hindi Best Moral Stories Books Free And Download PDF

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Moral Stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cult...Read More


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  • जहाँ ईश्वर नहीं था - 4 - अंतिम भाग

    4 मैंने कहा, ”भले ही मुझे थाने ले चलो, पर उस बेचारी को कुछ खाने को तो दे द...

  • भद्र-लोक

    भद्र-लोक सुजाता मुखर्जी हमेशा की तरह कॉलेज से पैदल अपने घर की ओर बढ़ रही थी कि एक...

  • आखिरी इच्छा

    आखिरी इच्छा 'छोरी रुक-रुक तैने मैं बताऊँ, भाग कै कठे जावैगी ।' कहती हुई...

जहाँ ईश्वर नहीं था - 4 - अंतिम भाग By Gopal Mathur

4 मैंने कहा, ”भले ही मुझे थाने ले चलो, पर उस बेचारी को कुछ खाने को तो दे दो. लगता है उसने सदियों से कुछ खाया नहीं है. बेचारी मर जाएगी.“ पुलिस वाला गुर्राया, ”वह ज...

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भद्र-लोक By Deepak sharma

भद्र-लोक सुजाता मुखर्जी हमेशा की तरह कॉलेज से पैदल अपने घर की ओर बढ़ रही थी कि एक गाड़ी उसके पास आकर रुकी| “मिसिज मुखर्जी, आइए मैं आपको ले चलती हूँ,” मिसिज भसीन ने कार की...

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होगी जय, होगी जय... हे पुरुषोत्तम नवीन! By Suryabala

सूर्यबाला बात फैल गई चारों ओर! जंगल की बात, जंगल की आग की तरह! अरुण वर्मा ने आज फिर एक ट्रक पकड़ा है, पकड़ा है तो खैर ऐसी कोई खास बात नहीं! सभी फॉरेस्‍टवाले पकड़ते रहते हैं। ऐस...

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आखिरी इच्छा By Sunita Bishnolia

आखिरी इच्छा 'छोरी रुक-रुक तैने मैं बताऊँ, भाग कै कठे जावैगी ।' कहती हुई दस साल की साँवली-सलोनी संजू आठ वर्षीय छोटी बहन मंजू के पीछे दौड़ पड़ी। आगे-आगे संजू पीछे-पीछे मंजू भ...

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महक By SURENDRA ARORA

मोबाईल की घंटी बजी तो हमेशा की तरह नंबर पर नजर गयी। कोई अनजाना सा नंबर था। चित्त सुबह से अनमना था। कोई काम तो क्या किसी से बात करने या किसी की बात सुनने की भी इच्छा नहीं हो रही थी।...

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एक दुनिया अजनबी - 45 - अंतिम भाग By Pranava Bharti

एक दुनिया अजनबी 45 - बड़ी अजीब सी बात थी लेकिन सच यही था कि प्रखर की माँ विभा मृदुला के साथ मंदा और जॉन से मिल चुकी थीं | जॉन ने जब यह बताया, मंदा के चेहरे पर मुस्कुराहट फैल गई | "आ...

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अप्रत्याशित By Kishanlal Sharma

"आप राजेश बोल रहे है?"मोबाइल कान पर लगाते ही फिर वो ही आवाज सुनाई पड़ी थी।इस आवाज को वह पिछले कई दिनों से सुनता आ रहा था।"हां"राजेश बोला,"आप प्रगति बोल रही है?""तो आपने मुझे पहचान ल...

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M by R.Singh By Mens HUB

Mby R.Singhरविवार की छुट्टी हल्की सी बर्फानी ठंड और मॉल के बाहर बिकते गरमा गरम पकोड़े, रोके न रुक पाए और पहुंच गए मॉल । वैसे कुछ खास खरीददारी तो करनी नहीं थी फिर भी पकोड़े बुला रहे थ...

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सुंदरी By आदित्य अभिनव

सुंदरी अबुल हसन यों तो था पाँचवक्ती नमाजी लेकिन उसका उठना-बैठना हिंदुओं के साथ था। उसके रग-रग में भारतीय सभ्यता और संस्क...

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ठौर-बेठौर By Deepak sharma

ठौर-बेठौर जिन डॉ. वशिष्ठ के पास मैं पत्नी को लेकर गया, वह शहर के सब से बड़े सरकारी अस्पताल में चिकित्सा विभाग के अध्यक्ष रह चुके थे और अब एक प्रमुख नर्सिंग होम में रोगियों को भारी भ...

