Gujarati Hindi Linguistic Points - 4 in Hindi Comedy stories by Manju Mahima books and stories PDF | गुजराती हिन्दी की भाषाई नोंक झोंक - 4

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गुजराती हिन्दी की भाषाई नोंक झोंक - 4

गुजराती हिन्दी की भाषाई नोंक झोंक
संस्मरण-3
-लैंगा
एक प्रसिद्ध कहावत है,
' कोस कोस पर पानी बदले, 3 कोस पर बानी.' सो यही हाल है हमारे भारत में. राजस्थान में राजस्थानी और हिन्दी बोलते हुए जब गुजरात के अहमदाबाद में प्रवेश किया तो वहाँ सबको गुजराती बोलते हुए सुना तो अच्छा लगा, पर अधिक अच्छा जब लगता था, जब सब हमारी भाषाई समस्या को समझकर अपना तालमेल हमारे साथ बिठाते थे.
एक दिन की बात है, नीचे लिफ्ट के लिए खडी थी कि हमारे नीचे के फ्लोर पर रहने वाली गीता बेन और गिरिश भाई शोपिंग बेग से लदे फदे आए.. 'हलो, केम छो' इतना बोलना तो सीख ही लिया था. वैसे भी गुजराती मीठी भाषा है.
वे हँसते हुए बोले 'फाइन, आप कैसे हैं? '
वाह!! भाषा का कितना अच्छा आदान प्रदान , मैं उनकी भाषा बोल रही थी और वे मेरी.
मैने उनके हाथों में बड़े बड़े थैले देखकर पूछा,
'बड़ी जोर दार शोपिंग हो गई लगती है.'
'हाँ, वो हेंडलूम हाऊस में सेल लगी है ना, वहीँ से शोपिंग करके लाएं है.'
गिरीश भाई और गीता बेन के यहाँ हमारा अक्सर आना जाना रहता था, असल में वे ही हमारे गाइड थे, इस परदेश में वे ही तारनहार थे. जब भी कोई जानकारी चाहिए, कोई समस्या होती वे खुशी खुशी हमारी सहायता के लिए तैयार रहते. कभी मुंह पर त्योंरियां नहीं चढती.
'अच्छा!! क्या क्या खरीद लिया? ' मैने ऐसे ही पूछ लिया, तभी लिफ्ट आगई.. हम लोग लिफ्ट में घुसे. उन्होंने 8 वें फ्लोर का बटन दबाया, हम 9 वें पर रहते थे सो मैं उसका बटन जैसे ही दबाने लगी, गीता ने मेरा हाथ पकड़ कर कहा, आप हमारे यहाँ चल रहीं हैं, आपको शोपिंग दिखानी है ना..
मैं मुस्कुरा दी. वैसे मन ही मन में तो मैं भी उनकी शोपिंग देखना ही चाहती थी सो चल दी उनके साथ.
गीता ने घर आते ही, गिरीश को कहा, 'सुन, तू जरा मंजु बेन और मेरे लिए पानी ला ना, मैं मंजु बेन को जरा शोपिंग दिखा दूं. ' कहकर बेग से कपड़े और अन्य सजावट की चीजे निकालने लगीं. मैं भी सभी सजावटी चीजों की तारीफ़ करने लगी. मैने पूछा , 'कपडों में क्या ले लिया? '
बोली, 'हम तो इस सेल में साल भर के कपड़े ले लेते हैं.'
मैं चौंकी, वह क्या क्या? '
गिरीश के लिए 6 कुर्ते, 6 लैंगे, मेरे लिए 4 जिंस पर पहनने की कुर्तियां, 4 चनिया..
'एक मिनट मैं उसकी लिस्ट सुनकर थोडी अचकचाई, और हिम्मत करके उसे टोकते हुए बोली, ' तुम शारद गलत बोल गईं, 6 कुर्ते गिरीश के लिए और 6 लैंगे (लहंगे) तुम्हारे लिए.. है ना.. '
'अरे! नहीं, लैंगे मै क्यों पहनूंगी? यह गिरीश के लिए ही लिए हैं.. '
मैं जैसे आसमान से गिरी.. क्या गिरीश लैंगा पहनेगा??' मैंने अपनी हँसी रोकते हुए पूछा.
'कहाँ है लंहगा, मैभी तो देखूँ? '
गीता ने थैली में से जो निकाल कर दिखाया वह आप सोच सकते हैं क्या होगा?
वह था, पजामा... 😃😃😃😃
अरे! क्या इसको तुम लंहगा बोलते हो??
गीता ने सुधारते हुए कहा, ' लहंगा नहीं लैंगा, तुम क्या समझीं? '
मैंने इशारे से समझाते हुए कहा, ' हमारे तो जो औरतें घेर वाला घाघरा पहनती हैं ना, जो शादी में भी पहना जाता है, उसे लहंगा कहते हैं.
'ओ हो! बराबर चनिया... जो मैं अपने लिए लाई हूँ.'
इस पर हम दोनों ही ताली मार कर हँस दिए.. तभी गिरीश सोसर में चाय लेकर आगए, मुझे पकडाकर बोले, ' लो तमे तो चा पिओ.'
पर मेरी हँसी तो लैंगा सोचकर रुक ही नहीं रही थी. 😃😃😃