hindi Best Philosophy Books Free And Download PDF

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Philosophy in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and culture...Read More


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  • जिंदगी के पहलू - 1

    इंसानी जिंदगी धरती पर जब अपना पहला कदम, माँ की बाहों से उतर कर रखती है, तो उसकी...

  • छींक

    छींक का आना दिन की सुखद घटना लगती है। हमेशा से छींक आने के बाद भीतर राहत महसूस क...

  • सपना

    सपना,हर इंसान एक छोटी उम्र से ही कोई ना कोई सपना देखकर ही बड़ा होता है, किसी को...

प्रेम और वासना - भाग 4 By Kamal Bhansali

दोस्तों, हमने प्रेम के रिश्तों के सन्दर्भ में कुछ पारिवारिक-रिश्तों की चर्चा की, परन्तु कुछ रिश्तें जो आज के जीवन में काफी उभर कर, पारिवारिक और सामाजिक रिश्तों पर भारी पड़ रहे है, उ...

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आखिर क्यों ? By Neelima Sharrma Nivia

ज़िंदगी में कुछ तारीखें ऐसी होती हैं जिन्हें याद करके दिल उदास ओर उद्वेलित हो जाता है । आज यानी 14 जून को टीवी और फिल्मों के मशहूर अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत को गुज़रे एक साल हो गया...

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जिंदगी के पहलू - 1 By Kamal Bhansali

इंसानी जिंदगी धरती पर जब अपना पहला कदम, माँ की बाहों से उतर कर रखती है, तो उसकी पहली लड़खड़ाहट उसे ये एहसास करा देती कि आसान नहीं है, जिंदगी का सफर उसके लिए। पर संभलने का संघर्ष उसे...

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कपूत बेटा By राज बोहरे

दफ्तर में सबसे बड़ी चिकचिक हुई थी इसलिए सर बिना रहा था । वह दफ्तर से बाहर निकल कर सड़क पर यूं ही खड़ा हो गया था। रिस्ट वॉच पर निगाह डाली तो पता लगा कि शाम हो चुकी है । झल्लाते हुए...

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देह अगन की लपट By राजनारायण बोहरे

देह की अगनलेखक शिव शम्भू बाबू ने अपनी चालीस साल पुरानी डायरी में से जो कथा मुझे पढ़ाई है वह मैं सीधा ही पाठकों को पढ़ाता हूँ।होली पर सब रंग में सराबोर थे लेकिन मैंने देखा कि सुखराम क...

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छींक By Lalit Rathod

छींक का आना दिन की सुखद घटना लगती है। हमेशा से छींक आने के बाद भीतर राहत महसूस करता हूं। तब इच्छा हाेती है कि छींक फिर आए। जादूगर के दूसरी बार जादू दिखाने की तरह। बचपन में जब अचानक...

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सपना By praveen singh

सपना,हर इंसान एक छोटी उम्र से ही कोई ना कोई सपना देखकर ही बड़ा होता है, किसी को क्रिकेटर, किसी को एक्टर, सिंगर, डांसर, और भी कई चीजें होती है जो हर इंसान में अलग अलग तरह से होती है...

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वो लड़का By Yogesh Kanava

वो लड़का आज फिर से दीपेश बाॅस की डाँट खाकर आया। वो बिल्कुल उखड़ा हुआ था। रोज-रोज की डाँट खाने से तो अच्छा है मैं ही कुछ कर लूँ, ना घर में चैन ना दफ्तर में सुकून..........वो बस बड़...

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छात्र-छात्राओं द्वारा आत्मघाती कदम By बेदराम प्रजापति "मनमस्त"

आलेख छात्र-छात्राओं द्वारा आत्मघाती कदम उठाने के कारण तथा रोकने (समाधान) के उपाय। वेदराम प्रजापति ‘मनमस्त’...

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हार-जीत को प्रतिष्ठा का तमगा ना पहनाएं By मंजरी शर्मा

आज महक के स्कूल में फैंसी ड्रेस कम्पटीशन था, बच्चे से लेकर हर अभिभावक ने खूब मेहनत की थी. कोई सब्ज़ी बना था तो कोई जानवर. नर्सरी में पड़ने वाली प्यारी सी महक को उसकी मम्मी ने स्मार्ट...

