hindi Best Moral Stories Books Free And Download PDF

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Moral Stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cult...Read More


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  • एक दुनिया अजनबी - 22

    एक दुनिया अजनबी 22- विभा को अच्छा नहीं लगा, बंसी काका उसके दादा के ज़माने से उनके...

  • सुलझे...अनसुलझे - 22

    सुलझे...अनसुलझे संघर्ष ------- यह बात सन २००५ की बात रही होगी जब मैं जोधपुर के र...

  • लहराता चाँद - 33

    लहराता चाँद लता तेजेश्वर 'रेणुका' 33 दूसरे दिन सुबह दुर्योधन संजय से मिल...

एक दुनिया अजनबी - 22 By Pranava Bharti

एक दुनिया अजनबी 22- विभा को अच्छा नहीं लगा, बंसी काका उसके दादा के ज़माने से उनके घर में थे, उन्होंने अपनी सारी ज़िंदगी उस परिवार के नाम कर दी थी | घर में उन्हें कोई नौकर नहीं समझता...

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सुलझे...अनसुलझे - 22 By Pragati Gupta

सुलझे...अनसुलझे संघर्ष ------- यह बात सन २००५ की बात रही होगी जब मैं जोधपुर के रेलवे स्टेशन से जोधपुर-हावड़ा ट्रेन में अपनी बेटियों प्राची और प्रज्ञा को अपने साथ लेकर आगरा की यात्रा...

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लहराता चाँद - 33 By Lata tejeswar renuka

लहराता चाँद लता तेजेश्वर 'रेणुका' 33 दूसरे दिन सुबह दुर्योधन संजय से मिलने आया। उसे पता था इस वक्त संजय को हौसले की और बच्चों को सही सुझाव की जरूरत है। वरना इतने लंबी समय त...

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अब और नहीं... By Neelima Tikku

अब और नहीं... कड़ाके की ठंड में चारों ओर घना कोहरा छाया हुआ था। हाथ को हाथ नहीं सूझ रहा था। ऐसे में उसकी मज़बूरी को समझता हुआ वृद्ध रिक्शा चालक धीरे-धीरे उसे गंतव्य की ओर ले जा रहा...

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जट्टा और चिरैय्या चिर्रय By Priyanka Om

वह औचक ही सामने आ गया था. मुझपर नज़र पड़ते ही शर्मिंदगी से उसकी आँखें झुक गई थी. मानो उसका कृत्य क्षण भर पहले का हो. इतने वर्ष बीत गये, वक़्त नये नये पैहरन तैयार करता रहा और पुरानी...

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ढक्कन By Deepak sharma

ढक्कन “तुम मंजू दुबे की बेटी हो?” एक अपरिचिता हमारे घर की सीढ़ियों के गलियारे में खड़ी थीं. “हाँ,” कहते हुए मैं अपनी साइकिल गलियारे में ले आयी. “तुम्हार...

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इमली की चटनी में गुड़ की मिठास - 9 - अंतिम भाग By Shivani Jaipur

भाग-9 बारिश के ही दिन थे। मैना अपने पति और सास ससुर के साथ आई हुई थी।अदरक की चाय और गरमा गरम पकोड़े चल रहे थे। शालिनी के सास-ससुर ने शालिनी को अपने पास बिठाया! बात सुलोचना जी ने शु...

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क्रूरता By Ramnarayan Sungariya

कहानी-- क्रूरता आर.एन. सुनगरया,...

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मिशन सिफर - 17 By Ramakant Sharma

17. राशिद को लगातार ये संदेश मिल रहे थे कि वह मिशन को पूरा करने में तेजी लाए। उसे पता था कि उस पर बराबर नजर रखी जा रही है। वह खुद भी चाहता था कि मिशन जल्दी से जल्दी पूरा हो। उसे भा...

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तीसरे लोग - 10 By Geetanjali Chatterjee

10. सात महीने बीत गए किसना को अन्ना शेट्टी के रेस्तरां में काम करते हुए। अन्ना उसकी लगन और इमानदारी से बेहद खुश थे। उन्होंने उसे वहां रेस्तरां में रहने की इजाजत भी दे दी थी। उनके औ...

