hindi Best Moral Stories Books Free And Download PDF

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Moral Stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cult...Read More


Languages
Categories
Featured Books
  • 30 शेड्स ऑफ बेला - 24

    30 शेड्स ऑफ बेला (30 दिन, तीस लेखक और एक उपन्यास) Day 24 by Shilpi Rastogi शिल्प...

  • दधि, अक्षत और दूर्वा

    दधि, अक्षत और दूर्वा रामरतन ने में शालिग्राम को नहलाया फिर दूर्वादल से पानी डाला...

  • लहराता चाँद - 6

    लहराता चाँद लता तेजेश्वर 'रेणुका' 6 रोज़ की तरह उस दिन भी घरेलू सामान खरी...

30 शेड्स ऑफ बेला - 24 By Jayanti Ranganathan

30 शेड्स ऑफ बेला (30 दिन, तीस लेखक और एक उपन्यास) Day 24 by Shilpi Rastogi शिल्पी रस्तोगी भटक रहा है आधा चांद बेला को लगा था, अब जिंदगी ढर्रे पर आ गई है। ऐसे में दिल्ली से आशा का च...

Read Free

जय हिन्द की सेना - 17 - अंतिम भाग By Mahendra Bhishma

जय हिन्द की सेना महेन्द्र भीष्म सत्रह आज प्रातः से ही ठाकुर रणवीर सिंह की कोठी में काफी चहल पहल थी। कोठी के बाहर लॉन में पण्डाल आदि कल शाम को ही लगा लिए गए थे। किसी के पास बात करने...

Read Free

साइलैंटि किलिंग By HARIYASH RAI

साइलेंट किलिंग भला ये भी कोई जिंदगी है । पहाड़ से भी बड़ा जानलेवा दर्द । अस्पताल के इस बिस्तर पर पड़े–पड़े कब सुबह होती है, कब शाम होती है, कुछ पता ही नहीं चलता । न दिन का एहसास, न रा...

Read Free

दधि, अक्षत और दूर्वा By padma sharma

दधि, अक्षत और दूर्वा रामरतन ने में शालिग्राम को नहलाया फिर दूर्वादल से पानी डाला और उन्हें कपड़े से पोंछकर वस्त्र पहनाये । फिर टीका लगाकर अछत चढ़ाये । उन्होंने प्रसाद भी लगाया । अपनी...

Read Free

दिलों की एक आवाज ऊपर उठती हुई... By Mukesh Verma

दिलों की एक आवाज ऊपर उठती हुई... तीन सौ पैंसठवीं मंजिल से गिरते हुये जब वह अपने होश—हवास पर कुछ काबू कर पाया तो उसने देखा कि वह नीचे गिरता ही जा रहा है। वह मदद के लिये उस बड़ी इमारत...

Read Free

लहराता चाँद - 6 By Lata tejeswar renuka

लहराता चाँद लता तेजेश्वर 'रेणुका' 6 रोज़ की तरह उस दिन भी घरेलू सामान खरीदने अनन्या बाजार गई। राशन और सब्जियाँ लेकर लौट ही रही थी कि उसने देखा कुछ लोग भरी बाजार में एक दुकान...

Read Free

उलझन - 9 By Amita Dubey

उलझन डॉ. अमिता दुबे नौ अंशिका की उदासी उसकी सहेली सौम्या ने अनुभव की तभी स्कूल गेट पर उतरते हुए पूछने लगी - ‘क्यों अंशिका, क्या आज तबियत ठीक नहीं है। बहुत सुस्त लग रही हो।’ ‘नहीं त...

Read Free

गूगल बॉय - 13 By Madhukant

गूगल बॉय (रक्तदान जागृति का किशोर उपन्यास) मधुकांत खण्ड - 13 अनेक नौजवान, छात्र लाल रंग के हेलमेट पहने स्कूटर-मोटर साइकिल पर घूमते दिखायी देने लगे हैं। इनकी तुरन्त पहचान हो जाती है...

Read Free

जिंदगी मेरे घर आना - 16 By Rashmi Ravija

जिंदगी मेरे घर आना भाग – १६ उसकी ये हालत देख, शरद भी घबड़ा उठा। बड़ी आजीजी से गीली आवाज में बोला- ‘नेही... नेही.. प्लीज ऐसे मत रो पगली... बोल कैसे जा पाऊँगा मैं?...तुझे ऐसी हालत मे...

