hindi Best Moral Stories Books Free And Download PDF

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Moral Stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cult...Read More


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  • काला धन

    मैं घर से दूकान की तरफ जा रहा था । सुबह का खुशनुमा मौसम था । सडकों पर शोर शराबा...

  • इमली की चटनी में गुड़ की मिठास - 7

    भाग-7 चन्द्रेश ने लौटते समय उसकी कार में चलने का आग्रह किया।पहले तो शालिनी झिझकी...

  • जगत बा

    जगत बा [ नीलम कुलश्रेष्ठ ] कुछ बरस पहले मैंने अपने सरकारी घर के पीछे के कम्पाउंड...

बिटवा आ गवा... लॉकडाउन By Sunita Bishnolia

पूनम की रात में जवान होने को आतुर चाँद को एकटक देखती रजनी के देखते ही देखते चाँद आसमान में अपनी आभा बिखरे चुका था। लंबे समय से पैदल चलने की वज़ह से रजनी का गौर वर्ण भी कांतिहीन...

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कालचक्र By श्रुत कीर्ति अग्रवाल

कालचक्र उस दिन अचानक आशीष का फोन आया। न जाने कितने समय बाद उसकी आवाज़ कान में पड़ी थी। ये मेरे इकलौते बेटे की आवाज़ थी... उस बेटे की, जिसे बनाने में हमने अपना पूरा जीवन ही लगा दिया...

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चिराग़-गुल By Deepak sharma

चिराग़-गुल बहन की मृत्यु का समाचार मुझे टेलीफोन पर मिला. पत्नी और मैं उस समय एक विशेष पार्टी के लिए निकल रहे थे. पत्नी शीशे के सामने अपना अन्तिम निरीक्षण कर रही थी और मैं तैयार कबाब...

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काला धन By राज कुमार कांदु

मैं घर से दूकान की तरफ जा रहा था । सुबह का खुशनुमा मौसम था । सडकों पर शोर शराबा लगभग नहीं होता है । अपनी धुन में चलते हुए मुझे किसी की बड़ी ही महीन सी आवाज सुनाई पड़ी ” अरे जनाब ! सु...

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इमली की चटनी में गुड़ की मिठास - 7 By Shivani Jaipur

भाग-7 चन्द्रेश ने लौटते समय उसकी कार में चलने का आग्रह किया।पहले तो शालिनी झिझकी पर फिर उसे लगा चन्द्रेश के साथ थोड़ा सा और वक्त बिताने को मिल रहा ये खूबसूरत मौका हाथ से जाने नहीं...

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जगत बा By Neelam Kulshreshtha

जगत बा [ नीलम कुलश्रेष्ठ ] कुछ बरस पहले मैंने अपने सरकारी घर के पीछे के कम्पाउंड में खुलने वाला दरवाज़ा खोला था, देखा वे हैं -बा, दो कपडों के लम्बे थैलों में वे अपनी कपड़े ठूंसे खड़ी...

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लता सांध्य-गृह - 8 By Rama Sharma Manavi

पूर्व कथा जानने के लिए पिछले अध्याय अवश्य पढ़ें। आठवां अध्याय----------------- गतांक से आगे…. --------------- शोभिता की कक्ष साथी थीं विमलेश जी,पैंसठ वर्षीया, रिटायर्ड प...

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मिशन सिफर - 14 By Ramakant Sharma

14. पता नहीं वह कितनी देर तक सोता रहा था। खिचड़ी लेकर आई नुसरत ने ही उसे उठाया था और पूछा था – “अब कैसा लग रहा है?” “बुखार तो कम हुआ है, पर कमजोरी बहुत महसूस...

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बेनज़ीर - दरिया किनारे का ख्वाब - 11 By Pradeep Shrivastava

भाग - ११ मैं घूमना चाहती थी। खूब देर तक घूमना चाहती थी। रास्ते भर कई बार मैंने बहुत लोगों की तरफ देखा कि, लोग मुझे देख तो नहीं रहे हैं। मैं दोनों हाथों में सामान लिए हुई थी। और आगे...

