hindi Best Classic Stories Books Free And Download PDF

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Classic Stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cu...Read More


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खुशबुएं पकड़ में कहां आती हैं By Prabodh Kumar Govil

उसे पक्का यकीन हो गया कि भावनाएं कहीं नहीं पहुंचतीं। वह कोई अन्तर्यामी तो है नहीं, पहुंचती भी होंगी, पर इतना वह ज़रूर कह सकता है कि भावनाओं की पावती नहीं आती। प्रत्यावर्तन का कोई ऐ...

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धुस - कुटुस By Prabodh Kumar Govil

"धुस- कुटुस" तहलका मच गया। ये तो सोने पर सुहागा ही था कि एक ओर जहां विश्व नीड़म विद्यानिकेतन का स्वर्ण जयंती समारोह मनाए जाने की घोषणा ज़ोर- शोर से हुई, वहीं डॉक्टर लीली पुटियन की...

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विभीषिका By rajendra shrivastava

लघु-कथा-- विभीषिका...

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मातृत्व By Sangeeta Gupta

"आंती,हमाली बोल दे दो " गुलाब की क्यारी गोड़ते हुए सुरभि ने पीछे पलटकर देखा। मेहंदी की बाढ़ के टूटे हुए पैबंद से एक गोरा चिट्टा बच्चा लाल स्वेटर पहने, अपने दोनों हाथ बढ़ाए खड़ा था।...

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स्थायित्व By Ramnarayan Sungariya

कहानी-- स्थायित्व आर। एन। सुनगरया '' हॉं कमलेश मैं इतना टूट चुका हूँ ..... इसलिए ....... बस अब पथराई औखों...

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पागल-ए-इश्क़ - (पार्ट -4) By Deepak Bundela AryMoulik

कंटीन्यू पार्ट -4महक की कार तेज गती से घर की तरफ दौड़े जा रही थी.. महक पीछे की सीट पर बैठी बैठी सोच रही थी.. कि रेनू को जरूर कुछ आभास हों गया हैं.. तभी दयाल जी ने चुप्पी तोड़ते हुए क...

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हरी चूड़ियाँ By राजेश ओझा

शब्बीर चच्चा आज जैसे बाजार से घर आये..बच्चों ने रोज की तरह घेर लिया..'मेरे लिये क्या है-मेरे लिये क्या है' रोज की तरह थैले को खींचने की होड़ लगने ही वाली थी कि चच्चा ने...

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दिल की दौलत By Ramnarayan Sungariya

कहानी दिल की दौलत आर. एन. सुनगरया, मैं बहुत खुश दिख रही हूँ, इसलिये नहीं कि आज मेरी सगाई के लिये वही लोग आ रहे हैं, जिन्‍होंने कर...

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पठान चाचा By Rohit Kumar Singh

रहा हुंगा मै शायद कोई दसेक साल का,ये तब की हमारे मुहल्ले की बात है,हमारे मुहल्ले की पब्लिक खास तौर पर मुसलमानों और हिन्दुओं की मिश्रित जनता थी,आधा आधा समझ लिजीये,पर कुछ क्रिश्चचियन...

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नो झगड़ा नो लाइफ By r k lal

नो झगड़ा नो लाइफ आर ० के ० लाल रात के दस बज रहे थे। सचिन अभी अभी काम से लौटा था। सचिन की पत्नी वर्षा बड़े गुस्से से तिलमिला रही थी। आज उसकी मैरिज एनिवर्सरी थी और उसने...

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गंधैला By राजेश ओझा

रमेसर तिवारी जमींदार खानदान से थे..जमींदारी उन्मूलन भले हो गयी हो पर 'मुई हाथी तौ सवाव लाख' वाली बात उनपर फिट बैठ रही थी..बड़ा सा दो मंजिला मकान था..क्षेत्र के बड़े काश्तका...

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अंत भला तो सब भला By Rama Sharma Manavi

राधिका के मोबाइल की घण्टी बजती है, देखा तो कोई नया नम्बर था।पुनः बजने पर फोन उठा लिया, हैलो करने पर उधर से चहकती हुई आवाज आई,राधिका कैसी हो तुम।आवाज पहचानते ही खुशी से राधिका बो...