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भारत के गावों में स्वतंत्रा संग्राम - 10 - अंतिम भाग By Brijmohan sharma

10 “झाँसी की वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई”;ऐक ऐनाउंसरः प्रिय दर्शको! आज हम आपके समक्ष भारत की वीरांगना झांसी की रानी लक्ष्मीबाई का नाटक पेश जा रहे है । (देखिये झाँसी के राज...

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अनमोल सौगात - 10 - अंतिम भाग By Ratna Raidani

भाग १० वर्तमान --- "टी टी टी टी टी टी" अलार्म के बजने से नीता विचारों की निद्रा से जाग गयी। वह रात भर नहीं सो पायी थी क्योंकि उस एक रात में वह अब तक की पिछली पूरी ज़िन्दगी यादों के...

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मेरा पति तेरा पति - 10 - अंतिम भाग By Jitendra Shivhare

10 एक साल के बाद ज्योति पहले से अधिक ठीक दिखाई दे रही थी। उसका हीमोग्लोबिन भी सामान्य हो चुका था। सबकुछ ठीक था। अविनाश उसे लिवाने आ पहूंचा। ज्योति को अपनी दोनों बच्चीयों के भविष्य...

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रामराज By राज कुमार कांदु

प्रिय प्रेरक पाठकों ,नमस्कार ! आज प्रस्तुत है मेरी एक पूर्वलिखित रचना जब माननीय महामहिम श्री रामनाथ कोविंद जी को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित किया गया था ।---------------–-----...

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Real Incidents - Incident 1: The Jacket By Anil Patel_Bunny

नवलकथा के बारे में: दोस्तों हमारे आसपास या फिर हमारे साथ कई सारी घटनाएं बनती रहती है। कुछ अच्छी घटनाएं बनती है तो कुछ बुरी घटनाएं। कुछ घटनाएं आंख में आंसू ले आती है, कुछ होंठों पे...

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तीन टांगों वाली खाट By Sushma Tiwari

वह खाट दादी की थी। पिताजी के दादी की। तीन टांगों वाली। किसी ज़माने में उसके भी चार पाये थे और दादी को उसके सिवा कहीं नींद नहीं आती थी। दादी को सब ईश्वर के करीब मानते, शुद्ध आत्मा।...

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मेरी रोटी  By Alok Mishra

मेरी रोटी मैं आप में से एक हुँ , मेरे लिए महत्‍वपूर्ण है मेरी “रोटी” । वो “रोटी” जिसके लिए मैं दर- ब- दर भटकता हुँ , जिसके लिए मैं दूसरों की सुनता हुँ और वो रोटी जो चाँद...

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यादों के झरोखों से—निश्छल प्रेम (8) By Asha Saraswat

यादों के झरोखों से—निश्छल प्रेम (8) आपके सामने प्रस्तुत है।मातृभारती के सम्मानित पाठकों को,सम्मानित रचनाकारों को नमस्कार । मैं भोजन बनाने के लिए रसोईघर में ज...

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सर्प-पेटी By Deepak sharma

सर्प-पेटी जैसे ही दरवाजे की घण्टी बजी, मैं चौंककर जाग गई| “सुनिए,” मैंने पति को पुकारा, “मेरे गले में बहुत दर्द है, साँस एकदम घुटती-सी मालूम हो रही है.....|&rdquo...

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स्वप्ननिलय By Ila Singh

स्वप्ननिलय**********उखड़े मन से विनी उठती है ,नजर बेड के दूसरे किनारे तक घूम जाती है ।उतारे हुए कपड़े बेड पर फैले पड़े हैं।कुछ अजीब-सी शक्लें लिए ….सलवार का एक पैर उल्टा तो एक सीधा ,क...

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आस्तीन के सांप By Rama Sharma Manavi

जब कोई चाशनी युक्त मधुर वाणी एवं क्षद्म सभ्य व्यवहार के आवरण तले कुत्सित मनोभावों को धारण करने वाला हो वो भी निकट सम्बंधी के रूप में, तो सहज उसके घृणित क्रिया कलापों पर विश्व...

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एक यात्रा समानान्तर - 3 - अंतिम भाग By Gopal Mathur

3 ”और तुम्हारे उन्हीं भटके हुए दिनों की सजा मैं भुगत रही हूँ.“ वह सीधे निखिल को देखती हुई कहती है.... फिर वह बाहर देखने लगती है. वह कुछ नहीं कहता. उसकी निगाहें भी बाहर...