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डायरी का एक पन्ना By Neelima Sharrma Nivia

हाथ मे पेंटिंग ब्रश लिए 15 साल पुरानी पेंटिंग के बदरंग हो चुके फ्रेम को गोल्डन करते हुए उसने सोचा ...काश कोई उसको भी इसी तरह सुनहरा रंग से रंग दे । साँझ बीत चुकी थी ।मजदूर भी...

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अनकहे लफ्ज़ By Neelima Sharrma Nivia

लफ्ज़ कभी बोलते नही उनमें छिपे ज़ज़्बात बोलते है ते रे भी में रे भी यह अहसास कैसे कैसे होते है न ,कोई सुबह कितनी शीतल सी लगती है ,मेट्रो की तरफ जाती सड़क पर ट्रैफिक शुरू हो गया है ।...

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पत्थर दिल आदमी By राज बोहरे

उजासवह अंततः आज ऑपरेशन-टेबल पर आ पहुँचा था, दिल संबंधी बीमारियों के वार्ड में वह हजारों-हजार, शंका-कुशंकाओं से भरा चुपचाप लेटा था। सर्जन की प्रतीक्षा हो रही थी। अलबत्ता उसके घर के...

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पेरेंटिंग By Dr Sonika Sharma

ज़िन्दगी में हर इंसान को अपने अनुभव को हमेशा दूसरे से बाँटना चाहिए क्योंकि आप अपने जीवन में होने वाले अच्छे-बुरे अनुभवों से ही सीखते है और जब हम अपने अनुभवों को एक दूसरे से बताएंगे...

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राजभाषा बनाम राष्ट्रभाषा By DrAnamika

आज मैं आपके सामने राजभाषा बनाम राष्ट्रभाषा पर कुछ कहना चाहती हूं भाषा एक ऐसी श्रृंखला है जिसके द्वारा हम एक राज्य से दूसरे राज्य तक अपनी सीमा और विस्तार बढ़ा सकते हैं सीमा विस्ता...

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हकीकत की हकीकत - 3 By Akshay jain

कहा जाता है! कि इंसान गलतियों का पुतला होता है। और यदि कोई गलती नहीं करेगा तो सभी भगवान नहीं बन जायेगें। अतः हर किसी से गलती होना तो स्वाभाविक है। हर कोई जीवन म...

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डॉक्टरों की हड़ताल By राजनारायण बोहरे

हड़ताल टीकू के सीने दर्द लगातार बढ़ता ही जा रहा था। दर्द से आँखे मींचे हुए वह दुहरा जा रहा था और बीच-बीच में उठकर मम्मी को देख लेता था, इधर-उधर। फिर निराश होकर पुनः लेट जाता था। द...

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फांस By Poonam Singh

" फाँस " ----------"पिछले साल फसल अच्छी हुई थी तो फुस के घर की जगह पक्का घर बनवाय दिहे रहे और तुम्हरे लिए एक ठो टीवी भी खरीद दिहे रहे।" पति ने पत्नी की ओर मुस्कुराकर कहा ," उ सनिमा...

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एक ख़ून माफ़ By Ranjana Jaiswal

मैं समझ नहीं पा रही थी कि संचय को हो क्या गया है,वह मेरे सामने दूसरे युवा,सुंदर पुरूषों की प्रशंसा क्यों करता रहता है?क्या उसको अपनी कमियों का अहसास है?पर मैंने तो कभी उसके रूप -रं...

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आत्महत्या By Priya Saini

जब तुम अँधेरे से घिरे हुए हो और कहीं से एक रोशनी नज़र आये। तुम उस रोशनी का पीछा करते हुए आगे बढ़ो और पास जाकर पता चले ये तो रोशनी थी नहीं वहम था तुम्हारा, कैसा प्रतीत होगा उस वक़्त? श...

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एकमेडिटेशन - 3 By VANDANA VANI SINGH

इन दिनों जब से प्रयोग लिखना शुरू किया है मुझे भी बड़ी ख़ुशी मिल रही है। एसा लगता है कुछ है जो मुझे आप से जोड़ रहा कहानी लिखी है पहले भी लेकिन इसमें अपने अनुभव बया करने का अवसर इक अ...

