hindi Best Moral Stories Books Free And Download PDF

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Moral Stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cult...Read More


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इसको भी चाँद छूने दो By prabhat samir

चुटपुटी आज चली गई। किसी ने उसे रोकने का प्रयत्न भी नहीं किया। अपने स्वार्थ के लिए उसके अबोध मन को झूठे वायदों और आश्वासनों की चाशनी में हमने लपेटा, अपने सुख और आराम के लिए अपनी, चि...

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आत्मनिर्भर भारत पर मेरे विचार By Jatin Tyagi

प्रस्तावना:आत्मनिर्भर होना एक युवा के साथ साथ एक देश और राज्य के लिए भी होना बहुत ही जरूरी है। क्योंकि जब देश आत्मनिर्भर होगा तो वह हमेशा ही अपने विकास के रास्ते पर नये कदम लेता रह...

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Real Incidents - Incident 6: बेवफ़ा माँ By Anil Patel_Bunny

इंस्पेक्टर समशेर सिंह नाइट पेट्रोलिंग में थे कि तभी डिपार्टमेंट से कॉल आया, “हमें एक बच्चा मिला है, करीबन 5 महीने का है। कोई जंगल में फेंक गया था, आप तुरंत वहां रिपोर्टिंग करें।”सम...

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यादें.. By Saroj Verma

कितने साल बीत गए, आज मैं इतने सालों बाद गांव जा रहा हूं। इतने में बस रूकी और कंडक्टर की आवाज सुनाई दी_ चंदननगर की सवारी नीचे उतरो भाई!! सबके साथ मैं भी उतर पड़ा, नीचे उतर कर बसस्टै...

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देखी जमाने की यारी By Saroj Verma

भरभराते हुए इमरती बुआ(नाम पर मत जाइए बिल्कुल भी चासनी जैसी मीठी नहीं है,जहर का प्याला है.. ज़हर का प्याला), दरवाजे से भीतर घुसी और घुसते ही बोल पड़ी__ "ई का हुई गवा लल्ला, कौन ठोक...

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मां By kirti chaturvedi

यह मर्मस्पर्शी संस्मरणात्मक कहानी मेरी मां श्रीमती सुमन चतुर्वेदी द्वारा एक सत्य घटना पर लिखी गई थी। तब यह कहानी दैनिक समाचार पत्र में प्रकाशित हुई थी। शासकीय हाईस्कूल में हिंदी की...

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छल - Story of love and betrayal - 28 By Sarvesh Saxena

एक दिन फोन पर… कुशल - "हेलो.. कुशल स्पीकिंग" |भैरव - "क्या रे, बहुत बड़ा आदमी बन गया रे तू, दूसरों का माल हड़प के अमीर बना रे तू, हां.. अब तू संभल जा क्योंकि तेरे सारे राज मैं जानत...

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किलकारी - अंतिम भाग By Ratna Pandey

अभी तक आपने पढ़ा विजय के लाख समझाने के बाद भी पारस ने अपना फ़ैसला नहीं बदला। उसके इस फ़ैसले और बातें सुनकर अब विमला, अदिति और छोटी बहुत ख़ुश थे। अदिति ने कहा, "तुम सच कह रहे हो विजय। प...

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सहारा By Pushp Saini

लघुकथा ( सहारा )--------------------------------किशोर ने दफ़्तर से आते ही ब्रिफकेश सोफे पर रखा, हाथ मुँह धोयें इतनी देर में पल्लवी उसके लिए चाय बना लायी ।किशोर ---- सच तुम्हारे हाथ...

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सोच की ऊँचाइयाँ... By Saroj Verma

अम्बर ने अपने घर पर फोन किया.... उधर से उसकी पत्नी सुप्रिया ने फोन उठाकर हैलों बोला और पूछा... जी कहिए.... हाँ,सुप्रिया ! मैने इसलिए फोन किया था कि आज शाम कुछ जरूरी मीटिंग है और मी...

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कुछ ख़त और एक रिश्ता By Saroj Verma

जी,आप घर का कौन सा हिस्सा बेचना चाहतीं हैं,एजेंट ने सुजाता से पूछा।। जी पीछे वाला,मैं वैसें भी एक ही कमरें का ज्यादातर इस्तेमाल करती हूँ,आगें के हिस्से में रसोई,दो कमरें ,एक बाथरूम...