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पाप का प्रायश्चित By Gyaneshwar Anand Gyanesh

बात लगभग सन् 1991-92 की है। बम्बई के दादर स्टेशन पर यात्रियों की अत्यंत भीड़ थी "शाने पंजाब" रेलगाड़ी अमृतसर जाने के लिए स्टेशन पर प्लेटफॉर्म नंबर 9 पर जैसे ही पहुँची तो यात्रियों...

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न्याय अन्याय By Alok Mishra

कहते है देश मे कानून सर्वोपरि है, हो सकता है ,ऐसा ही हो लेकिन लगता तो नहीं है । जनता भ्रमित है कि कानून किसके लिए है या किसको न्याय दिलाने के लिए है जनता को या अमीरों क...

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अजीब दास्तां है ये.. - 10 - अंतिम भाग By Ashish Kumar Trivedi

(10) उसकी आँखों को देखकर रेवती पहचान गई कि वह उपेंद्र है। वह डरकर मुकुल के पीछे छिप गई। उपेंद्र ने कहा, "मैं कहता था ना कि तुम औरतें धोखेबाज़ होती हो। मुझे जेल भिजवाकर इसके साथ ऐश...

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कोड़ियाँ - कंचे - 10 - अंतिम भाग By Manju Mahima

Part- 10 अन्दर बहुत सारी महिलाएं घूँघट निकाले बैठी थीं, गायत्री जी थोड़ी चकित हुई, पराग ने आगे बढ़कर ‘मम्मी’ कहा और उनको लेकर गायत्री जी के साथ अलग कमरे में ले आया. गौरी...

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अपनत्व By Saroj Verma

बेटा, सौजन्य आओ नाश्ता लग गया है, juice लोगे या दूध शेखर ने अपने बेटे सौजन्य को आवाज लगाई। मुझे नाश्ता नहीं करना, बहुत देर हो गई है, मैं जा रहा हूं, सौजन्य तैयार होकर बाहर तो आया ल...

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बीच में कहीं By Gopal Mathur

गोपाल माथुर क्या आपने कभी किसी अनजान शहर में ऐसी शाम बिताई है, जहाँ आपको ऐसे व्यक्ति की प्रतीक्षा करनी पड़े, जिसे आना ही नहीं था ? नहीं, मैं वेटिंग फाॅर गोदो के गोदो की बात नहीं कर...

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Broken with you... - 5 By Alone Soul

{गजब ज़िन्दगी है हम राइटर की 500 सिगरेट , 15 घंटे बैठे बैठे पिछवाड़ा सुन्न हो जाता है , तब भी ये खाली पन्ना नहीं पूरा होता है , अरे रहने दीजिए दोस्तो तो हम कहा थे ??}प्रिया बेटा ये...

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जहाँ ईश्वर नहीं था - 4 - अंतिम भाग By Gopal Mathur

4 मैंने कहा, ”भले ही मुझे थाने ले चलो, पर उस बेचारी को कुछ खाने को तो दे दो. लगता है उसने सदियों से कुछ खाया नहीं है. बेचारी मर जाएगी.“ पुलिस वाला गुर्राया, ”वह ज...

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भद्र-लोक By Deepak sharma

भद्र-लोक सुजाता मुखर्जी हमेशा की तरह कॉलेज से पैदल अपने घर की ओर बढ़ रही थी कि एक गाड़ी उसके पास आकर रुकी| “मिसिज मुखर्जी, आइए मैं आपको ले चलती हूँ,” मिसिज भसीन ने कार की...

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होगी जय, होगी जय... हे पुरुषोत्तम नवीन! By Suryabala

सूर्यबाला बात फैल गई चारों ओर! जंगल की बात, जंगल की आग की तरह! अरुण वर्मा ने आज फिर एक ट्रक पकड़ा है, पकड़ा है तो खैर ऐसी कोई खास बात नहीं! सभी फॉरेस्‍टवाले पकड़ते रहते हैं। ऐस...

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आखिरी इच्छा By Sunita Bishnolia

आखिरी इच्छा 'छोरी रुक-रुक तैने मैं बताऊँ, भाग कै कठे जावैगी ।' कहती हुई दस साल की साँवली-सलोनी संजू आठ वर्षीय छोटी बहन मंजू के पीछे दौड़ पड़ी। आगे-आगे संजू पीछे-पीछे मंजू भ...

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महक By SURENDRA ARORA

मोबाईल की घंटी बजी तो हमेशा की तरह नंबर पर नजर गयी। कोई अनजाना सा नंबर था। चित्त सुबह से अनमना था। कोई काम तो क्या किसी से बात करने या किसी की बात सुनने की भी इच्छा नहीं हो रही थी।...