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हर बार वो By Afzal Malla

हर बार वो (कहानी नही है ये है सच्चाई)हर बार वो पल्लू क्यों संभालेतुम कभी अपनी नजरे संभाल लोहर बार वोही घर क्यों संभालेकभी तुम हाथ बटा लिया कारोहर बार वो क्यों ताने सुनेप्यार से कभी...

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कोरा कागज By Sunita Agarwal

बारिश थी कि रुकने का नाम नहीं ले रही थी।आकाश में बिजली चमक रही थी,बादल गरज रहे थे।शाहीन ने घड़ी पर नजर डाली तो देखा रात के बारह बज रहे हैं।पर नींद उसकी आँखों से कोसों दूर थी।आकाश के...

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बच्चों की कहानियाँ कैसी हों By r k lal

बच्चों की कहानियाँ कैसी हों आर 0 के0 लाल मुझे अगर कोई कठिन काम लगता था तो वह बच्चों को कहानी सुनाना था। मैं बड़ा सा बड़ा काम कर सकता हूं , च...

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चार बीघा खेत By राजेश ओझा

दल थम्हन शुकुल ने जैसे ही जलेबी को दही में लपेटा था कि मोबाइल बज उठी..अनमने होकर जलेबी को दोने में रखा और मोबाइल निकाला..अन्दाजा सही निकला..फोन बड़े बेटे का ही था..आज सभी बेटों ने...

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कन्यादान By Sunita Agarwal

सहेलियों से घिरी हुई अवनी दुल्हन के लाल जोड़े में बेहद खूबसूरत लग रही है।उसकी सखियाँ हँसी ठिठोली कर रही हैं। "देखो अवनी के हाथों में मेंहदी कितनी गहरी लगी है जीजू बहुत प्यार करेंगे...

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बेहया के फूल By राजेश ओझा

'सुनिए, आप जहां भी हैं, वहां से जल्दी आ जाइए!' फोन पर पत्नी वैदेही की अकुलाहट भरी आवाज़ सुनकर मनोहर चौंक गए। पूछने पर पता चला कि मंजू का आकस्मिक निधन हो गया है। मंजू, यानी...

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अग्नि परीक्षा By Rekha Pancholi

जय श्री राम !जय श्री राम !का उद्घोष, सिंधु की उत्तंग लहरों से टकराकर स्वर्ण नगरी में फैल गया । यह संदेश था, जो सांझ के धुंधलके में इस सन्नाटे भरी नगरी में दबे पांव पसारने लगा था,...

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सलोनी का फोन By राजेश ओझा

आज होली के त्योहार में जहां सब मगन थे वहीं महंगू का चित्त खोया खोया था..महंगू की दुलहिन अंदाजा लगा तो रहीं थीं पर एक अन्जाने भय से कांप जातीं..घर में उल्लास का माहौल था..दोपहर के ए...

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First - एक अनोखा रक्षाबंधन By Vishal

कहानी शुरू होता है छोटे से बच्चे से जिसकी उम्र लगभग 7-8 साल का है,और वो घर में अकेले टीवी पर कार्टून देख रहा है और वो अपनी दुनिया में मस्ती है। करीब 10से 15 मिनट के बाद उसका भाई आ...

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इच्छापूर्ति By Monty Khandelwal

एक शहर था जहां पर बहुत ही अमीर व्यक्ति रहता था जिसके पास खूब सारी गाड़ियां बंगले और कई फैक्ट्रिया थी हर तरह से वह धनवान था ना किसी चीज की कमी ना किसी चीज का घमंड था और वह हमेशा आम...

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एक लड़की भीगी भागी सी... By Swati Solanki Shahiba

मुंबई की बारिश। यार इस बारिश में तो यहां मुंबई में रहना मुश्किल कर दिया। ओह नो !!तुझे भी अभी टूटना था अपनी चप्पल की ओर देखते हुए ,अफसोस करती हुई पूजा ने कहा। एक कंधे पर बैग और दूसर...