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बंसी By Poonam Singh

"बंसी" "कृष्णा,,,!! कृष्णा......!!ओ....कृष्णा, कहाँ गया।" माँ के बारम्बार पुकारने पर भी कृष्णा कहीं नज़र नहीं आया। "पता नहीं ये लड़का कहाँ चला जाता है बिना बताए...?" माँ बुदब...

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वह एक दिन By Lovelesh Dutt

वह एक दिन--लवलेश दत्त‘उफ! यह तो बहुत मुसीबत हो गयी’, अखबार की हेडलाइन ‘देश में इक्कीस दिन के लिए संपूर्ण लॉक डाउन’ पर नज़र पढ़ते ही शर्मा जी के मुँह से निकला, ‘इस महामारी ने तो जीन...

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सुसाइड क्यूं By shilpi krishna

#सुसाइड क्यूं ???* क्यूं हमें जिंदगी से प्यारी मौत लगने लगती है ?*क्यूं हमें सुसाइड करने से पहले किसी का मोह नहीं रहता ?*क्या सुसाइड करने से सारी समस्या हल हो जाती है ?*सुसाइड करन...

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क्रिप्टो करेंसी सही या गलत । By H M Writter0

इस दुनिया में जीवन यापन करने के लिए व्यक्ति को अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करना होता है, अपनी आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए लोग एक दूसरे से लेनदेन करते हैं यह लेनदेन एक मुद्रा के रू...

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जिंदगी By Venu G Nair

लोग कहते हे " जिंदगी एक सफर है "। लेकिन ऐ नहीं पता यह कब शुरू होता है और कब खतम। हर इंसान अपनी जिंदगी अलग अलग जगह से, अलग अलग समय पर शुरू करता है । इस जीवित यात्रा में...

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मुस्कुराते हुए चेहरे दुनिया की सबसे खूबसूरत उम्मीद होते हैं। By Amit Singh

"मुस्कुराते हुए चेहरे दुनिया की सबसे सबसे खूबसूरत उम्मीद होते हैं "कहते हैं कि ये दुनिया उम्मीदों पर टिकी है | लेकिन इस उम्मीद की बुनियाद किस पर टिकी है ? वह तहखाना कहाँ है, जहाँ उ...

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आलोचक जात By Sonu Kasana

आपने इस शब्द के बारे में अवश्य ही बहुत कुछ सुन रखा होगा और कुछ ना कुछ समझ भी रखा होगा और निश्चित रूप से आपके लिए आलोचक के मायने मेरे विचारों एवं माइनों से अलग हो सकते हैं आलोचक शब्...

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परिचय - मेरे साथ चाणक्य निती By Nimish Pansuriya

"चाणक्य नीति " , जब यह पुस्तक लोगों के सामने आती है तब अधिक प्रमाण में लोग इस पुस्तक को एक राजनीतिक मुद्दे की समान स्वीकार करते है। यह प्रक्रिया इनके निर्माता की पहचा...

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किर_दार 2 By sk hajee

हम किर_दार के माध्यमसेहमारे बिच रहने वाली सोच को उजागर करने का प्रयास कर रहे है । बार-बार बदलने वाली इन्सानी फ़ितरत, लालच ...

जरूर देखें और लाइक, कंमेट, शेयर जरूर करे ।

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कैसा हक ? By Sonu Kasana

बीरबल के 2 पुत्र थे तथा उसकी पत्नी काफी अच्छी थी वे सब बहुत खुश थे बीरबल प्रतिदिन कार्य पर जाता तथा आजीविका कमा कर के लाता था। प्रतिदिन कमाना तथा प्रतिदिन खाना जैसी हालत थी। एक दिन...

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सच : एक रहस्य By Radhika Setia

कहने को तो बस कहानी है पर किसे पता यह सच है या कल्पना। आज मैं कहानी लिख रही हूं जिसमें ना तो राजा है ना रानी है, ना भूत प्रेत,ना ही परियां। यह कहानी सच की है। दिन है तो रात भी है,...

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नहीं बनना हैडलाइन By Shobhana Shyam

एक ओर छल कपट, निष्कासन , एकाकी होने का दंश दूसरी ओर घर चलाने के लिए पाई-पाई का संघर्ष , सुगंधा तन मन से टूट चुकी थी| उस पर पिता के प्यार दुलार को तरसते हज़ारों प्रश्नों से जूझते छोट...

