hindi Best Classic Stories Books Free And Download PDF

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Classic Stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cu...Read More


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  • अन्‍न जल

    अन्न-जल यदि भयानक तूफान से ऐसा होता, तो भी हरि सिंह चौधरी संतोष कर लेते, यदि भ...

  • अखिलेश्वर बाबू

    वह सुनसान और उजड़ा हुआ सा इलाका था। करीब से करीब का गांव भी वहां से तीन चार किलो...

  • हड़पने की नियत

    हड़पने की नियतआर ० के ० लाल मिलन अपनी मस्ती मे चला जा रहा था तभी अपने...

अटूट बंधन By अनिल कुमार निश्छल

रवि और कुसुम की शादी हुए अभी कुछ ही साल बीते थे।सभी लोग खुशी-खुशी रह रहे थे;लेकिन एक दिन एक दर्द विदारक घटना घटी।कुसुम अपनी सास से झगड़ा कर बैठी और अपने पति,रवि से झल्लाकर बोली,"या...

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बाली का बेटा (15) By राज बोहरे

15 बाली का बेटा बाल उपन्यास...

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अन्‍न जल By HARIYASH RAI

अन्न-जल यदि भयानक तूफान से ऐसा होता, तो भी हरि सिंह चौधरी संतोष कर लेते, यदि भूकंप में उनके खेतों की जमीन धंस जाती, तब भी वे उफ़ तक न करते और खुदा का खौफ मानकर सब्र कर लेते, यदि...

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अखिलेश्वर बाबू By Prabodh Kumar Govil

वह सुनसान और उजड़ा हुआ सा इलाका था। करीब से करीब का गांव भी वहां से तीन चार किलोमीटर दूर था। रास्ता,सड़क कहीं कुछ नहीं, झाड़ झंकाड़, धूल धक्कड़, तीखी और तल्ख़ धूप, सीधे सूरज की। छा...

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हड़पने की नियत By r k lal

हड़पने की नियतआर ० के ० लाल मिलन अपनी मस्ती मे चला जा रहा था तभी अपने फुलवारी में खटिया पर बैठे हुए अजोध्या काका ने उसे आवाज़ दी, जहाँ उन्होंने बहुत सारी हरी सब्जियाँ लगा...

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एक अधूरी शाम - 1 By Anant Dhish Aman

दिन ढलने के कगार पर थी और रात चढने की खुमार पर थी हवा गर्म से नर्म हो रही थी मौसम भी धीरे-धीरे लजीज हो रही थी टहलने का मन हुआ तो निकल पड़े लुफ्त उठाने मौसम का ।। घर से कदम बाहर निकल...

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पागल-ए-इश्क़ - 1 By Deepak Bundela AryMoulik

दोस्तों.. नमस्कार.. ?आपके सामने एक फिर प्यार की कहानी के साथ मौजूद हूं... मेरा हमेशा से मकसद यहीं रहा हैं कि प्यार को समझें एक दूसरे की भावनाओं को समझें आप कितने खुश नसीब हैं कि आप...

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किस मुकाम तक By HARIYASH RAI

किस मुकाम तक हरियश राय “मैं बैठ सकता हूं यहां ।’ उन्होंने सकुचाते हुए मुझसे पूछा । लंबा कद । सिर पर गोल टोपी । बेतरतीब ढंग से बढ़ी हुई दाढ़ी । लंबा सफेद कुर्ता, कुर्ते के ऊपर नेहर...

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उत्तराधिकर्मी By Prabodh Kumar Govil

"उत्तराधिकर्मी" (कहानी) - प्रबोध कुमार गोविल आज खाना फ़िर नहीं बना। दोनों अलग - अलग कमरे में हाथ की कोहनी से माथा ढके सरेशाम सोते रहे। सोना तो क्या था, स्थितियों के प्रति अ...

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कब मिलेगा आवास By जगदीप सिंह मान दीप

पग-पग पर पीड़ा उठाते हुए घर पहुंँचने का बीड़ा उठाया है।अपने घरों की ओर चलने के लिए तैयार हैं। अपनी मंजिल को ध्यान में रखते हुए अथक अविश्रांत आगे बढ़ते जा रहे हैं। एक ही मंजिल है एक...

