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Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Philosophy in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and culture...Read More


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  • दहेज प्रथा और दार्शनिक दृष्टि

    जुगाड़ू: दार्शनिक! यहां अकेले खड़े क्या सोच रहे हो ?वो भी इतनी रात गए !?दार्शनिक...

  • THOUGHTS OF APR. 2022

    22 FEB. 2022 AT 15:21“मेरी अभिव्यक्ति केवल मेरे लियें हैं यानी मेरी जितनी समझ के...

  • THOUGHTS OF MAR. 2022

    01 MAR. 2022 AT 13:24“ जब चैतन्य के द्वारा तर्क कर्ता मन से न कोई विचार होगा और...

दहेज प्रथा और दार्शनिक दृष्टि By बिट्टू श्री दार्शनिक

जुगाड़ू: दार्शनिक! यहां अकेले खड़े क्या सोच रहे हो ?वो भी इतनी रात गए !?दार्शनिक: देख रहा हूं।जुगाड़ू: क्या ?दार्शनिक: शादी के वक्त दहेज वाले हालात।जुगाड़ू: अच्छा !? एसा क्या देख र...

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त्रिशूल By મહેશ ઠાકર

#त्रिशूलजिसे पश्चिम में कहा गया '#ट्राइडेंट'। ग्रीक पौराणिक इतिहास के अनुसार यह ग्रीक देवता '#पोसाइडन' का हथियार है जो हिंदुओं के वरुण देव के तुल्य देवता है। लेकिन...

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THOUGHTS OF APR. 2022 By Rudra S. Sharma

22 FEB. 2022 AT 15:21“मेरी अभिव्यक्ति केवल मेरे लियें हैं यानी मेरी जितनी समझ के स्तर के लियें और यह मेरे अतिरिक्त उनके लियें भी हो सकती हैं जो मुझ जितनी समझ वाले स्तर पर हों अतः य...

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THOUGHTS OF MAR. 2022 By Rudra S. Sharma

01 MAR. 2022 AT 13:24“ जब चैतन्य के द्वारा तर्क कर्ता मन से न कोई विचार होगा और भावनात्मक मन से न कोई भाव होगा यानी कल्पना पर लेश मात्र भी नहीं ध्यान होगा, अचेतन में भी भावों और वि...

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THOUGHTS OF FEB. 2022 By Rudra S. Sharma

1 FEB. 2022 AT 01:35“एक समय था जब मैं आत्म अनुभूति नहीं होने पर परमात्मा को जानता नहीं था वरन इसके उसे मानता ही था क्योंकि यह सिद्ध नहीं हुआ था कि परमात्मा हैं कि नहीं परंतु हाँ! य...

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समानता   By amit kumar mall

इलाहाबाद विश्वविद्यालय से समाज शास्त्र से एम 0 ए 0 करते करते इतना आत्म विश्वास आ गया कि अब हमने समाज के बारे में , बहुत कुछ जान लिया है। भारतीय समाज के द्वापर , त्रेता , सतयुग ,...

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THOUGHTS OF JAN. 2022 By Rudra S. Sharma

3 JAN. 2022 AT 11:32 कोई किसी अन्य के महत्व की पूर्ति नहीं कर सकता। यदि अपना कोई प्रियजन भौतिक शरीर छोड़ देता हैं तो इस बात की तो संतुष्टि रहती हैं कि वह पूर्णतः खत्म नहीं हुआ; उसका...

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THOUGHTS OF DEC. 2021 By Rudra S. Sharma

1 DEC. 2021 AT 19/20

परम् या सर्वश्रेष्ठ मस्तिष्क वही हैं या उसी आत्मा का हैं जो सभी मस्तिष्क को समान महत्व दें; वह आत्मा का मस्तिष्क अपना कर्म करें, अन्य को भी अपना कर्म करने की...

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मनोभाव-रामगोपाल भावुक By ramgopal bhavuk

आलेख मनोभाव रामगोपाल भावुक हम साहित्यकार, भावुक, मनमस्त जैसे उपनाम अपनाकर साहित्य के क्षेत्र में कार्य...