Read Free

लमछड़ी By Deepak sharma

लमछड़ी आज डॉक्टर बताते हैं पचास के दशक में आएसौनियज़ेड के हुए अविष्कार के साथ तपेदिक का इलाज सम्भव तथा सुगम हो गया है| किन्तु सन् छप्पन की उस जनवरी में जब डॉक्टर ने उनकी पत्नी के रोग...

Read Free

इक समंदर मेरे अंदर - 18 By Madhu Arora

इक समंदर मेरे अंदर मधु अरोड़ा (18) प्राइवेट कंपनियां ज्‍य़ादा इंतज़ार नहीं करतीं। इसीलिये वे प्रशिक्षित कर्मचारी चाहती हैं, भले ही वेतन ज्‍य़ादा देना पड़े। उसे पहली नौकरी का अनुभव...

Read Free

गवाक्ष - 36 By Pranava Bharti

गवाक्ष 36== यकायक एक अन्य अद्भुत दृश्य उनके नेत्रों के समक्ष नाचने लगा उनके हस्तलिखित पृष्ठ ऊपर की ओर उड़ते तो रहे लेकिन नीचे ज़मीन पर नहीं आए। प्रोफ़ेसर का मस्तिष्क चकराने लग...

Read Free

सुरतिया - 6 - अंतिम भाग By vandana A dubey

गुड्डू ने झटपट अपनी टेबल खाली कर दी थी. बाउजी ने वहीं अपना सामान जमाया. दो-तीन दिन खूब रौनक रही घर में. सुनील कोलकता में है. उसकी बीवी भी बंगाली है. जाने के एक दिन पहले ड्राइंग रूम...

Read Free

मंजिल By Ramnarayan Sungariya

कहानी मंजिल आर.एन. सुनगरया, झटका लगा !!! मालूम हुआ कि मेरी सगाई कर दी गई है। ‘’किससे ?’’ ‘’ना मालूम......।‘’...

Read Free

स्मृति की शीतल छाँह By Pranava Bharti

स्मृति की शीतल छाँह ------------------------- ये ज़िंदगी है जो कभी धूप ,कभी छाँह सी चलती रहती है |ये इंसान को कभी नरम तो कभी गरम थपेड़े मारती ही रहती है | कई बार म...

Read Free

दीदी By padma sharma

दीदी सुगंधा ट्रेन में बैठी हुई रास्ते के दृश्य देख रही थी । वह सोच रही थी कि घर पर सभी उसका इंन्तजार कर रहें होगे -- मम्मी-पापा , भैया-भाभी एवं उनके बच्चे । उसने घड़ी पर नजर डाली...

Read Free

आवारा अदाकार - 4 By Vikram Singh

आवारा अदाकार विक्रम सिंह (4) ’’जी’’ ’’कितना दे रहे हैं?’’ ’’जी बस चार हजार।’’ ’’आप को कितना मिलता है?’ ’हमको पन्द्रह हजार। टैक्नीकल काम का पैसा ज्यादा मिलता हैं। बैठ कर ट्रीप तो को...

Read Free

बात बस इतनी सी थी - 18 By Dr kavita Tyagi

बात बस इतनी सी थी 18. मंजरी को गये हुए जब लगभग आठ महीने बीत चुके थे, एक दिन मेरे मोबाइल पर मंजरी के मौसेरे भाई अंकुर की कॉल आई । मुझे लगा, शायद मंजरी का भाई होने के नाते उसने मंजरी...

Read Free

तीन बहनें By Shiv Shanker Gahlot

तीन बहनें [ कहानी - जी.शिवशंकर ] [ 1 ]हरिद्वार के बाहरी इलाके मे रिटायर्ड ब्रिगेडियर जामवाल ने सबसे पहले एक बड़े प्लॉट पर बड़ा सा मकान बनाया था जिसके बाद ही यहां बसावट शुरु हुई थी...

Read Free

अनकही By Rama Sharma Manavi

आज फेसबुक की दुनिया में विचरण करते हुए फ्रेंड सजेशन में एक अत्यंत पुराना परिचित चेहरा प्रौढ़ रूप में सामने दिखाई पड़ गया।यह सोशल मीडिया भी कमाल है,भानुमती के पिटारे की भांति अर...

