आज का विषय है नींद । आज नींद के बारे में मै कुछ अपने अनुभव प्रस्तुत करूंगा।
सामान्यत: लोगों का यही मानना है कि विद्यार्थी जीवन में 6 घंटे तथा सामान्य जीवन में 8 घंटे की नींद पर्याप्त है । इससे सभी स्वस्थ रह सकते है । या रहते है। क्योंकि नींद पर्याप्त मिलने से मनुष्य का मन हल्का रहता है ,तथा स्फूर्ति रहती है । सभी कार्यों में उत्साह बना रहता है।
"लेकिन ! मै यहां अपने अनुभव के आधार पर यह कहना चाहता हूं कि नींद पूरी होने का कोई समय निश्चित नहीं है । चाहे वह विद्यार्थी की हो या सामान्य व्यक्ति की। क्योंकि आप भी अनुभव कर सकते है कि कभी - कभी हम रात को देर से सोते है फिर भी सुबह जल्दी उठ जाते हैं, और सभी काम हम उत्साह पूर्वक करते है । और कभी - कभी हम रात को जल्दी सोने के बाद भी सुबह जल्दी नहीं उठते , या कहें कि जल्दी नहीं उठना चाहते । और यदि उठ भी जाते हैं तो उस दिन हमारा मन किसी भी काम में नहीं लगता है । हमारे अंदर अनुत्साह रहता है।"
' इस आधार से हम कह सकते हैं कि नींद कभी समय से पूर्ण नहीं होती है।'
और यदि ऐसा माने भी तो जो व्यक्ति 8 घंटे की नींद पूरी कर लेता है फिर तो इसे दिनभर नींद नहीं आना चाहिए । तथा उत्साह पूर्वक सभी काम करना चाहिए । परंतु ऐसा नहीं है । आज के समय में 75% लोग काम के प्रति अनुत्साही हो गए है । विद्यार्थी भी पढ़ाई के प्रति अनुत्साही हो रहे हैं। 100 में से 5 - 10 ही रुचि वाले होते है। और जो पढ़ने वाले होते है वो कम नींद लेकर भी पढ़ लेते है और जो ना पढ़ने वाले होते हैं वो ज्यादा नींद लेकर भी नहीं पढ़ते । इससे यही सिद्ध होता है कि नींद का समय निश्चित नहीं किया जा सकता है।
नींद का संबंध हम रात को कैसे सोते है उससे होता है । आप अनुभव भी के सकते हैं इस बात को की यदि हम रात को किसी चिंता को लेकर सोते हैं अथवा किसी बुरे काम को याद करके सोते हैं तो आपका अगला दिन अनूत्साही हो जाता है । आप किसी भी काम को अच्छे मन से नहीं कर पाते । आप आलस अनुभव करते है।आपके अंदर नींद सी भरी रहती है।भले ही आप कितना क्यों ना सोलें।और यदि वहीं आप रात को अच्छे मन से सोते है तो आप अगले दिन जल्दी उठकर भी अच्छा महसूस करते हैं । और आप उस दिन उत्साही भी रहते है।अत: मै कहना चाहता हूं कि हमारी नींद पूरी होना न होना हमारे सोने के वक्त की सोच पर निर्भर करता है । कि हम किस ख्याल को लेकर सो रहे हैं। क्योंकि शादी वाले घर में मैनेजमेंट करने वाले और घर वाले दोनों ही देर से सोते हैं । लेकिन अगले दिन मैनेजमेंट करने वाले के चेहरे पर थकान होती और घर वालों के चेहरे पर मुस्कान होती है क्योंकि मैनेजमेंट वाला रात को विवस्था की चिंता लेकर सोता है। और घर वाले शादी की खुशी लेकर सोते हैं।अत: इससे यही सिद्ध होता है कि हमारे ख्याल ही हमारी नींद से जुड़े होते हैं।
हमारे चेहरे पर जो Dark Circle आते हैं तो हम समझते हैं कि हमारी नींद पूरी नहीं हुई । लेकिन देखा जाए तो वह हमारी चिंताओं को दिखाती है। क्योंकि जो व्यक्ति चिंता सहित हो वह ठीक से सो भी नहीं पाता । इसलिए Dark Circles हो जाते हैं।
अत: नींद का संबंध समय से ना होकर अपने - अपने ख्यालातों से होता है । और हमारे सपने भी हमारे ख्यालों से ही जुड़े होते हैं जिसकी चर्चा हम बाद में करेगें । यदि मेरे इन अनुभवों में कुछ कमी हो तो आप सबसे सुधार अपेक्षित है।
धन्यवाद