क्या तुम वापस आ गयी ? पार्ट - 2
ये कहानी एक डॉक्टर की हैं जिसका दो साल पहले तलाक हो चूका हैं, इसके पहले भाग में इनके बारे में विस्तार से बताया गया हैं |
डॉ साहिल अपने अतीत में जाते हुए अपनी बातों को फिर से जारी करते हैं:-
"मेरे लिए आलिया का अहसास होना ही काफ़ी था, मैं आत्माओ में विश्वाश करता था, मेरी माँ बचपन के दिनों में अक्सर भूतो, आत्माओं की कहानियाँ सुनाया करती थी और वो मेरे हर सवालों पर एक ही जवाब देती के इस दुनिया में बहुत कुछ ऐसा हैं जिसे हम देख तो नहीं सकते लेकिन उस चीज़ के होने का अहसास कर सकते हैं, आलिया भी अब मेरे लिए एक अहसास बन गयी थी, मैं हर पल उसी अहसास में खोया रहना चाहता था, एक दिन हॉस्पिटल में ऐसे ही बातें करते-करते मेरे एक दोस्त ने कह दिया :-"डॉक्टर साहब, ज़िंदा थी तो आप के साथ रहना नहीं चाहती थी और मरने के बाद आप के आस-पास क्यू भटक रही हैं, उसको अपने आशिक़ से मन भर तो नहीं गया था ना "
इस बात को लेकर मेरी उससे खूब बहस हो गयी थी लेकिन उस वक़्त तो उसने सिर्फ मुझसे मज़ाक़ ही किया था लेकिन कोई आलिया के लिए इस तरह से कुछ कहे तो मुझसे बर्दास्त नहीं होता था, उनकी भी गलती नहीं थी, उन्हें मेरी बातों पर विश्वाश भी तो नहीं होता था और सच तो यह था के मैं उनको समझा भी नहीं पाता था कि मैं उसे कैसे महसूस करता था, खैर मैंने ये कोशिश करनी भी बंद कर दी थी।
एक दिन ऐसे ही मैं बालकनी में बैठा सोच रहा था के जिस तरह मैं आलिया को अपने आस-पास होने का महसूस करता हूँ क्या उसका दूसरा पति भी ये सब महसूस करता होगा ???
क्या आलिया के मरने के बाद वापस आने का राज़ सिर्फ मैं ही जनता हूँ, आखिर वो मेरे पास आयी ही क्यू जबकि वो मुझे पहले ही छोड़ कर जा चुकी थी तो, जी रहा था मैं जैसे तैसे आगे भी जी ही लेता, क्यूँ इतनी हमदर्दी जताने आयी हैं दुबारा..........??
ये जो मेरे सवाल थे एक दम जाएज़ थे और कहीं न कहीं ये मेरे मन में भी घर करने लगा था, मैं उससे बाते करना चाहता था, उसको देखना चाहता था, लेकिन पिछले दस दिनों में सिर्फ मैंने उसकी आहट ही मह्सूस की थी, शॉक्ड तो मुझे तब लगा जब मुझे वो दवाई मिली, मैं शुरू से ही थोड़ा जासूस टाइप का इंसान रहा हूँ, एक दिन मैंने सोफे वाले को बुलवाया, बुलवाने का कारण था सोफा काफी गन्दा हो चुका था लेकिन अभी भी तीन चार साल आराम से चल जाता इसलिए वो सिर्फ ऊपर के कवर ही निकाल कर ले जा रहे थे, एक कसाई की तरह वो लोग सोफे का कवर निकाल रहे थे, मैं भी वही खड़ा ये तमाशा देख रहा था, सोफे की सिलाई के पास जो छोटा सा गैप था उसमे एक दवाई की गोली फसी हुई थी ऊपर से किसी के नाखून के निशान भी थे उस पर, शायद कोई निकालने की कोशिश कर रहा होगा लेकिन दवाई और उसके अंदर धस चुकी थी, उस गोली का कलर आस-पास भी फैला हुआ था, मैंने किचन से एक छोटा पोलोथिन लिया और उसमे उसको डाल दिया, मैंने पहले सोचा कि आलिया तो बिना मुझसे पूछे एक भी दवाई नहीं खाती थी और खाती भी थी तो उसे मैं ही दिलवाता था लेकिन ये दवाई उन सब से काफी अलग थी इसलिए मैंने उसका टेस्ट करवाने के लिए रख लिया, हालांकि मैं जनता था कि अब इन सब से कोई फ़ायदा नहीं होने वाला था लेकिन फिर भी मैं जानना चाहता था।
