Adhuri havas - 15 in Hindi Horror Stories by Baalak lakhani books and stories PDF | अधूरी हवस - 15

Featured Books
  • અભિનેત્રી - ભાગ 18

    અભિનેત્રી 18*                                "એય.શુ કરે છે?...

  • ફરે તે ફરફરે - 96

    ૯૬ સાંજના ચારેક વાગ્યા હતા.૨૦૦ફુટથી વધારે પહોળા વોશિગ્ટનના વ...

  • Old School Girl - 10

    અમે લોકોએ પાસ થઈ જઈએ અને પરીણામ લેવા જઈએ ત્યારે ભુદરકાકાને ત...

  • મારા અનુભવો - ભાગ 35

    ધારાવાહિક:- મારા અનુભવોભાગ:- 35શિર્ષક:- વાડકો વેચ્યોલેખક:- શ...

  • ભાગવત રહસ્ય - 247

    ભાગવત રહસ્ય -૨૪૭   નંદ મહોત્સવ રોજ કરવો જોઈએ.મનથી ભાવના કરવા...

Categories
Share

अधूरी हवस - 15

(15)

राज और आकाश जा रहे होते हैं तभी कार मे छोटा सा हादसा हो जाता है, सड़क भी सुनसान हे परिंदा भी पर नहीं मारता एसी जगह पर कार खराब हो जाती है, कर के नीचे बड़ा सा पत्थर टकरा जाता है और आकाश कार का बड़ी मुश्किल से कंट्रोल कर ता हे.

अब मुस्किल ये थी कि अब क्या करे तभी मिताली का फोन आता है, तब राज सारी बात बताता है, और मिताली की तो साँसे ही रुक जाती है, पर राज उसे बताता है, हमे कुछ भी नहीं हुवा स्वास्थ्य हे तब जाके थोड़ा शांत होती है, और कहती हे, रात के समय वोह इलाक़ा ठीक नहीं हे आप केसे भी करके मेरे गाव वापिस आ जाइए, आपको पता नहीं कई खून हो चुके हैं वहा लूट मे, आप मेरी बात मानिये या मे मेरे भाई को फोन करती हू और आपको लेने आते हैं यहा से, राज मना करता है, पर मिताली एक भी नहीं सुनती, ऎसे नहीं पर मे तुम्हारे मामा को कोल करके मदद मांगता हू, ये तरीका सही रहेगा, ठीक हे पर आप यहा ही आयेंगे आगे जाने के बारे में सोचना भी मत वर्ना मे वहा आजाऊँगी, हाँ बाबा वहा जाने का राज वादा करता है, और मिताली के मामा को कोल करके उस इलाके मे कोई मदद मिलेगी क्या कहें के, वोह तुरन्त मिताली के भाई को कोल करके राज को संपर्क करने को सूचित करते हैं, मिताली का भाई घर पर बताता है सब तो मिताली समज गई और वोह भी साथ चले ऎसे कहने लगी, उसका भाई मना करता है अंधेरा हो चूक हे तुम्हारा साथ आना ठीक नहीं है, में मेरे दोस्तों के साथ जाता है,
मिताली कहती हैं उन्हें यहा ही ले के आ जाना, हाँ कहे के वोह राज के पास चला जाता है,

उधर मिताली राज को कोल करके बता देती है, मेरा भाई आ रहा है, आपके पास आप को जाना नहीं है, ठीक हे मे वहा ही आऊंगा तुम फिक्र मत करो.

थोड़ी ही देर में मिताली का भाई राज की कार के पास पहुंच जाता है, कार वहा पर ही छोड़ कर साथ चलने को कहता है, कर को बाजू मे करके सुबह मैकेनिक को लेके आयेंगे यहा और कोई रास्ता आपके पास नहीं है,

अखिर कर मिताली जो चाहती थी वहीं हुवा, जेसे ऊपर वाला नहीं चाहता था राज इतनी जल्दी मिताली से दूर हो, मिताली घर की छत पर ही खड़ी थी सब का इंतजार करते जेसे ही वोह दिखे उसकी जान मे जान आ जाती है, और वोह नीचे गेट खोलने भागती है, मिताली का भाई सबको घर में सोफ़े पे बिठा ता हे, मिताली पानी लेके आती है,

मिताली राज को पानी देने जाती है, राज पानी लेने जेसे ही जाता हे उसके ग्लास मे एक बूंद टपकती है, ऊपर मुह करता है, तो मिताली की आँखों मे आंसू थे जो उसके ग्लास मे गिर जाता है, राज उसको आँखों ही आँखों मे चुप होने का इशारा कर देता है ऎसा प्यार भरा लम्हा कभी फ़िल्मों मे भी नहीं देखने मिलता.