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सुशांत सिंह राजपूत ने आत्महत्या क्यूँ की.? By अर्चना यादव

सुशांत सिंह राजपूत ने आत्महत्या क्यूँ की...?सुशांत सिंह राजपूत ने ख़ुदकुशी कर ली. मात्र चौंतिस साल की उम्र में एक सफल एक्टर, प्रसिद्ध व्यक्तित्व और शरीर से स्वस्थ इंसान जिसके पास क...

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स्वर्णिम भारत की और...... By Rishi Sachdeva

कठिन समय है, मानवीय संवेदनाएँ काँच की तरह होती है, कब टूट जाये , पता ही नहीं लगता।मनोवैज्ञानिकों का कहना कि आज जो परिदृश्य है, उसमें आर्थिक, सामाजिक, पारिवारिक ताना - बाना कहीं न क...

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दुःख या अवसाद By Roopanjali singh parmar

कुछ लोग इतने दुःखी होते हैं, कि जरा सी बातें ही इनकी आंखों को भर देती हैं। दुःख इस हद तक इनमें शामिल होता है कि ये सुख और दुःख के भेद को समझना भूल चुके होते हैं। इन्हें पता ही नहीं...

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विचार !! By Shubham Dudhat

अभी आप जो सोच रहे हो वही आपके विचार है या नही ?? जरा सोचिए।। क्या आप उसे रोक सकते हो?? हा, जरूर ।। पर उसके लिए आपको अपने मन ओर दिमाग पर काबू पाने की आश्यकता होगी ।। अब सोचिए यदि आप...

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लॉक डाउन के पन्ने - प्रकृति कुछ कहती है : By Rishi Sachdeva

"ज़िन्दगी न मिलेगी दुबारा" और निश्चित रूप से ये समय भी जीवन में दुबारा नहीं आएगा।अधिकांश लोगों का मानना है कि ये मानव निर्मित अभिशाप है, कुछ का कहना है प्रकृति का कोप है, कोई ईश्वरी...

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परिस्थिति - कुछ सवाल और एक सोच By Priya Saini

हम सदा परिस्थितियों पर ही निर्भर रहते हैं। परिस्थिति हमारे अनुकूल हो तो सब अच्छा लगता है और विपरीत हो तो वक़्त खराब लगता है। क्या परिस्थिति के खिलाफ़ जाकर कुछ करना उत्तम होगा? मन मे...

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कलियुग का मित्र - INTERNET - 1 By ADARSH PRATAP SINGH

आइये हम जानते है कि इस कलियुग में बन रहे नए मित्र जैसे “INTERNET” दौर कलियुग का है जहाँ व्यक्ति ही असुर है और वही देवता है। भेदभाव करने में भरपूर,लोभी और गलत तर्कों के समूह का परिच...

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बचपन का डर By ADARSH PRATAP SINGH

“अंधेरा ,डर दोनो का मेल अंधा स है प्रकाश के आते ही दोनों गायब से हो जाते है” {मेरी तरफ वो आदमी चलता ही आ रहा था। वो डरावना स आदमी मेरी आँखों के सामने आकर खड़ा हो गया} गर्मी की छुट्ट...

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सुराख से झाँकती ज़िंदगी By Dr. Vandana Gupta

मम्मा से लड़कर, गुस्सा होकर अपनी सहेली के घर गयी स्वरा तुरन्त ही लौट आयी थी . रह रहकर दोनों घरों की तस्वीर उसकी आँखों के सामने फ़िल्म की तरह चल रही थी.. एक तरफ अपनी जिद, अपना गु...

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प्रकृति मैम - मुकाम ढूंढें चलो चलें ( अंतिम भाग) By Prabodh Kumar Govil

मुकाम ढूंढें चलो चलेंकफ परेड के पांच सितारा प्रेसिडेंट होटल में मैं बैठा था। वहां अगली सुबह जल्दी एक कार्यक्रम होना था। तैयारी के लिए रात को वहां रुकने के लिए ऊपरी मंज़िल पर हमने ए...