मैंने अगले दिन हॉस्पिटल जाते ही उस दवाई की गोली को टेस्ट के लिए भेज दिया, सुबह दस बजे तक मुझे रिपोर्ट भी मिल गयी, ये एक ऐसी दवाई थी जो अभी इंडिया में नहीं बिकती थी, इसे किसी दूसरे देश से मंगवाया गया था, इसके बाद की बात को सुनते ही मैं हक़्क़ा-बक्का रह गया था, इस दवाई को लेने के कुछ ही दिन बाद से इंसान के दिमाग की सोचने कि क्षमता धिरे-धिरे कम होने लगती हैं और ऐसे इंसान के दिमाग में किसी भी नई बातों को आसानी से फीड करके उस इंसान से कुछ भी करवाया जा सकता हैं, इसका इस्तेमाल ज़्यादातर असामान्य कार्य करने के लिए लोगो को दिया जाता हैं, इसे बेचने पर विदेशो में भी बैन हैं लेकिन इस तरह की दवाई का मेरे घर में मिलना अपने आप में बड़ा आश्चर्य था, आखिर मेरे घर में इस तरह के दवाई का इस्तेमाल कौन कर रहा था, मेरे लिए ये जानना बहुत ज़रूरी हो गया था, दो साल पहले तो आलिया और एक मेड थी जिसे मैंने आलिया कि मदद के लिए ही रखा था और उस मेड ने तो हमारे डिवोर्स के बाद ही काम पर आना छोड़ दिया था और दो साल से मेरे आलावा इस घर में कोई आया नहीं, किस पर शक किया जाए आलिया तो ऐसा कुछ बिलकुल नहीं कर सकती थी फिर मेड, नहीं....किसी पर शक करना गलत होगा फिर कौन हो सकता हैं, अब मुझे अजीब सी बेचैनी होने लगी थी आखिर क्या राज़ हो सकता हैं इस दवाई के पीछे, मैंने अपने दोस्त विवेक को फिर सारी बाते बताई:-
"आप तो जानते हो न मैं कितना परेशान हूँ पिछले कुछ दिनों से, अब ये दवाई मिलने के बाद मैं चैन से सो नहीं पा रहा, समझ नहीं आ रहा मैं क्या करूँ??
डॉ विवेक -"ये बात सच में सोचने वाली लगती हैं, कही ऐसा तो नहीं रिपोर्ट चेंज हो गयी हो, मेरा मतलब हैं इस दवाई कि रिपोर्टिंग में ही कुछ मिस्टेक हो "
मैंने कहा-"ऐसा मुझे भी लगा था इसलिए मैंने दुबारा भी टेस्ट करवाया था लेकिन दोनों कि बातें कॉमन थी ........"
डॉ विवेक -"फिर तो पता लगाना ही पड़ेगा, जो चीजे यहाँ मिलती ही नहीं है उसका आपके घर में मिलना अपने आप में सवाल खड़ा करता हैं, कहीं ऐसा तो नहीं भाभी जी लेती हो, मेरा मतलब हैं कोई खाने के लिए देता हो उन्हें, आखिर कोई न कोई रीज़न हो सकता हैं न, क्यूकि आप का डिवोर्स भी होना....अच्छा ये बताओ ये दवाई कितने दिनों से खुली पड़ी हैं"
-"हम्म....ये तो नहीं पता, एक सेकंड अभी पूछता हूँ वर्मा जी से..."
-"नहीं रहने दीजिये, मैंने इसलिए पूछा क्यूकि मैं आप के डिवोर्स के दिनों से रिलेट कर रहा था, क्या रीज़न हो सकता हैं....???(सोचते हुए)"
-"एक सेकंड, आप यह कहना चाहते हैं कि मेरे डिवोर्स के दिन और इस दवाई के खुले रहने के दिनों का आपस में कनेक्शन हैं, क्या मैं सही हूँ?"
