hindi Best Moral Stories Books Free And Download PDF

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Moral Stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cult...Read More


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पुराने पन्ने By Deepak sharma

पुराने पन्ने इस सन् २०१६ के नवम्बर माह का विमुद्रीकरण मुझे उन टकों की ओर ले गया है साठ साल पहले हमारे पुराने कटरे के सर्राफ़, पन्ना लाल, के परिवार के पाँच सदस्यों की जानें धर ली थीं...

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गिर्दागिर्द By Deepak sharma

गिर्दागिर्द अमला के अस्पताल में दाखिल होने का समाचार जिस समय सुभाष को दिया गया, वह अपने पड़ोसी को अपने बचपन का एक किस्सा सुना रहा था| जिस के अन्तिम छोर पर पहुँचते ही पड़ोसी, गिरीश और...

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यादों के झरोखों से—निश्छल प्रेम (7) By Asha Saraswat

संसार में कुछ लोगों का सानिध्य ठंडी फुआर की तरह जीवन में ठंडक दे जाता है ।महाराज जी ऐसे ही व्यक्ति थे।वह कोई पीले ,नारंगी या केसरिया कपड़े नहीं पहनते थे।साधारण सफ़ेद...

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कोड़ियाँ - कंचे - 9 By Manju Mahima

Part- 9 जयपुर और  जहाजपुर दोनों ही स्थानों पर गहमागहमी का वातावरण था. एक ओर ख़ुशी एक ओर गम. यह कैसी विडम्बना थी ईश्वर की. काली रात की समाप्ति पर प्रोफेसर बलदेव उर्फ़ बलभद्र के य...

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मेरा पति तेरा पति - 6 By Jitendra Shivhare

6 मुझसे पहले मेरी अमीरी दिखाई दी और इसलिए मैं कह सकता हूं कि तुम मुझसे प्यार कभी नहीं कर सकती।" अमर इतना बोलकर जा चुका था। अनिता कुछ पल यू हीं मौन खड़ी रही। अमर के द्वारा बोले गये...

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आखिरी विदा By Suryabala

सूर्यबाला सुबह से तीन बार रपट चुकी थीं वे। एक बार, किचेन में टँगी जाली की आलमारी से खीर के लिए इलायची की डिब्बी निकालते हुए। दूसरी बार, पूजा वाले ताख से भभूती उतारते हुए। और तीसरी...

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रोशनीघर की लड़की By Yogesh Kanava

रोशनीघर की लड़की रात का गहरा सन्नाटा था, कभी कभी कुत्तों के भौंकने की आवाज़ नीरवता को तोड़ देती थी। कई बार ऐसा होता कि नींद नहीं आती थी खाण्डेकर जी को आज भी ऐसा ही हो रहा था, बिस्तर प...

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स्वतंत्र सक्सेना की कहानियाँ समीक्षा - 8 By बेदराम प्रजापति "मनमस्त"

समीक्षा - काव्य कुंज-स्व.श्री नरेन्द्र उत्सुक समीक्षक स्वतंत्र कुमार सक्सेना पुस्तक का नाम- काव्य कुंज कवि -नरेन्द्र उत्सुक सम्पादक- रामगोपाल भावुकसहसम्पादक- वेदराम प्रजापति ‘मदमस्...

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भारत के गावों में स्वतंत्रा संग्राम - 5 By Brijmohan sharma

5 मंदिर दर्शनहरिजन विद्यालय का काम जोर शोर से चल रहा था। छात्र संख्या मे नित्य वृद्धि हो रही थी। उस दिन सवेरे मंदिर मे आरती हो रही थी। भक्तो की भारी भीड़ आरती गा रही थी। भक्त शंख,घं...

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अजीब दास्तां है ये.. - 8 By Ashish Kumar Trivedi

(8) तमिलनाडु से उपेंद्र रेवती को बिहार ले गया। पश्चिमी चंपारण के बेतिया में उसकी बहुत सी संपत्ति थी। कुछ दिन तो रेवती को वहाँ अच्छा लगा। पर उसे इस बात की चिंता थी कि उसके मास्टर्स...