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मुंबई से घर वापसी By r k lal

मुंबई से घर वापसी आर ० के ० लाल सरजू ने शाम को ही सबको सूचित कर दिया था कि सुबह ठीक तीन बजे सभी को निकलना है। मुंबई के जुहू इलाके की गलियों में रहने वाले कई...

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इश्क़ 92 दा वार - 7 By Deepak Bundela AryMoulik

दोस्तों इस कहानी को आगे बढ़ाने में मैं थोड़ा पीछे हों गया था क्योंकि कोरोना महामारी के चलते थोड़ा ज़िम्मेदारियां बढ़ गयी थी.. जैसाकि मैं न्यूज़ चेनल में पदस्थ हूं लॉक डाउन के दौरान रात द...

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कानून का जाल By राज कुमार कांदु

शहर में आये दिन युवा लड़कियों के अपहरण और उनके साथ हैवानियत की खबरें आती रहती थी । कुछ दिनों की सुर्खियों के बाद अपराधियों की दबंगई के चलते पीड़ित लड़कियां अपना बयान वापस ले लेतीं...

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नारायणपुर की लक्ष्मी By Mukesh nagar

बड़ा सा राज्य था वह। राजा भी बड़ा प्रतापी था उसका। बुद्धिमान और प्रजापालक। सदा सच्चे हृदय से प्रजा की भलाई में लगा रहता। उसने सोचा...बाकी तो सब ठीक है, बस दूर-दराज के गाँवों का विकास...

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पर्दे में रहने दो By r k lal

पर्दे में रहने दो आर० के० लाल एक अर्से बाद प्रियंका और सुनयना दोनों सगी बहने एक साथ इकट्ठा थीं। सुनयना की तेरह साल की बेटी सोनम भी अपनी कज़िन हर्षिता के साथ धमा-...

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हमें घर जाना हैं By हरिराम भार्गव हिन्दी जुड़वाँ

भूख शाम का समय था l सूरज अभी डूबा न था, लालिमा छा गयी l आज सारे दिन मेरा एक ही काम था l जिला दंडाधिकारी दिल्ली से बाहर जाने के लिए पास जारी हो रहे थे l पास बनवाने वालों की बहुत भा...

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आँसू तेरे प्रेम के (लघु कथा) By हेतराम भार्गव हिन्दी जुड़वाँ

आंसू तेरे प्रेम के एक स्मृति जिसे मन कभी भूला ना सका। तीस बर्षों बाद साहित्य की पत्रिका पढते हुए अनायास एक अभिनन्दन पत्र पर नजरें पड़ी। पढ़ते पढ़ते रोम रोम रोने लग गया। बेट...

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मंजिल By जगदीप सिंह मान दीप

"इसे कहते हैं पास होना" वाले शब्दों ने मेरे कदम मंजिल की ओर बढ़वा दिए।उस समय मैं जवाहर नवोदय विद्यालय वालपोई उत्तर गोवा,गोवा में हिंदी शिक्षक के रूप में कार्यरत था। एक दिन शाम को म...

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झूठी शान By राज कुमार कांदु

” क्या कह रहे हो ? ……कैसे ? ………. ये कब हुआ ? ” फोन पर बात करते हुए अशोक बाबू अचानक उत्तेजित हो उठे थे । फोन पर दूसरी तरफ से कुछ कहा गया । ” धन्यवाद भाईसाहब ! हमें सूचित करने के लिए...

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देशद्रोही By राज कुमार कांदु

जब से कश्मीर में बाढ़ की विभीषिका थमी थी असलम बडी कशमकश के दौर से गुजर रहा था । टीले पर चहलकदमी करते हुए उसकी आँखों के सामने पिछले कुछ महीनों के दृश्य घूम रहे थे और वह गंभीरता से सभ...

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क्या मैं रिटायर हूँ ? By राज कुमार कांदु

'कोल्हू के बैल की तरह गृहस्थी की चक्की पिसते पिसते एक दिन एक खबर ने मेरा दिल खिला दिया । हाँ ! खबर ही ऐसी थी जिसका इंतजार हर कर्मचारी , मुलाजिम बड़ी सिद्दत से करता है और फिर ऐस...

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त्याग By हरिराम भार्गव हिन्दी जुड़वाँ

त्याग मैं उसके लगभग पांच सालों तक सम्पर्क में रहा | जिसमें उससे व्यक्तिगत रूप से कोई दो चार ही मुलाकातें हुई थी, लगभग फोन पर है वो मेरी भेजी हुई कहानियों को प्रूफ चेक करती और छपने...