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ममता की छाँव - 3 By Sarita Sharma

मौली अपनी माँ को खो चुकी थी। हालांकि उसका इसपर विस्वास कर पाना मुश्किल था, क्योंकि अभी कल की ही तो बात थी, जब वह मां के मना करने पर भी स्कूल जाने की ज़िद लिए बैठी थी । कितने प्यार स...

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मौत की छलांग By Rohit Kumar Singh

टोनी ने जब से दुनिया देखनी शुरु की थी,उसने खुद को मीना बाज़ार मे ही पाया था,उसकी आंखे उस माहौल मे खुली थी,जहाँ की राते रंगीन और दिन की दुनिया ब्लैक एन्ड व्हाइट थी।वो जब नन्हा सा था,...

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उस एक सुबह के बाद By राजेश ओझा

रमा सारे काम निपटा कर बैठी ही थी कि मोबाइल बज उठा..स्क्रीन पर विटिया दीपाली का नम्बर चमक रहा था..हौले से फोन उठाया"हां बेटा..! हलो..""मम्मी अखिलेश अंकल को कल तक रोंकना, मैं कल आ रह...

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ऑनलाइन क्लास की टेंशन By r k lal

ऑनलाइन क्लास की टेंशन आर ० के ० लाल अनु और मौली दो सगी बहने लखनऊ के दिल्ली पब्लिक स्कूल में पढ़ती हैं। अनु कक्षा तीन में तथा मौली कक्षा छ: में हैं । लॉकडाउन...

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वह सब जो मैंने कहा By VIRENDER VEER MEHTA

आज 'लोकल' में भीड़ नहीं थी। ऐसा कम ही होता है, मेरे आस पास भी केवल तीन लोग ही थे। एक सामने की सीट पर और दो साइड विंडो सीट पर। ट्रेन दो स्टेशन पार कर चुक...

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मबोहरा By राजेश ओझा

मनोहरा ----------------"दादी..! दादी..! मनोहरा बुआ आयी हैं और वह भी कार से..करिया बाबा के नीम के छांह में बैठी हैं "ज्योति दौड़ते हुये अपनी दादी सुखवन्ती को बताने आयी थी.."कौन मनो...

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वेशभूषा By राज कुमार कांदु

किशन बेहद गरीब युवक था । धन संपत्ति के नाम पर उसके पास थोड़ी सी उपजाऊ जमीन और एक गाय थी । खेती किसानी में मन नहीं लगता था । अपनी ही परती पड़ी जमीन में गाय को चरने के लिए छोड़कर वह बा...

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एडल्ट के लिए सीख By r k lal

एडल्ट के लिए सीख आर 0 के 0 लाल चारों दोस्त रमन, सुंदर, भूपत और रामबाबू एक बड़े होटल में डिनर पर बहुत दिनों के बाद आज एक साथ मिले थे । वे खाने की टेबल पर स्टार्...

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हमदर्दी By राज कुमार कांदु

सूखे की मार झेल रहे किशन ने गाँव से पलायन कर शहर में अपना डेरा जमा लिया । शहर में पहले से ही रह रहे उसी की गाँव के गोपाल ने उसे किराए का एक कमरा दिलवा दिया । अपने दो बेटों सोनू और...

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एहसासों के साये में By rajendra shrivastava

-कहानी एहसासों के साये में -राजेन्द्र कुमार श्रीवास्‍तव, ‘’हैल्‍लो!....कौन?.....कौन बोल......किससे बात करनी है?...

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बाली का बेटा (21) By राज बोहरे

21 बाली का बेटा बाल उपन्यास...

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ढिंकचिका - ढिंकचिका By HARIYASH RAI

ढिंकचिका - ढिंकचिका वर्ली की आलीशान इमारत दरवाजे पर कॉल बैल बजा कर अनिमेष थोड़ी देर हतप्रभ से खड़़े रहे. उन्हें अंदाजा था कि दरवाजा या तो उनका नौकर खोलेगा या उनकी पत्नी मनीषा....

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एटिकेट्स By Prabodh Kumar Govil

किसी की समझ में नहीं आया कि आख़िर हुआ क्या? आवाज़ें सुन कर झांकने सब चले आए। करण गुस्से से तमतमाया हुआ खड़ा था। उसने आंगन में खड़ी सायकिल को पहले ज़ोर से लात मारी फ़िर उसे हैंडल स...