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तीसरे लोग - 7 By Geetanjali Chatterjee

7. ट्रैन शायद किसी बड़े जंक्शन पर रुकी थी। किसना की अंतड़ियां मारे भूख और प्यास के सिकुड़ गई थी। जेब में पैसे तो थे, पर उतरने की हिम्मत और ताकत नहीं थी उसकी भीतर। बगल में बैठे सहयात्र...

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आ अब लौट चलें By Abdul Gaffar

आ अब लौट चलें। (कहानी)लेखक - अब्दुल ग़फ़्फ़ार उस समय मैं दिल्ली में पढ़ाई कर रहा था जब धर्मा के मरने की ख़बर मिली। उसे गेहुअन सांप ने डंस लिया था। धर्मा कोई मेरा सगा संबंधी तो नही...

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अपने-अपने कारागृह - 11 By Sudha Adesh

अपने-अपने कारागृह-10 थोड़ी ही देर में ही अपनी जगह पर आकर विमान रुक गया ,.। विमान का गेट खुलते ही यात्री एक-एक करके उतरने लगे । गेट पर परिचारिका हाथ जोड़कर अभिवादन करते हुए सभी या...

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पत्थर की मूरत By राज कुमार कांदु

छमाही इम्तिहान के नतीजे घोषित हो चुके थे । कमल को सत्तर प्रतिशत अंक मिले थे । अपने इस प्रदर्शन से वह स्वयं ही काफी निराश था । लेकिन वह इससे भी ज्यादा परेशान था परिचित लोगों के अफ़सो...

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मुझे पंख दे दो By Ila Singh

मुझे पंख दे दो।*************घड़ी की तरफ नजर गई तो चौंक उठी ,अरे साढ़े दस बज गए ;आशा नहीं आई अभी तक ,आसमान तो एकदम साफ है ,बारिश के कोई आसार भी नजर नहीं आ रहे ,हालांकि मौसम बारिश का...

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मिरगी By Deepak sharma

मिरगी उस निजी अस्पताल के न्यूरोलॉजी विभाग का चार्ज लेने के कुछ ही दिनों बाद कुन्ती का केस मेरे पास आया था| “यह पर्ची यहीं के एक वार्ड बॉय की भतीजी की है, मैम|” उस दिन क...

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नई दिशा By Sudha Adesh

नई दिशा ‘ मेरी मृत्यु के पश्चात् मेरा शरीर दान कर दिया जाये ।’ अमित शंकर की इस कथन को सुनकर जहाँ सचिन तथा चेतना अवाक् रह गये वहीं उनकी पत्नी अमला ने रोना प्रारंभ कर दिया । उस स...

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BOYS school WASHROOM - 10 By Akash Saxena "Ansh"

""सुनो प्रज्ञा मै समझता हूँ तुम्हे क्या महसूस हो रहा है और मै भी वही महसूस कर रहा हूँ जो तुम महसूस कर रही हो, लेकिन मेरी तरह तुम्हें भी ये समझना होगा की यश अब बच्चा नहीं रहा, वो जा...

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ठुल कुड़ी (बड़ा घर) By डा.कुसुम जोशी

#ठुल_कुड़ी (बड़ा घर) फिर उसने हमेशा कि तरह आमा से चिरौरी की "ठुल कुड़ी" दिखा दो आमा..परसों कॉलेज खुल जायेगा और वो शहर चली जायेगी", कितने सालों से वो चाहती थी कि पहाड़ी गांव...

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जर्जर आधार By Ramnarayan Sungariya

कहानी-- जर्जर आधार...

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आपकी आराधना - 21 - अंतिम भाग By Pushpendra Kumar Patel

कमला ने एक बार फिर आराधना के पैर पकड़ लिये और रो -रो कर माफी माँगती रही। आराधना तो पत्थर की तरह कठोर हो चुकी थी, उसका मन अंकल और मनीष की यादों मे ही खो गया। वह कुछ बोलने की स्थिति म...

