SAPNA YA HAKIKAT in Hindi Horror Stories by DINESH DIVAKAR books and stories PDF | सपना या हकीकत

Featured Books
  • ભીતરમન - 58

    અમારો આખો પરિવાર પોતપોતાના રૂમમાં ઊંઘવા માટે જતો રહ્યો હતો....

  • ખજાનો - 86

    " હા, તેને જોઈ શકાય છે. સામાન્ય રીતે રેડ કોલંબસ મંકી માનવ જા...

  • ફરે તે ફરફરે - 41

      "આજ ફિર જીનેકી તમન્ના હૈ ,આજ ફિર મરનેકા ઇરાદા હૈ "ખબર...

  • ભાગવત રહસ્ય - 119

    ભાગવત રહસ્ય-૧૧૯   વીરભદ્ર દક્ષના યજ્ઞ સ્થાને આવ્યો છે. મોટો...

  • પ્રેમ થાય કે કરાય? ભાગ - 21

    સગાઈ"મમ્મી હું મારા મિત્રો સાથે મોલમાં જાવ છું. તારે કંઈ લાવ...

Categories
Share

सपना या हकीकत

मम्मी....... रोहन तेज स्वर में चिल्लाता हुआ उठ बैठा ! उसके चेहरे पर डर के मारे पसीने आ ग‌ए थे !

उफ्फ कितना डरावना सपना था.... मैं उस 20 मंजिला बिल्डिंग से निचे कूद गया... लेकिन क्यों मैं उस अंजान जगह में क्यों गया... क्यो मुझे मरने की जरूरत पड़ी... खैर छोड़ो सपना ही तो था सपने भी कभी सच होते हैं भला...

रोहन ने अंगड़ाई लेते हुए घड़ी की ओर देखा तो चौंक गया... अरे बाप रे 8 बज गए मैं तो स्कूल के लिए लेट हो जाउंगा... चल बेटा रोहन जल्दी से तैयार हो जा वरना शर्मा सर नामक राक्षस तुम्हें खा जाएगा....

रोहन तेजी से तैयार होकर स्कूल की तरफ बढ़ गया... रास्ते में उसकी नजर एक छोटी सी बिल्ली पर पड़ी जो रास्ते के बीच में डरी सहमी उस रास्ते से बाहर निकलने की कोशिश कर रही थी !

रोहन को उस पर दया आ गया वह गाड़ियों से बचते बचाते उस बिल्ली के पास पहुंचा और उस बिल्ली को पुचकारते हुए बोला - ओह प्यारी बिल्ली तुम यहां कैसे पहुंची ? चलों मैं तुम्हें सड़क किनारे ले चलता हूं। बिल्ली कुछ देर तक रोहन के पास आने से डर रही थी लेकिन थोड़ी देर में वह रोहन के पास चली गई और रोहन उसेे गोद में लेकर जैसे ही मुंडा अचानक...

एक कार तेजी से उसके पास आकर तेजी से ब्रेक मारते हुए रूकी... रोहन ने डर के मारे अपने दोनों आंखें बंद कर लिया था

तभी कार के अंदर से एक तेज आवाज आई - ऐ बच्चे, मरने के लिए मेरी ही गाड़ी मिली थी क्या !

सारी अंकल ! रोहन ने अनमने ढंग से कहा और मुड़कर दूसरी साइड जाने लगा लेकिन तभी उसके सामने एक अनियंत्रित ट्रक आ गया.. ट्रक रोहन और उस बिल्ली को कुचलते हुए आगे बढ़ गया... रोहन के मुंह से बस एक ही चिख निकली... आह......

आवाज सुनकर रोहन की मम्मी तेजी से रोहन के कमरे में आई - क्या हुआ बेटा ?

रोहन अपनी आंखें खोलकर देखा तो वह अपने घर में वह हैरान परेशान सा अपने शरीर को देखने लगा जो अभी ट्रक से कुचला कर मांस का लोथड़ा बन चुका था... !

मम्मी- क्या हुआ बेटा ? कोई बुरा सपना देखा क्या !

रोहन- सपना ! मैं सपना देख रहा था लेकिन....

मम्मी - मैं तो पहले ही बोलती थी कि रात में भुतिया फ़िल्मे ना देखा कर लेकिन तु मेरी बात सुनता कहा है !

