Khuda ki khoj - 2 in Hindi Motivational Stories by Parmar Geeta books and stories PDF | खुदा की खोज - 2

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खुदा की खोज - 2



(पिछले भाग में आपने पढ़ा कि दाऊद अपनी नादानी में अपनी मां से अक्सर पैसे मांगता है और तंग आकर उसकी माँ उसे कहती हैं कि वह खुदा से पैसे ले आये। और दाऊद खुदा की खोज में निकल पडता है। रास्ते में तुर्की का शहंशाह सिराज उसे अपने सवाल का जवाब खुदा से पूछने को कहता है। अब आगे...)


बादशाह की इजाजत लेकर दाऊद अपने सफर पर फिर से निकल पडता है।
उसे पूरा विश्वास है कि अगर मां ने कहा है कि खुदा उसे
मिलेंगे तो वह जरूर मिलेंगे इस लिए वह बिना हार मानें खुदा की खोज रखता है। उसे ना खाने की सुध है ना पीने की बस वह चलता रहता है। और आखिर में थक एक पेेड़ के नीचे बैठकर सो जाता है।

उसका यह दृढ़ निश्चय और भोलापन देख कर खुदा भी उससे खुश हो जातेे हैं। आखिर खुुदा को खोजने वाला ऐसा बंदा उन्होंने अब तक नहीं देेखा था। फिर खुदा अपने दूतों को अपने पास बुलाते हैं और कहते हैं इस लडके को हमाारे दरबार में ले आओ और खुदा के दूत दाऊद को खुदा के पास ले जाते हैं।
अपने सामने खुदा को देखकर दाऊद खुशी से उछल पडता है वह उनके पैरों में गिर जाता है खुुदा उसे अपने गले से लगा लेते हैं।

उसे खाने के लिये भातिं भातिं के व्यंजन और पहनने के लिए नये नये पोशाक देते हैं।

लेकिन दाऊद तो खुदा को अपने सामने पाकर ही अपने सारे दुख भूल जाता है यहां तक कि वह यहां क्यों आया था। खुदा के पास उसे कोो दुख नहीं होता। खुदा भी उसका यह भोलााप देख कर खुश होते हैं।

ऐसे ही फिर पंद्रह दिन बित जाते हैं। और एक दिन उसे अपनी मां की याद आती है। पता नहीं वो उसे लेकर कितनी परेशान होगी। इसलिये वह खुदा से कहता है कि उसे अपनी मां के पास वापस जाना है।
खुदा ने उस से पूछा कि अगर उसे कुछ चाहिए या फिर उसे कुछ पूछना हो तो पूछ सकते हो। असल में तो खुदा उसका इम्तेहान ले रहे थे। दाऊद को पूछने से याद आया कि
शहंशाह सिराज ने उसे अपने किले के बारे में पूछने को कहा था कि किलेे की दिवार दिन को बनाते हैं और रात को टूट जाती है ऐसा क्यूँ ??

तब खुदा उससे कहते हैं कि शहंंशा को कहना की वह अपनी बेटी की शादी करवायेें फिर ऐसा नहीं होगा।
और फिर खुदा के दूत जिस पेड़ के नीचे सो रहा था वहीं पर उसे छोड़ जाते हैं।

और फिर दाऊद तुुर्की की ओर निकल पडता है। बादशाह के दरबार में आकर दाऊद खुदा ने उससे जो कहा वह बादशाह सिराज को बताता है।

सिराज सोचता है कि क्या वाकई में ऐसा हो सकता है। काफी सोच कर वह दाऊद से कहत है कि अगर खुदा की यही मर्जी है तो मैं अपनी शहजादी की शादी तुम से ही करवा देता हूँ। वैसे भी दाऊद उसे बहुत ही भला और नेक लगता था।

बादशाह सिराज की बात सुनकर दाऊद एकदम चौंक जााता है।


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क्रमशः