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दिव्य पुरुष कैसे बने ? - 2 By Mohit Rajak

दोस्तों दिव्य पुरुष कैसे बने ? एक बहुत ही रहस्यमय पुस्तक है इसका भाग 1 अगर आपने नहीं पढ़ा है तो वह जरूर पढ़ें अन्यथा आपको यह पुस्तक समझ नहीं आएगी।दोस्तों संकल्प जो भाग-1 में दिया ग...

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राम के सहारे-पं. बद्री नारायण तिवारी By ramgopal bhavuk

राम के सहारे हिन्दी को विश्व में स्थान दिलाते पं. बद्री नारायण तिवारी...

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क्वांटम भौतिकी By Shamad Ansari

#. क्वांटम भौतिकीसूक्ष्म यात्रा के बारे में आपने हिंदी में ध्यान के शब्द में तो सुना ही होगा। इसे "शरीर से बाहर का अनुभव" भी कहा जाता है। यानी अपने शरीर से बाहर निकलना, प्रारंभिक स...

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प्रेम धुणी By Yayawargi (Divangi Joshi)

प्रेम – धुणीइस से पहले मैंने धूनी का पार्ट लिखा था उसका दूसरा पार्ट है प्रेम धूनीमतलब कोई कहानी नहीं है फिलोसोफी है जो एक लड़की जो अभी जीवन की रजत जुबेली तक भी नहीं पोहचि ना ही अपने...

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गाँव की लोक कहानियां - 2 - राक्षस का भाई भाक्षस By निखिल ठाकुर

गतांक से आगें:- जब वे दोनों अर्थात साहूकार का लड़का और ब्रह्माण का लड़का विश्राम करने के बाद उठते है तो फिर वे दोनों शहर के तरफ जाने वाले रास्ते में आगे बढ़ते हुये अपनी यात्रा को...

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अवसान की बेला में - भाग ८ (अंतिम भाग ) By Rajesh Maheshwari

63. श्रेष्ठ कौन ? “ अरे राकेश ! यह देखो, ये फूल कितने सुंदर और प्यारे है, इन्हें देखकर ही हमारा मन कितना प्रफुल्लित हो रहा है।“ यह बात शाला की क्य...

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सोच - कुछ अनकही बातें अपनों के साथ - 1 By निखिल ठाकुर

1. रिश्ते =========================== कभी -कभी मन बहुत व्यथित हो जाता है रिश्तों की बिगड़ती तकदीर को ...समझ ही नहीं आता है कि क्या करना सही होता है ..क्या नहीं करना । बस हम स...

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स्वतंत्रनिर्भरता का महत्व By Rudra S. Sharma

"स्वतंत्रनिर्भरता का महत्व"आत्मा को परमात्मा से मिलन कर, परम् यानी सर्वश्रेष्ठ आत्मा बनने के लियें स्वयं के ही तंत्र पर निर्भर होकर आत्म निर्भर स्वतंत्र बनना अनिवार्य हैं।वह आत्मा...

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मुँह को बंद रखना, मौन अब जरुरी है By Kamal Bhansali

शीर्षक: मुँह को बंद रखना, मौन अब जरुरी है जीवन के क्षेत्र में मौन” और “खामोशी” दो शब्द ऐसे है, जिनका मतलब प्रायः एक जैसा होते हुए भी हटकर लगते है। खामोशी जहां वीराना और तन्हाई का र...

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उपलब्धि By Dr Mrs Lalit Kishori Sharma

मनोविज्ञान के अनुसार मानव का जीवन मन द्वारा ही संचालित होता है । मन की शक्ति द्वारा ही हमारी समस्त इंद्रियां सक्रिय होती हैं इसीलिए मन को इंद्रियों का राजा कहा जाता है कहा जाता है...