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चमड़े का अहाता By Deepak sharma

चमड़े का अहाता शहर की सबसे पुरानी हाइड-मारकिट हमारी थी. हमारा अहाता बहुत बड़ा था. हम चमड़े का व्यापार करते थे. मरे हुए जानवरों की खालें हम खरीदते और उन्हें चमड़ा बनाकर बेचते. हमारा काम...

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बच्चों का डर By रामगोपाल तिवारी

इन कहानियों की कहानी कहानी को समझने के लिए जीवन को समझना आवश्यक है। जीवन जितना कोमल और सख्त होता है, कहानी का रूप-स्वरूप भी करीब-करीब ऐसा ही होता है। कहानी पाठक को अपने से...

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तीन शराबी. By Shiv Shanker Gahlot

तीन शराबी लेखक - जी शिवशंकर दिल्ली के सरकारी दफ्तरों के बहुत सारे कमरे शाम 6 बजे के बाद मेकशिफ्ट बार में बदल जाते हैं । चपरासी पांच साढ़े पांच बजते-बजते अद्धा,...

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द्वन्‍द्व By Ramnarayan Sungariya

कहानी-- द्वन्‍द्व...

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मुरमुरा के लड्डू By रामगोपाल तिवारी

इन कहानियों की कहानी कहानी को समझने के लिए जीवन को समझना आवश्यक है। जीवन जितना कोमल और सख्त होता है, कहानी का रूप-स्वरूप भी करीब-करीब ऐसा ही होता है। कहानी पाठक को अपने...

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टूटा कप By Sudha Adesh

टूटा कप ‘‘विनी, दिव्या का विवाह पास आ गया है, पहले सोच रही थी सब काम समय से निबट जाएंगे पर ऐसा नहीं हो पा रहा है । थोड़ा जल्दी आ सको तो अच्छा है. बहुत काम है, समझ नहीं पा रही हूँ क...

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करवा चौथ By Anil jaiswal

‘नाम बताओ।’‘जी, राम रूप शाह।’‘उम्र क्या है?’‘चालीस साल।’‘पहले क्या करते थे?’‘जी, फौज में था।’कंवल सिक्यरिटीज की रिसेप्सनिस्ट रीना ने सिर उठाकर उसे फिर से ध्यान से देखा, कुछ-कुछ नजर...

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एक कदम आगे By Akhilesh Srivastava

कहानी एक कदम आगे...

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कल के रक्षक By Ramnarayan Sungariya

कहानी कल के रक्षक आर. एन. सुनगरया,...

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बिटवा आ गवा... लॉकडाउन By Sunita Bishnolia

पूनम की रात में जवान होने को आतुर चाँद को एकटक देखती रजनी के देखते ही देखते चाँद आसमान में अपनी आभा बिखरे चुका था। लंबे समय से पैदल चलने की वज़ह से रजनी का गौर वर्ण भी कांतिहीन...

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कालचक्र By श्रुत कीर्ति अग्रवाल

कालचक्र उस दिन अचानक आशीष का फोन आया। न जाने कितने समय बाद उसकी आवाज़ कान में पड़ी थी। ये मेरे इकलौते बेटे की आवाज़ थी... उस बेटे की, जिसे बनाने में हमने अपना पूरा जीवन ही लगा दिया...

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चिराग़-गुल By Deepak sharma

चिराग़-गुल बहन की मृत्यु का समाचार मुझे टेलीफोन पर मिला. पत्नी और मैं उस समय एक विशेष पार्टी के लिए निकल रहे थे. पत्नी शीशे के सामने अपना अन्तिम निरीक्षण कर रही थी और मैं तैयार कबाब...

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काला धन By राज कुमार कांदु

मैं घर से दूकान की तरफ जा रहा था । सुबह का खुशनुमा मौसम था । सडकों पर शोर शराबा लगभग नहीं होता है । अपनी धुन में चलते हुए मुझे किसी की बड़ी ही महीन सी आवाज सुनाई पड़ी ” अरे जनाब ! सु...

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इमली की चटनी में गुड़ की मिठास - 7 By Shivani Jaipur

भाग-7 चन्द्रेश ने लौटते समय उसकी कार में चलने का आग्रह किया।पहले तो शालिनी झिझकी पर फिर उसे लगा चन्द्रेश के साथ थोड़ा सा और वक्त बिताने को मिल रहा ये खूबसूरत मौका हाथ से जाने नहीं...