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बेनज़ीर - दरिया किनारे का ख्वाब - 14 By Pradeep Shrivastava

भाग - १४ मैंने तुरंत बात का रुख बदलते हुए देर होने की बात छेड़ दी, उन्हें बात समझाने के लिए मुझे काफी मशक्कत करनी पड़ी। उससे कहीं ज्यादा मशक्कत तो वहां पर जो भी काम-धंधा था उसे समझान...

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लता सांध्य-गृह - 9 By Rama Sharma Manavi

पूर्व कथा जानने के लिए पिछले अध्याय अवश्य पढ़ें। नवां अध्याय----------------- गतांक से आगे…. --------------- अब लोग विदेशों की तर्ज पर वृद्धाश्रम को स्वीकार करने लगे हैं...

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The Second Pregnancy in Corona kaal - 1 By my star kid

पहला भाग....मैं वानी...ये बात उस समय की है जब हम पहले बच्चे के बारे में सोच रहे थे।लेकिन किस्मत को तो कुछ और ही मंजूर था।मेरा मिसकैरिज हो चुका था। मै और मेरे पति (अमन) दोनों ही नि...

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करोड़ी By Prem

- प्रेम करोड़ी'प्रिया ओ प्रिया, देखो तो कौन है बाहर।’ चाय के संग अखबार को पीते हुए सुधांशु ने कहा।'देखती हूं।’ कुछ झुंझलाते हुए प्रिया रसोई से बाहर आई और मन ही मन बुदबुदाने...

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अपने-अपने कारागृह - 13 By Sudha Adesh

अपने-अपने कारागृह-12 दूसरे दिन उषा अपनी ननद अंजना के घर उससे मिलने गई । घंटी बजाने जा ही रही थी कि अंदर से तेज तेज आवाजें सुनकर घंटी दबाने के लिए बढ़े हाथ पीछे हट गए ।' चाय बना...

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BOYS school WASHROOM - 11 By Akash Saxena "Ansh"

यश दरवाज़ा खोलकर बिना कुछ बोले अपनी स्टडी टेबल पर जाकर बैठ जाता है…अविनाश देखता है की यश अभी भी अपनी स्कूल ड्रेस मे ही है, उसकी टाई उसके बेड पर पड़ी है, उसके जूते भी बिखरे पड़े हैँ,...

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ढाई आखर प्रेम का By Sudha Adesh

ढाई आखर प्रेम का‘‘मांजी, देखिए तो कौन आया है,’’ अनुज्ञा ने अपनी सासूमां के कमरे में प्रवेश करते हुए कहा.‘‘कौन आया है, बहू…’’ उन्होंने उठ कर चश्मा लगाते हुए प्रतिप्रश्न किया.‘‘पहचान...

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लाउड़स्पीकर By Alok Mishra

इस छोटे से कस्बे में सभी ओर अमन और शांति थी । अब्दुल, सविता को बहन मानता था, सुखिया, रज्जाक को चच्चा कहता था और गफ्फुर व मनोहर की दोस्ती की मिसाले दी जाती थी । जूते गाॅंठ...

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वसूली By Deepak sharma

वसूली “मालूम है?” मेरी मौसी की देवरानी मेरी दादी के कान में फुसफुसाई, “तुम्हारी बहू अब कस्बापुर वापस न आएगी.” मेरे कान खड़े हो लिए. “मखौल न कर,”...

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सीमारेखा By Dr. Vandana Gupta

हर व्यक्ति की ज़िंदगी में एक मकसद होता है. बिना मकसद के ज़िन्दगी बेमानी है. ज़िन्दगी को जीना और उसे काटना दोनों अलग बातें हैं. ज़िन्दगी जब बोझ लगने लगे तो उसे अधिक देर तक ढोया नहीं जा...

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पुण्‍य By Ramnarayan Sungariya

कहानी-- पुण्‍य आर.एन. सुनगरया, मुझे...