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आनंद By HARIYASH RAI

कहानी आनंद पहाडि़यों के पीछे सुबह का सूरज झांकने लगा था. हवा में कुछ ज्यादा ही ठंडक थी. यात्रा के सीजन को शुरू हुए अभी दो दिन ही हुए थे कि यात्री आने शुरू हो गए थे. यात्रा के ती...

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देवास की वीरा By Dr Jaya Anand

देवास की वीराप्रकृति और मन दोनों एकाकार हो रहे थे ,बाहर बादलों का गर्जन और मन के भीतर असहनीय पीड़ा का नर्तन ...देवास की महारानी वीरा की आँखे पथरा गई थीं ,अश्रु आंखों में जम से गए थे...

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उलझने से सुलझने तक By Sandeep Tomar

“उलझने से सुलझने तक” / कहानी / सन्दीप तोमर स्टेला जिन्दगी के थपेड़े झेलते हुए एक बार फिर दिल्ली आ गयी, रोहन का ठीक से कहीं भी सेटल न हो पाना उसके लिए बड़ी सिरदर्दी थी। वह छोटी-...

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भंवर में By HARIYASH RAI

कहानी भँवर में ..... हरियश राय चाहता तो वह गूगल के जनक सरगै ब्रिन की तरह बनना जिसकी वजह से गूगल दुनिया भर में मशहूर हो गया और जिसकी वजह से क्लास का हर बच्चा ‘’ गूगल करो’’ या...

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जैकगोवर्धन और शेखन एलिज़ाबेथ By Prabodh Kumar Govil

मैं बरामदे में बैठा हुआ अख़बार पढ़ रहा था कि मेरी आठ वर्षीया बेटी दौड़ी दौड़ी आई और बोली- पापा पापा, आप कहते थे न कि सवेरे सवेरे देखा हुआ सपना सच होता है? तो आज मैंने बिल्कुल सुबह...

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अटूट बंधन By अनिल कुमार निश्छल

रवि और कुसुम की शादी हुए अभी कुछ ही साल बीते थे।सभी लोग खुशी-खुशी रह रहे थे;लेकिन एक दिन एक दर्द विदारक घटना घटी।कुसुम अपनी सास से झगड़ा कर बैठी और अपने पति,रवि से झल्लाकर बोली,"या...

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खुशबुएं पकड़ में कहां आती हैं By Prabodh Kumar Govil

उसे पक्का यकीन हो गया कि भावनाएं कहीं नहीं पहुंचतीं। वह कोई अन्तर्यामी तो है नहीं, पहुंचती भी होंगी, पर इतना वह ज़रूर कह सकता है कि भावनाओं की पावती नहीं आती। प्रत्यावर्तन का कोई ऐ...

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धुस - कुटुस By Prabodh Kumar Govil

"धुस- कुटुस" तहलका मच गया। ये तो सोने पर सुहागा ही था कि एक ओर जहां विश्व नीड़म विद्यानिकेतन का स्वर्ण जयंती समारोह मनाए जाने की घोषणा ज़ोर- शोर से हुई, वहीं डॉक्टर लीली पुटियन की...

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विभीषिका By rajendra shrivastava

लघु-कथा-- विभीषिका...

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मातृत्व By Sangeeta Gupta

"आंती,हमाली बोल दे दो " गुलाब की क्यारी गोड़ते हुए सुरभि ने पीछे पलटकर देखा। मेहंदी की बाढ़ के टूटे हुए पैबंद से एक गोरा चिट्टा बच्चा लाल स्वेटर पहने, अपने दोनों हाथ बढ़ाए खड़ा था।...

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स्थायित्व By Ramnarayan Sungariya

कहानी-- स्थायित्व आर। एन। सुनगरया '' हॉं कमलेश मैं इतना टूट चुका हूँ ..... इसलिए ....... बस अब पथराई औखों...