रोहन- आह ! सर में तेज दर्द हो रहा है

मम्मी रोहन के नब्ज चेक करने लगी - बुखार तो नहीं है शायद परीक्षा की टेंशन की वजह से होगा ! तुम एक काम करो जाकर स्नान कर लो इससे तुम्हें राहत मिलेगी उसके बाद भी ठीक नहीं होता तो हम डाक्टर के पास चलेंगे

रोहन सीधे स्नान करने चला गया....

ऐसे कैसे हो सकता है यार वो बिल्कुल हकीकत जैसा लग रहा था - रोहन याद करते हुए बोला

अरे यार बस भी कर... इतनी देर से तु वहीं सोच रहा है... वो बस एक सपना था और कुछ नहीं... सपने हकीकत जैसे ही लगते हैं लेकिन सपने कभी सच नहीं होते रोहन के दोस्त समन ने बोला

रोहन- हम्म.... तुम सही कह रहे हो यार

समन- अच्छा यह बता छुट्टी के बाद मूवी देखने चलेगा

रोहन- ठीक है पर मूवी कौन सी है

समन- 'एनाबेल कम्स होम' मजा आएगा कब से इस फिल्म का इंतजार कर रहे थे

रोहन- नहीं यार आज नहीं

समन- क्यों क्या हुआ ! डर गया क्या

रोहन- रोहन किसी से नहीं डरता हूह... छुट्टी के बाद चलते हैं देखते हैं कौन डरता है

समन- यह हुई ना मर्दों वाली बात

शाम का समय

रोहन और समन सिनेमा के अंदर बैठे हुए थे उनके हाथों में पॉपकॉर्न चिप्स और कोल्ड ड्रिंक्स थे फिल्म शुरू हुई फिल्म के सींन काफी डरावने चल रहे थे एनाबेल की गुड़िया कैद से आजाद हो चुकी थी

रोहन के चिप्स खत्म हो गए तो उसने समन के चिप्स लेने के लिए उसकी तरफ हाथ बढ़ाया तो उसने कुछ अजीब सा महसूस किया की समन के सीट पर कोई लड़की बैठी हुई थी थी... रोहन ने उसकी तरफ देखा तो डर के मारे कांप गया उसके बगल में एक चुड़ैल बैठी हुई थी रोहन वहां से तेजी से भागना चाहता था लेकिन डर के मारे उसके पैर वही जम गए थे वही वह चुड़ैल रोहन की ओर देखे जा रही थी... रोहन अपनी पूरी ताकत के साथ उठा और वहां से भागने लगा

लेकिन जैसे ही वह उस कमरे के दरवाजे के पास पहुंचा अचानक से उसके सामने वह चुड़ैल आ गई और एक तेज धार वाले चाकू से रोहन का गला काट दिया

रोहन दर्द के मारे वहीं गिर पड़ा वह चीखना चिल्लाना चाहता था लेकिन उसके मुंह से कोई आवाज ही नहीं आ रही थी वह चुड़ैल डरावने हंसी से हंसते हुए रोहन के रक्त चूसने लगी रोहन दर्द और मदद के लिए चिल्लाता रहा.......

तभी एक आवाज आई- यह कौन शोर मचा रहा हैं शर्मा सर चिल्लाए

जिसे सुनकर समन ने रोहन को चिमटी काटते हुए जगाया रोहन डरा सहमा हुआ अपनी आंखें खोला तो वह अपने क्लास में था और क्लास के सारे बच्चे और शर्मा सर बस उसे ही देख रहे थे

शर्मा सर- रोहन अगर तुम्हें पढ़ना नहीं है तो घर में ही रहा करो क्योंकि यहां सोने से तुम्हें ना सही बाकी स्टूडेंट्स को परेशानी होती है

रोहन सॉरी सर बोलते हुए क्लास से बाहर निकल गया और विद्यालय के मैदान की एक ऐसी जगह पर जहां पर उसे कोई ठीक से नहीं देख सकता था वहां बैठ गया तभी पीछे से उसके कंधे पर किसी ने हाथ रखा.... रोहन चौक कर पीछे देखा तो स्वाति थी उसे देखकर रोहन के यहां पर आंसू आ गए

रोहन स्वाति के सीने से लग गया स्वाति मुझे पता नहीं यह मेरे साथ क्या हो रहा है..... मैं परेशान हो गया हूं

यह सुनकर स्वाति ने रोहन को शांत कराया - ओके रिलैक्स... रिलैक्स सब ठीक हैं... मुझे बताओ.. मुझे बताओ तुम्हारे साथ क्या हो रहा है रोहन

रोहन ने स्वाति को सारी बात बताया- मुझे समझ नहीं आ रहा है कि यह सपना है या हकीकत..... सपने के ऊपर सपना और उसके ऊपर एक और सपना लेकिन मुझे पता है यह सब सपना नहीं है यह हकीकत है.... कोई तो है जो मेरे साथ ऐसा कर रहा है मगर कौन

स्वाति- तुम्हें आराम की जरूरत है रोहन घर जाकर सो जाओ सब ठीक हो जाएगा

रोहन- नहीं स्वाति तुम मेरी बात नहीं समझ रही मैं....