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आज़ाद परिंदा - मिस्ड कॉल By Mens HUB

नरेश एक सरकारी संस्थान में उच्च पद पर कार्यरत है और उसे इस पद पर काम करते हुए तकरीबन 9 वर्ष हो चुके है | उसका अभी तक का कार्य बेहतरीन रहा है लिहाज़ा प्रमोशन एवं कुछ अन्य अवार्ड्स भी...

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फेस बुक-फेक बुक By Dr Sandip Awasthi

डॉ सन्दीप अवस्थी वह बस से उतरी । रात के दो बजे थे और इस अनजान शहर में वह किसी को नही जानती थी। बस एक नाम था आयुष और जगह थी बड़ा बाजार। यही का उसने जिक्र किया था। वह उसका फेस बुक फ्र...

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बर्फीली रातों के गुलदस्ते By Jayanti Ranganathan

शीला शाम को जब लंबी सैर से वापस आई, सामने ही उसे राबर्ट नजर आ गया अपने कुत्ते जीरो के साथ। राबर्ट उसे देख ठिठक गया। शीला ने उसे अनदेखा करने की कोशिश की, आज जरा भी मन नहीं है उसका र...

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चिराग़-गुल By Deepak sharma

चिराग़-गुल बहन की मृत्यु का समाचार मुझे टेलीफोन पर मिला. पत्नी और मैं उस समय एक विशेष पार्टी के लिए निकल रहे थे. पत्नी शीशे के सामने अपना अन्तिम निरीक्षण कर रही थी और मैं तैयार कबाब...

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कालचक्र By श्रुत कीर्ति अग्रवाल

कालचक्र उस दिन अचानक आशीष का फोन आया। न जाने कितने समय बाद उसकी आवाज़ कान में पड़ी थी। ये मेरे इकलौते बेटे की आवाज़ थी... उस बेटे की, जिसे बनाने में हमने अपना पूरा जीवन ही लगा दिया...

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काला धन By राज कुमार कांदु

मैं घर से दूकान की तरफ जा रहा था । सुबह का खुशनुमा मौसम था । सडकों पर शोर शराबा लगभग नहीं होता है । अपनी धुन में चलते हुए मुझे किसी की बड़ी ही महीन सी आवाज सुनाई पड़ी ” अरे जनाब ! सु...

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एक दुनिया अजनबी - 22 By Pranava Bharti

एक दुनिया अजनबी 22- विभा को अच्छा नहीं लगा, बंसी काका उसके दादा के ज़माने से उनके घर में थे, उन्होंने अपनी सारी ज़िंदगी उस परिवार के नाम कर दी थी | घर में उन्हें कोई नौकर नहीं समझता...

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सुलझे...अनसुलझे - 22 By Pragati Gupta

सुलझे...अनसुलझे संघर्ष ------- यह बात सन २००५ की बात रही होगी जब मैं जोधपुर के रेलवे स्टेशन से जोधपुर-हावड़ा ट्रेन में अपनी बेटियों प्राची और प्रज्ञा को अपने साथ लेकर आगरा की यात्रा...

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लहराता चाँद - 33 By Lata tejeswar renuka

लहराता चाँद लता तेजेश्वर 'रेणुका' 33 दूसरे दिन सुबह दुर्योधन संजय से मिलने आया। उसे पता था इस वक्त संजय को हौसले की और बच्चों को सही सुझाव की जरूरत है। वरना इतने लंबी समय त...

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अब और नहीं... By Neelima Tikku

अब और नहीं... कड़ाके की ठंड में चारों ओर घना कोहरा छाया हुआ था। हाथ को हाथ नहीं सूझ रहा था। ऐसे में उसकी मज़बूरी को समझता हुआ वृद्ध रिक्शा चालक धीरे-धीरे उसे गंतव्य की ओर ले जा रहा...