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पागल-ए-इश्क़ - (पार्ट -4) By Deepak Bundela AryMoulik

कंटीन्यू पार्ट -4महक की कार तेज गती से घर की तरफ दौड़े जा रही थी.. महक पीछे की सीट पर बैठी बैठी सोच रही थी.. कि रेनू को जरूर कुछ आभास हों गया हैं.. तभी दयाल जी ने चुप्पी तोड़ते हुए क...

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हरी चूड़ियाँ By राजेश ओझा

शब्बीर चच्चा आज जैसे बाजार से घर आये..बच्चों ने रोज की तरह घेर लिया..'मेरे लिये क्या है-मेरे लिये क्या है' रोज की तरह थैले को खींचने की होड़ लगने ही वाली थी कि चच्चा ने...

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दिल की दौलत By Ramnarayan Sungariya

कहानी दिल की दौलत आर. एन. सुनगरया, मैं बहुत खुश दिख रही हूँ, इसलिये नहीं कि आज मेरी सगाई के लिये वही लोग आ रहे हैं, जिन्‍होंने कर...

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पठान चाचा By Rohit Kumar Singh

रहा हुंगा मै शायद कोई दसेक साल का,ये तब की हमारे मुहल्ले की बात है,हमारे मुहल्ले की पब्लिक खास तौर पर मुसलमानों और हिन्दुओं की मिश्रित जनता थी,आधा आधा समझ लिजीये,पर कुछ क्रिश्चचियन...

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नो झगड़ा नो लाइफ By r k lal

नो झगड़ा नो लाइफ आर ० के ० लाल रात के दस बज रहे थे। सचिन अभी अभी काम से लौटा था। सचिन की पत्नी वर्षा बड़े गुस्से से तिलमिला रही थी। आज उसकी मैरिज एनिवर्सरी थी और उसने...

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गंधैला By राजेश ओझा

रमेसर तिवारी जमींदार खानदान से थे..जमींदारी उन्मूलन भले हो गयी हो पर 'मुई हाथी तौ सवाव लाख' वाली बात उनपर फिट बैठ रही थी..बड़ा सा दो मंजिला मकान था..क्षेत्र के बड़े काश्तका...

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अंत भला तो सब भला By Rama Sharma Manavi

राधिका के मोबाइल की घण्टी बजती है, देखा तो कोई नया नम्बर था।पुनः बजने पर फोन उठा लिया, हैलो करने पर उधर से चहकती हुई आवाज आई,राधिका कैसी हो तुम।आवाज पहचानते ही खुशी से राधिका बो...

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हर बार वो By Afzal Malla

हर बार वो (कहानी नही है ये है सच्चाई)हर बार वो पल्लू क्यों संभालेतुम कभी अपनी नजरे संभाल लोहर बार वोही घर क्यों संभालेकभी तुम हाथ बटा लिया कारोहर बार वो क्यों ताने सुनेप्यार से कभी...

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कोरा कागज By Sunita Agarwal

बारिश थी कि रुकने का नाम नहीं ले रही थी।आकाश में बिजली चमक रही थी,बादल गरज रहे थे।शाहीन ने घड़ी पर नजर डाली तो देखा रात के बारह बज रहे हैं।पर नींद उसकी आँखों से कोसों दूर थी।आकाश के...

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बच्चों की कहानियाँ कैसी हों By r k lal

बच्चों की कहानियाँ कैसी हों आर 0 के0 लाल मुझे अगर कोई कठिन काम लगता था तो वह बच्चों को कहानी सुनाना था। मैं बड़ा सा बड़ा काम कर सकता हूं , च...

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चार बीघा खेत By राजेश ओझा

दल थम्हन शुकुल ने जैसे ही जलेबी को दही में लपेटा था कि मोबाइल बज उठी..अनमने होकर जलेबी को दोने में रखा और मोबाइल निकाला..अन्दाजा सही निकला..फोन बड़े बेटे का ही था..आज सभी बेटों ने...

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कन्यादान By Sunita Agarwal

सहेलियों से घिरी हुई अवनी दुल्हन के लाल जोड़े में बेहद खूबसूरत लग रही है।उसकी सखियाँ हँसी ठिठोली कर रही हैं। "देखो अवनी के हाथों में मेंहदी कितनी गहरी लगी है जीजू बहुत प्यार करेंगे...