रोहन की बात बीच में तोड़कर स्वाति तेज आवाज में बोली- मैं बोल रही हू ना घर जाकर सो जाओ

रोहन ये सुनकर स्वाति की तरफ देखा तो एक बार फिर उसकी रूह कांप गई स्वाति की जगह वही चुड़ैल बैठी हुई थी जो उस थिएटर में थी...

रोहन डर कर भागने लगा लेकिन उस चुड़ैल ने उसके पैर पकड़ लिए जिससे रोहन मुंह के बल गिर गया वही उसका सर पत्थर से टकरा गया जिससे वह बेहोश हो गया कुछ देर बाद जब उसे होश आया तो उसे सांस लेने में परेशानी हो रही थी उसने आंखें खोला तो उसकी सांसे वही अटक गई उसकी छाती पर वही चुड़ैल बैठी हुई थी

रोहन के होश आते थी वह चुड़ैल रोहन कि ओर कुटिल मुस्कान के साथ देखते हुए रोहन के छाती चीरने लगी और मजे से खाने लगी वही रोहन दर्द के मारे चिल्लाने लगा बचाओ बचाओ.... कौन हो तुम प्लीज़ मुझे छोड़ दो

यह सुनकर किसी ने रोहन को जोर से हिलाया- रोहन उठो.... यह तुम क्या बोल रहे हो...

रोहन ने आंखें खोल कर देखा तो उसके सामने स्वाति उसे जगाने की कोशिश कर रही थी...

रोहन तेजी से उससे दूर हट गया- दूर रह चुड़ैल मुझसे

यह कहकर रोहन वहां से तेजी से भाग गया

यह क्रम निरंतर चलने लगा.....

यह क्या हो रहा है मेरे साथ..... मेरा दिमाग फट रहा है.... मैं पागल होता जा रहा हूं.. मेरे साथ ही क्या हो रहे हैं यह सपना है या हकीकत... रोहन आंखें बंद किए अपना सर पकड़ कर बैठा हुआ था

तभी उसे किसी के रोने की आवाज सुनाई दी उसने अपनी आंखें खोल कर देखा तो रात हो चुकी थी वह किसी बिल्डिंग के छत पर था उसने आवाज की तरफ देखा तो एक लड़की एक कोने में बैठी रो रही थी रोहन धीरे-धीरे उसके पास गया- क्या हुआ तुम्हें तुम ऐसे क्यों रो रही हो... कौन हो तुम और यहां कैसे बैठी हो...

यह सुनकर वह लड़की बोली- मेरा नाम यामिनी है और मैं यहां अपने आप नहीं आई मुझे आज सुबह से अजीब अजीब सपने दिखाई दे रहे हैं लेकिन यह कोई साधारण सपना नहीं है... एक सपने के ऊपर दूसरा सपना, दूसरे के ऊपर तीसरा और तीसरे के ऊपर चौथा ऐसा करके हजारों सपने के बीच में फस गई हूं अब पता नहीं चल रहा यह जो हो रहा है वह भी सपना ही है या हकीकत....

रोहन यह सुनकर चौक गया- क्या तुम्हारे साथ भी यह हो रहा है मेरे साथ भी बिल्कुल यही हो रहा है मैं भी इन सब से बहुत परेशान हो चुका हूं

यह सुनकर वह लड़की बोली- लेकिन अब मुझे पता है कि मुझे क्या करना है मुझे इस सपने से बाहर निकलने का रास्ता मिल गया है

रोहन- क्या ? सच में मुझे बताओ कैसे....

यामिनी- मेरे पीछे आओ

यामिनी खड़ी हुई और छत की बिल्कुल किनारे पर खड़ी हो गई

जिसे देखकर रोहन बोला- अरे संभल कर तुम गिर जाओगी

यामिनी- यही वो रास्ता है जिसे हम इस सपने से बाहर निकल सकते हैं....