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पानी : तुम मुझे बचाओ में तुम्हे बचाऊंगा By paresh barai

पानी हमारे जीवन की एक बेहद अहम् ज़रूरत है | भोजन के बिना व्यक्ति भले ही दिनों दिन तक जीवित रह ले, परंतु प्यास लगने पर एक पहर भी नहीं कटता | ऐसे में आज हम जीवन समान अमूल्य जल के विषय...

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प्रेम और वासना - भाग 4 By Kamal Bhansali

दोस्तों, हमने प्रेम के रिश्तों के सन्दर्भ में कुछ पारिवारिक-रिश्तों की चर्चा की, परन्तु कुछ रिश्तें जो आज के जीवन में काफी उभर कर, पारिवारिक और सामाजिक रिश्तों पर भारी पड़ रहे है, उ...

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आखिर क्यों ? By Neelima Sharrma Nivia

ज़िंदगी में कुछ तारीखें ऐसी होती हैं जिन्हें याद करके दिल उदास ओर उद्वेलित हो जाता है । आज यानी 14 जून को टीवी और फिल्मों के मशहूर अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत को गुज़रे एक साल हो गया...

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जिंदगी के पहलू - 1 By Kamal Bhansali

इंसानी जिंदगी धरती पर जब अपना पहला कदम, माँ की बाहों से उतर कर रखती है, तो उसकी पहली लड़खड़ाहट उसे ये एहसास करा देती कि आसान नहीं है, जिंदगी का सफर उसके लिए। पर संभलने का संघर्ष उसे...

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कपूत बेटा By राज बोहरे

दफ्तर में सबसे बड़ी चिकचिक हुई थी इसलिए सर बिना रहा था । वह दफ्तर से बाहर निकल कर सड़क पर यूं ही खड़ा हो गया था। रिस्ट वॉच पर निगाह डाली तो पता लगा कि शाम हो चुकी है । झल्लाते हुए...

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देह अगन की लपट By राजनारायण बोहरे

देह की अगनलेखक शिव शम्भू बाबू ने अपनी चालीस साल पुरानी डायरी में से जो कथा मुझे पढ़ाई है वह मैं सीधा ही पाठकों को पढ़ाता हूँ।होली पर सब रंग में सराबोर थे लेकिन मैंने देखा कि सुखराम क...

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छींक By Lalit Rathod

छींक का आना दिन की सुखद घटना लगती है। हमेशा से छींक आने के बाद भीतर राहत महसूस करता हूं। तब इच्छा हाेती है कि छींक फिर आए। जादूगर के दूसरी बार जादू दिखाने की तरह। बचपन में जब अचानक...

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सपना By praveen singh

सपना,हर इंसान एक छोटी उम्र से ही कोई ना कोई सपना देखकर ही बड़ा होता है, किसी को क्रिकेटर, किसी को एक्टर, सिंगर, डांसर, और भी कई चीजें होती है जो हर इंसान में अलग अलग तरह से होती है...

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वो लड़का By Yogesh Kanava

वो लड़का आज फिर से दीपेश बाॅस की डाँट खाकर आया। वो बिल्कुल उखड़ा हुआ था। रोज-रोज की डाँट खाने से तो अच्छा है मैं ही कुछ कर लूँ, ना घर में चैन ना दफ्तर में सुकून..........वो बस बड़...

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छात्र-छात्राओं द्वारा आत्मघाती कदम By बेदराम प्रजापति "मनमस्त"

आलेख छात्र-छात्राओं द्वारा आत्मघाती कदम उठाने के कारण तथा रोकने (समाधान) के उपाय। वेदराम प्रजापति ‘मनमस्त’...

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हार-जीत को प्रतिष्ठा का तमगा ना पहनाएं By मंजरी शर्मा

आज महक के स्कूल में फैंसी ड्रेस कम्पटीशन था, बच्चे से लेकर हर अभिभावक ने खूब मेहनत की थी. कोई सब्ज़ी बना था तो कोई जानवर. नर्सरी में पड़ने वाली प्यारी सी महक को उसकी मम्मी ने स्मार्ट...

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डायरी का एक पन्ना By Neelima Sharrma Nivia

हाथ मे पेंटिंग ब्रश लिए 15 साल पुरानी पेंटिंग के बदरंग हो चुके फ्रेम को गोल्डन करते हुए उसने सोचा ...काश कोई उसको भी इसी तरह सुनहरा रंग से रंग दे । साँझ बीत चुकी थी ।मजदूर भी...

