hindi Best Moral Stories Books Free And Download PDF

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Moral Stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cult...Read More


Languages
Categories
Featured Books

BOYS school WASHROOM - 5 By Akash Saxena "Ansh"

हर्षित, विशाल और राहुल प्रिंसिपल रूम से रोते हुए ही बाहर जाते हैँ तो उनकी रोनी शक्लो को देखकर पेओन उन पर तंज कस्ता है.. 'लगता है भईया हो गया काण्ड'... ये सुन कर हर्षित आग ब...

Read Free

आद्यक्रांतिवीर और हमारी जिम्मेदारी By Subhash Mandale

आद्यक्रांतिवीर और हमारी जिम्मेदारी भारत के इतिहास में कई ऐतिहासिक घटनाएं हुई हैं, जिनमें से कुछ दर्ज की गई हैं, जिनमें से कुछ पर किसी का ध्यान नहीं गया। सन 1857 के विद्रोह से पहले...

Read Free

डर By HARIYASH RAI

डर बहुत परेशान से लग रहे थे धनंजय नागर यहाँ आकर। जब-जब वे जामनगर आते तब-तब बहुत उत्साहित और प्रफुल्लित रहते। वे उन गलियों में जाते जहाँ वे अपने बचपन में गुल्ली-डंडा खेला करते थे। उ...

Read Free

छोटी मछली By padma sharma

छोटी मछली होटल से निकल कर मनेन्द्र ने दूर तक जाती सड़क का जायजा लिया । सड़क के एक ओर दुकानों की लंबी कतार थी। दुकानों के ऊपर ऊँचाइयों तक चमकते - दमकते होटल बने हुए थे। सड़क के दूसरी...

Read Free

आवारा अदाकार - 2 By Vikram Singh

आवारा अदाकार विक्रम सिंह (2) सही मायने में वह सुबह में दिखती ही नहीं थी। क्योंकि वह सुबह देर से उठती थी। दरअसल वो सुबह से ही उसे तलाशने लगता था। हालत तो यह हो गई थी कि ठंड के मौसम...

Read Free

लिव इन लॉकडाउन और पड़ोसी आत्मा - 3 By Jitendra Shivhare

लीव इन लॉकडाउन और पड़ोसी आत्मा जितेन्द्र शिवहरे (3) दरवाजे की डोर बैल बज रही थी। टीना ने मैजिक आई से झांक कर देखा। बाहर किराना सामान लेकर एक युवक खड़ा था। टीना ने दरवाजा खोल दिया।...

Read Free

आखा तीज का ब्याह - 14 By Ankita Bhargava

आखा तीज का ब्याह (14) "मम्मा! मम्मा! देखो, देखो!” वन्या का आल्हादित स्वर कानों में पड़ा तो वासंती की तंद्रा टूटी| उसे लगा जैसे वह गहरी नींद से जागी| उसने चौंक कर वन्या की और देखा वह...

Read Free

अपने-अपने इन्द्रधनुष - 9 By Neerja Hemendra

अपने-अपने इन्द्रधनुष (9) ’’ मुझे यह भी आभास हो चुका था कि वह विक्रान्त नही कोई और है, क्यों कि विक्रान्त जैसा व्यक्ति तुम्हारी पसन्द हो ही नही सकता। थोड़े से यत्न द्वारा मैंने यह जा...

Read Free

दास्तानगो - 6 - अंतिम भाग By Priyamvad

दास्तानगो प्रियंवद ६ एटिक में अब अंधेरा था। बुढ़िया ने चरखे पर काता हुआ सूत समेटना शुरू कर दिया था। अंधेरे में ही वामगुल स्टूल पर बैठ गया। पुल अभी बची हुयी चांदनी में था। दूरबीन से...

Read Free

30 शेड्स ऑफ बेला - 21 By Jayanti Ranganathan

30 शेड्स ऑफ बेला (30 दिन, तीस लेखक और एक उपन्यास) Day 21 by Priya Singh प्रिया सिंहनींद के गांव में जबसे आई है पद्मा, बस सोए जा रही है। बस घर आ कर उसने कहा था, मुझे ठंडा पानी पिला...