-"हाँ मेरा मतलब यही था और ऐसा हो भी सकता हैं....बशर्ते आप इससे इत्तेफ़ाक़ रखते हैं तब??"
-"हाँ, ऐसा हो सकता हैं, क्यूकि इस दवाई के रिपोर्ट के मुताबिक इसको लेते ही कुछ दिनों में ये असर करना शुरू कर देता हैं और मैंने ही आलिया को तलाक देने में दो महीने लगाए थे"
-"उसके बाद उन्होंने क्या किया, मतलब कोई रीज़न हो अलग होने का या कोई ऐसी परेशानी आप दोनों के बीच?"
-"नहीं, कोई ख़ास परेशानी नहीं थी, अचानक से एक दिन उसने मुझसे कहाँ कि मैं इस रिश्ते से अलग होना चाहती हूँ और मुझे आप से तलाक चाहिए, उसका इस तरह से कहना ही मेरे दिल में एक नफरत सा पैदा कर दिया था, मैंने भी कह दिया ठीक हैं, मिल जाएगी..."
-"फिर उसके बाद क्या हुआ...??"
-"फिर क्या, वो हर रोज़ इस तरह के ज़िद करने लगी थी जैसे कोई छोटी बच्ची हो, मैंने फिर उसे उसके मायके छोड़ दिया और वो हर रोज़ मुझसे फ़ोन कर के इसीलिए लड़ती थी और एक दिन उसने खुद तलाक के पेपर्स मेरे घर पर भिजवा दिया और फिर मैं भी रोज़-रोज़ के झगड़ो से तंग आ चुका था....."
-"आपने पूछा नहीं क्यू अलग होना चाहती थी?"
-"उसके बाद उसने मुझसे कभी सही से बात ही नहीं किया था और न ही मेरी बातों का जवाब देना इम्पोर्टेन्ट समझती थी, रोज़-रोज़ के झगड़ो से मैंने उसे आज़ाद कर दिया ......."
-"उन्होंने शादी कब की दूसरी...??"
-"दो दिन बाद ही "
-"किससे?"
-"किसी एन.आर.आई. से किया था, छोड़ो न इन सब बातो से क्या कनेक्शन हो सकता हैं इसका...?"
-"कनेक्शन हो सकता हैं डॉक्टर साहब, एक एन.आर.आई. से शादी करना और बच्चो की तरह माइंड हो जाना, आप की बातों का परवाह न करना ये सब तो एक ही बात की तरफ इशारा कर रहा है वो ये कि यह दवाई भाभी जी ही ले रही थी, शायद कोई उन्हें खिला रहा होगा ................अरे हाँ क्यू नहीं, आपने कहा, आप दोनों के आलावा एक नौकरानी भी थी"
-"हाँ..."
-"फिर तो वो आलिया भाभी के साथ दिन में रहती होंगी, शायद वो ज़रूर जानती होगी आलिया भाभी दिन में क्या-क्या करती थी या फिर उनसे कौन-कौन मिलने आता था, मुझे ऐसा लग रहा हैं वो इस सब के बारे में ज़रूर कुछ न कुछ जानती हैं, कही वो एन. आर.आई. तो नहीं हैं इन सब के पीछे?"
-"अगर ऐसा हो सकता हैं तो शायद मेड जानती होगी इस सब के बारे में....."
