हाइवे पर एक फार्चून गाड़ी फुल स्पीड में चल रहा था उसमे बैठे पति पत्नी बहुत एक्साइटेड थे क्योंकि आज उनकी फस्ट एनिवर्सरी जो था सोहन और गीता अपने एनिवर्सरी मनाने के लिए गीता के मायके जा रहे थे, गीता का परिवार के बहुत आग्रह करने पर सोहन ना नहीं कर सका। और गीता के पापा जो बहुत अमीर आदमी थे उन्होंने एक बहुत बड़ी पार्टी का आयोजन किया था
देखा आज फिर लेट मैंने तुम्हाको कितनी बार समझाया था कि आज के दिन जल्दी आ जाना लेकिन नहीं - गीता झल्लाई
अरे तो मैं क्या करूं आफिस में इतना काम रहता है कि समय का ही नहीं चलता- सोहन सफाई देते हुए बोला
अरे अरे सम्हल कर अभी एक्सीडेंट हो जाता ध्यान कहां है तुम्हारा- गीता चिल्लाई
अरे सड़क पर ध्यान कहां है मेरी जान, ध्यान तो सिर्फ तुम पर है सच में कयामत लग रही हो दिल करता है
गीता बीच में बोल पड़ी- बस बस तारिफ बाद में कर लेना अभी जल्दी से चलाओ
अरे वो बोर्ड देखो, सारंगढ़ 50 किलोमीटर लगता है ये सार्टकट है अगर इस रास्ते से जाएंगे तो जल्दी पहुंच जाएंगे और अगर मेन रोड से जायेंगे तो 80 किलोमीटर जाना पड़ेगा और लेट होगा वो अलग - सोहन बोला
गीता- पर ये तो.....
सोहन- शू शू ..... जल्दी पहुंचना है ना
गीता- हि लेकिन
सोहन- तो लेकिन वेकीन कुछ नहीं हम इसी रास्ते से जाएंगे
सोहन गाड़ी को उस तरफ मोड़ देता है बीस किलोमीटर तक का रास्ता तो ठीक ठाक रहता है लेकिन उसके बाद शुरू होता है फिर वही खौफ....
उस रास्ते पर पर जा रहे सभी गाड़ी और बाइक वाले गायब हो जाते हैं जैसे वो एक छलावा था सोहन और गीता को फसाने का और दूसरी तरफ सोहन और गीता के उपर दो अंजान आंखें नजर गढ़ाए हुए था वह बहुत ही खौफनाक हंसी हंस रहा था।
आगे का रास्ता थोड़ा कच्चा था जो एक सुनसान जंगल से होकर गुजरता था वह जंगल मौत के जंगल के नाम से बदनाम था लोग कहते है कि जो कोई भी उस जंगल से गुजरता है वो कभी बाहर नहीं निकल पाता
सोहन मुझे बहुत डर लग रहा है चलो वापस चलते हैं- गीता घबराई हुई बोली
अरे कुछ नहीं होगा, आज के जमाने में तुम डरने की बात कर रही हो जब सोहन हो साथ तो डरने की क्या बात- सोहन हंसते हुए बोला
गीता- पर.......
सोहन बीच में बोल पड़ा- पर वर कुछ नहीं तुम चुपचाप बैठो और मुझे गाड़ी चलाने दो
फिर शुरू होता है मौत का खौफ, वह जंगल बहुत डरावना था जिसमें जीव जंतुओं की आवाज से पुरा जंगल गुंज रहा है और सियारो के रोने की आवाज से एक नए मुसीबत का ईसारा दे रहा था
इससे सोहन भी डर रहा था लेकिन अपने चेहरे पर बयां नहीं कर रहा था थोड़ी दूर गाड़ी चलाने के बाद सोहन और गीता की नजर कुछ दूर सड़क पर बैठी एक औरत पर पड़ी जो एक जो लेटा था उसके पास बैठे रो रही थी
सोहन वो वो कौन है- गीता और डर गई
शायद उन्हें मदद चाहिए, उसके पति को देख रही हो लगता है उनका एक्सीडेंट हो गया है।
उन दोनों को क्या पता इतनी सुनसान और घने जंगल के बीच इंसान कहा से आयेगा और वो भी रात को
सोहन धीरे से उनके पास गया और बोला- क्या हुआ बहन कुछ मदद चाहिए आपको
लेकिन वह औरत उसके बात को अनसुना कर रोती रही उसने अपने चेहरे को ढक रखा था, तब गीता उसे हाथ लगाकर बोली- क्या हुआ बहन यहां क्यो बैंठी हो कोई परेशानी हो तो है तो हमें तो हमें बताइए
वो पिछे मुडकर जोर से गरजी- हां तुम दोनों का खून चाहिए
ऐसा कहते ही उसका पल्लू नीचे गिर गया जिससे उसका अधजला चेहरा बाहर आ गया वह बहुत ही बदसूरत और डरावनी लग रही थी उसे देखकर सोहन और गीता बुरी तरह डर गये और वहां से भागने लगे, हांफते हांफते दोनों गाड़ी के पास पहुचे
थैंक गॉड हम बच गए- गीता हांफते हुए बोली
सोहन- हां अब जल्दी गाड़ी में बैठो हमें यहां से जल्द से जल्द निकलना होगा।