Read Free

विदाई By padma sharma

अंतिम विदाई ...उसका मन आशंका से घिर गया। जैसे ही गली में कदम रखा उसे चाची के घर के सामने भीड़ दिखाई दी । वह चिन्ता में पड़ गई कि इतनी भीड़ किसलिए ? हठात् उसने सोचा कहीं सोनू ...। फि...

Read Free

सपने - अवचेतन का प्रतिरूप By Annada patni

सपने - अवचेतन का प्रतिरूप अरे, अरे ! यह क्या, लग तो अम्माँ जैसी रही हैं ।सूती साड़ी, माथे पर बड़ी बिंदी, बाल पीछे बाँधे हुए । हाँ, अम्माँ ही तो हैं । दौड़ कर जाकर उनसे लिपट गई । पू...

Read Free

लिव इन लॉकडाउन और पड़ोसी आत्मा - 4 By Jitendra Shivhare

लीव इन लॉकडाउन और पड़ोसी आत्मा जितेन्द्र शिवहरे (4) "टीना! यह नहीं हो सकता। वो मर चूकी है। मेरा विश्वास करो।" धरम ने टीना को समझाने का प्रयास किया। मगर टीना थी की मानने को तैयार ही...

Read Free

आपकी आराधना - 5 By Pushpendra Kumar Patel

अतीत के कुछ अनसुलझे रहस्य जो बदल देंगे आराधना की जिन्दगी....

Read Free

विश्वास का चीरहरण By Sudha Adesh

विश्वास का चीरहरण पिछले कुछ दिनों से रमाकांत की तबियत ठीक नहीं चल रही थी । वे सो रहे थे । नमिता ने उन्हें जगाना उचित नहीं समझा...उसने स्वयं के लिये चाय बनाई तथा बाहर बरामदे में अखब...

Read Free

जूते. By Mukesh Verma

जूते कितना वक्त गुजरा होगा ! अंदाज से लगभग पचास साल के ऊपर। लेकिन सड़क पर खुलते छज्जे पर तरतीब से रखे गमलों के हरे—पीले रंग और उनमें छोटे—छोटे पौधों में खुलते और खिलते खुशबुओं के फू...

Read Free

अपने-अपने इन्द्रधनुष - 10 By Neerja Hemendra

अपने-अपने इन्द्रधनुष (10) आज सायं कई दिनों के पश्चात् छोटी का फोन आया। उससे बातंे कर के मन में नवस्फूर्ति को संचार होने लगता है। मुझसे बातंे करते समय वह सदा प्रफुल्लित रहती है। मेर...

Read Free

प्राणांत By Deepak sharma

प्राणांत “डेथ हैज़ अ थाउज़ंड डोरज़ टू लेट आउट लाइफ/आए शैल फाइंड वन.....” --एमिली डिकिन्सन “तुम आ गईं, जीजी?” नर्सिंग होम के उस कमरे में बाबूजी के बिस्तर की बगल में बैठा भाई मुझे देखते...

Read Free

आखा तीज का ब्याह - 15 - अंतिम भाग By Ankita Bhargava

आखा तीज का ब्याह (15) आज हॉस्पिटल का शुभारम्भ था| तिलक सुबह से तैयारियों में जुटा था, नीयत समय पर समारोह शुरू हो गया था| एक बड़े से शामियाने के तले मंच पर विशिष्ट अतिथियों के बैठने...

Read Free

राम रचि राखा - 6 - 10 - अंतिम भाग By Pratap Narayan Singh

राम रचि राखा (10) मुन्नर को खिलाने के बाद रात का खाना खाकर भोला घर चला गया था। बिजली शाम को ही कट गयी थी। आजकल दिन की पारी चल रही है। मुन्नर ने लालटेन जलायी और ओसार में आ गए। उनके...

Read Free

क्या नाम दूँ ..! - 3 By Ajay Shree

क्या नाम दूँ ..! अजयश्री तृतीय अध्याय एक्सरे रिपोर्ट देखने के बाद डॉक्टर ने किरन से पैर धीरे-धीरे हिलाने को कहा | किरन कराहते हुए दोनों पैर की उँगलियाँ हिलाने की कोशिश करने लगी, पर...