Read Free

जय हिन्द की सेना - 15 By Mahendra Bhishma

जय हिन्द की सेना महेन्द्र भीष्म पन्द्रह प्रातः आठ बजे के समाचारों में भारतीय सैनिक पुरस्कारों को प्राप्त करने वाले सैनिकों की सूची प्रसारित हो रही थी जिसे आँगन में धूप व नाश्ते का...

Read Free

राम रचि राखा - 6 - 9 By Pratap Narayan Singh

राम रचि राखा (9) समय पंख लगाकर उड़ जाता है। पाँच साल से ज्यादा हो चुके हैं मुन्नर को इस गाँव मे आये हुए। लेकिन आज भी जब वह दिन याद आता है तो आँखों के सामने सारे दृश्य सजीव उठते हैं।...

Read Free

बात बस इतनी सी थी - 16 By Dr kavita Tyagi

बात बस इतनी सी थी 16. अगले दिन मेरी माता जी गाँव में चली गई । गाँव में हमारा पैतृक घर था, जिसमें मेरे एक ताऊ जी रहते थे । माता जी को स्टेशन पर छोड़ने के बाद मैं घर वापिस लौटा, तो उन...

Read Free

चार चतुर की बेकार कथा By Mukesh Verma

चार चतुर की बेकार कथा वे चार थे। चारों बेकार थे। पहिले वे ऐसे नहीं थे। बचपन से ही सबके अपने कारोबार थे, जहाँ कहीं कभी कोई ना तो फिक्र थी और ना ही चिन्ता। एक साथ रहते थे। शुरूआती दि...

Read Free

मन्नतों का घर By Dr Vinita Rahurikar

मन्नतों का घर मंदिर तक ऊपर अब तो गाड़ी आज आने लगी है। एकदम मंदिर के सामने तो नहीं लेकिन नीचे के मोड़ तक। पहले तो बड़ी सड़क के पास मैदान में ही गाड़ी खड़ी करके मंदिर तक पैदल आना पड़...

Read Free

लहराता चाँद - 3 By Lata tejeswar renuka

लहराता चाँद लता तेजेश्वर 'रेणुका' 3 माथेरान से लौटने के बाद से संजय को रम्या में बहुत बदलाव महसूस हुआ। कभी खोई-खोई नज़र आती तो कभी वह किसी भी छोटी-छोटी बातों से घबराने लगती।...

Read Free

उलझन - 6 By Amita Dubey

उलझन डॉ. अमिता दुबे छः अंशी ने जैसे कुछ सुना ही नहीं आगे बताने लगी - ‘एक दिन एक अंकल जी को मुहावरा मिला - ‘थाली का बैगन’ वे बेचारे समझाते-समझाते हार गये लेकिन आण्टी जी थाली और बैगन...

Read Free

गूगल बॉय - 10 By Madhukant

गूगल बॉय (रक्तदान जागृति का किशोर उपन्यास) मधुकांत खण्ड - 10 मशीन ख़रीदने के लिये गया तो गूगल अपने साथ एक गिन्नी भी ले गया। दुकान का सामान ख़रीदकर वह सुनार की दुकान पर आ गया। उसका...

Read Free

टोहा टोही By Deepak sharma

टोहा टोही ड्राइवर नया था और रास्ता भूल रहा था| मैंने कोई आपत्ति न की| एक अज़नबी गोल, ऊँची इमारत के पोर्च में पहुँचकर उसने अपनी एंबेसेडर कार खड़ी कर दी और मेरे सम्मान में अपनी सीट छोड़...

Read Free

जिंदगी मेरे घर आना - 13 By Rashmi Ravija

जिंदगी मेरे घर आना भाग – 13 नए सिरे से किताब में मन लगाने की कोशिश कर ही रही थी कि बुआ आती दीखीं। हाथ में उनके एक फोटो था। देखते ही बिफर पड़ी। ‘बुआ! मैंने कह दिया है न‘ ‘तूने जो कह...