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मित्रता (दोस्ती) , दुश्मनी और झगड़ा By Rajesh Sheth

मित्रता (दोस्ती)१. दैनिक जीवन में, व्यवहार करते समय, हम बहुत से व्यक्तियों के संपर्क में आते हैं। यह संपर्क शायद हर रोज होता है या कभी कभी और यह पहली बार और आखिरी बार। २. इस संपर्...

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COMMITMENT - Self Development Topics By Rajesh Sheth

COMMITMENTSelf development topics based on Humanist themes of peace and non violence of the community for human developmentIntroductionEveryone knows about the commitment of Mahatm...

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नाक कट जाएगी By Mayank Saxena Honey

हम भारतीयों की नाक हर क्षण कट कर पुनरुदभव हो जाती है ठीक वैसे ही जैसे किसी छिपकली की पूंछ। आखिर कटे भी क्यों न, विश्व में हमारा मान ही इतना है। लेकिन गर्द तो हमें अपने समाज का है।...

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देखो... By Pinalbaraiya

इस दुनिया को देखो गौर से देखो.. बस देखते ही रहो...ओर कुछ करने की जरूरत ही नहीं है..तुम देखोगे तो जानोगे ओर जानोगे तो मानोगे ओर मानोगे तो तुम स्वयं अपनेआप जागोगे। बस तुम जागोगे तो त...

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आर्ट ऑफ वर्किंग By Chandrakant Pawar

आर्ट ऑफ वर्किंग श्रम शक्ति को बनाने की युक्ति प्रदान करता है ।जो मनुष्य को सामाजिक गरीमा का सम्मान करने के लिए होती है। स्वयं के दर्शन का प्रसाद श्रमोलित है। वास्तव में पूरी दुनिया...

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जिंदगी के पहलू - 5 - सही मानसिकता का निर्माण By Kamal Bhansali

आज जीवन गहन संकट काल से गुजर रहा है, मानव विक्षोभ के अंतर्गत बहुत प्रकार के तनाव का सामना कर रहा है। यह तो पूरा विश्व जहाँ एक तरफ करोना जैसी कई प्रकार की बीमारियों से ग्रस्त हो रहा...

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खुदगर्ज नहीं खुद्दार जरुर बनिये By Kamal Bhansali

आधुनिक युग जिसमें, हम अपनी जिंदगी का सफर कर रहे वो समय, कभी, हमें इस अहसास की अनुभूति कहीं न कहीं करा ही देता है कि कहीं हमारा, इस युग का जीवन सफर, हमें आनन्दमय और सुखी होने से वंच...

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प्रेम और वासना - भाग 4 By Kamal Bhansali

दोस्तों, हमने प्रेम के रिश्तों के सन्दर्भ में कुछ पारिवारिक-रिश्तों की चर्चा की, परन्तु कुछ रिश्तें जो आज के जीवन में काफी उभर कर, पारिवारिक और सामाजिक रिश्तों पर भारी पड़ रहे है, उ...

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आखिर क्यों ? By Neelima Sharrma Nivia

ज़िंदगी में कुछ तारीखें ऐसी होती हैं जिन्हें याद करके दिल उदास ओर उद्वेलित हो जाता है । आज यानी 14 जून को टीवी और फिल्मों के मशहूर अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत को गुज़रे एक साल हो गया...

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कपूत बेटा By राज बोहरे

दफ्तर में सबसे बड़ी चिकचिक हुई थी इसलिए सर बिना रहा था । वह दफ्तर से बाहर निकल कर सड़क पर यूं ही खड़ा हो गया था। रिस्ट वॉच पर निगाह डाली तो पता लगा कि शाम हो चुकी है । झल्लाते हुए...

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देह अगन की लपट By राजनारायण बोहरे

देह की अगनलेखक शिव शम्भू बाबू ने अपनी चालीस साल पुरानी डायरी में से जो कथा मुझे पढ़ाई है वह मैं सीधा ही पाठकों को पढ़ाता हूँ।होली पर सब रंग में सराबोर थे लेकिन मैंने देखा कि सुखराम क...