-"हाँ, आपको उससे मिलना चाहिए"
(डॉ साहिल उसी दिन अपनी मेड से मिलने चले जाते, उनके पास उसका आधार कार्ड था इसी की मदद से वो वहां पहुंच जाते हैं लेकिन अब जो होने वाला था उसकी कल्पना डॉ साहिल भी नहीं कर सकते थे, वहां जाकर पता चलता हैं कि जिस घर का अड्रेस उस आधार कार्ड पर था वो घर पिछले दो सालों से खुला ही नहीं था और वो घर भी विवादित था, लोग किराये पर लेने से भी कतराते थे, डॉ साहिल का शक और भी बढ़ता जा रहा था, जितना पता लगाने की कोशिश कर रहे थे यह और भी पेंचीदा होता जा रहा था उस आधार कार्ड पर जो नाम था दरअसल उस नाम की कोई औरत थी ही नहीं, आधार कार्ड भी फ़र्ज़ी था, आधार कार्ड नंबर से पता चला वो किसी देवी कुमारी के नाम पर था और उसका कहना था कि उसका आधार कार्ड एक बार कहीं गिर गया था इसलिए उसे नया आधार कार्ड निकलवाना पड़ा था, शायद इसी बीच उसने इसके आधार कार्ड का गलत इस्तेमाल किया होगा। मेरी उलझने और बढ़ गयी थी, वो कौन औरत थी जो मेरे घर में काम रही थी शायद उसने अपने लास्ट महीने का पैसा भी नहीं लिया था, मैंने ये सारी बाते जाकर पुलिस को बता दिया, पुलिस ने उसके खिलाफ केस दर्ज़ कर लिया था और अब उसके आधार कार्ड के फोटो के ज़रिये उसको ढूंढने में जुट गयी थी, उर्मिला नाम बताया था उसने अपना, और मुझे लग रहा है ये नाम भी उसका गलत ही होगा, इस केस को सुलझाते-सुलझाते मेरी दोस्ती इंस्पेक्टर पूजा से हो गयी थी, वही इस केस को हैंडल कर रही थी, मैंने इंस्पेक्टर पूजा को दवाई के बारे में भी बता दिया, उसके बाद वह मेरे घर कि तलाशी लेने भी आयी थी, वहां उसे उर्मिला की कई सारी चीज़े भी बरामद हुई थी जिनमें से एक था फॅमिली फोटो, जो शायद वो गलती से भूल गयी होगी, उसमे से सिर्फ उसकी माँ विमला का पता चल पाया था, उन से पूछताछ करने मैं भी पुलिस के साथ गया हैं, उर्मिला की माँ मुझे देखते ही पहचान गई थी :-
विमला-"बेटे आप साहिल हो ना" (मैं हैरान था क्यूंकि मैं उस औरत से पहली बार मिल रहा था )
मैंने पूछा-"आंटी आप मुझे कैसे जानती हैं?"
विमला-" शोना बताती थी आपके बारे में, वो आप के घर पर ही काम करती थी ना, रुको अभी दिखती हूँ (तस्वीर दिखते हुए)यही हो ना आप, मेरे पूछने पर वो आपके और मेमसाहब के बारे में बताया करती थी"
-"अभी आप की बेटी कहाँ हैं?,क्या मैं उन से मिल सकता हूँ "
विमला-"क्या हो गया हैं बेटा जी, पुलिस साथ में क्यू आयी हैं, कुछ गलती हो गयी हैं क्या मेरी शोना से "
इंस्पेक्टर पूजा-"हाँ, नकली अड्रेस, नकली आधार कार्ड से इनके घर पर नौकरी कर रही थी, धोका धरी के केस में मैं उसे गिरफ्तार करने आयी हूँ"
विमला-"क्या.....नहीं मेरी शोना ऐसा नहीं कर सकती, ज़रूर आप लोगो से कोई गलत फहमी हो गयी होगी "
इंस्पेक्टर पूजा -"देखिये हमें कोई गलत फहमी नहीं हुई हैं, आप उसे... 'जो भी नाम हैं' उसको बाहर बुलाइये "
विमला-शिवानी नाम है लेकिन वो तो यहाँ नहीं आ सकती"
इंस्पेक्टर पूजा - "क्यू"
शिवानी की माँ - "क्यूंकि वो पिछले आठ महीनो से विलायत में रह रही हैं, उसके नए मालिक ने ही उसे भेजा हैं विदेश, वहां उसे एक साल तक रहना होगा, वो क्या कहते हैं, हाँ कॉन्ट्रैक्ट बना हैं उसका एक साल का, उसके बाद ही वो आ सकती हैं"
इंस्पेक्टर पूजा-"आप को पता हैं आप की बेटी धोका धरी का काम करती हैं, आप तो मां हैं न आप को तो ज़रूर बताती होंगी, विदेश में कहा रह रही हैं कुछ बताया उसने"
शिवानी की माँ-"इतना तो नहीं बताया उसने......"