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अनमोल रिश्ते By राज कुमार कांदु

विवाह के पंद्रह वर्ष बीत चुके थे लेकिन रमा और अंश की झोली संतान के नाम पर अभी तक खाली ही थी । अंश के काम पर चले जाने के बाद रमा को खाली घर काटने को दौड़ता । दिल में निराशा घर करने ल...

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प्राइवेसी By हरिराम भार्गव हिन्दी जुड़वाँ

रोमित के ऑटो बुलाने पर कानों को चीर देने वाला हॉर्न देते हुए ऑटो रुका l पर ऑटो की आवाज सुनकर गली में आज कोई बच्चा नहीं आय़ा l बीसों साल पहले किसी गाड़ी की आवाज सुनते ही बच्चे दौड़...

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एक था मोनू By राज कुमार कांदु

बाजार से घर आते हुए एक जाना पहचाना स्वर सुनकर पीछे मुड़कर देखा । आवाज देने वाला कोई और नहीं ‘ मोनू ‘ था ।मोनू एक दस वर्षीय अनाथ बालक था । अपनी दुकान के बगल में चाय वाले की दुकान पर...

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आत्मविश्वास By जगदीप सिंह मान दीप

"आत्मविश्वास"लाइट नहीं है वाली घटना, मेरे जीवन में एक नया सवेरा लेकर आई। आज मैं मेरे अजीज मित्र सुरेश को प्राध्यापक हिंदी पद पर नौकरी ज्वाइन करवाने के लिए उसके साथ जा रहा था। मेरा...

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ये कैसा इश्क है By Monty Khandelwal

ये कैसा इश्क हैरहीम अपने परिवार के साथ बैठा खाना ही खा रहा था | की बहार किसी की जोर से चिल्लाने की आवाज़ आती हे |साथ ही बहार पड़े कुछ बर्तन भी जोर से कोई फेंक रहा था..|ईतने जोर से...

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आई एम नोट वेल By हरिराम भार्गव हिन्दी जुड़वाँ

आई एम नोट वेल ( भाग 1). एक हर शाम हमेशा नई होती है l आज शाम को घर लौटते वक्त बस में भरी सवारी के साथ मैं एक नन्हीं सी बिटिया को खड़ा देख उसे सीट दी l वह अपनी मात...

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राजालाल का भैंसा राजा। By Ranjeev Kumar Jha

राजालाल का भैंसा राजा।.......................... ( कहानी)लेखक -रणजीव कुमार झा (R K Jha) भोपाल (स्वरचित और मौलिक).............................................…...आजकल गोपालपुर के...

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इंस्पेक्शन By SURENDRA ARORA

कहानी इंस्पेक्शन...

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रक्त सम्बन्ध By Vijay Vibhor

‘तीस बरस की हो गई है । इस उम्र में कौन तुझसे ब्याह करेगा ?’ मौसी के इन तानों की बौछार के बीच फोन पर मैसेज़ आया, ‘एक युवक घायलावस्था में अस्पताल पहुँचा है । उसे बी पॉजिटिव रक्त की आव...

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मृत्यु का वरण By Chandresh Kumar Chhatlani

वो मृत्यु से डरते थे, वैसे तो यह डर सभी के मन में होता है, लेकिन एक वैरागी के मुख से यह बात सुन कर शायद कुछ अजीब लगे। अमृत्यानंद जी ने 10 वर्ष की आयु में ही वैराग्य ले लिया था। और...

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अटूट बंधन By अनिल कुमार निश्छल

रवि और कुसुम की शादी हुए अभी कुछ ही साल बीते थे।सभी लोग खुशी-खुशी रह रहे थे;लेकिन एक दिन एक दर्द विदारक घटना घटी।कुसुम अपनी सास से झगड़ा कर बैठी और अपने पति,रवि से झल्लाकर बोली,"या...

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बाली का बेटा (15) By राज बोहरे

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अन्‍न जल By HARIYASH RAI

अन्न-जल यदि भयानक तूफान से ऐसा होता, तो भी हरि सिंह चौधरी संतोष कर लेते, यदि भूकंप में उनके खेतों की जमीन धंस जाती, तब भी वे उफ़ तक न करते और खुदा का खौफ मानकर सब्र कर लेते, यदि...