Read Free

सड़क पार की खिड़कियाँ - 4 - अंतिम भाग By Nidhi agrawal

सड़क पार की खिड़कियाँ डॉ. निधि अग्रवाल (4) 'नहीं, आऊँगा। पर सज़ा गुनाह पर ही मिलनी चाहिए न। कोई गुनाह किया है क्या?' प्रेम सबसे बड़ा गुनाह है। भीतर तक तोड़ देता है। मैं कहना चाह...

Read Free

30 शेड्स ऑफ बेला - 24 By Jayanti Ranganathan

30 शेड्स ऑफ बेला (30 दिन, तीस लेखक और एक उपन्यास) Day 24 by Shilpi Rastogi शिल्पी रस्तोगी भटक रहा है आधा चांद बेला को लगा था, अब जिंदगी ढर्रे पर आ गई है। ऐसे में दिल्ली से आशा का च...

Read Free

जय हिन्द की सेना - 17 - अंतिम भाग By Mahendra Bhishma

जय हिन्द की सेना महेन्द्र भीष्म सत्रह आज प्रातः से ही ठाकुर रणवीर सिंह की कोठी में काफी चहल पहल थी। कोठी के बाहर लॉन में पण्डाल आदि कल शाम को ही लगा लिए गए थे। किसी के पास बात करने...

Read Free

साइलैंटि किलिंग By HARIYASH RAI

साइलेंट किलिंग भला ये भी कोई जिंदगी है । पहाड़ से भी बड़ा जानलेवा दर्द । अस्पताल के इस बिस्तर पर पड़े–पड़े कब सुबह होती है, कब शाम होती है, कुछ पता ही नहीं चलता । न दिन का एहसास, न रा...

Read Free

दधि, अक्षत और दूर्वा By padma sharma

दधि, अक्षत और दूर्वा रामरतन ने में शालिग्राम को नहलाया फिर दूर्वादल से पानी डाला और उन्हें कपड़े से पोंछकर वस्त्र पहनाये । फिर टीका लगाकर अछत चढ़ाये । उन्होंने प्रसाद भी लगाया । अपनी...

Read Free

दिलों की एक आवाज ऊपर उठती हुई... By Mukesh Verma

दिलों की एक आवाज ऊपर उठती हुई... तीन सौ पैंसठवीं मंजिल से गिरते हुये जब वह अपने होश—हवास पर कुछ काबू कर पाया तो उसने देखा कि वह नीचे गिरता ही जा रहा है। वह मदद के लिये उस बड़ी इमारत...

Read Free

लहराता चाँद - 6 By Lata tejeswar renuka

लहराता चाँद लता तेजेश्वर 'रेणुका' 6 रोज़ की तरह उस दिन भी घरेलू सामान खरीदने अनन्या बाजार गई। राशन और सब्जियाँ लेकर लौट ही रही थी कि उसने देखा कुछ लोग भरी बाजार में एक दुकान...

Read Free

उलझन - 9 By Amita Dubey

उलझन डॉ. अमिता दुबे नौ अंशिका की उदासी उसकी सहेली सौम्या ने अनुभव की तभी स्कूल गेट पर उतरते हुए पूछने लगी - ‘क्यों अंशिका, क्या आज तबियत ठीक नहीं है। बहुत सुस्त लग रही हो।’ ‘नहीं त...

Read Free

गूगल बॉय - 13 By Madhukant

गूगल बॉय (रक्तदान जागृति का किशोर उपन्यास) मधुकांत खण्ड - 13 अनेक नौजवान, छात्र लाल रंग के हेलमेट पहने स्कूटर-मोटर साइकिल पर घूमते दिखायी देने लगे हैं। इनकी तुरन्त पहचान हो जाती है...

Read Free

जिंदगी मेरे घर आना - 16 By Rashmi Ravija

जिंदगी मेरे घर आना भाग – १६ उसकी ये हालत देख, शरद भी घबड़ा उठा। बड़ी आजीजी से गीली आवाज में बोला- ‘नेही... नेही.. प्लीज ऐसे मत रो पगली... बोल कैसे जा पाऊँगा मैं?...तुझे ऐसी हालत मे...

Read Free

लमछड़ी By Deepak sharma

लमछड़ी आज डॉक्टर बताते हैं पचास के दशक में आएसौनियज़ेड के हुए अविष्कार के साथ तपेदिक का इलाज सम्भव तथा सुगम हो गया है| किन्तु सन् छप्पन की उस जनवरी में जब डॉक्टर ने उनकी पत्नी के रोग...