डॉ साहिल -"आंटी जी, जितना भी पता हैं आपको उसके बारे में हमें बता दीजिये, इस वक़्त हमारा उससे मिलना बहुत ज़रूरी हैं"
शिवानी की माँ -"बेटा जी, मैं सच कह रही हूँ मुझे ज़्यादा नहीं पता उसके बारे में और मेरी बेटी बेक़सूर हैं साहब वो ज़रूर किसी के बहकावे आयी होगी"
इंस्पेक्टर पूजा - अच्छा...इतनी दूध की धुली हैं तो उसने आप को अपने नए काम के बारे में बताया क्यू नहीं, आप ने पूछा नहीं क्या काम करने के लिए जा रही हैं वो विदेश..".
शिवानी की माँ-"मैंने पूछा था, उसने फिर अपने मालिक से मेरी बात भी करवाई थी, बहुत भले आदमी लग रहे थे, मेरी शिवानी को वो अपनी बहन की तरह मानते हैं और मुझे माजी कहते थे और ..............."
इंस्पेक्टर पूजा -और बाकी हम पता लगा लेंगे, उसके मालिक का नंबर और अड्रेस दीजिये हमें (अपने लोगो से कहते हुए) तब तक इस घर की तलाशी लो"
वहां से निकले के बाद हम लोग शिवानी के माँ द्वारा दिए गए एड्रेस पर गए, वहां मुझे फिर से एक झटका लगा, जिनके पास हम गए थे वो और कोई नहीं जिनका मैंने दस दिन पहले अपने अस्पताल में इलाज किया था वो वही आदमी था यानी के आलिया का दूसरा पति विक्रम, उसे वहां देख कर मैं समझ गया था कि इस सब के पीछे बहुत बड़ी साजिश हैं जिससे मैं अनजान था, इस्पेक्टर पूजा ने अपनी तहक़ीक़ात शुरू कर दी, उससे पूछने पर पता चला कि शिवानी कि माँ झूट बोल रही थी, वह शिवानी का नाम सुनते ही सीधा मुकर गया "मैं किसी शिवानी को नहीं जानता"
हम सब इस केस में उलझते जा रहे थे, विक्रम मुझे देखते ही पहचान गया था उसे बस इतना पता था के मैं एक डॉक्टर हूँ लेकिन शायद वो बस इतना ही जनता था, इंस्पेक्टर शिवानी ने पुरे घर की तलाशी भी ली लेकिन कोई सबूत नहीं मिला, वहां से जाने के बाद मैं मायूस होकर अपने घर चला गया जाते समय इंस्पेक्टर पूजा ने मुझे यक़ीन दिलाया के वो जल्द इसका पता लगा लेगी, मैं घर में जाकर व्हील चेयर पर बैठ गया, सोच रहा था के कैसे इस राज़ से पर्दा उठेगा, हर सबूत पर एक राज़ लग रहा हैं क्या हो सकता हैं इस सब के पीछे ?, क्या आलिया के मौत के पीछे किसी का हाथ तो नहीं लेकिन होगा भी तो कौन कर सकता हैं, आलिया के साथ तो विक्रम भी रह रहा था, कही विक्रम का कोई दुश्मन तो नहीं लेकिन वो मेडिसिन तो आलिया के तरफ इशारे कर रहे हैं, एक बार ये प्रूफ हो जाये के वो मेडिसिन आलिया ही ले रही थी तो आधा केस हैंडल हो जायेगा लेकिन ये पता कैसे चलेगा, आलिया के रिपोर्ट्स.....इन सब का आंसर बुआ जी ही दे सकती हैं, आलिया की फ़ेवरेट बुआ जो मुझे भी अपने बेटे से बढ़ कर मानती थी, वो ही मेरी उलझनों को आसान कर सकती हैं ।
मैं अपने घर से निकल कर बुआ जी के घर गया, यह बात इंस्पेक्टर पूजा नहीं जानती थी और ना ही मैंने उनको बताना उचित समझा, बुआ जी मुझे अपने गार्डन में ही मिल गयी थी, मुझे देख कर वो शायद शॉक्ड रह गयी थी:- "बेटा, आप यहाँ ?"
(शायद उनका यह रिएक्शन खुशी वाला था )
-"बुआ जी मुझे आप की हेल्प चाहिए, इस समय आप ही हैं जो मेरी प्रोब्लेम्स को समझ सकती हैं, और आप ही मुझे रास्ता दिखा सकती हैं "
बुआ - (मुस्कुराते हुए )आओ बेटा अंदर चलो, कैसे आना हुआ यहां ?(सर्वेंट की तरफ इशारे करते हुए) चाय नाश्ता लेकर आओ साब जी के लिए...."