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अनकहे लफ्ज़ By Neelima Sharrma Nivia

लफ्ज़ कभी बोलते नही उनमें छिपे ज़ज़्बात बोलते है ते रे भी में रे भी यह अहसास कैसे कैसे होते है न ,कोई सुबह कितनी शीतल सी लगती है ,मेट्रो की तरफ जाती सड़क पर ट्रैफिक शुरू हो गया है ।...

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पत्थर दिल आदमी By राज बोहरे

उजासवह अंततः आज ऑपरेशन-टेबल पर आ पहुँचा था, दिल संबंधी बीमारियों के वार्ड में वह हजारों-हजार, शंका-कुशंकाओं से भरा चुपचाप लेटा था। सर्जन की प्रतीक्षा हो रही थी। अलबत्ता उसके घर के...

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पेरेंटिंग By Dr Sonika Sharma

ज़िन्दगी में हर इंसान को अपने अनुभव को हमेशा दूसरे से बाँटना चाहिए क्योंकि आप अपने जीवन में होने वाले अच्छे-बुरे अनुभवों से ही सीखते है और जब हम अपने अनुभवों को एक दूसरे से बताएंगे...

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राजभाषा बनाम राष्ट्रभाषा By DrAnamika

आज मैं आपके सामने राजभाषा बनाम राष्ट्रभाषा पर कुछ कहना चाहती हूं भाषा एक ऐसी श्रृंखला है जिसके द्वारा हम एक राज्य से दूसरे राज्य तक अपनी सीमा और विस्तार बढ़ा सकते हैं सीमा विस्ता...

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हकीकत की हकीकत - 3 By Akshay jain

कहा जाता है! कि इंसान गलतियों का पुतला होता है। और यदि कोई गलती नहीं करेगा तो सभी भगवान नहीं बन जायेगें। अतः हर किसी से गलती होना तो स्वाभाविक है। हर कोई जीवन म...

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डॉक्टरों की हड़ताल By राजनारायण बोहरे

हड़ताल टीकू के सीने दर्द लगातार बढ़ता ही जा रहा था। दर्द से आँखे मींचे हुए वह दुहरा जा रहा था और बीच-बीच में उठकर मम्मी को देख लेता था, इधर-उधर। फिर निराश होकर पुनः लेट जाता था। द...

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फांस By Poonam Singh

" फाँस " ----------"पिछले साल फसल अच्छी हुई थी तो फुस के घर की जगह पक्का घर बनवाय दिहे रहे और तुम्हरे लिए एक ठो टीवी भी खरीद दिहे रहे।" पति ने पत्नी की ओर मुस्कुराकर कहा ," उ सनिमा...

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एक ख़ून माफ़ By Ranjana Jaiswal

मैं समझ नहीं पा रही थी कि संचय को हो क्या गया है,वह मेरे सामने दूसरे युवा,सुंदर पुरूषों की प्रशंसा क्यों करता रहता है?क्या उसको अपनी कमियों का अहसास है?पर मैंने तो कभी उसके रूप -रं...

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आत्महत्या By Priya Saini

जब तुम अँधेरे से घिरे हुए हो और कहीं से एक रोशनी नज़र आये। तुम उस रोशनी का पीछा करते हुए आगे बढ़ो और पास जाकर पता चले ये तो रोशनी थी नहीं वहम था तुम्हारा, कैसा प्रतीत होगा उस वक़्त? श...

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एकमेडिटेशन - 3 By VANDANA VANI SINGH

इन दिनों जब से प्रयोग लिखना शुरू किया है मुझे भी बड़ी ख़ुशी मिल रही है। एसा लगता है कुछ है जो मुझे आप से जोड़ रहा कहानी लिखी है पहले भी लेकिन इसमें अपने अनुभव बया करने का अवसर इक अ...

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बंसी By Poonam Singh

"बंसी" "कृष्णा,,,!! कृष्णा......!!ओ....कृष्णा, कहाँ गया।" माँ के बारम्बार पुकारने पर भी कृष्णा कहीं नज़र नहीं आया। "पता नहीं ये लड़का कहाँ चला जाता है बिना बताए...?" माँ बुदब...

