीब पंद्रह मिनट से विनोद उसकी राह देख रहा था। नफीस की बिल्डिंग से इस रेस्टोरेंट तक का रास्ता बमुश्किल पाँच मिनट का था। विनोद ने तो अपने घर से निकलते समय नफीस को फोन कर दिया था। उसे लगा था कि जब वह रेस्टोरेंट में पहुँचेगा तो नफीस पहले से ही मौजूद होगा। लेकिन उसके आने के पंद्रह मिनट बाद भी नफीस नहीं आया था।
उसने सोचा कि पाँच मिनट और इंतज़ार कर ले उसके बाद फोन करके पूँछेगा। इंतज़ार करते हुए पांँच की जगह दस मिनट बीत गए। लेकिन नफीस का कोई पता नहीं था। विनोद ने अपना फोन उठाया और नफीस का नंबर मिलाया। दो बार पूरी घंटी जाने के बाद भी नफीस ने फोन नहीं उठाया। इस पर विनोद को बहुत चिंता होने लगी।
वह रेस्टोरेंट से निकलकर नफीस की बिल्डिंग की तरफ चल दिया। नफीस के घर पहुँचने पर पड़ोसी से पता चला कि शाहीन का ऑफिस से लौटते हुए एक्सीडेंट हो गया था। उसे हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है। नफीस वहीं गया है। विनोद हॉस्पिटल का नाम पूँछकर वहीं चला गया।
वह हॉस्पिटल पहुँचा ही था कि नफीस का फोन आया। उसने बता दिया कि उसे सब पता चल गया है। वह शाहीन को देखने हॉस्पिटल आया है।
अंदर जाकर वह नफीस से मिला। शाहीन का हालचाल पूँछा। नफीस ने बताया कि सर पर कोई चोट नहीं है। डॉक्टर एक्सरे के लिए ले गए हैं। शायद बाएं पैर में फ्रैक्चर है।
वेटिंग एरिया में बैठे हुए नफीस ने विनोद से पूँछा,
"क्या बात थी जो बताने के लिए तुमने मुझे रेस्टोरेंट में बुलाया था ?"
"सर दो बातें हैं। एक तो उस आदमी के बारे में पता चल गया जो एंथनी के साथ अंजन के बंगले पर गया था। वह होटल का सिक्योरिटी इंचार्ज दर्शन वशिष्ठ है।"
नफीस कुछ सोचकर बोला,
"फिर तो ज़रूर उसके पास हमला करने वाले का कोई सुराग रहा होगा।"
"बिल्कुल सर तभी एंथनी उसको अंजन के पास ले गया होगा।"
"दूसरी क्या बात है ?"
"सर यह बात कुछ अजीब और चौंकाने वाली है।"
नफीस ने आश्चर्य से उसकी तरफ देखा। विनोद बोला,
"अंजन लंदन चला गया है।"
यह सुनकर नफीस को सचमुच आश्चर्य हुआ। उसने कहा,
"लंदन ? सचमुच यह बड़ी अजीब बात है। कुछ समय पहले उस पर जानलेवा हमला हुआ था। वह उसकी तहकीकात करवा रहा था। अब अचानक लंदन चला गया।"
"सर मुझे तो लगता है कि उस पर हमला करने वाले का संबंध लंदन से है। यही जानकारी पाने के बाद वह लंदन चला गया।"
नफीस ने खुश होकर कहा,
"वाह विनोद.... बात तो पते की करी है तुमने। यही बात होगी। इसलिए तो वह इतनी जल्दी लंदन चला गया।"
तभी नर्स ने आकर कहा कि डॉक्टर नफीस को बुला रहे हैैं। विनोद ने उससे कहा कि वह शाहीन का ध्यान रखे। अगर कोई और सूचना मिलेगी तो वह बता देगा। विनोद वहाँ से चला गया।
डॉक्टर ने नफीस को बताया कि शाहीन के बाएं पैर में फ्रैक्चर है। उसे प्लास्टर चढ़ाया जाएगा। आज रात शाहीन अस्पताल में ही रहेगी। कल सुबह उसका प्लास्टर होने के बाद डिस्चार्ज मिल जाएगा।

नफीस शीरीन के पास गया। वह दर्द में थी। उसने नफीस से कहा,
"इतने दिनों के बाद तो दोबारा जॉब शुरू किया था। अब यह हो गया। फिर घर में बंद रहना पड़ेगा।"
"शीरीन ऐसी बातें मत करो। ज़िंदगी में उतार चढ़ाव आते ही रहते हैं।"
शीरीन की मनोदशा अच्छी नहीं थी। नफीस की बात सुनकर गुस्से से बोली,
"मेरी जिंदगी में तो सिर्फ उतार ही उतार है। अच्छा वक्त तो बस झलक दिखाकर चला जाता है।"
नफीस उसे परेशान नहीं करना चाहता था। वह चुप हो गया। उसके सर पर प्यार से हाथ फेरने लगा। तभी शाहीन के अम्मी, अब्बा और उसकी छोटी बहन नाज़नीन आ गए। अपने घरवालों को देखकर शाहीन भावुक हो गई।‌ नफीस बाहर चला गया ताकी वह अपने अम्मी और अब्बू से बात कर सके।
वह शाहीन की मानसिक स्थिति को समझ रहा था। अपने बच्चे को खो देने का दुख वह भूल नहीं पाई थी। वही कहाँ उस दर्द को भूला था। बस अपने दर्द को सीने में छिपा लिया था। वह कमज़ोर पड़ता तो शाहीन और भी अधिक टूट जाती।
अभी भी उसे अपने बच्चे की नन्हीं उंगलियों का स्पर्श महसूस होता था। वह बोलना सीख रहा था। शाहीन ने उसे अम्मी अब्बा बोलना सिखाया था। उसे देखकर अपनी तोतली जुबान से अब्बा अब्बा कहकर उसकी गोद में आकर बैठ जाता था। ठुमक ठुमक कर चलता था और खिलखिला कर हंसता था।
अपने बच्चे को याद करके उसकी आँखों में आंसू आ गए।
नाज़नीन उसके बगल में आकर बैठ गई।‌ नफीस ने अपने आप को काबू कर लिया।‌ नाज़नीन ने पूँछा,
"आपा का एक्सीडेंट कैसे हुआ ?"