Read Free

इक समंदर मेरे अंदर - 18 By Madhu Arora

इक समंदर मेरे अंदर मधु अरोड़ा (18) प्राइवेट कंपनियां ज्‍य़ादा इंतज़ार नहीं करतीं। इसीलिये वे प्रशिक्षित कर्मचारी चाहती हैं, भले ही वेतन ज्‍य़ादा देना पड़े। उसे पहली नौकरी का अनुभव...

Read Free

गवाक्ष - 36 By Pranava Bharti

गवाक्ष 36== यकायक एक अन्य अद्भुत दृश्य उनके नेत्रों के समक्ष नाचने लगा उनके हस्तलिखित पृष्ठ ऊपर की ओर उड़ते तो रहे लेकिन नीचे ज़मीन पर नहीं आए। प्रोफ़ेसर का मस्तिष्क चकराने लग...

Read Free

सुरतिया - 6 - अंतिम भाग By vandana A dubey

गुड्डू ने झटपट अपनी टेबल खाली कर दी थी. बाउजी ने वहीं अपना सामान जमाया. दो-तीन दिन खूब रौनक रही घर में. सुनील कोलकता में है. उसकी बीवी भी बंगाली है. जाने के एक दिन पहले ड्राइंग रूम...

Read Free

मंजिल By Ramnarayan Sungariya

कहानी मंजिल आर.एन. सुनगरया, झटका लगा !!! मालूम हुआ कि मेरी सगाई कर दी गई है। ‘’किससे ?’’ ‘’ना मालूम......।‘’...

Read Free

स्मृति की शीतल छाँह By Pranava Bharti

स्मृति की शीतल छाँह ------------------------- ये ज़िंदगी है जो कभी धूप ,कभी छाँह सी चलती रहती है |ये इंसान को कभी नरम तो कभी गरम थपेड़े मारती ही रहती है | कई बार म...

Read Free

दीदी By padma sharma

दीदी सुगंधा ट्रेन में बैठी हुई रास्ते के दृश्य देख रही थी । वह सोच रही थी कि घर पर सभी उसका इंन्तजार कर रहें होगे -- मम्मी-पापा , भैया-भाभी एवं उनके बच्चे । उसने घड़ी पर नजर डाली...

Read Free

आवारा अदाकार - 4 By Vikram Singh

आवारा अदाकार विक्रम सिंह (4) ’’जी’’ ’’कितना दे रहे हैं?’’ ’’जी बस चार हजार।’’ ’’आप को कितना मिलता है?’ ’हमको पन्द्रह हजार। टैक्नीकल काम का पैसा ज्यादा मिलता हैं। बैठ कर ट्रीप तो को...

Read Free

बात बस इतनी सी थी - 18 By Dr kavita Tyagi

बात बस इतनी सी थी 18. मंजरी को गये हुए जब लगभग आठ महीने बीत चुके थे, एक दिन मेरे मोबाइल पर मंजरी के मौसेरे भाई अंकुर की कॉल आई । मुझे लगा, शायद मंजरी का भाई होने के नाते उसने मंजरी...

Read Free

तीन बहनें By Shiv Shanker Gahlot

तीन बहनें [ कहानी - जी.शिवशंकर ] [ 1 ]हरिद्वार के बाहरी इलाके मे रिटायर्ड ब्रिगेडियर जामवाल ने सबसे पहले एक बड़े प्लॉट पर बड़ा सा मकान बनाया था जिसके बाद ही यहां बसावट शुरु हुई थी...

Read Free

अनकही By Rama Sharma Manavi

आज फेसबुक की दुनिया में विचरण करते हुए फ्रेंड सजेशन में एक अत्यंत पुराना परिचित चेहरा प्रौढ़ रूप में सामने दिखाई पड़ गया।यह सोशल मीडिया भी कमाल है,भानुमती के पिटारे की भांति अर...

Read Free

विदाई By padma sharma

अंतिम विदाई ...उसका मन आशंका से घिर गया। जैसे ही गली में कदम रखा उसे चाची के घर के सामने भीड़ दिखाई दी । वह चिन्ता में पड़ गई कि इतनी भीड़ किसलिए ? हठात् उसने सोचा कहीं सोनू ...। फि...