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एक दुनिया अजनबी - 45 - अंतिम भाग By Pranava Bharti

एक दुनिया अजनबी 45 - बड़ी अजीब सी बात थी लेकिन सच यही था कि प्रखर की माँ विभा मृदुला के साथ मंदा और जॉन से मिल चुकी थीं | जॉन ने जब यह बताया, मंदा के चेहरे पर मुस्कुराहट फैल गई | "आ...

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अप्रत्याशित By Kishanlal Sharma

"आप राजेश बोल रहे है?"मोबाइल कान पर लगाते ही फिर वो ही आवाज सुनाई पड़ी थी।इस आवाज को वह पिछले कई दिनों से सुनता आ रहा था।"हां"राजेश बोला,"आप प्रगति बोल रही है?""तो आपने मुझे पहचान ल...

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M by R.Singh By Mens HUB

Mby R.Singhरविवार की छुट्टी हल्की सी बर्फानी ठंड और मॉल के बाहर बिकते गरमा गरम पकोड़े, रोके न रुक पाए और पहुंच गए मॉल । वैसे कुछ खास खरीददारी तो करनी नहीं थी फिर भी पकोड़े बुला रहे थ...

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सुंदरी By आदित्य अभिनव

सुंदरी अबुल हसन यों तो था पाँचवक्ती नमाजी लेकिन उसका उठना-बैठना हिंदुओं के साथ था। उसके रग-रग में भारतीय सभ्यता और संस्क...

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ठौर-बेठौर By Deepak sharma

ठौर-बेठौर जिन डॉ. वशिष्ठ के पास मैं पत्नी को लेकर गया, वह शहर के सब से बड़े सरकारी अस्पताल में चिकित्सा विभाग के अध्यक्ष रह चुके थे और अब एक प्रमुख नर्सिंग होम में रोगियों को भारी भ...

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भारत के गावों में स्वतंत्रा संग्राम - 10 - अंतिम भाग By Brijmohan sharma

10 “झाँसी की वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई”;ऐक ऐनाउंसरः प्रिय दर्शको! आज हम आपके समक्ष भारत की वीरांगना झांसी की रानी लक्ष्मीबाई का नाटक पेश जा रहे है । (देखिये झाँसी के राज...

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अनमोल सौगात - 10 - अंतिम भाग By Ratna Raidani

भाग १० वर्तमान --- "टी टी टी टी टी टी" अलार्म के बजने से नीता विचारों की निद्रा से जाग गयी। वह रात भर नहीं सो पायी थी क्योंकि उस एक रात में वह अब तक की पिछली पूरी ज़िन्दगी यादों के...

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मेरा पति तेरा पति - 10 - अंतिम भाग By Jitendra Shivhare

10 एक साल के बाद ज्योति पहले से अधिक ठीक दिखाई दे रही थी। उसका हीमोग्लोबिन भी सामान्य हो चुका था। सबकुछ ठीक था। अविनाश उसे लिवाने आ पहूंचा। ज्योति को अपनी दोनों बच्चीयों के भविष्य...

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रामराज By राज कुमार कांदु

प्रिय प्रेरक पाठकों ,नमस्कार ! आज प्रस्तुत है मेरी एक पूर्वलिखित रचना जब माननीय महामहिम श्री रामनाथ कोविंद जी को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित किया गया था ।---------------–-----...

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नवलकथा के बारे में: दोस्तों हमारे आसपास या फिर हमारे साथ कई सारी घटनाएं बनती रहती है। कुछ अच्छी घटनाएं बनती है तो कुछ बुरी घटनाएं। कुछ घटनाएं आंख में आंसू ले आती है, कुछ होंठों पे...

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तीन टांगों वाली खाट By Sushma Tiwari

वह खाट दादी की थी। पिताजी के दादी की। तीन टांगों वाली। किसी ज़माने में उसके भी चार पाये थे और दादी को उसके सिवा कहीं नींद नहीं आती थी। दादी को सब ईश्वर के करीब मानते, शुद्ध आत्मा।...

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मेरी रोटी  By Alok Mishra

मेरी रोटी मैं आप में से एक हुँ , मेरे लिए महत्‍वपूर्ण है मेरी “रोटी” । वो “रोटी” जिसके लिए मैं दर- ब- दर भटकता हुँ , जिसके लिए मैं दूसरों की सुनता हुँ और वो रोटी जो चाँद...