सोहन गाड़ी का दरवाजा खोलता है तो सन्न रह जाता है उस गाड़ी में वह डायन एकदम खूंखार रूप में बैंठी थी, सोहन और गीता डरकर वहां से भागने लगते हैं बहुत देर तक भागने के बाद गीता वही गिर जाती है
सोहन- क्या हुआ गीता
गीता- अब मैं और नहीं चल सकती मैं थक गई हूं
सोहन- यहां से बाहर निकलना तो होगा गीता नहीं तो
तभी गीता घबरा जाती है वह सोहन को उस तरह इसारा करती है ये क्या वे जहां से भाग कर गए थे वहीं घूम कर आ गए थे वे अपने गाड़ी के पास पहुंच गए थे
सोहन डरते डरते गाड़ी के पास गया थैंक गॉड वो चली गई चलो गीता जल्दी गाड़ी में बैठो- सोहन चिल्लाया
जल्दी वहां से निकलने के चक्कर में उन दोनों की नजर पिछले सीट पर नहीं गया जहां वही डायन बैठी हुई थी और कुछ बुदबुदा रही थी।
गीता- सोहन ये ये आवाज़ कैसी
सोहन - आवाज कैसी आवाज
तभी उन दोनों की नजर पीछे गया वह डायन और भी खूंखार रूप में बैठी हुई थी वे वहीं जम गए उन्हे कुछ सूझ नहीं रहा था कि क्या करें तभी गाड़ी का संतुलन बिगड़ा और वह एक पेड़ से जा टकराया दोनों को बहुत मुश्किल से वहां से बाहर निकले और जब कार के अंदर देखा तो वह डायन गायब थी
वो दोनो अब डर के साए को छोड़कर वहां से बाहर निकलने का रास्ता तलाशने लगे करीब एक घंटे की तलाश के बाद भी हाथ निराशा ही लगा क्योंकि वह जिस जगह से चलना शुरू करते वापस उसी जगह पहुंच जाते वे उस डायन के भुलभुलैया में फंस गए थे
फिर सोहन ने गीता से कहा- इस तरह तो हम यहां से कभी बाहर नहीं निकल पाएंगे, चलो जंगल की तरफ चलते हैं क्या पता रास्ता वही हो और हम यहां बेकार में ढूंढ रहे हैं, दोनों जंगल की तरफ बढ़ने लगे और सचमुच थोड़ी ही दूर पर उस जंगल से बाहर निकलने का रास्ता उनका इंतजार कर रहा था
दोनों के खुशी का ठिकाना न रहा वे दौड़ते हुए आगे बढ़ने लगे , वह रास्ते के बस दो कदम दूर थे कि किसी ने उन दोनों के पैरों को पकड़ कर बहुत दूर फेंक दिया, वे कराहते हुए उठे दो उनके रौंगटे खड़े हो गए क्योंकि वह एक खतरनाक कब्रिस्तान में खड़े थे।
अब क्या करे सोहन और गीता को जैसे काटो तो खून नहीं वो बस दो कदम दूर थे इस मुसीबत से निकलने के लिए लेकिन...
वे उस कब्रिस्तान से बाहर भागने लगे लेकिन जैसे उनका पैर वही जम गया था वह हिल भी नहीं पा रहे थे
तभी कुछ दूर पर दो कंकाल के ढेर जो काफी पहले के थे उसमें से राख गोल गोल घुमाने लगा और दो छोटे बवंडर का रूप ले लिया फिर उसमें से दो प्रेत बाहर निकल आए जिसमें से एक प्रेत था तो दूसरा डायन थी
उन दोनों रूह को देखकर सोहन और गीता डर के मारे कांप उठे, वे दोनों मदद के लिए चिल्लाने लगे लेकिन उस मौत के जंगल में उनकी आवाज़ सुनने वाला कोई नहीं था
तभी वह दोनों प्रेत एक दूसरे से बात करने लगे और फिर एक कुटील मुस्कान के साथ आगे बढ़े और एक ही झटके में सोहन और गीता को बहुत बुरी तरीके से फाड़ दिया दोनों के शरीर से रक्त बहने लगा जिसे वह दोनों प्रेत खुशी खुशी पिने लगे उसके बाद सोहन और गीता को पुरी तरह फाड़ डाला और खाने लगे ऐसा लग रहा था जैसे सदियों से भुखे थे।
थोड़ी ही देर में उन दोनों के शरीर का नामोनिशान नहीं बचा बस कंकाल के कुछ अवशेष बचे जिसे अब भी वह डायन खाए जा रही थी
फिर वे दोनों प्रेत बहुत डरावनी आवाज में हंसने लगे जिससे पुरा जंगल दहल उठा और धीरे धीरे उनका शरीर बदलने लगा और थोड़ी ही देर में वे सोहन और गीता बन गए वे मुस्कुराते हुए गाड़ी की ओर बढ़े और गाड़ी में बैठ कर अपने अगले शिकार की ओर निकल पड़े।
फिर वही खौफ..............
®®® Dinesh Divakar'stranger'
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