"ऑफिस से निकल कर ऑटो स्टैंड की तरफ बढ़ रही थी। एक बाइक तेज़ी से आकर टकरा गई।‌ शाहीन गिर पड़ी। सर पर तो चोट नहीं आई है। पर बाएं पैर में फ्रैक्चर है। कल प्लास्टर चढ़ेगा। फिर छुट्टी मिल जाएगी।"
"अम्मी कह रही थीं कि आपा को अपने साथ ले जाएंगी।"
"क्यों ? मैं उसकी देखभाल कर लूँगा।"
नाज़नीन ने प्यार से कहा,
"मुझे पता है आप आपा को बहुत चाहते हैं।‌ लेकिन आप अकेले कैसे संभालेंगे ? वहाँ हम सब हैं। भाईजान भी पास ही रहते हैं।"
"मैं संभाल लूँगा। ज़रूरत पड़ी तो तुम लोगों को बुला लूँगा।"
नफीस रूम में गया। शाहीन अपनी अम्मी से बात कर रही थी।‌ नफीस ने उससे पूँछा,
"तुमको लगता है कि मैं तुम्हारी देखभाल नहीं कर पाऊँगा।"
उसके इस सवाल पर शाहीन चौंक गई। वह कुछ बोलती उससे पहले उसकी अम्मी ने कहा,
"हमारे साथ जाएगी तो इसमें बुरा क्या है ?"
नफीस ने उनकी बात को अनसुना करके फिर पूँछा,
"शाहीन तुम बताओ। तुम क्या चाहती हो ?"
शहीन ने उसे समझाना चाहा। पर उसकी बात को काटकर उसकी अम्मी ने कहा,
"उस पर ज़ोर मत डालो। इस मुश्किल वक्त में उसे अपनों की ज़रूरत है। एक बार देख चुके हैं कि तुम कैसे ज़िम्मेदारी निभाते हो।"
अपनी अम्मी की यह बात सुनकर शाहीन दंग रह गई। वह जानती थी कि इस बात ने नफीस को बहुत तकलीफ दी होगी। वह नफीस से कुछ कहने जा रही थी कि वह खुद बोला,
"सही है शीरीन। इस वक्त तुम्हारे अपने ही तुम्हारी मदद कर पाएंगे। मैं तुम पर कोई दबाव नहीं डाल रहा।‌"
कहकर वह रुम से चला गया।‌ गुस्से में हॉस्पिटल से निकल गया।
नफीस हॉस्पिटल के बाहर आकर एक बेंच पर बैठ गया। शीरीन की अम्मी की बात उसे नश्तर की तरह चुभी थी। उस दिन की घटना उसके दिमाग में ताज़ा हो गई।
शीरीन किसी ज़रूरी काम से अपने भाई के घर गई हुई थी। नफीस की छुट्टी थी इसलिए बच्चे को उसके पास छोड़ गई थी। नफीस खुश था कि आज अपने बेटे के साथ खेलेगा। बच्चे के साथ खेलने के बाद वह उसे नहलाने की तैयारी करने लगा। उसके लिए एक बाथ टब लेकर आया था। उसने उसमें पानी भरा। बच्चे के कपड़े उतार कर नहलाने जा रहा था कि तभी किसी का फोन आ गया। वह बात करने के लिए बालकनी में चला गया। उस वक्त वह अपनी एक क्राइम स्टोरी पर काम कर रहा था। फोन उसी सिलसिले में था। बात करते हुए देर हो गई।
जब वह लौटकर आया तो जो मंजर उसके सामने था उसे देखकर दहल गया। बच्चा मुंह के बल टब में गिरा हुआ था। हिल डुल भी नहीं रहा था।
उस दिन उससे सचमुच लापरवाही हुई थी। उस लापरवाही की जितनी बड़ी सजा उसे चुकानी पड़ी थी वह ही जानता था। जैसे जिस्म पर दाग कर कोई निशान बना देता है वैसे ही उसके दिल पर निशान बन गया था।
वह निशान रह रहकर दर्द देता था। पर आज शीरीन की अम्मी ने उसे खरोंच कर घाव कर दिया था।