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जुदाई By kirti chaturvedi

घर का काम पूरा हो चला था। कुछ ही दिनों बाद उन्हें दूसरी मंजिल पर सामान जमा कर रखना था। रूमाना को रह रहकर ख्याल आ रहा था कि आज के दिन अम्मी अगर जिंदा होती तो कितना बेहतर होता। रूमान...

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निष्कलंक - अंतिम भाग By राही

जब तक चबा कर खा सकते थे। खाई गई। औरफिर घर से बहार फेंक दी गई। काम कि नहीं रही। पेट में बच्चा था। किसका? किसीको नहीं पड़ी थी। अबसे यही मेरी बेटी है कह,, आशा कि माँ से शादी रचाने वाल...

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माँ को कौन समझता है... By Shalini Gautam

ये कहानी है उस मां की है, जिसने अपने बच्चों को पाल पोसकर इतना बड़ा तो कर दिया ताकि वो अपने कदमो पर खड़े हो पाए , पर शायद वो उन बच्चों को दुनियादारी नहीं सिखा पाई कि बुढापे में मां...

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स्थान- परिवर्तन By prabhat samir

सुबह की चाय का प्याला थमाते हुए जयन्ती ने बड़ी सहजता से प्रतीक से कहा-‘प्रतीक, मैं अब तुम्हारी माँ के साथ नहीं रह सकती। प्रतीक अखबार पढ़ रहा था, पढ़ता रहा। बिना नज़र उठाए उसने भी...

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जादू भरी आँखों वाली सुनो By Ranjana Jaiswal

पहली बार नीलिमा को देखकर मुझे बिलकुल नहीं लगा था कि वह जादूगरनी है |उम्र यही कोई 22 -23 की होगी |भरे बदन की लंबी पर कुछ ज्यादा ही साँवली लड़की थी |हाँ, उसकी आँखें जरूर बड़ी और आकर्षक...

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बावरा मन By Rama Sharma Manavi

आजकल रश्मि कुछ उदास,कुछ उखड़ी सी,कुछ व्यथित रहने लगी है,वैसे देखा जाय तो कोई विशेष समस्या भी नहीं है,बल्कि सब कुछ पहले से काफ़ी बेहतर हो गया है।गृहस्थ जीवन का संघर्ष भी लगभग नगण्य हो...

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मैं ही क्यों.... By Shalini Gautam

नमस्कार दोस्तो....आज मैं आप सब से कुछ कहना चाहती हूं कि कैसे आज भी लड़की का पैदा होना इतनी खुशी की बात नहीं होती है।जब एक लड़की किसी घर आंगन में जनम लेती है तो ना जाने क्यो खुशी से...

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चाँद की किरचें By Pranava Bharti

बरसों पहले की याद उसे कुछ ऐसे आने लगी जैसे कोई गड़गड़ाता बड़ा सा बादल का भयंकर शोर मचाता टुकड़ा मन के आँगन में टूटने की तैयारी में हो | दो निस्तब्ध सूनी आँखों में न जाने क्या भरा था...

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काढ़ागोला : एक यात्रा - भाग - 1 By rajeshdaniel

बिहार के एक छोटे से कसबे का नाम है काढ़ागोला। इसे काढ़ागोला कहें या बरारी अथवा गुरुबाजार । ऐतिहासिक महत्त्व से देखें तो शेरशाह सूरी ने यहाँ से गंगा दार्जीलिंग सड़क का निर्माण करवाया थ...

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इंसान की पहचान काम से नही शिक्षा और विचार से होती है By NEELKAMAL GAUTAM

एक दिन की बात थी महाशिवरात्रि का दिन था चारो ओर से रास्ते बंद थे क्योंकि मंदिर पर अधिक भीड़ होती है मै और मेरे मिलने वाले एक स्थान पर बैठे थे तो मैंने देखा की लड़के एक लड़की का पीछ...

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शादी एक पिंजरा By shama parveen

नायरा जो एक बैंक मैनेजर है। और वो बहुत ही मेहनती और खुले विचारो वाली लडकी है। जिसे अपनी ज़िंदगी अपने तरीके से जीना पसन्द है। उसे शादी के नाम से ही परेशानी है। वो बस यू ही अपनी ज़िं...