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अखिलेश्वर बाबू By Prabodh Kumar Govil

वह सुनसान और उजड़ा हुआ सा इलाका था। करीब से करीब का गांव भी वहां से तीन चार किलोमीटर दूर था। रास्ता,सड़क कहीं कुछ नहीं, झाड़ झंकाड़, धूल धक्कड़, तीखी और तल्ख़ धूप, सीधे सूरज की। छा...

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हड़पने की नियत By r k lal

हड़पने की नियतआर ० के ० लाल मिलन अपनी मस्ती मे चला जा रहा था तभी अपने फुलवारी में खटिया पर बैठे हुए अजोध्या काका ने उसे आवाज़ दी, जहाँ उन्होंने बहुत सारी हरी सब्जियाँ लगा...

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एक अधूरी शाम - 1 By Anant Dhish Aman

दिन ढलने के कगार पर थी और रात चढने की खुमार पर थी हवा गर्म से नर्म हो रही थी मौसम भी धीरे-धीरे लजीज हो रही थी टहलने का मन हुआ तो निकल पड़े लुफ्त उठाने मौसम का ।। घर से कदम बाहर निकल...

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दोस्तों.. नमस्कार.. ?आपके सामने एक फिर प्यार की कहानी के साथ मौजूद हूं... मेरा हमेशा से मकसद यहीं रहा हैं कि प्यार को समझें एक दूसरे की भावनाओं को समझें आप कितने खुश नसीब हैं कि आप...

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किस मुकाम तक By HARIYASH RAI

किस मुकाम तक हरियश राय “मैं बैठ सकता हूं यहां ।’ उन्होंने सकुचाते हुए मुझसे पूछा । लंबा कद । सिर पर गोल टोपी । बेतरतीब ढंग से बढ़ी हुई दाढ़ी । लंबा सफेद कुर्ता, कुर्ते के ऊपर नेहर...

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उत्तराधिकर्मी By Prabodh Kumar Govil

"उत्तराधिकर्मी" (कहानी) - प्रबोध कुमार गोविल आज खाना फ़िर नहीं बना। दोनों अलग - अलग कमरे में हाथ की कोहनी से माथा ढके सरेशाम सोते रहे। सोना तो क्या था, स्थितियों के प्रति अ...

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कब मिलेगा आवास By जगदीप सिंह मान दीप

पग-पग पर पीड़ा उठाते हुए घर पहुंँचने का बीड़ा उठाया है।अपने घरों की ओर चलने के लिए तैयार हैं। अपनी मंजिल को ध्यान में रखते हुए अथक अविश्रांत आगे बढ़ते जा रहे हैं। एक ही मंजिल है एक...

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मुंबई से घर वापसी By r k lal

मुंबई से घर वापसी आर ० के ० लाल सरजू ने शाम को ही सबको सूचित कर दिया था कि सुबह ठीक तीन बजे सभी को निकलना है। मुंबई के जुहू इलाके की गलियों में रहने वाले कई...

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इश्क़ 92 दा वार - 7 By Deepak Bundela AryMoulik

दोस्तों इस कहानी को आगे बढ़ाने में मैं थोड़ा पीछे हों गया था क्योंकि कोरोना महामारी के चलते थोड़ा ज़िम्मेदारियां बढ़ गयी थी.. जैसाकि मैं न्यूज़ चेनल में पदस्थ हूं लॉक डाउन के दौरान रात द...

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कानून का जाल By राज कुमार कांदु

शहर में आये दिन युवा लड़कियों के अपहरण और उनके साथ हैवानियत की खबरें आती रहती थी । कुछ दिनों की सुर्खियों के बाद अपराधियों की दबंगई के चलते पीड़ित लड़कियां अपना बयान वापस ले लेतीं...

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नारायणपुर की लक्ष्मी By Mukesh nagar

बड़ा सा राज्य था वह। राजा भी बड़ा प्रतापी था उसका। बुद्धिमान और प्रजापालक। सदा सच्चे हृदय से प्रजा की भलाई में लगा रहता। उसने सोचा...बाकी तो सब ठीक है, बस दूर-दराज के गाँवों का विकास...

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पर्दे में रहने दो By r k lal

पर्दे में रहने दो आर० के० लाल एक अर्से बाद प्रियंका और सुनयना दोनों सगी बहने एक साथ इकट्ठा थीं। सुनयना की तेरह साल की बेटी सोनम भी अपनी कज़िन हर्षिता के साथ धमा-...

