आज फिर खाना नहीं बना फूलो?? हारा थका लालू झोंपड़ी के बाहर ठंडे चूल्हे को गीली आंखों से देखता हुआ बोला।
कहाँ से बने कित्ते दिन है गए तुम कुछ लाये कमा के फूलो तुनकती हुई बोली।
क्या करूँ फूलो आजकल मूर्ति बनती ही नहीं ठीक से कई पत्थर टूट जाते हैं कुछ मूर्ति बनत भी है तो उसमें सुघड़ता नई आबे।
अब बता मेरा क्या दोष है मैं तो सुबह से शाम लगा देता हूँ मूर्ति गढ़ने में, लालू दीवार का सहारा लेकर जमीन पर बैठते हुए बोला।
लालू 35-40 साल का कृषकाय युवक है जिसकी आंखे पीली होकर गढ्ढे में धंस गयी हैं, वह मंदिर से कुछ दूर पत्थर की मूर्ति बना कर बेचता है, फूलवती उसकी पत्नी है, उसे भी जीर्णता ने बेरंग बना दिया है कभी उसे देखकर लालू कहता था, "मेरी फूलो भगवान की बनाई सबसे सुंदर मूर्ति है" और आखिर हो भी क्यों ना मैं भी तो उस भगवान की इतनी सुंदर मूर्तियां गढ़ता हूँ, ना जाने कितने मंदिरों में मेरी बनाई मूर्ति की पूजा होती। लालू गर्व से कहता तभी तो उसने मेरे लिए संसार की सबसे सुंदर मूर्ति बनाकर भेजी, और फूलो शर्म से लाल होकर उसमे समा जाती।
लालू की बनाई सुंदर मुर्तिया अच्छे पैसे में बिकती थी घर ठीक ठाक चल रहा था लेकिन कुछ दिन से मंदिर के आस पास प्लास्टर ऑफ पेरिस से मूर्ति बनाने वाले लोग आ गए उनकी बनाई मूर्ति देखने में सुंदर बजन में हल्की ओर कीमत में आधी से भी कम, अस्तु लालू के काम पर इसका बुरा असर हुआ, उसकी बनाई मूर्ति की बिक्री घट कर ना के बराबर हो गयी।
काम मन्द होने से घर में भुखमरी के हालात बनने लगे,उसी बीच फूलो को दो बार बच्चा हुआ लेकिन कुपोषण ओर कमजोरी के चलते दोनों बार मोत उन्हें अपने साथ ले गयी और उसके बाद तो डॉक्टर ने उन्हें मना कर दिया कि अब अगर बच्चा हुआ तो फूलो की जिंदगी बचाना मुश्किल हो जाएगा।
कोई बात नहीं फूलो ऐसे भी हम बच्चों को हैब खिला पिला नहीं सकते तो हमें उन्हें दुनिया में लाना भी नहीं चाहिए और फिर अबतो उस ऊपर बाले की भी यही इच्छा है। लालू ने फूलो को सीने से लगा कर प्यार से समझाया था।
फूलों ने भी दिल पर पत्थर रख इसे अपनी किस्मत मान लिया था।
लेकिन आज तीन दिन से लालू एक भी मूर्ति बेच नहीं पाया है घर में अनाज का दाना तक नहीं है लालू इतना कमजोर हो रहा है कि पत्थर तराशने जैसा बारीक काम उसके लिए असम्भव हो चला है, आज फूलो पहली बार दुखी और बराज होकर बोली," अरे मन्दिर के बाहर बैठा भिखारी भी कभी भूखा नहीं सोता, तुम तो उसकी मूर्ति बनाते हो जिनमे लोग इसके दर्शन करके उस भगवान की पूजा करते हैं।
जाने क्या माया है तुम्हारे भगबान की जो एक उसके नाम पर मांग खाता है और जिसकी बजह से लोग उसका नाम बार बार लेते हैं वो मूर्ति बाला भूखा सोता है, बन्द करो तुम भी ये मूर्ति का काम अरे इससे तो अच्छा दोनों भीख ही मांग खाये, फूलो की आंखों से आंसू बहने लगे आज वह जी भर कर भगवान को कोस रही थी जो मन में आ रहा था बुरा भला कह रही थी।
और लालू हाथ जोड़े बस एक ही प्रार्थना कर रहा था कि हे मालिक ये नहीं जानती की कितनी चोटें खाकर एक पत्थर मूर्ति बन पाता है अगर ऐसे दुख पीड़ा से टूट जाये तो उसकी किस्मत सड़क की कंकर बनकर रह जाती है ,मैं जानता हूँ प्रभु ये हमारी परीक्षा है और तूने जरूर हमारे लिए कुछ अच्छा सोच रखा होगा, उसे विस्वास था कि भगवान फूलो की गलती को माफ करेगा और उनका जीवन एक दिन ज़रूर बदलेगा।
इसी प्रार्थना में लालू को कब नींद आयी उसे पता भी नहीं चला उसकी नींद खुली एक तेज़ आवाज से जो उसकी झोपड़ी का दरवाजा जोर जोर से पीटने से आ रही थी।
लालू जल्दी से उठ कर बाहर आया बाहर दो बड़ी बड़ी गाड़ियां खड़ी थीं और कुछ लोग उसके सामने खड़े थे।
जी मालिक??लालू डरा सहमा हाथ जोड़ कर खड़ा हो गया।
तुम्ही मूर्तिकार हो? उनमें से एक नए पूछा।
जी सरकार मैं ही हूँ।
सेठजी एक बड़ा मंदिर बना रहे हैं उसमें बीस पच्चीस मूर्तियां बनानी हैं बना लोगे?उस व्यक्ति ने पूछा।
जी मालिक हो जाएगा।
ठीक है चलो हमारे साथ, इस बार सेठजी ने कहा।
वो हुजूर मेरी पत्नी?? लालू ने कुछ बोलना चाहा।
आप दोनों के रहने खाने का इंतज़ाम मंदिर के पास ही रहेगा ये लो कुछ रुपये ओर हमारा पता तुम लोग एक हफ्ते में यहाँ से कम खत्म करके आ जाना, कहकर ये लोग चले गए।
लालू हाथ जोड़े देर तक उन्हें जाते देखता रहा।
ये ले फूलो पूरे पांच हजार रुपए हैं , जब पेशगी इतनी बड़ी है तो कम कितना बड़ा होगा सोच।
आज भगवान ने तेरी सुन ली भगवान चल अब चलने की तैयारी कर, मैं बाजार से कुछ खाने पीने का सामान लाता हूँ तू ये पैसे सम्भाल।
कहकर लालू तेज़ी से निकल गया, और फूला भगवान के सामने आंसू बहाती बैठी अपनी गलतियों के लिए प्रयाश्चित करती उनकी कृपा के लिए धन्यवाद देने लगी।
आज उसे समझ आ गया था कि पत्थर को मूर्ति बनने के लिए कुछ चोट साहनी ही पड़ती हैं।