Read Free

इक समंदर मेरे अंदर - 15 By Madhu Arora

इक समंदर मेरे अंदर मधु अरोड़ा (15) वसई का यह घर बीच बाज़ार में था। खासी चहल पहल रहती थी रात के ग्‍यारह बजे तक। ज़रूरत की सभी चीज़ें आसपास मिल जाती थीं। एक क्लिनिक भी था...यानी अम्‍...

Read Free

गवाक्ष - 33 By Pranava Bharti

गवाक्ष 33== अक्षरा काफी संभल चुकी थी किन्तु यह कोई भुला देने वाली घटना नहीं थी । उसके साथ जो दुर्घटना हो चुकी थी, अब उसमें बदलाव नहीं हो सकता था लेकिन इसके आगे कोई तो ऐसा...

Read Free

सुरतिया - 4 By vandana A dubey

सरोज और सुधीर, दोनों का ही महीने के पहले हफ़्ते में मूड अच्छा रहता है, तब तक, जब तक बाउजी ने पैसा नहीं दिया . उसके बाद फिर रोज़ के ढर्रे पर ही उनका मूड भी चलने लगता है. लेकिन ये बुरा...

Read Free

आपत्ति क्यों आख़िर ?? By Pranava Bharti

आपत्ति क्यों आख़िर ??--------------------------- भ्रमित होने की कोई बात तो नहीं थी ,मन ही तो है ---हो जाता है भ्रमित ! होता ही रहता है ---दुःख -सुख के ऊंचे-नीचे टोलों के बीच फँ...

Read Free

फिर महकेगा जीवन By padma sharma

उपहार सतीश ने बिस्तर पर लेटे - लेटे दीवार घड़ी पर नजर डाली सात बज गये थे । आज बिरजू नहीं आया वर्ना बर्तनों की आवाज आने लगती । सतीश अलसाये हुए बिस्तर पर ही लेटे रहे। चाय पीने की ललक...

Read Free

पहला कदम By Pavitra Agarwal

पहला कदम पवित्रा अग्रवाल आज बुआ फिर आई थीं. बुझा बुझा सा मन, शिथिल सा तन, भावहीन चेहरा देख कर मैं दुखी हो जाती हूँ. जब फूफाजी जीवित थे, एक स्निग्ध सी मुस्कराहट बुआ के व्यक्तित्व का...

Read Free

पटना से चिट्ठी आई By Dr Shilpi Jha

हर कहानी की किस्मत में एक अदद शुरुआत और मुकम्मल अंत नहीं होता। कुछ वृत में तरह घूमते रहने को अभिशप्त भी होती हैं। छोटे शहर के अनाम मुहल्ले में जब हम बड़े हो रहे होते हैं तो अक्सर ए...

Read Free

गूंगा गाँव - 14 समाप्त By रामगोपाल तिवारी (भावुक)

चौदह गूंगा गाँव 14 जनजीवन से जुड़ी कथायें ही भारत की सच्ची तस्वीर है।’ यह बात हमारे मन-मस्तिष्क में उठती रही है। किन्तु इस प्रश्न को हल करने से पहले म...

Read Free

प्रतिदान By Raja Singh

प्रतिदान राजा सिंह साहेब का ट्रान्सफर हो गया था, उनके चेहरे से प्रसन्नता निकल-निकल रही थी। शारीरिक भाषा बया कर रही थी कि वह कितने प्रसन्न है। वह अपने घर गाजियाबाद जा रहे थे, अपने ब...

Read Free

छठी By Deepak sharma

छठी गाड़ी अभी बालामऊ में ही थी जब माँ ने सीट के नीचे से सारा सामान निकालकर हमें सब समझा दिया- दोनों थैले सुमन के जिम्मे रहेंगे और खाने की टोकरी के साथ पानी का डिब्बा सुरेश के| लोहे...