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वह एक दिन By Lovelesh Dutt

वह एक दिन--लवलेश दत्त‘उफ! यह तो बहुत मुसीबत हो गयी’, अखबार की हेडलाइन ‘देश में इक्कीस दिन के लिए संपूर्ण लॉक डाउन’ पर नज़र पढ़ते ही शर्मा जी के मुँह से निकला, ‘इस महामारी ने तो जीन...

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सुसाइड क्यूं By shilpi krishna

#सुसाइड क्यूं ???* क्यूं हमें जिंदगी से प्यारी मौत लगने लगती है ?*क्यूं हमें सुसाइड करने से पहले किसी का मोह नहीं रहता ?*क्या सुसाइड करने से सारी समस्या हल हो जाती है ?*सुसाइड करन...

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क्रिप्टो करेंसी सही या गलत । By H M Writter0

इस दुनिया में जीवन यापन करने के लिए व्यक्ति को अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करना होता है, अपनी आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए लोग एक दूसरे से लेनदेन करते हैं यह लेनदेन एक मुद्रा के रू...

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जिंदगी By Venu G Nair

लोग कहते हे " जिंदगी एक सफर है "। लेकिन ऐ नहीं पता यह कब शुरू होता है और कब खतम। हर इंसान अपनी जिंदगी अलग अलग जगह से, अलग अलग समय पर शुरू करता है । इस जीवित यात्रा में...

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मुस्कुराते हुए चेहरे दुनिया की सबसे खूबसूरत उम्मीद होते हैं। By Amit Singh

"मुस्कुराते हुए चेहरे दुनिया की सबसे सबसे खूबसूरत उम्मीद होते हैं "कहते हैं कि ये दुनिया उम्मीदों पर टिकी है | लेकिन इस उम्मीद की बुनियाद किस पर टिकी है ? वह तहखाना कहाँ है, जहाँ उ...

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आलोचक जात By Sonu Kasana

आपने इस शब्द के बारे में अवश्य ही बहुत कुछ सुन रखा होगा और कुछ ना कुछ समझ भी रखा होगा और निश्चित रूप से आपके लिए आलोचक के मायने मेरे विचारों एवं माइनों से अलग हो सकते हैं आलोचक शब्...

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परिचय - मेरे साथ चाणक्य निती By Nimish Pansuriya

"चाणक्य नीति " , जब यह पुस्तक लोगों के सामने आती है तब अधिक प्रमाण में लोग इस पुस्तक को एक राजनीतिक मुद्दे की समान स्वीकार करते है। यह प्रक्रिया इनके निर्माता की पहचा...

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किर_दार 2 By sk hajee

हम किर_दार के माध्यमसेहमारे बिच रहने वाली सोच को उजागर करने का प्रयास कर रहे है । बार-बार बदलने वाली इन्सानी फ़ितरत, लालच ...

जरूर देखें और लाइक, कंमेट, शेयर जरूर करे ।

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कैसा हक ? By Sonu Kasana

बीरबल के 2 पुत्र थे तथा उसकी पत्नी काफी अच्छी थी वे सब बहुत खुश थे बीरबल प्रतिदिन कार्य पर जाता तथा आजीविका कमा कर के लाता था। प्रतिदिन कमाना तथा प्रतिदिन खाना जैसी हालत थी। एक दिन...

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सच : एक रहस्य By Radhika Setia

कहने को तो बस कहानी है पर किसे पता यह सच है या कल्पना। आज मैं कहानी लिख रही हूं जिसमें ना तो राजा है ना रानी है, ना भूत प्रेत,ना ही परियां। यह कहानी सच की है। दिन है तो रात भी है,...

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नहीं बनना हैडलाइन By Shobhana Shyam

एक ओर छल कपट, निष्कासन , एकाकी होने का दंश दूसरी ओर घर चलाने के लिए पाई-पाई का संघर्ष , सुगंधा तन मन से टूट चुकी थी| उस पर पिता के प्यार दुलार को तरसते हज़ारों प्रश्नों से जूझते छोट...

