hindi Best Moral Stories Books Free And Download PDF

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Moral Stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cult...Read More


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उजाले की ओर –संस्मरण By Pranava Bharti

================= प्रिय मित्रो नमस्कार हर दिन सोसाइटी में सब्ज़ी वाले, फल वाले आते हैं और न जाने कितने हाॅकर आते...

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कंचन मृग - 26. उदय सिंह शय्या पर उठ बैठे By Dr. Suryapal Singh

26. उदय सिंह शय्या पर उठ बैठे रात्रि का पिछला प्रहर। उदयसिंह अपनी शय्या पर उठ बैठे। उन्होंने एक भयंकर स्वप्न देखा है। चाहमान की विशाल वाहिनी ने महोत्सव को घेर लिया है। नगरवासियों क...

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सर्कस - 11 By Madhavi Marathe

                                                                                                  सर्कस : ११            सुबह जल्दी ही सब तैयार हो गए। आज सर्कस के मैदान पर जाना था।...

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वोट करने जाना है, अपना फर्ज निभाना है ! By H M Writter0

चुनाव: वोट करने का महत्व( "वोट करने जाना है, अपना फर्ज निभाना है!") एक छोटे से गाँव में, एक साधारण आदमी साहिल रहता था। साहिल की जिंदगी में पहली बार चुनाव की प्रक्रिया में शामिल होन...

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शोहरत का घमंड - 67 By shama parveen

अबीर आलिया से बोलता है, "ये यहां पर क्या कर रहा है"।तब आलिया बोलती है, "मुझे घर छोड़ने के लिए आया है"।तब अबीर बोलता है, "मगर तुम तो शाम को आ जाती थी तो फिर आज इतना देर कैसे हो गया"...

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यूँ ही सफर में By Arvend Kumar Srivastava

“मैं सोचता हूँ कि अब इस घर को बेच दूँ।“राघव (राघवेन्द् ) ने अपने कमरे की खिड़की से बाहर खुले आसमान की ओर बहुत दूर तक देखते हुए कहा। अगले ही पल राघवेन्द्र ने अपनी दृष्टि को दूर आसमान...

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आधुनिक बहू, परंपरा का सम्मान By H M Writter0

रिया, एक तेजतर्रार ग्राफिक डिज़ाइनर, हमेशा से ही अपनी शर्तों पर जीने में विश्वास रखती थी। शादी के बाद, ससुराल आना उसके लिए एक नया अनुभव था। रिया की सासूजी, शांतिदेवी, एक सख्त परंपर...

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हरसिंगार By Bharati babbar

डॉक्टर के चले जाने के बाद भी आभा देर तक बरामदे में ही बैठी रही।मेज़ पर चाय की जूठी प्यालियों के नीचे मेडिकल रिपोर्ट के पन्ने फड़फड़ाते रहे।कमरे से टीवी चलने की आवाज़ आ रही थी लेकिन आभा...

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कलयुग के श्रवण कुमार - 9 By संदीप सिंह (ईशू)

कलयुग के श्रवण कुमार........ मनोहर ने मुरली से पूछा था- "क्या हो गया था मुरली ।" कुछ नही मनोहर काका.. (सुबकते हुये) मैं खेत से लौटा था, तबियत ठीक नही लग रही थी बुखार था कल दोपहर से...

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बन्धन प्यार का - 24 By Kishanlal Sharma

और उस दिन तो नगमा चली गयी थी।लेकिन जफर और नगमा निकाह का मन बना चुके थे।सलमा ने यह बात अपने फोन करके अब्बू को बताई थी।अब्बू बोले,"तुम ही समझा सकती हो।अगर मान जाए तो लेकिन जफर कह...

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किस्से - कहानियां By DINESH KUMAR KEER

1. गांठ रिश्तों की "पापा! ताईजी को शायद कैंसर है!" बेटा धड़धड़ाते हुए कमरे में घुसा."कहां से चले आ रहे हो रिपोर्टर बने हुए? पता भी है क्या बोल रहे हो..?" मैंने महसूस किया कि दिसंबर...

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एडोप्टेड फैमिली By bhagirath

“जानते हो पापा आजकल किसी के चक्कर में फंस गए है।”                                                                 “अच्छा! किसके चक्कर में?” “कोई बाल बच्चेदार महिला है, उससे फेसबुक...

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प्यारी बेटी By DINESH KUMAR KEER

प्यारी बेटी (बेटी है तो कल है) किसी गाँव में एक परिवार रहता था। उस परिवार में गणेश अपनी पत्नी रेखा, छोटा बेटा दिनेश, बहू विमला, पौत्री अनन्या के साथ रहता था। गणेश का बड़ा बेटा विका...

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वर्तमान का सिख पंथ ही क्षत्रिय रुपरेखा By Ritin Pundir

क्या आपको मालूम है कि पहला खालसा राज स्थापित करने वाले बाबा बंदा सिंघ बहादर जी राजपूत थे, आधुनिक खालिस्तान मूवमेंट के संस्थापक जगजीत सिंघ चौहान जी राजपूत थे, बब्बर खालसा इंटरनेशनल...

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कौन थे प्रधानमंत्री चंद्रशेखर सिंह By Ritin Pundir

10 नवंबर 1990 को कार्यभार संभालने के 12 दिनों के ही भीतर चंद्रशेखर पांचवे सार्क शिखर सम्मेलन में भाग लेने माले मालदीव गए. वहाँ उन्होंने ठेठ हिंदी औऱ अपनी मातृभाषा भोजपुरी में ज़बर्...

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उजाले की ओर –संस्मरण By Pranava Bharti

================= प्रिय मित्रो नमस्कार हर दिन सोसाइटी में सब्ज़ी वाले, फल वाले आते हैं और न जाने कितने हाॅकर आते...

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शोहरत का घमंड - 67 By shama parveen

अबीर आलिया से बोलता है, "ये यहां पर क्या कर रहा है"।तब आलिया बोलती है, "मुझे घर छोड़ने के लिए आया है"।तब अबीर बोलता है, "मगर तुम तो शाम को आ जाती थी तो फिर आज इतना देर कैसे हो गया"...

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“मैं सोचता हूँ कि अब इस घर को बेच दूँ।“राघव (राघवेन्द् ) ने अपने कमरे की खिड़की से बाहर खुले आसमान की ओर बहुत दूर तक देखते हुए कहा। अगले ही पल राघवेन्द्र ने अपनी दृष्टि को दूर आसमान...

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प्यारी बेटी By DINESH KUMAR KEER

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10 नवंबर 1990 को कार्यभार संभालने के 12 दिनों के ही भीतर चंद्रशेखर पांचवे सार्क शिखर सम्मेलन में भाग लेने माले मालदीव गए. वहाँ उन्होंने ठेठ हिंदी औऱ अपनी मातृभाषा भोजपुरी में ज़बर्...

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