मिताली जाते जाते अपने भाई को बाहर आने का इशारा करती है, मिताली का भाई उसके पीछे चल दिया, मिताली उसे कहती हे सब रुकने वाले हे ना? आज या जाने वाले हे पूछ के देखो, मिताली का भाई कहेता उनको जाने नहीं देना हे इसलिये यहां ही रुकेंगे, तुम सब खाने की और उनके सब इंतजाम करदो,
मिताली को तो पहले से ही पता था फिरभी भोली बनकर भाई को पूछती है,

( कहते हें ना जब कोई इश्क मे होतो है तो चालाकियां भी बहोत सीख लेता हाँ, बड़े भोले बनकर आशिकों से मिलने और साथ रहने के रास्ते ढूँढ ही लेते हैं)

और मिताली सबके लिए खाना बनाने किचन मे चली जाती है और कविता को भी वहीं बुला लेती है, मदद को बड़े ही प्यार से सबके लिए खाना बनती है और सबको खिलती भी है,मिताली तो मोका ढूंढ रही थी राज से अकेले मे मिलने का पर कोई बहाना नहीं सूझता उसे, सब का खाना होने के बाद, मिताली कहती हैं अगर आपको आराम करना है, तो दूसरे कमरे मे मे इंतजाम कर देती हू, राज समज जाता है, अकेले में मिलना चाहती है, राज भी कहता है हाँ बाकी सब होल मे ही बेठने का फेसला करते हैं, राज मिताली के पीछे पीछे दूसरे कमरे में जाता है,

दूसरे कमरे में जाते ही मिताली राज को लिपट कर रोने लगती है, आपको कबसे इशारे किए जा रही थी आप समझते क्यू नहीं थे, मेरी तो जान ही आपने निकाल दी आज आपने.

राज : आरे मेरी पागल मे चंगा भला तुम्हारे सामने खड़ा हू, इतना ज्यादा इश्क मत करो की तुम्हारे साथ हमारी भी साँसे दम तोड़दे
( मिताली राज के मुह पर हाथ रख देती है और चुम्बन की बारिश कर देती है,) आपसे गुजरने वाली वोह पल आप से पहेले हमसे होके गुजरे ऊपर वाले से हर पल हम दूवा मांगते रहते हैं,
राज : अच्छा चलो छोड़ो हमे कोई देख ले उसके पहेले.
मिताली : अरे हम लड़की होके नहीं डरते और आप डरे जा रहे हैं? प्यार किया तो क्या डरना.

राज : डरना पड़ता है हम और हालातों में मिले हैं,

मिताली : तो हालात को सही कीजिए आप जितनी जल्दी हो उतनी, हम आपसे ऎसे नहीं छुप छुप कर नहीं मिल सकते और दूर रहा भी नहीं जाता. वर्ना हम हमारी तरह से रास्ता बना लेंगे कहे देते हैं फाइनल.

राज : ठीक है ऊपर वाले ने चाहा तो सब सही से ठीक हो जाएगा.

मिताली : इश्क ऊपर वाले से पूछ कर नहीं किया, हर बात ऊपर वाले पे थोप देते हो नीचे वाले की कोशिश होगी तो ऊपर वाला साथ देगा,
(राज अब पूरी बात भाप गया था, मिताली को समझाना पड़ेगा पर ये वक़्त सही नहीं है, सही वक़्त पर उसे समझाना पड़ेगा के हमारे रिश्ते को कोई अच्छे मोड़ पर रख कर हमे जुदा होना ही होगा, मन ही मन कहता है )

राज : सब सही हो जाएगा, मे सब ठीक करूंगा,

मिताली : पता हें मुजे आप चाहें तो सब सही हो जाएगा, और करना ही पडेगा आपको.