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छींक By Lalit Rathod

छींक का आना दिन की सुखद घटना लगती है। हमेशा से छींक आने के बाद भीतर राहत महसूस करता हूं। तब इच्छा हाेती है कि छींक फिर आए। जादूगर के दूसरी बार जादू दिखाने की तरह। बचपन में जब अचानक...

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सपना By praveen singh

सपना,हर इंसान एक छोटी उम्र से ही कोई ना कोई सपना देखकर ही बड़ा होता है, किसी को क्रिकेटर, किसी को एक्टर, सिंगर, डांसर, और भी कई चीजें होती है जो हर इंसान में अलग अलग तरह से होती है...

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वो लड़का By Yogesh Kanava

वो लड़का आज फिर से दीपेश बाॅस की डाँट खाकर आया। वो बिल्कुल उखड़ा हुआ था। रोज-रोज की डाँट खाने से तो अच्छा है मैं ही कुछ कर लूँ, ना घर में चैन ना दफ्तर में सुकून..........वो बस बड़...

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छात्र-छात्राओं द्वारा आत्मघाती कदम By बेदराम प्रजापति "मनमस्त"

आलेख छात्र-छात्राओं द्वारा आत्मघाती कदम उठाने के कारण तथा रोकने (समाधान) के उपाय। वेदराम प्रजापति ‘मनमस्त’...

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हार-जीत को प्रतिष्ठा का तमगा ना पहनाएं By मंजरी शर्मा

आज महक के स्कूल में फैंसी ड्रेस कम्पटीशन था, बच्चे से लेकर हर अभिभावक ने खूब मेहनत की थी. कोई सब्ज़ी बना था तो कोई जानवर. नर्सरी में पड़ने वाली प्यारी सी महक को उसकी मम्मी ने स्मार्ट...

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डायरी का एक पन्ना By Neelima Sharrma Nivia

हाथ मे पेंटिंग ब्रश लिए 15 साल पुरानी पेंटिंग के बदरंग हो चुके फ्रेम को गोल्डन करते हुए उसने सोचा ...काश कोई उसको भी इसी तरह सुनहरा रंग से रंग दे । साँझ बीत चुकी थी ।मजदूर भी...

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अनकहे लफ्ज़ By Neelima Sharrma Nivia

लफ्ज़ कभी बोलते नही उनमें छिपे ज़ज़्बात बोलते है ते रे भी में रे भी यह अहसास कैसे कैसे होते है न ,कोई सुबह कितनी शीतल सी लगती है ,मेट्रो की तरफ जाती सड़क पर ट्रैफिक शुरू हो गया है ।...

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दहेज प्रथा और दार्शनिक दृष्टि By बिट्टू श्री दार्शनिक

जुगाड़ू: दार्शनिक! यहां अकेले खड़े क्या सोच रहे हो ?वो भी इतनी रात गए !?दार्शनिक: देख रहा हूं।जुगाड़ू: क्या ?दार्शनिक: शादी के वक्त दहेज वाले हालात।जुगाड़ू: अच्छा !? एसा क्या देख र...

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त्रिशूल By મહેશ ઠાકર

#त्रिशूलजिसे पश्चिम में कहा गया '#ट्राइडेंट'। ग्रीक पौराणिक इतिहास के अनुसार यह ग्रीक देवता '#पोसाइडन' का हथियार है जो हिंदुओं के वरुण देव के तुल्य देवता है। लेकिन...

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THOUGHTS OF APR. 2022 By Rudra S. Sharma

22 FEB. 2022 AT 15:21“मेरी अभिव्यक्ति केवल मेरे लियें हैं यानी मेरी जितनी समझ के स्तर के लियें और यह मेरे अतिरिक्त उनके लियें भी हो सकती हैं जो मुझ जितनी समझ वाले स्तर पर हों अतः य...

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THOUGHTS OF MAR. 2022 By Rudra S. Sharma

01 MAR. 2022 AT 13:24“ जब चैतन्य के द्वारा तर्क कर्ता मन से न कोई विचार होगा और भावनात्मक मन से न कोई भाव होगा यानी कल्पना पर लेश मात्र भी नहीं ध्यान होगा, अचेतन में भी भावों और वि...