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अनमोल सौगात - 5 By Ratna Raidani

भाग ५ जैसे ही नीता ने घर में प्रवेश किया तो देखा कि शशिकांतजी बैचेनी से टहल रहे थे और उर्मिला भी चिंतित नजर आ रही थी। नीता से शशिकांतजी ने पूछा, "क्यों? कॉलेज का प्रोग्राम कैसा रहा...

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एक यात्रा समानान्तर - 1 By Gopal Mathur

गोपाल माथुर 1 वह घिसटने लगती है. सारा थकान हमेशा पाँवों में ही क्यों उतर आती है ? कन्धे पर लटका छोटा सा बैग भी बोझ लगने लगता है. थकान.... टूटन...... भीतर ही भीतर कुछ घुटने लगता है....

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कोख - दोषी कौन (पार्ट 1) By Kishanlal Sharma

"सॉरी",डॉक्टर रत्ना,कृतिका का चेकअप करने के बाद बोली,"अब तुम कभी भी माँ नही बन सकती।"कृतिका से प्रवीण की मुलाकात एक फैशन पार्टी में हुई थी।प्रवीण को कृतिका की सुंदरता ने मोहित कर...

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पश्चाताप के आंसू By Gyaneshwar Anand Gyanesh

कहानी "पश्चाताप के आँसू" आज हमारा समाज अनेक बुराइयों और कुरीतियों से ग्रस्त है। जिसमें सबसे बड़ी और भयंकर बुराई है "दहेज प्रथा" आज इसी बुराई के कारण हमारे समाज में अनेक लड़कियों की...

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रुका न पंछी पिंजरे में By आदित्य अभिनव

रुका न पंछी पिंजरे में धनेसर को यह समझ में नहीं आ रहा है कि क्या हो गया है, जिसको देखो वहीं मास्क ल...

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क्या मालूम By Suryabala

सूर्यबाला अधबूढ़ी-सी मैं...। सोचा था, हवेली भी अधबूढ़ी ही मिलेगी। उखड़ी-पखड़ी, झँवाई, निस्‍तेज। पर वह तो जैसे बरसों-बरस की बतकहियों वाली पिटारी लिए, आकुल-व्‍याकुल बैठी थी मेर...

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विजित पोत By Deepak sharma

विजित पोत यह संयोग ही था कि अस्थिर उन दिनों अंतर्राष्ट्रीय एक सेमिनार में भागीदारी के निमंत्रण पर स्वराज्या देश के बाहर, जिनेवा गयी हुई थीं जब स्वतंत्रता को कस्बापुर सरकारी अस्पताल...

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Broken with you... - 4 By Alone Soul

अंजली, अंजली अंजली, उठो आज तो अपना बयान दर्ज करा दो ... क्या हुआ था कुछ तो बता दो .... (वकील साहब अपनी पूरी आश ले कर पहुंच गए थे ) क्या बे वकील तू फिर आ गया साले मना किया था ना...

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बेनज़ीर - दरिया किनारे का ख्वाब - 33 - अंतिम भाग By Pradeep Shrivastava

भाग - ३३ मेरेअब कई-कई घंटे, कई-कई दिन, ऐसे ही दीवार के उस पार ज़ाहिदा के परिवार को सोचते-सोचते गुजरते जा रहे थे। मुन्ना भी अक्सर ऐसी रातों के इस गहन सन्नाटे में मेरे साथ होते। एक दि...

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और उदासी छंट गई विस्तार वात्सल्य का By Alka Agrawal

निधि सुबह उठकर बाहर बरामदे में बैठकर अखबार पढ़ती है। बरसों से यहा नियम है, सुबह की चाय के साथ दोनों पति-पत्नी समाचारों का आनन्द लेते हैं। गर्मी में, उनके बगीचे से आने वाली शीतल, सु...

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एक किस्सा ऐसा भी By Smita

छींटदार नीले रंग का पर्दा अपनी जगह पर व्यवस्थित हो चुका था. भगतजी(देवधर ) अपनी खटिया पर लेट चुके थे। अपने बेटे की पदचाप उन्हें साफ सुनाई दे रही थी। बेटा बिल्कुल बरामदे तक आ चुका था...