-"बुआ जी रहने दीजिए, इस वक़्त मैं बहुत टेंशन में हूँ"
(बुआ मुझे अपने घर के अंदर ले गयी, शायद वो जानती थी के मैं क्या पूछना चाहता था उनसे)
बुआ-"मुझे पता हैं....बहुत प्यार करते थे न आलिया से....मेरी भांजी थी ही इतनी प्यारी, भगवान् उसकी आत्मा को शांति दे"
-बुआ जी, मेरे सामने बहुत सारी उलझने हैं मुझे समझ नहीं आ रहा मैं शुरुआत कैसे करूँ....मैं पापा जी से भी पूछ नहीं सकता था, उनको तो शुरू से ही मैं पसंद नहीं था और अब उनके बाद सिर्फ आप ही हैं, आप ही समझ सकती हैं मुझे..."
बुआ-"बोलो बेटा...तुम्हारी बुआ अपने बच्चो के लिए हमेशा अवेलेबल हैं"
-"जनता हूँ बुआ, आप की वजह से ही मैं और आलिया मिले थे.....आलिया के बाद मैं आप पर सबसे ज़्यादा भरोसा करता हूँ (डॉ साहिल बुआ जी को सारी बाते बताने लगते हैं), बुआ जी इन सब की वजह से मैं एक पल भी चैन से सो नहीं पा रहा, अब आप ही बताइये मैं क्या करूँ"
बुआ-"क्या नाम बताया शिवानी......नाम कुछ सुना-सुना सा लगता हैं, बेटा मैं आलिया के इस फैसले के हमेशा खिलाफ रही हूँ मैं बिलकुल नहीं चाहती थी के वो उस एन. आर. आई. से शादी करे, पता नहीं वो क्यूँ मनहूस मेरी बच्ची की ज़िन्दगी तबाह करना चाहता था, कितनी खुश थी वो तुम्हारे साथ....कितना प्यार करती थी वो तुमसे, उस एन.आर.आई ने आखिर मेरी बच्ची की जान ले ही ली (बुआ ने अपने नम आँखों को छुपाते हुए अपनी बातों को खत्म किया )"
-"बुआ जी आप विक्की को जानती है?"
बुआ -हाँ.... वो भईया के ऑस्ट्रेलियन फ्रेंड का बेटा हैं, आलिया को बचपन से जानता था और शायद पसंद भी करता था, आलिया ये बात नहीं जानती थी क्यूंकि वह तुम दोनों की शादी के कुछ ही महीनो बाद भईया से आलिया के हाथ मांगने आया था, भईया ने तुम दोनों की शादी को कभी माना ही नहीं था उस समय उन्होंने उसे क्या कहां पता नहीं लेकिन वो आलिया से मिलने की पूरी कोशिश करता रहता था मुझसे भी कई बार पूछा उसने लेकिन मैंने साफ़ मना कर दिया था लेकिन अब मुझे समझ आया की आलिया ने उससे शादी के लिए हाँ कैसे किया होगा"
-"बुआ जी आपने मुझे बताया क्यू नहीं था और नाहीं आलिया ने कभी उसके बारे में ज़िक्र किया था मेरे सामने ...."
-"कभी लगा ही नहीं था की वो कमीना इस तरह की हरकत कर सकता था एक शादी शुदा के लिए....... घिन आती हैं मुझे इस तरह के आदमियों से...."
-मेरी आँखों के नीचे ही इतना कुछ चल रहा था, यह सब मैं कैसे नहीं देख पाया (दीवार पर ज़ोर से मारते हुए)
-"साहिल, सम्भालो अपने आप को,........."