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THOUGHTS OF FEB. 2022 By Rudra S. Sharma

1 FEB. 2022 AT 01:35“एक समय था जब मैं आत्म अनुभूति नहीं होने पर परमात्मा को जानता नहीं था वरन इसके उसे मानता ही था क्योंकि यह सिद्ध नहीं हुआ था कि परमात्मा हैं कि नहीं परंतु हाँ! य...

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समानता   By amit kumar mall

इलाहाबाद विश्वविद्यालय से समाज शास्त्र से एम 0 ए 0 करते करते इतना आत्म विश्वास आ गया कि अब हमने समाज के बारे में , बहुत कुछ जान लिया है। भारतीय समाज के द्वापर , त्रेता , सतयुग ,...

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THOUGHTS OF JAN. 2022 By Rudra S. Sharma

3 JAN. 2022 AT 11:32 कोई किसी अन्य के महत्व की पूर्ति नहीं कर सकता। यदि अपना कोई प्रियजन भौतिक शरीर छोड़ देता हैं तो इस बात की तो संतुष्टि रहती हैं कि वह पूर्णतः खत्म नहीं हुआ; उसका...

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THOUGHTS OF DEC. 2021 By Rudra S. Sharma

1 DEC. 2021 AT 19/20

परम् या सर्वश्रेष्ठ मस्तिष्क वही हैं या उसी आत्मा का हैं जो सभी मस्तिष्क को समान महत्व दें; वह आत्मा का मस्तिष्क अपना कर्म करें, अन्य को भी अपना कर्म करने की...

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मनोभाव-रामगोपाल भावुक By ramgopal bhavuk

आलेख मनोभाव रामगोपाल भावुक हम साहित्यकार, भावुक, मनमस्त जैसे उपनाम अपनाकर साहित्य के क्षेत्र में कार्य...

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दिव्य पुरुष कैसे बने ? - 2 By Mohit Rajak

दोस्तों दिव्य पुरुष कैसे बने ? एक बहुत ही रहस्यमय पुस्तक है इसका भाग 1 अगर आपने नहीं पढ़ा है तो वह जरूर पढ़ें अन्यथा आपको यह पुस्तक समझ नहीं आएगी।दोस्तों संकल्प जो भाग-1 में दिया ग...

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राम के सहारे-पं. बद्री नारायण तिवारी By ramgopal bhavuk

राम के सहारे हिन्दी को विश्व में स्थान दिलाते पं. बद्री नारायण तिवारी...

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क्वांटम भौतिकी By Shamad Ansari

#. क्वांटम भौतिकीसूक्ष्म यात्रा के बारे में आपने हिंदी में ध्यान के शब्द में तो सुना ही होगा। इसे "शरीर से बाहर का अनुभव" भी कहा जाता है। यानी अपने शरीर से बाहर निकलना, प्रारंभिक स...

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प्रेम धुणी By Yayawargi (Divangi Joshi)

प्रेम – धुणीइस से पहले मैंने धूनी का पार्ट लिखा था उसका दूसरा पार्ट है प्रेम धूनीमतलब कोई कहानी नहीं है फिलोसोफी है जो एक लड़की जो अभी जीवन की रजत जुबेली तक भी नहीं पोहचि ना ही अपने...

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गाँव की लोक कहानियां - 2 - राक्षस का भाई भाक्षस By निखिल ठाकुर

गतांक से आगें:- जब वे दोनों अर्थात साहूकार का लड़का और ब्रह्माण का लड़का विश्राम करने के बाद उठते है तो फिर वे दोनों शहर के तरफ जाने वाले रास्ते में आगे बढ़ते हुये अपनी यात्रा को...

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अवसान की बेला में - भाग ८ (अंतिम भाग ) By Rajesh Maheshwari

63. श्रेष्ठ कौन ? “ अरे राकेश ! यह देखो, ये फूल कितने सुंदर और प्यारे है, इन्हें देखकर ही हमारा मन कितना प्रफुल्लित हो रहा है।“ यह बात शाला की क्य...