Read Free

BOYS school WASHROOM - 5 By Akash Saxena "Ansh"

हर्षित, विशाल और राहुल प्रिंसिपल रूम से रोते हुए ही बाहर जाते हैँ तो उनकी रोनी शक्लो को देखकर पेओन उन पर तंज कस्ता है.. 'लगता है भईया हो गया काण्ड'... ये सुन कर हर्षित आग ब...

Read Free

आद्यक्रांतिवीर और हमारी जिम्मेदारी By Subhash Mandale

आद्यक्रांतिवीर और हमारी जिम्मेदारी भारत के इतिहास में कई ऐतिहासिक घटनाएं हुई हैं, जिनमें से कुछ दर्ज की गई हैं, जिनमें से कुछ पर किसी का ध्यान नहीं गया। सन 1857 के विद्रोह से पहले...

Read Free

डर By HARIYASH RAI

डर बहुत परेशान से लग रहे थे धनंजय नागर यहाँ आकर। जब-जब वे जामनगर आते तब-तब बहुत उत्साहित और प्रफुल्लित रहते। वे उन गलियों में जाते जहाँ वे अपने बचपन में गुल्ली-डंडा खेला करते थे। उ...

Read Free

छोटी मछली By padma sharma

छोटी मछली होटल से निकल कर मनेन्द्र ने दूर तक जाती सड़क का जायजा लिया । सड़क के एक ओर दुकानों की लंबी कतार थी। दुकानों के ऊपर ऊँचाइयों तक चमकते - दमकते होटल बने हुए थे। सड़क के दूसरी...

Read Free

आवारा अदाकार - 2 By Vikram Singh

आवारा अदाकार विक्रम सिंह (2) सही मायने में वह सुबह में दिखती ही नहीं थी। क्योंकि वह सुबह देर से उठती थी। दरअसल वो सुबह से ही उसे तलाशने लगता था। हालत तो यह हो गई थी कि ठंड के मौसम...

Read Free

लिव इन लॉकडाउन और पड़ोसी आत्मा - 3 By Jitendra Shivhare

लीव इन लॉकडाउन और पड़ोसी आत्मा जितेन्द्र शिवहरे (3) दरवाजे की डोर बैल बज रही थी। टीना ने मैजिक आई से झांक कर देखा। बाहर किराना सामान लेकर एक युवक खड़ा था। टीना ने दरवाजा खोल दिया।...

Read Free

आखा तीज का ब्याह - 14 By Ankita Bhargava

आखा तीज का ब्याह (14) "मम्मा! मम्मा! देखो, देखो!” वन्या का आल्हादित स्वर कानों में पड़ा तो वासंती की तंद्रा टूटी| उसे लगा जैसे वह गहरी नींद से जागी| उसने चौंक कर वन्या की और देखा वह...

Read Free

अपने-अपने इन्द्रधनुष - 9 By Neerja Hemendra

अपने-अपने इन्द्रधनुष (9) ’’ मुझे यह भी आभास हो चुका था कि वह विक्रान्त नही कोई और है, क्यों कि विक्रान्त जैसा व्यक्ति तुम्हारी पसन्द हो ही नही सकता। थोड़े से यत्न द्वारा मैंने यह जा...

Read Free

दास्तानगो - 6 - अंतिम भाग By Priyamvad

दास्तानगो प्रियंवद ६ एटिक में अब अंधेरा था। बुढ़िया ने चरखे पर काता हुआ सूत समेटना शुरू कर दिया था। अंधेरे में ही वामगुल स्टूल पर बैठ गया। पुल अभी बची हुयी चांदनी में था। दूरबीन से...

Read Free

30 शेड्स ऑफ बेला - 21 By Jayanti Ranganathan

30 शेड्स ऑफ बेला (30 दिन, तीस लेखक और एक उपन्यास) Day 21 by Priya Singh प्रिया सिंहनींद के गांव में जबसे आई है पद्मा, बस सोए जा रही है। बस घर आ कर उसने कहा था, मुझे ठंडा पानी पिला...