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बेहया के फूल By राजेश ओझा

'सुनिए, आप जहां भी हैं, वहां से जल्दी आ जाइए!' फोन पर पत्नी वैदेही की अकुलाहट भरी आवाज़ सुनकर मनोहर चौंक गए। पूछने पर पता चला कि मंजू का आकस्मिक निधन हो गया है। मंजू, यानी...

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अग्नि परीक्षा By Rekha Pancholi

जय श्री राम !जय श्री राम !का उद्घोष, सिंधु की उत्तंग लहरों से टकराकर स्वर्ण नगरी में फैल गया । यह संदेश था, जो सांझ के धुंधलके में इस सन्नाटे भरी नगरी में दबे पांव पसारने लगा था,...

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सलोनी का फोन By राजेश ओझा

आज होली के त्योहार में जहां सब मगन थे वहीं महंगू का चित्त खोया खोया था..महंगू की दुलहिन अंदाजा लगा तो रहीं थीं पर एक अन्जाने भय से कांप जातीं..घर में उल्लास का माहौल था..दोपहर के ए...

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First - एक अनोखा रक्षाबंधन By Vishal

कहानी शुरू होता है छोटे से बच्चे से जिसकी उम्र लगभग 7-8 साल का है,और वो घर में अकेले टीवी पर कार्टून देख रहा है और वो अपनी दुनिया में मस्ती है। करीब 10से 15 मिनट के बाद उसका भाई आ...

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इच्छापूर्ति By Monty Khandelwal

एक शहर था जहां पर बहुत ही अमीर व्यक्ति रहता था जिसके पास खूब सारी गाड़ियां बंगले और कई फैक्ट्रिया थी हर तरह से वह धनवान था ना किसी चीज की कमी ना किसी चीज का घमंड था और वह हमेशा आम...

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एक लड़की भीगी भागी सी... By Swati Solanki Shahiba

मुंबई की बारिश। यार इस बारिश में तो यहां मुंबई में रहना मुश्किल कर दिया। ओह नो !!तुझे भी अभी टूटना था अपनी चप्पल की ओर देखते हुए ,अफसोस करती हुई पूजा ने कहा। एक कंधे पर बैग और दूसर...

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ममता की छाँव - 3 By Sarita Sharma

मौली अपनी माँ को खो चुकी थी। हालांकि उसका इसपर विस्वास कर पाना मुश्किल था, क्योंकि अभी कल की ही तो बात थी, जब वह मां के मना करने पर भी स्कूल जाने की ज़िद लिए बैठी थी । कितने प्यार स...

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मौत की छलांग By Rohit Kumar Singh

टोनी ने जब से दुनिया देखनी शुरु की थी,उसने खुद को मीना बाज़ार मे ही पाया था,उसकी आंखे उस माहौल मे खुली थी,जहाँ की राते रंगीन और दिन की दुनिया ब्लैक एन्ड व्हाइट थी।वो जब नन्हा सा था,...

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उस एक सुबह के बाद By राजेश ओझा

रमा सारे काम निपटा कर बैठी ही थी कि मोबाइल बज उठा..स्क्रीन पर विटिया दीपाली का नम्बर चमक रहा था..हौले से फोन उठाया"हां बेटा..! हलो..""मम्मी अखिलेश अंकल को कल तक रोंकना, मैं कल आ रह...

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ऑनलाइन क्लास की टेंशन By r k lal

ऑनलाइन क्लास की टेंशन आर ० के ० लाल अनु और मौली दो सगी बहने लखनऊ के दिल्ली पब्लिक स्कूल में पढ़ती हैं। अनु कक्षा तीन में तथा मौली कक्षा छ: में हैं । लॉकडाउन...

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वह सब जो मैंने कहा By VIRENDER VEER MEHTA

आज 'लोकल' में भीड़ नहीं थी। ऐसा कम ही होता है, मेरे आस पास भी केवल तीन लोग ही थे। एक सामने की सीट पर और दो साइड विंडो सीट पर। ट्रेन दो स्टेशन पार कर चुक...