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जट्टा और चिरैय्या चिर्रय By Priyanka Om

वह औचक ही सामने आ गया था. मुझपर नज़र पड़ते ही शर्मिंदगी से उसकी आँखें झुक गई थी. मानो उसका कृत्य क्षण भर पहले का हो. इतने वर्ष बीत गये, वक़्त नये नये पैहरन तैयार करता रहा और पुरानी...

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ढक्कन By Deepak sharma

ढक्कन “तुम मंजू दुबे की बेटी हो?” एक अपरिचिता हमारे घर की सीढ़ियों के गलियारे में खड़ी थीं. “हाँ,” कहते हुए मैं अपनी साइकिल गलियारे में ले आयी. “तुम्हार...

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इमली की चटनी में गुड़ की मिठास - 9 - अंतिम भाग By Shivani Jaipur

भाग-9 बारिश के ही दिन थे। मैना अपने पति और सास ससुर के साथ आई हुई थी।अदरक की चाय और गरमा गरम पकोड़े चल रहे थे। शालिनी के सास-ससुर ने शालिनी को अपने पास बिठाया! बात सुलोचना जी ने शु...

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क्रूरता By Ramnarayan Sungariya

कहानी-- क्रूरता आर.एन. सुनगरया,...

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मिशन सिफर - 17 By Ramakant Sharma

17. राशिद को लगातार ये संदेश मिल रहे थे कि वह मिशन को पूरा करने में तेजी लाए। उसे पता था कि उस पर बराबर नजर रखी जा रही है। वह खुद भी चाहता था कि मिशन जल्दी से जल्दी पूरा हो। उसे भा...

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तीसरे लोग - 10 By Geetanjali Chatterjee

10. सात महीने बीत गए किसना को अन्ना शेट्टी के रेस्तरां में काम करते हुए। अन्ना उसकी लगन और इमानदारी से बेहद खुश थे। उन्होंने उसे वहां रेस्तरां में रहने की इजाजत भी दे दी थी। उनके औ...

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बेनज़ीर - दरिया किनारे का ख्वाब - 14 By Pradeep Shrivastava

भाग - १४ मैंने तुरंत बात का रुख बदलते हुए देर होने की बात छेड़ दी, उन्हें बात समझाने के लिए मुझे काफी मशक्कत करनी पड़ी। उससे कहीं ज्यादा मशक्कत तो वहां पर जो भी काम-धंधा था उसे समझान...

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लता सांध्य-गृह - 9 By Rama Sharma Manavi

पूर्व कथा जानने के लिए पिछले अध्याय अवश्य पढ़ें। नवां अध्याय----------------- गतांक से आगे…. --------------- अब लोग विदेशों की तर्ज पर वृद्धाश्रम को स्वीकार करने लगे हैं...

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The Second Pregnancy in Corona kaal - 1 By my star kid

पहला भाग....मैं वानी...ये बात उस समय की है जब हम पहले बच्चे के बारे में सोच रहे थे।लेकिन किस्मत को तो कुछ और ही मंजूर था।मेरा मिसकैरिज हो चुका था। मै और मेरे पति (अमन) दोनों ही नि...

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करोड़ी By Prem

- प्रेम करोड़ी'प्रिया ओ प्रिया, देखो तो कौन है बाहर।’ चाय के संग अखबार को पीते हुए सुधांशु ने कहा।'देखती हूं।’ कुछ झुंझलाते हुए प्रिया रसोई से बाहर आई और मन ही मन बुदबुदाने...

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अपने-अपने कारागृह - 13 By Sudha Adesh

अपने-अपने कारागृह-12 दूसरे दिन उषा अपनी ननद अंजना के घर उससे मिलने गई । घंटी बजाने जा ही रही थी कि अंदर से तेज तेज आवाजें सुनकर घंटी दबाने के लिए बढ़े हाथ पीछे हट गए ।' चाय बना...

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BOYS school WASHROOM - 11 By Akash Saxena "Ansh"

यश दरवाज़ा खोलकर बिना कुछ बोले अपनी स्टडी टेबल पर जाकर बैठ जाता है…अविनाश देखता है की यश अभी भी अपनी स्कूल ड्रेस मे ही है, उसकी टाई उसके बेड पर पड़ी है, उसके जूते भी बिखरे पड़े हैँ,...