रोहन- नहीं इससे हम मर जाएंगे

यामिनी- वह तो हम हर सपने में मर रहे हैं याद करो हम आज हजारों बार मर चुके हैं हर पल कोई न कोई हमारी मौत का कारण बन रहा है

रोहन सोचते हुए हां मैंने पहले इस पर बात ध्यान नहीं दिया

यामिनी- लेकिन उसमें हम मारे गए थे इसमें हम स्वयं मर कर इस सपने और हकीकत की भूलभुलैया से बाहर निकल सकते हैं....

रोहन कुछ बोलता उससे पहले ही यामिनी ने छलांग लगा दी

रोहन नीचे की ओर देखने लगा लेकिन अंधेरे की वजह से कुछ दिखाई नहीं दिया... रोहन वापस लौटने लगा तभी नीचे से आवाज आई- रोहन यह तुम क्या कर रहे हो.... क्या तुम हर पल ऐसे ही मरना चाहते हो.... तुम पागल हो जाओगे.... आओ... मेरे साथ आओ... यहां तुम्हें इन सब से छुटकारा मिल जाएगा... यहां बहुत शांति है.. मुझे बहुत राहत महसूस हो रही हैं.... अब कोई सपना नहीं है सब हकीकत है आओ रोहन... मेरे साथ आओ....

रोहन अपने आप से बोलने लगा- हां यह लड़की सही कह रही हो मुझे इसकी बात माननी चाहिए इससे मुझे हर पल मरना नहीं होगा.... मुझे इन सब से छुटकारा मिल जाएगा... जब मैं इस सपने से बाहर हकीकत में पहुंच जाऊंगा मुझे बहुत सारा काम भी तो करना है... मुझे मॉम डैड के सपने पूरे करने है जो उन्होंने मेरे लिए देखें है.... मुझे अपना सपना पूरा करना है.... स्वाति उससे शादी करनी है... मुझे अपना जीवन बनाना है...

रोहन उस बिल्डिंग से नीचे छलांग लगा दी... एक चीख के बाद सब शांत हो गया...... !

सुबह उस बिल्डिंग के नीचे लोगों की भीड़ इकट्ठी हो गई थी जिसे पुलिस ने हटवाते हुए उसके अंदर गई तो देखा खून से लथपथ एक लाश जमीन पर पड़ी हुई थी वह रोहन का था

पुलिस मामले की जांच कर रहे थे वही रोहन के माता पिता का रो रो कर बुरा हाल था उसके दोस्त भी वही खड़े हुए थे

इंस्पेक्टर हर्ष रोहन के माता-पिता से- माफ कीजिए ऐसे समय में सवाल करना ठीक तो नहीं है लेकिन क्या रोहन को कोई परेशानी थी जो उसने ऐसा कदम उठाया

रोहन के मम्मी रोते हुए बोली- रोहन को कोई परेशानी नहीं थी घर से स्कूल और स्कूल से घर यही उसकी जिंदगी थी... लेकिन कल से वह बहुत परेशान दिखाई दे रहा था वह बोल रहा था उसे अजीब अजीब सपने दिखाई दे रहे थे

इंस्पेक्टर हर्ष- क्या सपने ?

फिर इंस्पेक्टर हर्ष रोहन के दोस्तों के पास पहुंचा बच्चों तुम्हें रोहन ने बताया कि उसे क्या परेशानी थी ?

समन- सर रोहन कल काफी अजीब अजीब बातें कर रहा था जैसे उसे किसी ने मार दिया लेकिन वह मरा नहीं क्योंकि वह एक सपने में था फिर उसके बाद उसे किसी और ने मार दिया लेकिन वह इस बार भी नहीं मारा क्योंकि वह इस बार भी सपने में मरा था

इंस्पेक्टर हर्ष- क्या सपने में मर रहा था तो यह हकीकत में कैसे मरा

खैर अब तो पोस्टमार्टम के बाद ही पता चलेगा कि यह कैसे मरा

लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया जिसके रिपोर्ट के अनुसार यह आत्महत्या था जो उस बिल्डिंग से गिरकर हुई थी....

लेकिन क्या यह सच में एक आत्महत्या थी...!

रोहन के साथ जो हुआ वह सपना था या हकीकत...!

®®®DINESH DIVAKAR "Ᏼᴜɴɴʏ"