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हमें घर जाना हैं By हरिराम भार्गव हिन्दी जुड़वाँ

भूख शाम का समय था l सूरज अभी डूबा न था, लालिमा छा गयी l आज सारे दिन मेरा एक ही काम था l जिला दंडाधिकारी दिल्ली से बाहर जाने के लिए पास जारी हो रहे थे l पास बनवाने वालों की बहुत भा...

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आँसू तेरे प्रेम के (लघु कथा) By हेतराम भार्गव हिन्दी जुड़वाँ

आंसू तेरे प्रेम के एक स्मृति जिसे मन कभी भूला ना सका। तीस बर्षों बाद साहित्य की पत्रिका पढते हुए अनायास एक अभिनन्दन पत्र पर नजरें पड़ी। पढ़ते पढ़ते रोम रोम रोने लग गया। बेट...

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मंजिल By जगदीप सिंह मान दीप

"इसे कहते हैं पास होना" वाले शब्दों ने मेरे कदम मंजिल की ओर बढ़वा दिए।उस समय मैं जवाहर नवोदय विद्यालय वालपोई उत्तर गोवा,गोवा में हिंदी शिक्षक के रूप में कार्यरत था। एक दिन शाम को म...

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झूठी शान By राज कुमार कांदु

” क्या कह रहे हो ? ……कैसे ? ………. ये कब हुआ ? ” फोन पर बात करते हुए अशोक बाबू अचानक उत्तेजित हो उठे थे । फोन पर दूसरी तरफ से कुछ कहा गया । ” धन्यवाद भाईसाहब ! हमें सूचित करने के लिए...

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देशद्रोही By राज कुमार कांदु

जब से कश्मीर में बाढ़ की विभीषिका थमी थी असलम बडी कशमकश के दौर से गुजर रहा था । टीले पर चहलकदमी करते हुए उसकी आँखों के सामने पिछले कुछ महीनों के दृश्य घूम रहे थे और वह गंभीरता से सभ...

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क्या मैं रिटायर हूँ ? By राज कुमार कांदु

'कोल्हू के बैल की तरह गृहस्थी की चक्की पिसते पिसते एक दिन एक खबर ने मेरा दिल खिला दिया । हाँ ! खबर ही ऐसी थी जिसका इंतजार हर कर्मचारी , मुलाजिम बड़ी सिद्दत से करता है और फिर ऐस...

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त्याग By हरिराम भार्गव हिन्दी जुड़वाँ

त्याग मैं उसके लगभग पांच सालों तक सम्पर्क में रहा | जिसमें उससे व्यक्तिगत रूप से कोई दो चार ही मुलाकातें हुई थी, लगभग फोन पर है वो मेरी भेजी हुई कहानियों को प्रूफ चेक करती और छपने...

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एक था मोनू By राज कुमार कांदु

बाजार से घर आते हुए एक जाना पहचाना स्वर सुनकर पीछे मुड़कर देखा । आवाज देने वाला कोई और नहीं ‘ मोनू ‘ था ।मोनू एक दस वर्षीय अनाथ बालक था । अपनी दुकान के बगल में चाय वाले की दुकान पर...

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आत्मविश्वास By जगदीप सिंह मान दीप

"आत्मविश्वास"लाइट नहीं है वाली घटना, मेरे जीवन में एक नया सवेरा लेकर आई। आज मैं मेरे अजीज मित्र सुरेश को प्राध्यापक हिंदी पद पर नौकरी ज्वाइन करवाने के लिए उसके साथ जा रहा था। मेरा...

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ये कैसा इश्क हैरहीम अपने परिवार के साथ बैठा खाना ही खा रहा था | की बहार किसी की जोर से चिल्लाने की आवाज़ आती हे |साथ ही बहार पड़े कुछ बर्तन भी जोर से कोई फेंक रहा था..|ईतने जोर से...

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राजालाल का भैंसा राजा। By Ranjeev Kumar Jha

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मृत्यु का वरण By Chandresh Kumar Chhatlani

वो मृत्यु से डरते थे, वैसे तो यह डर सभी के मन में होता है, लेकिन एक वैरागी के मुख से यह बात सुन कर शायद कुछ अजीब लगे। अमृत्यानंद जी ने 10 वर्ष की आयु में ही वैराग्य ले लिया था। और...

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