कुछ दिन से चिंटू(चूहे) में जीवन मे कुछ अलग अनुभव हो रहा है, वह जब भी किसी छोटे जानवर को देखता उसके मुंह से भेड़िये जैसी गुर्राहट निकलने लगती, उसकी मूंछे खड़ी हो जाती उसकी नाक भी कजकल कुछ ज्यादा ही सूंघने लगी है।
कई बार तो अपनी इस वहशियाना स्थिति में वह अपने कई बिरादरी वालों को भी घायल कर चुका है।
चान्दनी रात में तो उसकी स्थिति और भयावह होने लगी है कल पूर्णिमा की रात में उसे कई बार वहशियत के दौरे पड़े उसने एक खरगोश को मार डाला, एक बिल्ले से भिड़ गया और घायल होने से पहले बिल्ले को लगभग मार ही डाला होता उसने अगर वह भाग ना गया होता।
सारे चूहा बिरादरी उसकी इस हालत से बहुत डरे डरे से सहमे से हैं।
उन्हें चिंटू से अपनी जान का खतरा होने लगा था, वह अपने बच्चों को उससे छिपाने लगे थे, उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि ये चिंटू को आखिर हो क्या गया है, वह अचानक चूहे से भेड़िया कैसे बन गया?
अरे चिंटू तुझे याद भी है क्या हुआ था जब से तेरे ये हालात हुए कुद्दु दादा ने चिंटू को शांत बैठे देख बहुत डरते डरते धीरे से पूछा।
मुझे कुछ नहीं मालूम दादा बस उस दिन मैंने एक नारे जानवर की हड्डी पर लगा मांस का टुकड़ा खाया था उसके बाद से पता नहीं मुझे क्या हो गया, चिंटू अफसोस करते हुए बोला।
ऑफ़ह!!तूने जरूर किसी नरभक्षी भेड़िये का मांस खा लिया चिंटू,,दादा अभी कह ही रहे थे कि सामने से एक लोमड़ी गुजरी ओर चिंटू ने गुर्राते हुए उसपर छलांग लगा दी चिंटू इतनी तेजी से उसकी गर्दन पर झपटा की जबतक वह सम्भल पाती चिंटू उसकी गर्दन से मांस का एक बड़ा टुकड़ा नोच चुका था, ये देखकर दादा डर कर न जाने जब बिल में सरक गए पता भी न चला।
चिंटू के ख़ौफ़ और वहशी दरिंदा बनने के चर्चे पूरे जंगल में फैल चुके थे, छोटे तो छोटे अब तो बड़े जानवर भी उससे बचने ओर अपने छोटे बच्चों को उससे छिपाने लगे थे।
चिंटू खुद भी बहुत परेशान था कि आखिर उसे हो क्या जाता है, उसे तो कुछ याद भी नहीं रहता कि उसने किया क्या था बस देखता है खुद को घायल और साथियों को आश्चर्यचकित होता।
आजकल चिंटू अकेला हो गया है उसके वहशियत भरे दौरों के चलते अब उसके सारे परिवार और विरादरी बालों ने उससे दूरी बना ली है।
चिंटू अब कालिया लहरी की कब्रगाह (पढ़िए कहानी "चिंटू की चतुराई")
में रहता है बिरादरी से दूर अकेले में, लेकिन उधर से बाकी जानवर भी बहुत सावधानी से गुजरते हैं, यूँ तो चिंटू दिन में हमेशा शांत ही रहता है लेकिन शाम होते ही रोज खूनी दरिंदा बन जाता है।
अभी कल ही की बात है, दो भेड़िये इधर शिकार की तलाश में आ गए शायद बाहर किसी जंगल से आये थे उन्हें चिंटू के बारे में पता नहीं था।
सर्दी की रात थी चाँद की चान्दनी फैली थी ओस की बूंदें मोती की तरह चमक रही थीं और चिंटू उनसे खेलने में मग्न था तभी उसे अपने पीछे कुछ सरसराहट सुनाई दी उसके कान खड़े हो गए, नाक हवा में सूंघने लगी उसकी आंखें चमकने लगी मूंछ के बाल बरछी की तरह खड़े हो गए।