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मबोहरा By राजेश ओझा

मनोहरा ----------------"दादी..! दादी..! मनोहरा बुआ आयी हैं और वह भी कार से..करिया बाबा के नीम के छांह में बैठी हैं "ज्योति दौड़ते हुये अपनी दादी सुखवन्ती को बताने आयी थी.."कौन मनो...

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वेशभूषा By राज कुमार कांदु

किशन बेहद गरीब युवक था । धन संपत्ति के नाम पर उसके पास थोड़ी सी उपजाऊ जमीन और एक गाय थी । खेती किसानी में मन नहीं लगता था । अपनी ही परती पड़ी जमीन में गाय को चरने के लिए छोड़कर वह बा...

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एडल्ट के लिए सीख By r k lal

एडल्ट के लिए सीख आर 0 के 0 लाल चारों दोस्त रमन, सुंदर, भूपत और रामबाबू एक बड़े होटल में डिनर पर बहुत दिनों के बाद आज एक साथ मिले थे । वे खाने की टेबल पर स्टार्...

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हमदर्दी By राज कुमार कांदु

सूखे की मार झेल रहे किशन ने गाँव से पलायन कर शहर में अपना डेरा जमा लिया । शहर में पहले से ही रह रहे उसी की गाँव के गोपाल ने उसे किराए का एक कमरा दिलवा दिया । अपने दो बेटों सोनू और...

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एहसासों के साये में By rajendra shrivastava

-कहानी एहसासों के साये में -राजेन्द्र कुमार श्रीवास्‍तव, ‘’हैल्‍लो!....कौन?.....कौन बोल......किससे बात करनी है?...

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बाली का बेटा (21) By राज बोहरे

21 बाली का बेटा बाल उपन्यास...

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ढिंकचिका - ढिंकचिका By HARIYASH RAI

ढिंकचिका - ढिंकचिका वर्ली की आलीशान इमारत दरवाजे पर कॉल बैल बजा कर अनिमेष थोड़ी देर हतप्रभ से खड़़े रहे. उन्हें अंदाजा था कि दरवाजा या तो उनका नौकर खोलेगा या उनकी पत्नी मनीषा....

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एटिकेट्स By Prabodh Kumar Govil

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आनंद By HARIYASH RAI

कहानी आनंद पहाडि़यों के पीछे सुबह का सूरज झांकने लगा था. हवा में कुछ ज्यादा ही ठंडक थी. यात्रा के सीजन को शुरू हुए अभी दो दिन ही हुए थे कि यात्री आने शुरू हो गए थे. यात्रा के ती...

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देवास की वीरा By Dr Jaya Anand

देवास की वीराप्रकृति और मन दोनों एकाकार हो रहे थे ,बाहर बादलों का गर्जन और मन के भीतर असहनीय पीड़ा का नर्तन ...देवास की महारानी वीरा की आँखे पथरा गई थीं ,अश्रु आंखों में जम से गए थे...

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उलझने से सुलझने तक By Sandeep Tomar

“उलझने से सुलझने तक” / कहानी / सन्दीप तोमर स्टेला जिन्दगी के थपेड़े झेलते हुए एक बार फिर दिल्ली आ गयी, रोहन का ठीक से कहीं भी सेटल न हो पाना उसके लिए बड़ी सिरदर्दी थी। वह छोटी-...

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भंवर में By HARIYASH RAI

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जैकगोवर्धन और शेखन एलिज़ाबेथ By Prabodh Kumar Govil

मैं बरामदे में बैठा हुआ अख़बार पढ़ रहा था कि मेरी आठ वर्षीया बेटी दौड़ी दौड़ी आई और बोली- पापा पापा, आप कहते थे न कि सवेरे सवेरे देखा हुआ सपना सच होता है? तो आज मैंने बिल्कुल सुबह...

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अटूट बंधन By अनिल कुमार निश्छल

रवि और कुसुम की शादी हुए अभी कुछ ही साल बीते थे।सभी लोग खुशी-खुशी रह रहे थे;लेकिन एक दिन एक दर्द विदारक घटना घटी।कुसुम अपनी सास से झगड़ा कर बैठी और अपने पति,रवि से झल्लाकर बोली,"या...

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