-"अरे कैसे सम्भालूं......मैं कैसे अपनी आलिया को नहीं पहचान पाया, कैसे मैंने उस पर शक किया ...........नहीं बुआ जी , मैं उसे नहीं छोडूंगा, जान ले लूंगा उसकी, मैं उस विक्रम को नहीं छोडूंगा, उसने मेरी ज़िन्दगी तबाह की हैं ना, अब मैं उसकी ज़िन्दगी नर्क बना दूंगा"
-रुको साहिल, अपना ख़्याल रखना, उसे सज़ा दिलाने में कही ऐसी वैसी हरकत नहीं करना कि आपके लिया प्रोब्लेम्स हो जाये"
-"(हसते हुए) अब कौन सी प्रॉब्लम बची हुई हैं मेरे लिए "
डॉ साहिल वहां से चले जाते हैं और जाकर इंस्पेक्टर पूजा को सारी बाते बताते हैं, सबूत न होने कि वजह से इंस्पेक्टर पूजा विकी को अरेस्ट भी नहीं कर सकती थी लेकिन एक दोस्त होने के नाते उसे यक़ीन दिलाती हैं कि जल्द ही सारा सबूत इकट्ठा करके वो विक्रम को गिरफ्फ्तार कर लेगी |
(बुआ जी की बाते सुनने के बाद डॉ साहिल अब खुद को आलिया का गुनहगार समझने लगे थे, वो कहते हैं-
"ज़िन्दगी भर साथ निभाने का वादा किया था लेकिन जब उसको सबसे ज़्यादा मेरी ज़रूरत थी तभी मैंने उसका साथ छोड़ दिया था, कैसे नहीं पढ़ पाया उसके चेहरे को जो मुझसे इतना प्यार करती थी, दुनिया की ताकत मेरे मोहब्बत से बड़ी नहीं हो सकती थी जो हमारे रिश्ते को तोड़ सके, बेवफाई तो मैंने किया उसके साथ जो उसे समझ नहीं सका"
अगले दिन डॉ साहिल शिवानी को ढूंढने के लिए लंदन जाने का फैसला करते हैं, इंपेक्टर पूजा भी उसके साथ जाने के लिए तैयार हो जाती हैं, इंस्पेक्टर पूजा खुफ़िये तरीके से शिवानी का अड्रेस निकाल लेती हैं और दोनों उसे ढूंढने में कामयाब हो जाते हैं, डॉ साहिल के पूछने पर वो सारी सच्चाई बता देती हैं, विक्रम ने ही उसकी पहचान छुपाने के लिए किसी दूसरे के आधार कार्ड का इस्तेमाल किया था, उसने उसे आलिया की खास देख रेख के लिए ही साहिल के घर भेजा था ताकि वो आलिया को समय समय पर वो दवाई देती रहे, विक्रम ने जितने पैसे देने का वादा किया था उसने उसे दिया नहीं था और आलिया से शादी करने से पहले ही विक्रम ने उसे विदेश भेज दिया था और जब भी वो पैसे मांगती थी तो विक्रम उसके वीज़े का समय बढ़वा देता था और पासपोर्ट न देने की धमकी भी देता रहता था, इंस्पेक्टर पूजा उसके सारे बयान को दर्ज़ कर लेती हैं और उसे वहां से इंडिया ले आती हैं, शिवानी के सारे बयान सुनने के बाद विक्रम पर कई सारे केस लद गए थे और शिवानी को भी उसके साथ लम्बे समय के लिए जेल में बंद कर दिया गया, डॉ साहिल इंस्पेक्टर पूजा को थैंक्स कह कर अपने घर चले जाते हैं, डॉ साहिल जब अपने घर में कदम रखते हैं तो उसे चारो ओर हल्की-हल्की खुशबू महसूस होती हैं और उस खुशबु में ऐसा नशा होता हैं कि डॉ साहिल अपने सोफे पर बैठते ही उसमे लीन हो जाते हैं ओर वही पर बैठे-बैठे सो जाते हैं |
अगले दिन सुबह-सुबह उसके घर का बेल बजता हैं, उस समय डॉ साहिल कि आँखे खुलती हैं, वो टाइम देखते हुए दरवाज़ा खोलते हैं, इंस्पेक्टर पूजा उसे गले लगाते हुए उसका बर्थडे विश करती हैं और अपना गिफ्ट डॉ साहिल के तरफ बढाती हैं |
डॉ साहिल उसे घर के अंदर ले जाते हैं और अपनी हाथो से बनी हुई कॉफी पिलाते हैं, थोड़ी देर बाद वो उन्हें एक रेस्टुरेंट में ले जाकर उसके साथ अपना बर्थडे सेलिब्रेट करते हैं |