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बालिश्तिया By Deepak sharma

बालिश्तिया सद्गुण प्रसाद का जाना तय हो चुका था| उसे रोडज़ छात्रवृत्ति मिल गयी थी| ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी की ओर से उसकी टिकट भी खरीदी जा चुकी थी| पासपोर्ट वीज़ा सब तैयार था| दो दिन बाद...

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ताज़िया By आदित्य अभिनव

ताज़िया प्रो. रामेश्वर उपाध्याय नित्य नियमानुसार वॉकिंग पर जाने के लिए अपना स्पोर्टस सू पहन रहे थे कि उनका ध्यान टेलीविजन पर चल रहे चैनल...

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पुराने पन्ने By Deepak sharma

पुराने पन्ने इस सन् २०१६ के नवम्बर माह का विमुद्रीकरण मुझे उन टकों की ओर ले गया है साठ साल पहले हमारे पुराने कटरे के सर्राफ़, पन्ना लाल, के परिवार के पाँच सदस्यों की जानें धर ली थीं...

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गिर्दागिर्द By Deepak sharma

गिर्दागिर्द अमला के अस्पताल में दाखिल होने का समाचार जिस समय सुभाष को दिया गया, वह अपने पड़ोसी को अपने बचपन का एक किस्सा सुना रहा था| जिस के अन्तिम छोर पर पहुँचते ही पड़ोसी, गिरीश और...

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यादों के झरोखों से—निश्छल प्रेम (7) By Asha Saraswat

संसार में कुछ लोगों का सानिध्य ठंडी फुआर की तरह जीवन में ठंडक दे जाता है ।महाराज जी ऐसे ही व्यक्ति थे।वह कोई पीले ,नारंगी या केसरिया कपड़े नहीं पहनते थे।साधारण सफ़ेद...

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कोड़ियाँ - कंचे - 9 By Manju Mahima

Part- 9 जयपुर और  जहाजपुर दोनों ही स्थानों पर गहमागहमी का वातावरण था. एक ओर ख़ुशी एक ओर गम. यह कैसी विडम्बना थी ईश्वर की. काली रात की समाप्ति पर प्रोफेसर बलदेव उर्फ़ बलभद्र के य...

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मेरा पति तेरा पति - 6 By Jitendra Shivhare

6 मुझसे पहले मेरी अमीरी दिखाई दी और इसलिए मैं कह सकता हूं कि तुम मुझसे प्यार कभी नहीं कर सकती।" अमर इतना बोलकर जा चुका था। अनिता कुछ पल यू हीं मौन खड़ी रही। अमर के द्वारा बोले गये...

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आखिरी विदा By Suryabala

सूर्यबाला सुबह से तीन बार रपट चुकी थीं वे। एक बार, किचेन में टँगी जाली की आलमारी से खीर के लिए इलायची की डिब्बी निकालते हुए। दूसरी बार, पूजा वाले ताख से भभूती उतारते हुए। और तीसरी...

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रोशनीघर की लड़की By Yogesh Kanava

रोशनीघर की लड़की रात का गहरा सन्नाटा था, कभी कभी कुत्तों के भौंकने की आवाज़ नीरवता को तोड़ देती थी। कई बार ऐसा होता कि नींद नहीं आती थी खाण्डेकर जी को आज भी ऐसा ही हो रहा था, बिस्तर प...

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स्वतंत्र सक्सेना की कहानियाँ समीक्षा - 8 By बेदराम प्रजापति "मनमस्त"

समीक्षा - काव्य कुंज-स्व.श्री नरेन्द्र उत्सुक समीक्षक स्वतंत्र कुमार सक्सेना पुस्तक का नाम- काव्य कुंज कवि -नरेन्द्र उत्सुक सम्पादक- रामगोपाल भावुकसहसम्पादक- वेदराम प्रजापति ‘मदमस्...

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भारत के गावों में स्वतंत्रा संग्राम - 5 By Brijmohan sharma

5 मंदिर दर्शनहरिजन विद्यालय का काम जोर शोर से चल रहा था। छात्र संख्या मे नित्य वृद्धि हो रही थी। उस दिन सवेरे मंदिर मे आरती हो रही थी। भक्तो की भारी भीड़ आरती गा रही थी। भक्त शंख,घं...