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जगत बा By Neelam Kulshreshtha

जगत बा [ नीलम कुलश्रेष्ठ ] कुछ बरस पहले मैंने अपने सरकारी घर के पीछे के कम्पाउंड में खुलने वाला दरवाज़ा खोला था, देखा वे हैं -बा, दो कपडों के लम्बे थैलों में वे अपनी कपड़े ठूंसे खड़ी...

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लता सांध्य-गृह - 8 By Rama Sharma Manavi

पूर्व कथा जानने के लिए पिछले अध्याय अवश्य पढ़ें। आठवां अध्याय----------------- गतांक से आगे…. --------------- शोभिता की कक्ष साथी थीं विमलेश जी,पैंसठ वर्षीया, रिटायर्ड प...

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मिशन सिफर - 14 By Ramakant Sharma

14. पता नहीं वह कितनी देर तक सोता रहा था। खिचड़ी लेकर आई नुसरत ने ही उसे उठाया था और पूछा था – “अब कैसा लग रहा है?” “बुखार तो कम हुआ है, पर कमजोरी बहुत महसूस...

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बेनज़ीर - दरिया किनारे का ख्वाब - 11 By Pradeep Shrivastava

भाग - ११ मैं घूमना चाहती थी। खूब देर तक घूमना चाहती थी। रास्ते भर कई बार मैंने बहुत लोगों की तरफ देखा कि, लोग मुझे देख तो नहीं रहे हैं। मैं दोनों हाथों में सामान लिए हुई थी। और आगे...

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तीसरे लोग - 7 By Geetanjali Chatterjee

7. ट्रैन शायद किसी बड़े जंक्शन पर रुकी थी। किसना की अंतड़ियां मारे भूख और प्यास के सिकुड़ गई थी। जेब में पैसे तो थे, पर उतरने की हिम्मत और ताकत नहीं थी उसकी भीतर। बगल में बैठे सहयात्र...

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आ अब लौट चलें By Abdul Gaffar

आ अब लौट चलें। (कहानी)लेखक - अब्दुल ग़फ़्फ़ार उस समय मैं दिल्ली में पढ़ाई कर रहा था जब धर्मा के मरने की ख़बर मिली। उसे गेहुअन सांप ने डंस लिया था। धर्मा कोई मेरा सगा संबंधी तो नही...

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अपने-अपने कारागृह - 11 By Sudha Adesh

अपने-अपने कारागृह-10 थोड़ी ही देर में ही अपनी जगह पर आकर विमान रुक गया ,.। विमान का गेट खुलते ही यात्री एक-एक करके उतरने लगे । गेट पर परिचारिका हाथ जोड़कर अभिवादन करते हुए सभी या...

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पत्थर की मूरत By राज कुमार कांदु

छमाही इम्तिहान के नतीजे घोषित हो चुके थे । कमल को सत्तर प्रतिशत अंक मिले थे । अपने इस प्रदर्शन से वह स्वयं ही काफी निराश था । लेकिन वह इससे भी ज्यादा परेशान था परिचित लोगों के अफ़सो...

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मुझे पंख दे दो By Ila Singh

मुझे पंख दे दो।*************घड़ी की तरफ नजर गई तो चौंक उठी ,अरे साढ़े दस बज गए ;आशा नहीं आई अभी तक ,आसमान तो एकदम साफ है ,बारिश के कोई आसार भी नजर नहीं आ रहे ,हालांकि मौसम बारिश का...

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मिरगी By Deepak sharma

मिरगी उस निजी अस्पताल के न्यूरोलॉजी विभाग का चार्ज लेने के कुछ ही दिनों बाद कुन्ती का केस मेरे पास आया था| “यह पर्ची यहीं के एक वार्ड बॉय की भतीजी की है, मैम|” उस दिन क...