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सोच - कुछ अनकही बातें अपनों के साथ - 1 By निखिल ठाकुर

1. रिश्ते =========================== कभी -कभी मन बहुत व्यथित हो जाता है रिश्तों की बिगड़ती तकदीर को ...समझ ही नहीं आता है कि क्या करना सही होता है ..क्या नहीं करना । बस हम स...

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स्वतंत्रनिर्भरता का महत्व By Rudra S. Sharma

"स्वतंत्रनिर्भरता का महत्व"आत्मा को परमात्मा से मिलन कर, परम् यानी सर्वश्रेष्ठ आत्मा बनने के लियें स्वयं के ही तंत्र पर निर्भर होकर आत्म निर्भर स्वतंत्र बनना अनिवार्य हैं।वह आत्मा...

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मुँह को बंद रखना, मौन अब जरुरी है By Kamal Bhansali

शीर्षक: मुँह को बंद रखना, मौन अब जरुरी है जीवन के क्षेत्र में मौन” और “खामोशी” दो शब्द ऐसे है, जिनका मतलब प्रायः एक जैसा होते हुए भी हटकर लगते है। खामोशी जहां वीराना और तन्हाई का र...

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उपलब्धि By Dr Mrs Lalit Kishori Sharma

मनोविज्ञान के अनुसार मानव का जीवन मन द्वारा ही संचालित होता है । मन की शक्ति द्वारा ही हमारी समस्त इंद्रियां सक्रिय होती हैं इसीलिए मन को इंद्रियों का राजा कहा जाता है कहा जाता है...

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मित्रता (दोस्ती) , दुश्मनी और झगड़ा By Rajesh Sheth

मित्रता (दोस्ती)१. दैनिक जीवन में, व्यवहार करते समय, हम बहुत से व्यक्तियों के संपर्क में आते हैं। यह संपर्क शायद हर रोज होता है या कभी कभी और यह पहली बार और आखिरी बार। २. इस संपर्...

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COMMITMENT - Self Development Topics By Rajesh Sheth

COMMITMENTSelf development topics based on Humanist themes of peace and non violence of the community for human developmentIntroductionEveryone knows about the commitment of Mahatm...

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नाक कट जाएगी By Mayank Saxena Honey

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देखो... By Pinalbaraiya

इस दुनिया को देखो गौर से देखो.. बस देखते ही रहो...ओर कुछ करने की जरूरत ही नहीं है..तुम देखोगे तो जानोगे ओर जानोगे तो मानोगे ओर मानोगे तो तुम स्वयं अपनेआप जागोगे। बस तुम जागोगे तो त...

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आर्ट ऑफ वर्किंग By Chandrakant Pawar

आर्ट ऑफ वर्किंग श्रम शक्ति को बनाने की युक्ति प्रदान करता है ।जो मनुष्य को सामाजिक गरीमा का सम्मान करने के लिए होती है। स्वयं के दर्शन का प्रसाद श्रमोलित है। वास्तव में पूरी दुनिया...

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जिंदगी के पहलू - 5 - सही मानसिकता का निर्माण By Kamal Bhansali

आज जीवन गहन संकट काल से गुजर रहा है, मानव विक्षोभ के अंतर्गत बहुत प्रकार के तनाव का सामना कर रहा है। यह तो पूरा विश्व जहाँ एक तरफ करोना जैसी कई प्रकार की बीमारियों से ग्रस्त हो रहा...

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खुदगर्ज नहीं खुद्दार जरुर बनिये By Kamal Bhansali

आधुनिक युग जिसमें, हम अपनी जिंदगी का सफर कर रहे वो समय, कभी, हमें इस अहसास की अनुभूति कहीं न कहीं करा ही देता है कि कहीं हमारा, इस युग का जीवन सफर, हमें आनन्दमय और सुखी होने से वंच...