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अजीब दास्तां है ये.. - 8 By Ashish Kumar Trivedi

(8) तमिलनाडु से उपेंद्र रेवती को बिहार ले गया। पश्चिमी चंपारण के बेतिया में उसकी बहुत सी संपत्ति थी। कुछ दिन तो रेवती को वहाँ अच्छा लगा। पर उसे इस बात की चिंता थी कि उसके मास्टर्स...

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अनमोल सौगात - 5 By Ratna Raidani

भाग ५ जैसे ही नीता ने घर में प्रवेश किया तो देखा कि शशिकांतजी बैचेनी से टहल रहे थे और उर्मिला भी चिंतित नजर आ रही थी। नीता से शशिकांतजी ने पूछा, "क्यों? कॉलेज का प्रोग्राम कैसा रहा...

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एक यात्रा समानान्तर - 1 By Gopal Mathur

गोपाल माथुर 1 वह घिसटने लगती है. सारा थकान हमेशा पाँवों में ही क्यों उतर आती है ? कन्धे पर लटका छोटा सा बैग भी बोझ लगने लगता है. थकान.... टूटन...... भीतर ही भीतर कुछ घुटने लगता है....

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कोख - दोषी कौन (पार्ट 1) By Kishanlal Sharma

"सॉरी",डॉक्टर रत्ना,कृतिका का चेकअप करने के बाद बोली,"अब तुम कभी भी माँ नही बन सकती।"कृतिका से प्रवीण की मुलाकात एक फैशन पार्टी में हुई थी।प्रवीण को कृतिका की सुंदरता ने मोहित कर...

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पश्चाताप के आंसू By Gyaneshwar Anand Gyanesh

कहानी "पश्चाताप के आँसू" आज हमारा समाज अनेक बुराइयों और कुरीतियों से ग्रस्त है। जिसमें सबसे बड़ी और भयंकर बुराई है "दहेज प्रथा" आज इसी बुराई के कारण हमारे समाज में अनेक लड़कियों की...

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रुका न पंछी पिंजरे में धनेसर को यह समझ में नहीं आ रहा है कि क्या हो गया है, जिसको देखो वहीं मास्क ल...

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सूर्यबाला अधबूढ़ी-सी मैं...। सोचा था, हवेली भी अधबूढ़ी ही मिलेगी। उखड़ी-पखड़ी, झँवाई, निस्‍तेज। पर वह तो जैसे बरसों-बरस की बतकहियों वाली पिटारी लिए, आकुल-व्‍याकुल बैठी थी मेर...

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विजित पोत By Deepak sharma

विजित पोत यह संयोग ही था कि अस्थिर उन दिनों अंतर्राष्ट्रीय एक सेमिनार में भागीदारी के निमंत्रण पर स्वराज्या देश के बाहर, जिनेवा गयी हुई थीं जब स्वतंत्रता को कस्बापुर सरकारी अस्पताल...

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अंजली, अंजली अंजली, उठो आज तो अपना बयान दर्ज करा दो ... क्या हुआ था कुछ तो बता दो .... (वकील साहब अपनी पूरी आश ले कर पहुंच गए थे ) क्या बे वकील तू फिर आ गया साले मना किया था ना...

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बेनज़ीर - दरिया किनारे का ख्वाब - 33 - अंतिम भाग By Pradeep Shrivastava

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एक किस्सा ऐसा भी By Smita

छींटदार नीले रंग का पर्दा अपनी जगह पर व्यवस्थित हो चुका था. भगतजी(देवधर ) अपनी खटिया पर लेट चुके थे। अपने बेटे की पदचाप उन्हें साफ सुनाई दे रही थी। बेटा बिल्कुल बरामदे तक आ चुका था...

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बालिश्तिया By Deepak sharma

बालिश्तिया सद्गुण प्रसाद का जाना तय हो चुका था| उसे रोडज़ छात्रवृत्ति मिल गयी थी| ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी की ओर से उसकी टिकट भी खरीदी जा चुकी थी| पासपोर्ट वीज़ा सब तैयार था| दो दिन बाद...

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ताज़िया By आदित्य अभिनव

ताज़िया प्रो. रामेश्वर उपाध्याय नित्य नियमानुसार वॉकिंग पर जाने के लिए अपना स्पोर्टस सू पहन रहे थे कि उनका ध्यान टेलीविजन पर चल रहे चैनल...

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