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सुशांत सिंह राजपूत ने आत्महत्या क्यूँ की.? By अर्चना यादव

सुशांत सिंह राजपूत ने आत्महत्या क्यूँ की...?सुशांत सिंह राजपूत ने ख़ुदकुशी कर ली. मात्र चौंतिस साल की उम्र में एक सफल एक्टर, प्रसिद्ध व्यक्तित्व और शरीर से स्वस्थ इंसान जिसके पास क...

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स्वर्णिम भारत की और...... By Rishi Sachdeva

कठिन समय है, मानवीय संवेदनाएँ काँच की तरह होती है, कब टूट जाये , पता ही नहीं लगता।मनोवैज्ञानिकों का कहना कि आज जो परिदृश्य है, उसमें आर्थिक, सामाजिक, पारिवारिक ताना - बाना कहीं न क...

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दुःख या अवसाद By Roopanjali singh parmar

कुछ लोग इतने दुःखी होते हैं, कि जरा सी बातें ही इनकी आंखों को भर देती हैं। दुःख इस हद तक इनमें शामिल होता है कि ये सुख और दुःख के भेद को समझना भूल चुके होते हैं। इन्हें पता ही नहीं...

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विचार !! By Shubham Dudhat

अभी आप जो सोच रहे हो वही आपके विचार है या नही ?? जरा सोचिए।। क्या आप उसे रोक सकते हो?? हा, जरूर ।। पर उसके लिए आपको अपने मन ओर दिमाग पर काबू पाने की आश्यकता होगी ।। अब सोचिए यदि आप...

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लॉक डाउन के पन्ने - प्रकृति कुछ कहती है : By Rishi Sachdeva

"ज़िन्दगी न मिलेगी दुबारा" और निश्चित रूप से ये समय भी जीवन में दुबारा नहीं आएगा।अधिकांश लोगों का मानना है कि ये मानव निर्मित अभिशाप है, कुछ का कहना है प्रकृति का कोप है, कोई ईश्वरी...

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परिस्थिति - कुछ सवाल और एक सोच By Priya Saini

हम सदा परिस्थितियों पर ही निर्भर रहते हैं। परिस्थिति हमारे अनुकूल हो तो सब अच्छा लगता है और विपरीत हो तो वक़्त खराब लगता है। क्या परिस्थिति के खिलाफ़ जाकर कुछ करना उत्तम होगा? मन मे...

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कलियुग का मित्र - INTERNET - 1 By ADARSH PRATAP SINGH

आइये हम जानते है कि इस कलियुग में बन रहे नए मित्र जैसे “INTERNET” दौर कलियुग का है जहाँ व्यक्ति ही असुर है और वही देवता है। भेदभाव करने में भरपूर,लोभी और गलत तर्कों के समूह का परिच...

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बचपन का डर By ADARSH PRATAP SINGH

“अंधेरा ,डर दोनो का मेल अंधा स है प्रकाश के आते ही दोनों गायब से हो जाते है” {मेरी तरफ वो आदमी चलता ही आ रहा था। वो डरावना स आदमी मेरी आँखों के सामने आकर खड़ा हो गया} गर्मी की छुट्ट...

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सुराख से झाँकती ज़िंदगी By Dr. Vandana Gupta

मम्मा से लड़कर, गुस्सा होकर अपनी सहेली के घर गयी स्वरा तुरन्त ही लौट आयी थी . रह रहकर दोनों घरों की तस्वीर उसकी आँखों के सामने फ़िल्म की तरह चल रही थी.. एक तरफ अपनी जिद, अपना गु...

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प्रकृति मैम - मुकाम ढूंढें चलो चलें ( अंतिम भाग) By Prabodh Kumar Govil

मुकाम ढूंढें चलो चलेंकफ परेड के पांच सितारा प्रेसिडेंट होटल में मैं बैठा था। वहां अगली सुबह जल्दी एक कार्यक्रम होना था। तैयारी के लिए रात को वहां रुकने के लिए ऊपरी मंज़िल पर हमने ए...

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पानी : तुम मुझे बचाओ में तुम्हे बचाऊंगा By paresh barai

पानी हमारे जीवन की एक बेहद अहम् ज़रूरत है | भोजन के बिना व्यक्ति भले ही दिनों दिन तक जीवित रह ले, परंतु प्यास लगने पर एक पहर भी नहीं कटता | ऐसे में आज हम जीवन समान अमूल्य जल के विषय...

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