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नई दिशा By Sudha Adesh

नई दिशा ‘ मेरी मृत्यु के पश्चात् मेरा शरीर दान कर दिया जाये ।’ अमित शंकर की इस कथन को सुनकर जहाँ सचिन तथा चेतना अवाक् रह गये वहीं उनकी पत्नी अमला ने रोना प्रारंभ कर दिया । उस स...

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BOYS school WASHROOM - 10 By Akash Saxena "Ansh"

""सुनो प्रज्ञा मै समझता हूँ तुम्हे क्या महसूस हो रहा है और मै भी वही महसूस कर रहा हूँ जो तुम महसूस कर रही हो, लेकिन मेरी तरह तुम्हें भी ये समझना होगा की यश अब बच्चा नहीं रहा, वो जा...

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ठुल कुड़ी (बड़ा घर) By डा.कुसुम जोशी

#ठुल_कुड़ी (बड़ा घर) फिर उसने हमेशा कि तरह आमा से चिरौरी की "ठुल कुड़ी" दिखा दो आमा..परसों कॉलेज खुल जायेगा और वो शहर चली जायेगी", कितने सालों से वो चाहती थी कि पहाड़ी गांव...

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जर्जर आधार By Ramnarayan Sungariya

कहानी-- जर्जर आधार...

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आपकी आराधना - 21 - अंतिम भाग By Pushpendra Kumar Patel

कमला ने एक बार फिर आराधना के पैर पकड़ लिये और रो -रो कर माफी माँगती रही। आराधना तो पत्थर की तरह कठोर हो चुकी थी, उसका मन अंकल और मनीष की यादों मे ही खो गया। वह कुछ बोलने की स्थिति म...

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चमड़े का अहाता By Deepak sharma

चमड़े का अहाता शहर की सबसे पुरानी हाइड-मारकिट हमारी थी. हमारा अहाता बहुत बड़ा था. हम चमड़े का व्यापार करते थे. मरे हुए जानवरों की खालें हम खरीदते और उन्हें चमड़ा बनाकर बेचते. हमारा काम...

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बच्चों का डर By रामगोपाल तिवारी

इन कहानियों की कहानी कहानी को समझने के लिए जीवन को समझना आवश्यक है। जीवन जितना कोमल और सख्त होता है, कहानी का रूप-स्वरूप भी करीब-करीब ऐसा ही होता है। कहानी पाठक को अपने से...

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तीन शराबी. By Shiv Shanker Gahlot

तीन शराबी लेखक - जी शिवशंकर दिल्ली के सरकारी दफ्तरों के बहुत सारे कमरे शाम 6 बजे के बाद मेकशिफ्ट बार में बदल जाते हैं । चपरासी पांच साढ़े पांच बजते-बजते अद्धा,...

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द्वन्‍द्व By Ramnarayan Sungariya

कहानी-- द्वन्‍द्व...

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मुरमुरा के लड्डू By रामगोपाल तिवारी

इन कहानियों की कहानी कहानी को समझने के लिए जीवन को समझना आवश्यक है। जीवन जितना कोमल और सख्त होता है, कहानी का रूप-स्वरूप भी करीब-करीब ऐसा ही होता है। कहानी पाठक को अपने...

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टूटा कप By Sudha Adesh

टूटा कप ‘‘विनी, दिव्या का विवाह पास आ गया है, पहले सोच रही थी सब काम समय से निबट जाएंगे पर ऐसा नहीं हो पा रहा है । थोड़ा जल्दी आ सको तो अच्छा है. बहुत काम है, समझ नहीं पा रही हूँ क...

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करवा चौथ By Anil jaiswal

‘नाम बताओ।’‘जी, राम रूप शाह।’‘उम्र क्या है?’‘चालीस साल।’‘पहले क्या करते थे?’‘जी, फौज में था।’कंवल सिक्यरिटीज की रिसेप्सनिस्ट रीना ने सिर उठाकर उसे फिर से ध्यान से देखा, कुछ-कुछ नजर...

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एक कदम आगे By Akhilesh Srivastava

कहानी एक कदम आगे...

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कल के रक्षक By Ramnarayan Sungariya

कहानी कल के रक्षक आर. एन. सुनगरया,...

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