Kavita - prerak kavita in Hindi Poems by Karan Somani books and stories PDF | कविता - प्रेरक कविता

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कविता - प्रेरक कविता

"सपनो की जिंदगी "
(क्या मे कर बैठा )
ये खूबसूरत ज़िन्दगी हे मेरी
बन गया मे गुलाम उसका
भूल गया जीना मे इसको
खो बैठा फिर मिली नही वो ज़िन्दगी,

चाहता था कुछ पा लेना
समझ नही पाया अर्थ उसका
मान बैठा हार उससे मे पूरी
समय नहीं बचा कुछ करने को |
(समझा इस कदर )

कभी न रुकने वाली ज़िन्दगी
मान बैठा मे गुलाम उसको
दोस्त थी वो मेरी उम्र भर
दो पल की हार नही इम्तिहान था मेरा,

कोशिश कर साथ हे मेरे
जहाँ जाये हर पल पास है मेरे
प्रेम की भाषा समझती है वो
नफ़रत वालों के लिए नरक है वो,

चल अकेला कुछ करने को
कमी नही रहेगी कुछ पाने मे
जो मांगे दे सब मुझको
ये ज़िन्दगी नही इच्छापूर्ति भगवान है |


2 " तू कर सकता है"
"तू कर, तू करेगा, तू कर सकता है
मुश्किल नही है बड़ी तू जीत सकता है
कागज से पढ़ी चंद लाइनो से नही
जुनून की आग से ही तू बढ़ सकता है
सुन लिया राही मुसाफिरों से कुछ तूने
सोच गयी बदल, दिल कहता तू उलझ नही सकता है
जिंदगी खूबसूरत है मोड़ नही, सोच बदल
लक्ष्य बना, धैय रख, हिम्मत कहती तू पहाड़ भी चढ़ सकता है |

3 " जिंदगी की इस भागम-भाग होड़ में"

जिंदगी की इस भागम-भाग होड़ में
अजनबी मिला में इन मुसाफिरों की दौड़ में,
ठोकरे लगी, मिला नही फिर भी कोई सुराग
अभी भी नही थी, दिल में वैसी आग,
समझा नही क्या था, ऐसा मुझमें
जिसने किया अलग इन, उलझनभरे मुसाफिरों से,
क्या सुन ली, दिल की दो बाते
दो पल के चिंतन में ही कट गई राते,
मुझे भी दिया समझा, यह पूरा जहान
अजनबी को, इस चिंतन ने ही बनाया महान,
जिंदगी की इस भागम भाग होड़ में
अजनबी मिला में इन मुसाफिरों की दौड़ में"

4" आगे बढ़ता जा "
करता जा करता जा
सोच अपनी बढ़ाता जा
लक्ष्य को निशाना बना
कर्म पथ पर चलता जा,

मुश्किल नही है बड़ी
तू उसे भी बड़ा है
तू स्वयं पर विचार कर
खुद की बात सुनता जा,

तू सब कुछ कर सकता है
ऐसा विचार बना ले मन मे
सारा जहान तेरे साथ है
सच के मार्ग पर बनता जा,

मुक्ति को दुढ़ता मत फिर
ये स्वर्ग ही मुक्ति का द्वार है
उलझ मत स्वर्ग की दुनिया मे
लोगो के दिलो मे समाता जा |


5 "जिंदगी मे चलना ही काम है "
जिंदगी मे चलना ही काम है
जीवन इसी का ही नाम है
पथ बना और आगे बढ़
कर जा हिम्मत, ऊपर चढ़
झुकने वालों मे से, मैं नही
मुड़ने की मेरी ओकात नही
कठिनायों से निकलना मेरा कर्म है
मंजिल पर विजय ही मेरा ध्रम है
हिम्मत ने बनाया मुझे इस खास
"मैं" की भावना मे है मेरा नाश
जिंदगी मे चलना ही काम है
जीवन इसी का ही नाम है |

6 "मुसाफिर रुका नही करते "
"शिकवा ना था जिंदगी को मुझसे
जा क्यों रहा हु, फिर इस दुनिया से,
दुखो से मारा पहुंचा, इस कदर
ढूंढन निकला मे मिलता सुख जिदर
सुना है प्रेम मे सब मरा करते
मुसाफिर, कभी रुका नही करते j