उसके मुंह से भेडिये जैसी ही गुर्राहट निकलने लगी और वह झपट पड़ा उसके शिकार की घात में बढ़ते भेड़ियों पर।
चिंटू का हमला इतना तेज था कि भेड़िये संभल भी न सके तब तक चिंटू दोनों के गले की खाल उधेड़ चुका था।
दोनों भेड़िये सतर्क हो गये उन्हें समझ आ गया कि ये छोटा चूहा बहुत खतरनाक है।
दोनों शिकारी संयुक्त रूप से चिंटू पर हमला करने लगे किन्तु चिंटू बहुत होशियारी से उनके दांव पैंतरा बदल के चुका देता और किसी की पूंछ तो किसी का पैर कुतर देता।
दोनों भेड़िये उसकी फुर्ती ओर ताकत से सकते में थे चिंटू उनसे बिल्कुल किसी शिकारी भेड़िये की तरह ही लड़ रहा था।
लड़ते लड़ते आधी रात हो गयी दोनों पक्षों के खून से जमीन पर निशान बन गए लेकिन कोई भी पक्ष हार नहीं मान रहा था।
भेड़िये समझ चुके थे कि उसकी फुर्ती और शक्ति कुछ और है ये चूहे की ताकत नहीं है दोनों भेड़िये थकने लगे थे और अंततः चिंटू के आगे भेड़िये हार गए , दोनों भेड़िये एक ओर जंगल में भाग गए।
चिंटू का भी इस लड़ाई में बहुत खून बह गया था अतः वह भी बेशुध होकर जमीन पर गिर गया।
सुबह कुछ चूहों ने चिंटू को ऐसे जमीन पर पड़ा देखा और आसपास बिखरा खून देख कर समझ गए कि रात फिर चिंटू ने किसी शिकारी जानवर से खूनी संघर्ष किया है लेकिन ये ऐसे क्यों पड़ा है?? क्या चिंटू मर गया??
चूहों की बस्ती में हल्ला मचा हुआ था कि चिंटू मर गया,,, रात उससे भेडियो की लड़ाई हुई वहां पंजो के निशान हैं , सभी चूहे चर्चा कर रहे थे इधर चिंटू लड़खड़ा कर उठा और उसके मुंह से आवाज आई "माँ' ,,,
"चुकचुक" (चिंटू की मां) जो पास ही थी दौड़ कर उसके पास आयी और उसे सहारा देकर उठाने लगी, बाकी चूहे भी उसके सहायता को दौड़ आये,हालाँकि चिंटू के वहशी पन का ख़ौफ़ अभी भी उनके दिलों में था।
अब चिंटू ठीक हो गया है और अब वह दरिंदा भी नहीं बनता वह पूरी तरह सामान्य हो चुका है।
ये चमत्कार कैसे हुआ दद्दा मैं ठीक कैसे हुआ ?उसने, "कुद्दु" से पूछा।
उस लड़ाई में तेरा बहुत खून बह गया था चिंटू ओर उसी के साथ बह गया तेरे अंदर से खूंखार भेड़िये का अंश, अनुभवी दादा ने उसे समझाया।
सारे चूहे जान गए थे कि चिंटू अब फिर से चूहा बन चुका है, लेकिन ये बात उन्होंने जंगल से छिपा कर रखी हुई है और बाकी जंगली जानवरों के लिए चिंटू अभी भी दरिंदा ही है और उसके इस खोफ से चूहों की बस्ती सुरक्षित है।
दोस्तो ऐसे ही कई बार हमारे जीवन में भी अचानक परिवर्तन होते हैं, जैसे अच्छे भले निकले शाम की बीमार हो गए।
अचानक किसी को नुकसान पहुँचाने के ख्याल आने लगे, त बैठे बैठे कुछ भी अजीब लगने लगे तो,,,
"एक बार ये अवश्य सोच लें कि असज क्या खाया और किसका खाया"
क्योंकि
"जैसा खाये अन्न वैसा होवे मन"