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फ़िर बेटा कैसे ख़राब हुआ By Ratna Pandey

बारह वर्ष का पवन कुछ दिनों से घर में बहुत ही उदास रहने लगा था। दिन भर उछल-कूद करना, अपनी बहन को तंग करना, मस्ती करना, सब कुछ बंद था। अब वह अपनी बहन के साथ बात-बात पर झगड़ा भी करने...

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भटकाव By Rama Sharma Manavi

जिंदगी के सफ़र में अत्यंत अजीबोगरीब घटनाएं घटती रहती हैं।मैं एक शिक्षित 44 वर्षीय हाउस वाइफ हूँ।ग्रेजुएशन में ही विवाह कर दिया गया था, पति के प्रोत्साहन से विवाहोपरांत मैंने PG क...

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असली अपराधी (भाग-4) By Ruchika Khanna

अचानक जगन ने पूछा, "बिट्टू, क्या आपने श्री शुक्ला (जिन्होंने पहले ही हत्या-अनुबंध दिया है) का अनुबंध पूरा कर लिया है? बिट्टू ने जवाब दिया, "नहीं बॉस"। जगन ने जल्द से जल्द कार्य पूर...

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अंत... एक नई शुरुआत - अंतिम भाग By निशा शर्मा

आज ईश्वर की कृपा से मेरे पास सबकुछ है । एक बहुत अच्छा और अपनी माँ को बहुत प्यार करने वाला बेटा, सबका सम्मान करने वाली मेरी लाडली बहू और हाँ समीर की माँ भी आज मेरे हर एक फैसले में म...

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बसेरा By Dr Jaya Shankar Shukla

"बसेरा" -डा जय शंकर शुक्लधूल-भरे रास्ते उस पर जेठ की तिलमिलाती गर्मी को सहते, मजदूरों का कारवां बढ़ा जा रहा है, अपने गंतव्य की ओर । मजदूरों का ये कारवां अंत म...

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कजरी- अंतिम भाग By Ratna Pandey

अभी तक आपने पढ़ा निशा की अलमारी में सफेद पर्स से निकली 'आई विल किल यू' की पर्चियाँ देख कर नवीन के पैरों तले से ज़मीन खिसक गई। निशा के मुँह से कजरी का नाम सुनते ही नवीन समझ गय...

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आत्म सम्मान By Dr Jaya Shankar Shukla

"आत्म सम्मान" डा जय शंकर शुक्लछुआछूत के रोग से ग्रसित रोगी, स्वस्थ हो जाने पर भी काफी दिन तक क्वॉरेंटाइन मैं रहता है क्वॉरेंटाइन में रहना उसकी मजबूरी है ज...

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इसको भी चाँद छूने दो By prabhat samir

चुटपुटी आज चली गई। किसी ने उसे रोकने का प्रयत्न भी नहीं किया। अपने स्वार्थ के लिए उसके अबोध मन को झूठे वायदों और आश्वासनों की चाशनी में हमने लपेटा, अपने सुख और आराम के लिए अपनी, चि...

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आत्मनिर्भर भारत पर मेरे विचार By Jatin Tyagi

प्रस्तावना:आत्मनिर्भर होना एक युवा के साथ साथ एक देश और राज्य के लिए भी होना बहुत ही जरूरी है। क्योंकि जब देश आत्मनिर्भर होगा तो वह हमेशा ही अपने विकास के रास्ते पर नये कदम लेता रह...

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Real Incidents - Incident 6: बेवफ़ा माँ By Anil Patel_Bunny

इंस्पेक्टर समशेर सिंह नाइट पेट्रोलिंग में थे कि तभी डिपार्टमेंट से कॉल आया, “हमें एक बच्चा मिला है, करीबन 5 महीने का है। कोई जंगल में फेंक गया था, आप तुरंत वहां रिपोर्टिंग करें।”सम...

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यादें.. By Saroj Verma

कितने साल बीत गए, आज मैं इतने सालों बाद गांव जा रहा हूं। इतने में बस रूकी और कंडक्टर की आवाज सुनाई दी_ चंदननगर की सवारी नीचे उतरो भाई!! सबके साथ मैं भी उतर पड़ा, नीचे उतर कर बसस्टै...