Read Free

जय हिन्द की सेना - 15 By Mahendra Bhishma

जय हिन्द की सेना महेन्द्र भीष्म पन्द्रह प्रातः आठ बजे के समाचारों में भारतीय सैनिक पुरस्कारों को प्राप्त करने वाले सैनिकों की सूची प्रसारित हो रही थी जिसे आँगन में धूप व नाश्ते का...

Read Free

राम रचि राखा - 6 - 9 By Pratap Narayan Singh

राम रचि राखा (9) समय पंख लगाकर उड़ जाता है। पाँच साल से ज्यादा हो चुके हैं मुन्नर को इस गाँव मे आये हुए। लेकिन आज भी जब वह दिन याद आता है तो आँखों के सामने सारे दृश्य सजीव उठते हैं।...

Read Free

बात बस इतनी सी थी - 16 By Dr kavita Tyagi

बात बस इतनी सी थी 16. अगले दिन मेरी माता जी गाँव में चली गई । गाँव में हमारा पैतृक घर था, जिसमें मेरे एक ताऊ जी रहते थे । माता जी को स्टेशन पर छोड़ने के बाद मैं घर वापिस लौटा, तो उन...

Read Free

चार चतुर की बेकार कथा By Mukesh Verma

चार चतुर की बेकार कथा वे चार थे। चारों बेकार थे। पहिले वे ऐसे नहीं थे। बचपन से ही सबके अपने कारोबार थे, जहाँ कहीं कभी कोई ना तो फिक्र थी और ना ही चिन्ता। एक साथ रहते थे। शुरूआती दि...

Read Free

मन्नतों का घर By Dr Vinita Rahurikar

मन्नतों का घर मंदिर तक ऊपर अब तो गाड़ी आज आने लगी है। एकदम मंदिर के सामने तो नहीं लेकिन नीचे के मोड़ तक। पहले तो बड़ी सड़क के पास मैदान में ही गाड़ी खड़ी करके मंदिर तक पैदल आना पड़...

Read Free

लहराता चाँद - 3 By Lata tejeswar renuka

लहराता चाँद लता तेजेश्वर 'रेणुका' 3 माथेरान से लौटने के बाद से संजय को रम्या में बहुत बदलाव महसूस हुआ। कभी खोई-खोई नज़र आती तो कभी वह किसी भी छोटी-छोटी बातों से घबराने लगती।...

Read Free

उलझन - 6 By Amita Dubey

उलझन डॉ. अमिता दुबे छः अंशी ने जैसे कुछ सुना ही नहीं आगे बताने लगी - ‘एक दिन एक अंकल जी को मुहावरा मिला - ‘थाली का बैगन’ वे बेचारे समझाते-समझाते हार गये लेकिन आण्टी जी थाली और बैगन...

Read Free

गूगल बॉय - 10 By Madhukant

गूगल बॉय (रक्तदान जागृति का किशोर उपन्यास) मधुकांत खण्ड - 10 मशीन ख़रीदने के लिये गया तो गूगल अपने साथ एक गिन्नी भी ले गया। दुकान का सामान ख़रीदकर वह सुनार की दुकान पर आ गया। उसका...

Read Free

टोहा टोही By Deepak sharma

टोहा टोही ड्राइवर नया था और रास्ता भूल रहा था| मैंने कोई आपत्ति न की| एक अज़नबी गोल, ऊँची इमारत के पोर्च में पहुँचकर उसने अपनी एंबेसेडर कार खड़ी कर दी और मेरे सम्मान में अपनी सीट छोड़...

Read Free

जिंदगी मेरे घर आना - 13 By Rashmi Ravija

जिंदगी मेरे घर आना भाग – 13 नए सिरे से किताब में मन लगाने की कोशिश कर ही रही थी कि बुआ आती दीखीं। हाथ में उनके एक फोटो था। देखते ही बिफर पड़ी। ‘बुआ! मैंने कह दिया है न‘ ‘तूने जो कह...