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यादों के झरोखों से—निश्छल प्रेम (8) By Asha Saraswat

यादों के झरोखों से—निश्छल प्रेम (8) आपके सामने प्रस्तुत है।मातृभारती के सम्मानित पाठकों को,सम्मानित रचनाकारों को नमस्कार । मैं भोजन बनाने के लिए रसोईघर में ज...

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सर्प-पेटी By Deepak sharma

सर्प-पेटी जैसे ही दरवाजे की घण्टी बजी, मैं चौंककर जाग गई| “सुनिए,” मैंने पति को पुकारा, “मेरे गले में बहुत दर्द है, साँस एकदम घुटती-सी मालूम हो रही है.....|&rdquo...

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स्वप्ननिलय By Ila Singh

स्वप्ननिलय**********उखड़े मन से विनी उठती है ,नजर बेड के दूसरे किनारे तक घूम जाती है ।उतारे हुए कपड़े बेड पर फैले पड़े हैं।कुछ अजीब-सी शक्लें लिए ….सलवार का एक पैर उल्टा तो एक सीधा ,क...

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आस्तीन के सांप By Rama Sharma Manavi

जब कोई चाशनी युक्त मधुर वाणी एवं क्षद्म सभ्य व्यवहार के आवरण तले कुत्सित मनोभावों को धारण करने वाला हो वो भी निकट सम्बंधी के रूप में, तो सहज उसके घृणित क्रिया कलापों पर विश्व...

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एक यात्रा समानान्तर - 3 - अंतिम भाग By Gopal Mathur

3 ”और तुम्हारे उन्हीं भटके हुए दिनों की सजा मैं भुगत रही हूँ.“ वह सीधे निखिल को देखती हुई कहती है.... फिर वह बाहर देखने लगती है. वह कुछ नहीं कहता. उसकी निगाहें भी बाहर...

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पाप का प्रायश्चित By Gyaneshwar Anand Gyanesh

बात लगभग सन् 1991-92 की है। बम्बई के दादर स्टेशन पर यात्रियों की अत्यंत भीड़ थी "शाने पंजाब" रेलगाड़ी अमृतसर जाने के लिए स्टेशन पर प्लेटफॉर्म नंबर 9 पर जैसे ही पहुँची तो यात्रियों...

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न्याय अन्याय By Alok Mishra

कहते है देश मे कानून सर्वोपरि है, हो सकता है ,ऐसा ही हो लेकिन लगता तो नहीं है । जनता भ्रमित है कि कानून किसके लिए है या किसको न्याय दिलाने के लिए है जनता को या अमीरों क...

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अजीब दास्तां है ये.. - 10 - अंतिम भाग By Ashish Kumar Trivedi

(10) उसकी आँखों को देखकर रेवती पहचान गई कि वह उपेंद्र है। वह डरकर मुकुल के पीछे छिप गई। उपेंद्र ने कहा, "मैं कहता था ना कि तुम औरतें धोखेबाज़ होती हो। मुझे जेल भिजवाकर इसके साथ ऐश...

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कोड़ियाँ - कंचे - 10 - अंतिम भाग By Manju Mahima

Part- 10 अन्दर बहुत सारी महिलाएं घूँघट निकाले बैठी थीं, गायत्री जी थोड़ी चकित हुई, पराग ने आगे बढ़कर ‘मम्मी’ कहा और उनको लेकर गायत्री जी के साथ अलग कमरे में ले आया. गौरी...

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बेटा, सौजन्य आओ नाश्ता लग गया है, juice लोगे या दूध शेखर ने अपने बेटे सौजन्य को आवाज लगाई। मुझे नाश्ता नहीं करना, बहुत देर हो गई है, मैं जा रहा हूं, सौजन्य तैयार होकर बाहर तो आया ल...

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बीच में कहीं By Gopal Mathur

गोपाल माथुर क्या आपने कभी किसी अनजान शहर में ऐसी शाम बिताई है, जहाँ आपको ऐसे व्यक्ति की प्रतीक्षा करनी पड़े, जिसे आना ही नहीं था ? नहीं, मैं वेटिंग फाॅर गोदो के गोदो की बात नहीं कर...

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Broken with you... - 5 By Alone Soul

{गजब ज़िन्दगी है हम राइटर की 500 सिगरेट , 15 घंटे बैठे बैठे पिछवाड़ा सुन्न हो जाता है , तब भी ये खाली पन्ना नहीं पूरा होता है , अरे रहने दीजिए दोस्तो तो हम कहा थे ??}प्रिया बेटा ये...

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