Adhuri havas - 16 in Hindi Horror Stories by Baalak lakhani books and stories PDF | अधूरी हवस - 16

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अधूरी हवस - 16

(16)

रात बारा बजे मिताली का फोन आता है, वेसे तो आखिरी बार बात शाम को हुई थी पर बाद मे उसका फोन ही बंध आता था, तो बाद मे बात हुई ही नहीं थी.

मिताली : आप कल के कल आयेंगे या मे वहा आ रही हू, मे अब यहा रहे ना ही नहीं चाहती.

राज : तुम शांत हो जाओ पहेले रोना बंध करो बिल्कुल चुप हो जाओ।

मिताली : नहीं पहेले बताये आप आ रहे हैं? या मे वहा आजाऊँ?

राज : हा मे आजाता हू पर हुवा क्या? ये तो मुजे बताओ?

मिताली : आप को मिलकर ही बताऊंगी फोन पर नहीं

राज : पर कल ऑफिस के काम खत्म करके
परसों मिलते हैं.

मिताली : आपको काम ज्यादा जरूरी है कि मे? मुजे कल ही मिलना है, आप रहने दे मे ही सुबह की बस से वहा आ जाती हू आप का काम भी नहीं बिगड़े और कमाई भी, आप सो जाइए शाम तक मे वहा पहुंच जाऊँगी.

राज : पागल मत बनो मे मे निकलता हू आज ही क्या अभी बस?अब तो रोना बंध करो, चुप हो जाओ ज्यादा रोने से तुम्हारी साँसे फूल जाएगी.

मिताली : इतनी फिक्र होती तो ये नौबत आने ही नहीं देते आप.

(राज को थोड़ा बहुत अंदाजा हो गया था कि फिर से सूरज के साथ बवाल मचाये है ये, पर करे तो क्या करे अभी इतनी रात को कविता को भी कोल करके पूछ नहीं सकता था, केसे भी करके मिताली को कल हम मिलेंगे वादा किया तब जाके वोह मानी, और दुपहर तक मे वोह वहा पहुंच जाएगा एसा बताया उसे, मिताली ने तालाब वाले मंदिर पर इंतज़ार करेगी, वहा मे आ जाऊँगी आप सीधे वहीं पर आना, राज ने भी हामी भर दी)

अब राज इतनी रात को अकेले निकलु या किसी को साथ लेके क्या करू, तभी आकाश को कोल करके सारी बात बताता है, तुम आ जाओ मे साथ चलता हू तुम्हें अकेले जाने की जरूरत नहीं सात घंटे का रास्ता हे, राज शुक्रिया अदा करता है आकाश का और आकाश को ले कर राज मिताली के गाव जाने को निकाल पड़ते हैं.

सुबह के आठ बजते ही रास्ते मे से राज सबसे पहेले कविता को कोल करता है, और उसे जाके मिताली के पास भेजता है, क्या हुवा हे ये जान ने के लिए, पर उसे मत बताना मेने भेजा हे साथ मे ये भी कहा.

थोड़ी देर के बाद कविता का कोल आता है
और वोह जो बताती है, राज को ज्यादा परेसानी होने लगती है, और बौखला जाता है, आकाश कार को किनारे करते हुवे क्या हुवा सब कुछ ठीक तो हे ना तुम कुछ बताते क्यू नहीं हो? अखिर कविता ने क्या कहा?

मिताली ने कविता को कुछ नहीं बताया, बताया तो सिर्फ इतना की आज रेडी रहे दोपहर को मंदिर जाना हैं हमे, पर वोह बता रही थी कि उसकी आँखे सूजी हुई थी, रो रोकर मुह पूरा सूज गया है, सोई भी नहीं लगती, ये लड़की कब क्या कर जाए पता ही नहीं चलता अखिर कोई बात इसके पल्ले पड़ती क्यू नहीं यार, अपने आप को तकलीफ दे के कर रही है.

आकाश राज को पानी देता है, भाई आप पानी पी लीजिए हम जा रहे ना वहा आप मिताली से बात तो करो, अरे यार अब तक उसके दस बार फोन आ जाते थे पर आज एक भी कोल नहीं आई और नहीं मेरा कोल ले रही है, उसके भाई को तो मे कोल करके पूछ नहीं सकता.