Read Free

सपने - अवचेतन का प्रतिरूप By Annada patni

सपने - अवचेतन का प्रतिरूप अरे, अरे ! यह क्या, लग तो अम्माँ जैसी रही हैं ।सूती साड़ी, माथे पर बड़ी बिंदी, बाल पीछे बाँधे हुए । हाँ, अम्माँ ही तो हैं । दौड़ कर जाकर उनसे लिपट गई । पू...

Read Free

लिव इन लॉकडाउन और पड़ोसी आत्मा - 4 By Jitendra Shivhare

लीव इन लॉकडाउन और पड़ोसी आत्मा जितेन्द्र शिवहरे (4) "टीना! यह नहीं हो सकता। वो मर चूकी है। मेरा विश्वास करो।" धरम ने टीना को समझाने का प्रयास किया। मगर टीना थी की मानने को तैयार ही...

Read Free

आपकी आराधना - 5 By Pushpendra Kumar Patel

अतीत के कुछ अनसुलझे रहस्य जो बदल देंगे आराधना की जिन्दगी....

Read Free

विश्वास का चीरहरण By Sudha Adesh

विश्वास का चीरहरण पिछले कुछ दिनों से रमाकांत की तबियत ठीक नहीं चल रही थी । वे सो रहे थे । नमिता ने उन्हें जगाना उचित नहीं समझा...उसने स्वयं के लिये चाय बनाई तथा बाहर बरामदे में अखब...

Read Free

जूते. By Mukesh Verma

जूते कितना वक्त गुजरा होगा ! अंदाज से लगभग पचास साल के ऊपर। लेकिन सड़क पर खुलते छज्जे पर तरतीब से रखे गमलों के हरे—पीले रंग और उनमें छोटे—छोटे पौधों में खुलते और खिलते खुशबुओं के फू...

Read Free

अपने-अपने इन्द्रधनुष - 10 By Neerja Hemendra

अपने-अपने इन्द्रधनुष (10) आज सायं कई दिनों के पश्चात् छोटी का फोन आया। उससे बातंे कर के मन में नवस्फूर्ति को संचार होने लगता है। मुझसे बातंे करते समय वह सदा प्रफुल्लित रहती है। मेर...

Read Free

प्राणांत By Deepak sharma

प्राणांत “डेथ हैज़ अ थाउज़ंड डोरज़ टू लेट आउट लाइफ/आए शैल फाइंड वन.....” --एमिली डिकिन्सन “तुम आ गईं, जीजी?” नर्सिंग होम के उस कमरे में बाबूजी के बिस्तर की बगल में बैठा भाई मुझे देखते...

Read Free

आखा तीज का ब्याह - 15 - अंतिम भाग By Ankita Bhargava

आखा तीज का ब्याह (15) आज हॉस्पिटल का शुभारम्भ था| तिलक सुबह से तैयारियों में जुटा था, नीयत समय पर समारोह शुरू हो गया था| एक बड़े से शामियाने के तले मंच पर विशिष्ट अतिथियों के बैठने...

Read Free

राम रचि राखा - 6 - 10 - अंतिम भाग By Pratap Narayan Singh

राम रचि राखा (10) मुन्नर को खिलाने के बाद रात का खाना खाकर भोला घर चला गया था। बिजली शाम को ही कट गयी थी। आजकल दिन की पारी चल रही है। मुन्नर ने लालटेन जलायी और ओसार में आ गए। उनके...

Read Free

क्या नाम दूँ ..! - 3 By Ajay Shree

क्या नाम दूँ ..! अजयश्री तृतीय अध्याय एक्सरे रिपोर्ट देखने के बाद डॉक्टर ने किरन से पैर धीरे-धीरे हिलाने को कहा | किरन कराहते हुए दोनों पैर की उँगलियाँ हिलाने की कोशिश करने लगी, पर...

Read Free

सड़क पार की खिड़कियाँ - 4 - अंतिम भाग By Nidhi agrawal

सड़क पार की खिड़कियाँ डॉ. निधि अग्रवाल (4) 'नहीं, आऊँगा। पर सज़ा गुनाह पर ही मिलनी चाहिए न। कोई गुनाह किया है क्या?' प्रेम सबसे बड़ा गुनाह है। भीतर तक तोड़ देता है। मैं कहना चाह...

Read Free