Read Free

इक समंदर मेरे अंदर - 15 By Madhu Arora

इक समंदर मेरे अंदर मधु अरोड़ा (15) वसई का यह घर बीच बाज़ार में था। खासी चहल पहल रहती थी रात के ग्‍यारह बजे तक। ज़रूरत की सभी चीज़ें आसपास मिल जाती थीं। एक क्लिनिक भी था...यानी अम्‍...

Read Free

गवाक्ष - 33 By Pranava Bharti

गवाक्ष 33== अक्षरा काफी संभल चुकी थी किन्तु यह कोई भुला देने वाली घटना नहीं थी । उसके साथ जो दुर्घटना हो चुकी थी, अब उसमें बदलाव नहीं हो सकता था लेकिन इसके आगे कोई तो ऐसा...

Read Free

सुरतिया - 4 By vandana A dubey

सरोज और सुधीर, दोनों का ही महीने के पहले हफ़्ते में मूड अच्छा रहता है, तब तक, जब तक बाउजी ने पैसा नहीं दिया . उसके बाद फिर रोज़ के ढर्रे पर ही उनका मूड भी चलने लगता है. लेकिन ये बुरा...

Read Free

आपत्ति क्यों आख़िर ?? By Pranava Bharti

आपत्ति क्यों आख़िर ??--------------------------- भ्रमित होने की कोई बात तो नहीं थी ,मन ही तो है ---हो जाता है भ्रमित ! होता ही रहता है ---दुःख -सुख के ऊंचे-नीचे टोलों के बीच फँ...

Read Free

फिर महकेगा जीवन By padma sharma

उपहार सतीश ने बिस्तर पर लेटे - लेटे दीवार घड़ी पर नजर डाली सात बज गये थे । आज बिरजू नहीं आया वर्ना बर्तनों की आवाज आने लगती । सतीश अलसाये हुए बिस्तर पर ही लेटे रहे। चाय पीने की ललक...

Read Free

पहला कदम By Pavitra Agarwal

पहला कदम पवित्रा अग्रवाल आज बुआ फिर आई थीं. बुझा बुझा सा मन, शिथिल सा तन, भावहीन चेहरा देख कर मैं दुखी हो जाती हूँ. जब फूफाजी जीवित थे, एक स्निग्ध सी मुस्कराहट बुआ के व्यक्तित्व का...

Read Free

पटना से चिट्ठी आई By Dr Shilpi Jha

हर कहानी की किस्मत में एक अदद शुरुआत और मुकम्मल अंत नहीं होता। कुछ वृत में तरह घूमते रहने को अभिशप्त भी होती हैं। छोटे शहर के अनाम मुहल्ले में जब हम बड़े हो रहे होते हैं तो अक्सर ए...

Read Free

गूंगा गाँव - 14 समाप्त By रामगोपाल तिवारी (भावुक)

चौदह गूंगा गाँव 14 जनजीवन से जुड़ी कथायें ही भारत की सच्ची तस्वीर है।’ यह बात हमारे मन-मस्तिष्क में उठती रही है। किन्तु इस प्रश्न को हल करने से पहले म...

Read Free

प्रतिदान By Raja Singh

प्रतिदान राजा सिंह साहेब का ट्रान्सफर हो गया था, उनके चेहरे से प्रसन्नता निकल-निकल रही थी। शारीरिक भाषा बया कर रही थी कि वह कितने प्रसन्न है। वह अपने घर गाजियाबाद जा रहे थे, अपने ब...

Read Free

छठी By Deepak sharma

छठी गाड़ी अभी बालामऊ में ही थी जब माँ ने सीट के नीचे से सारा सामान निकालकर हमें सब समझा दिया- दोनों थैले सुमन के जिम्मे रहेंगे और खाने की टोकरी के साथ पानी का डिब्बा सुरेश के| लोहे...

Read Free