ठीक हे आप कोशिश करते रहिए अगर मिताली कोल उठा ले तो वर्ना हम जा तो रहे हैं, मिल कर ही पता लगेगा, हाँ और कोई रास्ता भी तो नहीं, ये कभी एसा नहीं करती बात कुछ ओर ही है,

दोनों बिना कहीं रुके रफ्तार से चले जा हे, दुपहर होने को आती है, थोड़े ही दूर होते हैं मंदिर से.

उधर मिताली कविता के साथ मंदिर पहुंच जाती है, कविता के बहोत पूछने पर कोई बात नहीं बताती, कविता को भी अब डर लग रहा होता है आखिर कर बात क्या हो गई जो मुजे भी नहीं बताती,

मंदिर पहुंच कर मिताली राज को कोल करती है और बताती है कि मे मंदिर पहुंच चुकी हू आपको कितनी देर लगेगी?
मे बस आधे घंटे मे शायद पहुंच जाऊंगा,
ठीक हे करके मिताली कोल काट देती है,

राज : अजीब हे रे आज काट दिया कोल भी ठीक से बात भी नहीं की, और फिर लगा रहा हू तो रिसीव ही नहीं करती.
(राज को भी गुस्सा आ जाता है, आकाश उसे शांत होने को कहता हे,)
उधर कविता के कितना पूछने के बाद मिताली उसे सारी बाते बताती है, और बताते बताते रोये भी जा रही थी, साथ मे कविता भी रोये जा रही थी, दुपहर का वक़्त था मंदिर पूरा खाली था पुजारी भी नहीं था इसी लिए को दोनों को चुप कराने वाला भी नहीं था.

जेसे ही मंदिर के परिसर में राज की कार अंदर आते मिताली देख लेती है, वोह एक दम से खडी होकर भागने लगती है, कार की और जेसे डर के मारे कोई उसके पीछे कत्ल करने पड़ा हो और वोह अपनी जान बचा के भागती हो, राज ये देखकर तो राज के पेर के नीचे से मानो जमीन ही खिसक गई हो, वोह भी कार से नीचे उतर कर मिताली की ओर दोड़ पड़ता है,

जेसे ही वोह राज के नजदीक आती है, कूद कर राज के गले लग कर जोरों से रोते हुए बोले जा रही थी मे मर जाऊँगी मुजे बचाओ, मे मर जाऊँगी मुजे आप बचाओ, कहते कहते साँसे फूलने लगती है और बेहोश हो जाती है राज के ऊपर ही, राज की आवाज ही नहीं निकल पाती गले से, कविता और आकाश भी ये देखकर दोड़ के चले आते हैं दोनों के पास तीनों मिलकर मिताली को पेड़ की छाव मे ले जाते हैं, राज मिताली का सर अपनी गोद मे लेकर बैठा हुआ है , ओर उसकी आँखों मे भी आँसू निकल आए होते हैं, वोह भी अंदर से पूरा टूट चुका है, चाहता तो वोह भी था कि उसकी रोने की आवाज से आसमा भी फट जाए पर उसके गले से आवाज ही गायब हो जाती है, और वोह आकाश और कविता की ओर देखता रहेता है कुछ किसीको समज नहीं आ रहा था.
आकाश दौडते हुवे कार मे से पानी की बोतल ले कर कविता को देता हे, कविता भी रोते हुवे, मिताली के मुह पर पानी छिड़कती हें, एक तरफ़ राज के आंसू मिताली के चहरे पर गिरते रहते हैं, वोह दोनों हाथो से मिताली का चहरे को थप थापा रहा हे, बहोत ही दर्द भरा मंज़र होता है, पूरी बोतल डालने के बाद जाके मिताली को होश आता है, तब जाके सबकी जान मे जान आती है, मिताली आँखे खोलती हे तो राज की गोद मे वोह सोई हुई है, और राज की आँखों से आंसू की धारा बहें जा रही होती है, फटक से उठ कर राज को अपनी बाहों मे समा लेती है, खुद रोना बंध कर के राज के आंसू पोछने लगती है,

आकाश और कविता उन दोनों को अकेला छोड़ कर थोड़े दूर चले जाते हैं, और उनको देखते रहते हैं, आकाश कार मे से फिर पानी की बोतल लाता है, और कविता को देता है, लीजिए आप भी अपना मुह धों लीजिए,
कविता स्वस्थ हो जाती है, थोड़ी देर खामोशी छाई रहती है, फिर आकाश कविता को पूछता है, क्या मिताली ने कुछ बताया?