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प्रेम और वासना - भाग 4 By Kamal Bhansali

दोस्तों, हमने प्रेम के रिश्तों के सन्दर्भ में कुछ पारिवारिक-रिश्तों की चर्चा की, परन्तु कुछ रिश्तें जो आज के जीवन में काफी उभर कर, पारिवारिक और सामाजिक रिश्तों पर भारी पड़ रहे है, उ...

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आखिर क्यों ? By Neelima Sharrma Nivia

ज़िंदगी में कुछ तारीखें ऐसी होती हैं जिन्हें याद करके दिल उदास ओर उद्वेलित हो जाता है । आज यानी 14 जून को टीवी और फिल्मों के मशहूर अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत को गुज़रे एक साल हो गया...

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कपूत बेटा By राज बोहरे

दफ्तर में सबसे बड़ी चिकचिक हुई थी इसलिए सर बिना रहा था । वह दफ्तर से बाहर निकल कर सड़क पर यूं ही खड़ा हो गया था। रिस्ट वॉच पर निगाह डाली तो पता लगा कि शाम हो चुकी है । झल्लाते हुए...

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देह अगन की लपट By राजनारायण बोहरे

देह की अगनलेखक शिव शम्भू बाबू ने अपनी चालीस साल पुरानी डायरी में से जो कथा मुझे पढ़ाई है वह मैं सीधा ही पाठकों को पढ़ाता हूँ।होली पर सब रंग में सराबोर थे लेकिन मैंने देखा कि सुखराम क...

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छींक By Lalit Rathod

छींक का आना दिन की सुखद घटना लगती है। हमेशा से छींक आने के बाद भीतर राहत महसूस करता हूं। तब इच्छा हाेती है कि छींक फिर आए। जादूगर के दूसरी बार जादू दिखाने की तरह। बचपन में जब अचानक...

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सपना By praveen singh

सपना,हर इंसान एक छोटी उम्र से ही कोई ना कोई सपना देखकर ही बड़ा होता है, किसी को क्रिकेटर, किसी को एक्टर, सिंगर, डांसर, और भी कई चीजें होती है जो हर इंसान में अलग अलग तरह से होती है...

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वो लड़का By Yogesh Kanava

वो लड़का आज फिर से दीपेश बाॅस की डाँट खाकर आया। वो बिल्कुल उखड़ा हुआ था। रोज-रोज की डाँट खाने से तो अच्छा है मैं ही कुछ कर लूँ, ना घर में चैन ना दफ्तर में सुकून..........वो बस बड़...

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छात्र-छात्राओं द्वारा आत्मघाती कदम By बेदराम प्रजापति "मनमस्त"

आलेख छात्र-छात्राओं द्वारा आत्मघाती कदम उठाने के कारण तथा रोकने (समाधान) के उपाय। वेदराम प्रजापति ‘मनमस्त’...

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हार-जीत को प्रतिष्ठा का तमगा ना पहनाएं By मंजरी शर्मा

आज महक के स्कूल में फैंसी ड्रेस कम्पटीशन था, बच्चे से लेकर हर अभिभावक ने खूब मेहनत की थी. कोई सब्ज़ी बना था तो कोई जानवर. नर्सरी में पड़ने वाली प्यारी सी महक को उसकी मम्मी ने स्मार्ट...

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डायरी का एक पन्ना By Neelima Sharrma Nivia

हाथ मे पेंटिंग ब्रश लिए 15 साल पुरानी पेंटिंग के बदरंग हो चुके फ्रेम को गोल्डन करते हुए उसने सोचा ...काश कोई उसको भी इसी तरह सुनहरा रंग से रंग दे । साँझ बीत चुकी थी ।मजदूर भी...

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अनकहे लफ्ज़ By Neelima Sharrma Nivia

लफ्ज़ कभी बोलते नही उनमें छिपे ज़ज़्बात बोलते है ते रे भी में रे भी यह अहसास कैसे कैसे होते है न ,कोई सुबह कितनी शीतल सी लगती है ,मेट्रो की तरफ जाती सड़क पर ट्रैफिक शुरू हो गया है ।...

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