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देखी जमाने की यारी By Saroj Verma

भरभराते हुए इमरती बुआ(नाम पर मत जाइए बिल्कुल भी चासनी जैसी मीठी नहीं है,जहर का प्याला है.. ज़हर का प्याला), दरवाजे से भीतर घुसी और घुसते ही बोल पड़ी__ "ई का हुई गवा लल्ला, कौन ठोक...

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मां By kirti chaturvedi

यह मर्मस्पर्शी संस्मरणात्मक कहानी मेरी मां श्रीमती सुमन चतुर्वेदी द्वारा एक सत्य घटना पर लिखी गई थी। तब यह कहानी दैनिक समाचार पत्र में प्रकाशित हुई थी। शासकीय हाईस्कूल में हिंदी की...

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छल - Story of love and betrayal - 28 By Sarvesh Saxena

एक दिन फोन पर… कुशल - "हेलो.. कुशल स्पीकिंग" |भैरव - "क्या रे, बहुत बड़ा आदमी बन गया रे तू, दूसरों का माल हड़प के अमीर बना रे तू, हां.. अब तू संभल जा क्योंकि तेरे सारे राज मैं जानत...

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किलकारी - अंतिम भाग By Ratna Pandey

अभी तक आपने पढ़ा विजय के लाख समझाने के बाद भी पारस ने अपना फ़ैसला नहीं बदला। उसके इस फ़ैसले और बातें सुनकर अब विमला, अदिति और छोटी बहुत ख़ुश थे। अदिति ने कहा, "तुम सच कह रहे हो विजय। प...

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सहारा By Pushp Saini

लघुकथा ( सहारा )--------------------------------किशोर ने दफ़्तर से आते ही ब्रिफकेश सोफे पर रखा, हाथ मुँह धोयें इतनी देर में पल्लवी उसके लिए चाय बना लायी ।किशोर ---- सच तुम्हारे हाथ...

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सोच की ऊँचाइयाँ... By Saroj Verma

अम्बर ने अपने घर पर फोन किया.... उधर से उसकी पत्नी सुप्रिया ने फोन उठाकर हैलों बोला और पूछा... जी कहिए.... हाँ,सुप्रिया ! मैने इसलिए फोन किया था कि आज शाम कुछ जरूरी मीटिंग है और मी...

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जी,आप घर का कौन सा हिस्सा बेचना चाहतीं हैं,एजेंट ने सुजाता से पूछा।। जी पीछे वाला,मैं वैसें भी एक ही कमरें का ज्यादातर इस्तेमाल करती हूँ,आगें के हिस्से में रसोई,दो कमरें ,एक बाथरूम...

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जुदाई By kirti chaturvedi

घर का काम पूरा हो चला था। कुछ ही दिनों बाद उन्हें दूसरी मंजिल पर सामान जमा कर रखना था। रूमाना को रह रहकर ख्याल आ रहा था कि आज के दिन अम्मी अगर जिंदा होती तो कितना बेहतर होता। रूमान...

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निष्कलंक - अंतिम भाग By राही

जब तक चबा कर खा सकते थे। खाई गई। औरफिर घर से बहार फेंक दी गई। काम कि नहीं रही। पेट में बच्चा था। किसका? किसीको नहीं पड़ी थी। अबसे यही मेरी बेटी है कह,, आशा कि माँ से शादी रचाने वाल...

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माँ को कौन समझता है... By Shalini Gautam

ये कहानी है उस मां की है, जिसने अपने बच्चों को पाल पोसकर इतना बड़ा तो कर दिया ताकि वो अपने कदमो पर खड़े हो पाए , पर शायद वो उन बच्चों को दुनियादारी नहीं सिखा पाई कि बुढापे में मां...

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स्थान- परिवर्तन By prabhat samir

सुबह की चाय का प्याला थमाते हुए जयन्ती ने बड़ी सहजता से प्रतीक से कहा-‘प्रतीक, मैं अब तुम्हारी माँ के साथ नहीं रह सकती। प्रतीक अखबार पढ़ रहा था, पढ़ता रहा। बिना नज़र उठाए उसने भी...

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जादू भरी आँखों वाली सुनो By Ranjana Jaiswal

पहली बार नीलिमा को देखकर मुझे बिलकुल नहीं लगा था कि वह जादूगरनी है |उम्र यही कोई 22 -23 की होगी |भरे बदन की लंबी पर कुछ ज्यादा ही साँवली लड़की थी |हाँ, उसकी आँखें जरूर बड़ी और आकर्षक...