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ढाई आखर प्रेम का By Sudha Adesh

ढाई आखर प्रेम का‘‘मांजी, देखिए तो कौन आया है,’’ अनुज्ञा ने अपनी सासूमां के कमरे में प्रवेश करते हुए कहा.‘‘कौन आया है, बहू…’’ उन्होंने उठ कर चश्मा लगाते हुए प्रतिप्रश्न किया.‘‘पहचान...

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लाउड़स्पीकर By Alok Mishra

इस छोटे से कस्बे में सभी ओर अमन और शांति थी । अब्दुल, सविता को बहन मानता था, सुखिया, रज्जाक को चच्चा कहता था और गफ्फुर व मनोहर की दोस्ती की मिसाले दी जाती थी । जूते गाॅंठ...

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वसूली By Deepak sharma

वसूली “मालूम है?” मेरी मौसी की देवरानी मेरी दादी के कान में फुसफुसाई, “तुम्हारी बहू अब कस्बापुर वापस न आएगी.” मेरे कान खड़े हो लिए. “मखौल न कर,”...

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सीमारेखा By Dr. Vandana Gupta

हर व्यक्ति की ज़िंदगी में एक मकसद होता है. बिना मकसद के ज़िन्दगी बेमानी है. ज़िन्दगी को जीना और उसे काटना दोनों अलग बातें हैं. ज़िन्दगी जब बोझ लगने लगे तो उसे अधिक देर तक ढोया नहीं जा...

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पुण्‍य By Ramnarayan Sungariya

कहानी-- पुण्‍य आर.एन. सुनगरया, मुझे...

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आज़ाद परिंदा - मिस्ड कॉल By Mens HUB

नरेश एक सरकारी संस्थान में उच्च पद पर कार्यरत है और उसे इस पद पर काम करते हुए तकरीबन 9 वर्ष हो चुके है | उसका अभी तक का कार्य बेहतरीन रहा है लिहाज़ा प्रमोशन एवं कुछ अन्य अवार्ड्स भी...

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फेस बुक-फेक बुक By Dr Sandip Awasthi

डॉ सन्दीप अवस्थी वह बस से उतरी । रात के दो बजे थे और इस अनजान शहर में वह किसी को नही जानती थी। बस एक नाम था आयुष और जगह थी बड़ा बाजार। यही का उसने जिक्र किया था। वह उसका फेस बुक फ्र...

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बर्फीली रातों के गुलदस्ते By Jayanti Ranganathan

शीला शाम को जब लंबी सैर से वापस आई, सामने ही उसे राबर्ट नजर आ गया अपने कुत्ते जीरो के साथ। राबर्ट उसे देख ठिठक गया। शीला ने उसे अनदेखा करने की कोशिश की, आज जरा भी मन नहीं है उसका र...

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चिराग़-गुल By Deepak sharma

चिराग़-गुल बहन की मृत्यु का समाचार मुझे टेलीफोन पर मिला. पत्नी और मैं उस समय एक विशेष पार्टी के लिए निकल रहे थे. पत्नी शीशे के सामने अपना अन्तिम निरीक्षण कर रही थी और मैं तैयार कबाब...

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कालचक्र By श्रुत कीर्ति अग्रवाल

कालचक्र उस दिन अचानक आशीष का फोन आया। न जाने कितने समय बाद उसकी आवाज़ कान में पड़ी थी। ये मेरे इकलौते बेटे की आवाज़ थी... उस बेटे की, जिसे बनाने में हमने अपना पूरा जीवन ही लगा दिया...

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काला धन By राज कुमार कांदु

मैं घर से दूकान की तरफ जा रहा था । सुबह का खुशनुमा मौसम था । सडकों पर शोर शराबा लगभग नहीं होता है । अपनी धुन में चलते हुए मुझे किसी की बड़ी ही महीन सी आवाज सुनाई पड़ी ” अरे जनाब ! सु...

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