हाँ मुजे उसने सारी बाते यहा मंदिर आने के बाद मे ही पता चली, वोह कई महीनों से उसके मंगेतर को बता रही थी कि वोह शादी तोड़ दे, इस बात को लेके कई बार लड़ते रहते थे दोनों पर सूरज उनकी बात मानता ही नहीं था, तुम चाहो तो तोड़कर दिखाओ मे क्यू तुम्हारे घर वालो को कहू की मे शादी नहीं करना चाहता हू, मे तो तुमसे ही शादी करना चाहता हूं, तुम नहीं चाहती तो तुम अपने घर वालो को बता दो, और मिताली ये नहीं कर सकेगी वोह बात उसे अच्छे से पता थी, उसके राज के बारे मे भी बता दिया सूरज को की मे उनसे प्यार करती हू तो तुम्हें खुश केसे रख सकूंगी, तुम्हारी और मेरी दोनों की लाइफ बर्बाद होगी उससे अच्छा है, हमारी शादी ही ना हो, पर सूरज तो कुछ मानना ही नहीं चाहता, बस शादी करूंगा तो तुमसे ही करूंगा किसी भी हाल मे, कल सूरज के घर वाले आए थे, उनकी एक रस्म होती हे उसका न्यौता देने, जो रस्म पूरी करते हैं तो शादी होनी ही चाहिए ऎसा हे, तो कल ये बात को लेकर मिताली टूट चुकी है, और उसको राज के सिवा और सम्भाल भी कोन सम्भाला सकता था.

राज ओर मिताली स्वस्थ हुवे तो कविता को मिताली ने इशारा कर के बुलाया और कहा के मेरी बेग मुजे दे जाओ, कविता मिताली का बेग देकर चली आती है, बाद मे राज को मिताली सारे हालत बता देती है, और अपनी बेग मे से सिंदूर और मंगल सूत्र निकाल कर राज को देती हैं, ये लो यहा इश्वर के सामने मुजे ये पहना कर और मेरी मांग भेरकर आप मुजे आपकी पत्नी बना लीजिए,
राज को कुछ समझ ही नहीं आता,

राज मिताली को समझता है ये सही नहीं है, और मेरी पहेली शादी भी तो टूटी नहीं है,

मिताली : में कहा आपको कहे रही हू की आप उनसे रिश्ता तोड़ कर मुजसे रिश्ता जोड़े, पर मेरी मांग मे सिंदूर आपके नाम का हो और गले मे मंगल सूत्र आपके नाम का बाँध लू बस ए ही तो मांग रही हू आपसे,

राज : ऊपर वाले को भी हम पट्टी पढ़ाए हमारी इच्छायें पूरी करने के लिए. में ऎसा नहीं कर सकता. और ये करने के बाद मे

मिताली : फिर मुजे कोई परवाह नहीं की मेरी शादी किसके साथ होती है, मेरी आत्मा तो आपकी हो चुकी है, बस उसको धागे से बाँध कर मेरी ये ख्वाहिश पूरी कीजिए,

राज : तुम ये सब करने के बाद मे ओर किसीको अपना पाओगी? नहीं अभी नहीं हो रहा है, तो ये करने के बाद तो तुमसे होगा ही नहीं.

मिताली : तो मे घर वालो को कहें के शादी तोड़ देती हू फिर तो आप को कोई परेशानी नहीं होंगी ना?

राज : देखो ये सब बाते फ़िल्मों मे देखने मे अच्छी लगती है, हकीकत मे नही समझो कुछ तो मे बहुत सोच समझकर कहे रहा हू. तुम भविष्य को देख नहीं रही हो मेरी जगह से देखो तो पता चले.

मिताली : आप कभी खुद को मेरी जगह रख कर तो सोचो, रूह कांपती हे मेरी आपकी जगह किसी और को देने का सोच के उससे अच्छा मरना बेहतर है,

राज : तुम फिर मरने मारने की बात करने लगी, मरना कोई बड़ी बात नहीं है मरना बहोत आसान हे, मरने से कुछ हासिल नहीं होता, कायरता हे मरना और तुम कोई कायर नहीं हो, जो मुजे चाहता हो वोह कायर कभी हो ही नहीं सकता,

क्रमशः...

दोस्तों आशा करता हू आपको कहनी मे आनंद आ रहा होगा पढने मे कोई ऊब नहीं आती होंगी इसी प्यार से जुड़े रहे कहानी मे