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बावरा मन By Rama Sharma Manavi

आजकल रश्मि कुछ उदास,कुछ उखड़ी सी,कुछ व्यथित रहने लगी है,वैसे देखा जाय तो कोई विशेष समस्या भी नहीं है,बल्कि सब कुछ पहले से काफ़ी बेहतर हो गया है।गृहस्थ जीवन का संघर्ष भी लगभग नगण्य हो...

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मैं ही क्यों.... By Shalini Gautam

नमस्कार दोस्तो....आज मैं आप सब से कुछ कहना चाहती हूं कि कैसे आज भी लड़की का पैदा होना इतनी खुशी की बात नहीं होती है।जब एक लड़की किसी घर आंगन में जनम लेती है तो ना जाने क्यो खुशी से...

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चाँद की किरचें By Pranava Bharti

बरसों पहले की याद उसे कुछ ऐसे आने लगी जैसे कोई गड़गड़ाता बड़ा सा बादल का भयंकर शोर मचाता टुकड़ा मन के आँगन में टूटने की तैयारी में हो | दो निस्तब्ध सूनी आँखों में न जाने क्या भरा था...

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काढ़ागोला : एक यात्रा - भाग - 1 By rajeshdaniel

बिहार के एक छोटे से कसबे का नाम है काढ़ागोला। इसे काढ़ागोला कहें या बरारी अथवा गुरुबाजार । ऐतिहासिक महत्त्व से देखें तो शेरशाह सूरी ने यहाँ से गंगा दार्जीलिंग सड़क का निर्माण करवाया थ...

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शादी एक पिंजरा By shama parveen

नायरा जो एक बैंक मैनेजर है। और वो बहुत ही मेहनती और खुले विचारो वाली लडकी है। जिसे अपनी ज़िंदगी अपने तरीके से जीना पसन्द है। उसे शादी के नाम से ही परेशानी है। वो बस यू ही अपनी ज़िं...

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फ़िर बेटा कैसे ख़राब हुआ By Ratna Pandey

बारह वर्ष का पवन कुछ दिनों से घर में बहुत ही उदास रहने लगा था। दिन भर उछल-कूद करना, अपनी बहन को तंग करना, मस्ती करना, सब कुछ बंद था। अब वह अपनी बहन के साथ बात-बात पर झगड़ा भी करने...

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भटकाव By Rama Sharma Manavi

जिंदगी के सफ़र में अत्यंत अजीबोगरीब घटनाएं घटती रहती हैं।मैं एक शिक्षित 44 वर्षीय हाउस वाइफ हूँ।ग्रेजुएशन में ही विवाह कर दिया गया था, पति के प्रोत्साहन से विवाहोपरांत मैंने PG क...

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अंत... एक नई शुरुआत - अंतिम भाग By निशा शर्मा

आज ईश्वर की कृपा से मेरे पास सबकुछ है । एक बहुत अच्छा और अपनी माँ को बहुत प्यार करने वाला बेटा, सबका सम्मान करने वाली मेरी लाडली बहू और हाँ समीर की माँ भी आज मेरे हर एक फैसले में म...

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बसेरा By Dr Jaya Shankar Shukla

"बसेरा" -डा जय शंकर शुक्लधूल-भरे रास्ते उस पर जेठ की तिलमिलाती गर्मी को सहते, मजदूरों का कारवां बढ़ा जा रहा है, अपने गंतव्य की ओर । मजदूरों का ये कारवां अंत म...

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कजरी- अंतिम भाग By Ratna Pandey

अभी तक आपने पढ़ा निशा की अलमारी में सफेद पर्स से निकली 'आई विल किल यू' की पर्चियाँ देख कर नवीन के पैरों तले से ज़मीन खिसक गई। निशा के मुँह से कजरी का नाम सुनते ही नवीन समझ गय...

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आत्म सम्मान By Dr Jaya Shankar Shukla

"आत्म सम्मान" डा जय शंकर शुक्लछुआछूत के रोग से ग्रसित रोगी, स्वस्थ हो जाने पर भी काफी दिन तक क्वॉरेंटाइन मैं रहता है क्वॉरेंटाइन में रहना उसकी मजबूरी है ज...

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