किसीके आने की आहट आती है दोनों अलग हो जाते हैं, मिताली कमरे से चली जाती है,
कुछ देर बाद कमरें मे आके देखती है तो राज सो गया होता है, मिताली सबको कहती हैं कि वोह सो गए हैं, आप लोगों का भी बिस्तर उसी कमरे में लगा दिया है, उसका भी वहा लगाया था, सब सो गए पर मिताली सोई नहीं, वोह तो राज को ही पूरी रात निहारती रही, कब सुबह हो जाती है, उसे भी पता नहीं चलता,

सब लोग अपना चाय नास्ता करके रेडी हो जाते हैं, बाद मे कार ठीक कराने की बात होती है, तो मिताली का भाई कहेता हे दो लोग ही जाके ठीक करा के आ जाते हैं तो आकाश कहेता हे हम दोनों जाते हैं, राज को इधर ही रहने देते हैं, वेसे भी बाईक पे तीन कहा जाएंगे, हाँ ए भी सही है, आकाश चुपके से राज को इशारा कर देता है,

घर पर अब मिताली और राज ही थे तो दोनों को बाते करने के लिए कोई रोकने वाला ही नहीं, मिताली राज की गोद मे सर सोती हे राज को देखते हुए कहती हैं,

मिताली : मुजे शादी नहीं करनी हे, मेने आपको पहेले भी बताया है, आप मेरी बात को सीरियसली ले तो रहे हैं ना?

राज : तुम्हारी बातों को लेकर जितना सीरियस हू उतना तो काम मे भी नहीं सोचता हूं,( मिताली के सर पर हाथ फिराते हुवे)
बाते करते करते मिताली सो जाती हे राज की गोद मे ही. वक़्त कब गुजर जाता है पता ही नहीं चलाता, आकाश का कोल राज को आता है, कार ठीक हो गई है, हमे कब निकल ना हे? आ जाओ यहा हम निकल ही जायेंगे.

जाने की बात सुनकर मिताली जाग जाती है और कसकर राज के गले लग जाती है, जेसे अखरी मुलाकात हो दोनों की, राज के माथे को चूमती है, फिर राज के होठों पर अपने होंठ रख देती हे, ठीक हे इतना स्टॉक हो जाएगा ना अगली मुलाकात तक? तो क्या कुछ और अरमान दिल मे रक्खे थे आपने? अगर रक्खे थे तो कहा क्यू नहीं, क्या आपको हम मना थोड़े करते, हम पूरे के पूरे आपके हे हमारा हर हिस्से पे आपका हक है,

राज : (मिताली के माथे को चुमते हुवे) इतना काफी हे मेरे लिए मुजे कोई शिकवा नहीं बस इसी तरह इश्क किया करो,

मिताली : आपका कद हमारे दिल मे और ऊंचा हो गया है अब, और कहें देते हैं हम आपके सिवा किसी और के होना नहीं चाहते, हम जान दे देंगे अपनी
(राज जोर से चांटा लगा देता है मिताली को और जोर से गले लगा लेता है, पागल एसा खयाल भी भूल कर भी मत लाना अगर तुम मुजे चाहती हो तो)

माफ कर दीजिए गलती हो गई नहीं लाएंगे जुबा पर एसी बात अब के कभी.

(राज अपने दोनों हाथो से मिताली का चेहरा हथेली मे लेके माथे को चूम लेता है)

जाओ मुह धोंलो वोह आते होंगे अभी सबको बताने का वक़्त नहीं है, वर्ना सबको शक हो जाएगा,

थोड़ी देर बाद डोर बेल बजती हे, कार लेकर वोह लोग आ जाते हैं, मिताली सब के लिए चाय बनाके लाती है, फिर दोनों वहा से निकल जाते हैं,

राज ओर मिताली की एसी मुलाकात अब हफ्ते दो हफ्ते मे होने लगी थी कभी प्यार कभी झगड़ा होता रहेता था, उधर मिताली की शादी की तारिक तय करने का वक़्त नजदीक आए जा रहा था, और मिताली शादी नहीं करने का फेसले पर एड़ी हुई थी, राज जितना लंबा सोच रहा था उतना मिताली नहीं देख पाती थी या वोह उन हालातों को देखना ही नहीं चाहती थी, कई बार राज ने समझाने की शुरुआत की पर मिताली ने सुनने से ही इंकार कर दिया था,

एक रात को बारा बजे मिताली का फोन आता है बड़े गुस्से मे भी थी और रोये भी जा रही थी..

क्रमशः......