hindi Best Fiction Stories Books Free And Download PDF

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Fiction Stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cu...Read More


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  • नक़ल या अक्ल - 55

    55 थप्पड़     अब नन्हें ने उस शख्स को देखकर ख़ुश होकर कहा,   कमलेश तू? और फिर दोनो...

  • नागेंद्र - भाग 1

    एक 16 साल की लड़की दुल्हन के लिबास में एक जंगल में बने हुए नाग मंदिर के सामने बै...

  • पथरीले कंटीले रास्ते - 22

    पथरीले कंटीले रास्ते    22   इंतजार को कातिल और कयामत किसी ने ऐसे ही नहीं कहा ।...

रावी की लहरें - भाग 16 By Sureshbabu Mishra

स्मृतियाँ   देहरादून की सुरमई बादियों में कदम रखते ही मेरी वे सारी यादें ताजा हो गई, जिनकी वजह से मैंने देहरादून छोड़ा था। हालांकि तब के देहरादून और अब के देहरादून में जमीन आस...

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नक़ल या अक्ल - 55 By Swati Grover

55 थप्पड़     अब नन्हें ने उस शख्स को देखकर ख़ुश होकर कहा,   कमलेश तू? और फिर दोनों गले मिल गए, फिर कमलेश ने नंदन को भी गले लगा लिया।   तू तो गायब ही हो गया था।   हाँ नन्हें,  बस काम...

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स्वयंवधू - 18 By Sayant

"कोई पागल ही मुझे जानना चाहेगा।", वृषाली ने कहा,(तो अब मैं पागल हूँ।)"अहम! यह उनका असफल प्रयास था इसलिए उन्होंने तुम्हें पकड़ने के लिए नई घटनाएँ रचीं और कायल के स्टॉकर का इस्तेमाल...

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बियोंड वर्ड्स : अ लव बॉर्न इन साइलेंस - भाग 13 By Dev Srivastava Divyam

   रात का समय,  नेशनल हाईवे,   सिद्धांत ने अपने सिर पर हाथ रख कर कहा, " ओ भाई साहब, हो गया बंटाधार ! "   निशा ने कहा, " कुछ कहा तुमने ! "   सिद्धांत ने कहा, " नहीं, नहीं, मैम ! कृप...

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मैं तो ओढ चुनरिया - 62 By Sneh Goswami

  मैं तो ओढ चुनरिया    62   पूरी रात मैं आज के घटनाक्रम पर विचार करती रही । बिना किसी कसूर के मिली गालियां । फिर घड़ी मिल जाने पर खुशी । हमारे घर तो छोटी से छोटी चीज भी किसी के लिए...

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नागेंद्र - भाग 1 By anita bashal

एक 16 साल की लड़की दुल्हन के लिबास में एक जंगल में बने हुए नाग मंदिर के सामने बैठी हुई थी। रंग गोरा और मासूम चेहरा लेकिन चेहरे में घबराहट। उसके सामने शादी में उपयोग होने वाली हर ची...

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Shadow Of The Packs - 20 By Vijay Sanga

पृथ्वीराज की बात सुनकर रूक्मणी उसकी बात समझने के बजाय और गुस्से मे आ गई। “आपने विक्रांत को ये तो बता दिया की इस लड़की को ठीक किया जा सकता है! पर तुमने विक्रांत को ये बताया की इस लड...

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पथरीले कंटीले रास्ते - 22 By Sneh Goswami

पथरीले कंटीले रास्ते    22   इंतजार को कातिल और कयामत किसी ने ऐसे ही नहीं कहा । इंतजार की घङियाँ बङी सुस्त होती हैं । इतना धीरे चलती हैं कि कभी खत्म होने में ही नहीं आती । जिसको कि...

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पीहर By prabha pareek

पीहरसुबह बाबुजी का फोन आया ,मां के जाने के बाद बाबुजी के बस एक आध ही तो फोन आये थे ।. आज उन्होंने बिना किसी लाग लपेट के बड़ी गंभीर आवाज में कहा था ’’जाकर घर संभाल आना, जो सामान ठिका...

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दिवाकर : दी फादर - भाग 1 By Lalit Kishor Aka Shitiz

सुबह सुबह रसोई से पराठों की खुशबू आ रही है और दीवाकर जी मंदिर में गायत्री मंत्र का पाठ कर रहे हैं। मगर सुमित्रा जी के पराठों की महक उनके नाक में घर करने लगी...... तभी पायल चिल्लाते...

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एमी - भाग 5 (अंतिम भाग) By Pradeep Shrivastava

भाग -5 मगर इस डिसीज़न ने मेरे कॅरियर पर बहुत बुरा प्रभाव डाला। मदर से एक लंबे गैप या यह कहें कि ना के बराबर कम्युनिकेशन होने, इमोशनल रिश्ते के कमज़ोर से धागे से जुड़े होने के कारण मेर...

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फिर मिलेंगे By S Sinha

                                                                                 कहानी - फिर मिलेंगे        बरसात  के मौसम में एक दिन बोकारो स्टील सिटी स्टेशन पर नयी दिल्ली जाने वा...

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सदफ़िया मंज़िल - भाग 4 (अंतिम भाग) By Pradeep Shrivastava

भाग -4 “इसी बीच एक दिन, एक दल्ला, एक ग्राहक रणजीत बख्स सिंह को लेकर इनके पास आया। यह आज भी उसका नाम भूली नहीं हैं। ज़हूरन के जाने के बाद से ही इन्होंने किसी ग्राहक के साथ सोना...

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रावी की लहरें - भाग 16 By Sureshbabu Mishra

स्मृतियाँ   देहरादून की सुरमई बादियों में कदम रखते ही मेरी वे सारी यादें ताजा हो गई, जिनकी वजह से मैंने देहरादून छोड़ा था। हालांकि तब के देहरादून और अब के देहरादून में जमीन आस...

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नक़ल या अक्ल - 55 By Swati Grover

55 थप्पड़     अब नन्हें ने उस शख्स को देखकर ख़ुश होकर कहा,   कमलेश तू? और फिर दोनों गले मिल गए, फिर कमलेश ने नंदन को भी गले लगा लिया।   तू तो गायब ही हो गया था।   हाँ नन्हें,  बस काम...

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स्वयंवधू - 18 By Sayant

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बियोंड वर्ड्स : अ लव बॉर्न इन साइलेंस - भाग 13 By Dev Srivastava Divyam

   रात का समय,  नेशनल हाईवे,   सिद्धांत ने अपने सिर पर हाथ रख कर कहा, " ओ भाई साहब, हो गया बंटाधार ! "   निशा ने कहा, " कुछ कहा तुमने ! "   सिद्धांत ने कहा, " नहीं, नहीं, मैम ! कृप...

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मैं तो ओढ चुनरिया - 62 By Sneh Goswami

  मैं तो ओढ चुनरिया    62   पूरी रात मैं आज के घटनाक्रम पर विचार करती रही । बिना किसी कसूर के मिली गालियां । फिर घड़ी मिल जाने पर खुशी । हमारे घर तो छोटी से छोटी चीज भी किसी के लिए...

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नागेंद्र - भाग 1 By anita bashal

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Shadow Of The Packs - 20 By Vijay Sanga

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पथरीले कंटीले रास्ते - 22 By Sneh Goswami

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दिवाकर : दी फादर - भाग 1 By Lalit Kishor Aka Shitiz

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एमी - भाग 5 (अंतिम भाग) By Pradeep Shrivastava

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सदफ़िया मंज़िल - भाग 4 (अंतिम भाग) By Pradeep Shrivastava

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