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बालमन की संवेदना By Pranava Bharti

बालमन की संवेदना ---डॉ.वीना शर्मा बालमन की संवेदनशील अभिव्यक्ति से जुड़ाव ============== जीवन की पगडंडी पर चलते हुए न जाने कि...

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दरकते दायरे - विनीता अस्थाना By राजीव तनेजा

कहा जाता है कि हम सभी के जीवन में कुछ न कुछ ऐसा अवश्य अवश्य होता है जिसे हम अपनी झिझक..हिचक..घबराहट या संकोच की वजह से औरों से सांझा नहीं कर पाते कि.. लोग हमारा सच जान कर हमारे बार...

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शुद्धि - वन्दना यादव By राजीव तनेजा

कहते हैं कि सिर्फ़ आत्मा अजर..अमर है। इसके अलावा पेड़-पौधे,जीव-जंतु से ले कर हर चीज़ नश्वर है। सृष्टि इसी प्रकार चलती आयी है और चलती रहेगी। जिसने जन्म लिया है..वक्त आने पर उसने नष्ट अ...

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राजनर्तकी सुजान व कवि घनानंद By Neelam Kulshreshtha

[ नीलम कुलश्रेष्ठ ] “हौंस हौंस फूलन के सारे सिंगार सजौं आँगन में फूलन कौ चदरा बिछाऊँगी। जा दिन सनेही घर आवै घन आनंद जू घर द्वार गली गली दियरा जलाऊँगी।” बृजभाषा में पंक्...

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कैलेण्डर पर लटकी तारीखें - दिव्या शर्मा By राजीव तनेजा

आमतौर पर किसी भी रचना को पढ़ने पर चाहत यही होती है कि उससे कुछ न कुछ ग्रहण करने को मिले। भले ही उसमें कुछ रुमानियत या फ़िर बचपन की यादों से भरे नॉस्टेल्जिया के ख़ुशनुमा पल हों या फ़िर...

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ढाई चाल - नवीन चौधरी By राजीव तनेजा

देखा जाए तो सत्ता का संघर्ष आदि काल से चला आ रहा है। कभी कबीलों में अपने वर्चस्व की स्थापना के लिए साजिशें रची गयी तो कभी अपनी प्रभुसत्ता सिद्ध करने के लिए कत्लेआम तक किए गए। समय अ...

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पानी के लिये चिंतित जल नाद : पानी हाट बिकाये By Neelam Kulshreshtha

[ नीलम कुलश्रेष्ठ ] ‘जल’ फ़िल्म [सन -२०१३] आरम्भ ही होती है गुजरात के कच्छ के रन की फटी हुई धरती पर चलते कैमरे से व पानी मिल जाने की आस की छटपटाहट से. हीरो बक्का धूल से...

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मून गेट - पूनम अहमद By राजीव तनेजा

ऊपरी तौर पर ईश्वर ने सभी मनुष्यों (स्त्री-पुरुष) को एक समान शक्तियाँ तो दी हैं मगर गुण-अवगुण सभी में अलग-अलग प्रदान किए। गौर करने पर हम पाते हैं कि जहाँ एक तरफ़ कोई मनुष्य दया..मानव...

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महारानी चिमणाबाई की पुस्तक और नारीवाद By Neelam Kulshreshtha

नीलम कुलश्रेष्ठ स्त्री चेतना जागृत करने के आधुनिक इतिहास का आरंभ लगभग दयानंद सरस्वती से मान सकते हैं लेकिन स्त्री में चेतना जागी हो ऐसा हम सवा सौ वर्ष से भी अधिक पूर्व का समय मान स...

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काली धार - महेश कटारे का उपन्यास By राज बोहरे

काली धार -महेश कटारे का उपन्यासराजनारायण बोहरेकाली धार उपन्यास अमरसत्य प्रकाशन दिल्ली से प्रकाशित हुआ है। 'काली धार ' यानी चंबल (काले रँग के पानी के कारण और खरी वानी के कार...

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हवा ! ज़रा थमकर बहो By Pranava Bharti

हवा ! ज़रा थमकर बहो, मन की बयार में डूबते-उतरते अहसासों का स्निग्ध चित्र ===================== रो...

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लीलावती By DINESH KUMAR KEER

गणितज्ञ "लीलावती" का नाम हममें से अधिकांश लोगों ने नहीं सुना है, उनके बारे में कहा जाता है कि वो पेड़ के पत्ते तक गिन लेती थीं,,शायद ही कोई जानता हो कि आज यूरोप सहित विश्व के सैंकड...

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दिसंबर संजोग - आभा श्रीवास्तव By राजीव तनेजा

वैसे अगर देखा जाए तो हमारे आसपास के माहौल में इतनी कहानियाँ अपने किसी न किसी रूप में मौजूद रह इधर-उधर विचरती रहती है। जिन्हें ज़रूरत होती है पारखी नज़र..सुघड़ हाथों एवं परिपक्व सोच की...

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बातें कम Scam ज़्यादा- नीरज बधवार By राजीव तनेजा

खुद भी एक व्यंग्यकार होने के नाते मुझे और भी कई अन्य व्यंग्यकारों का लिखा हुआ पढ़ने को मिला मगर ज़्यादातर में मैंने पाया कि अख़बारी कॉलम की तयशुदा शब्द सीमा में बँध अधिकतर व्यंग्यकार...

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शंख में समंदर By Pranava Bharti

शंख में समंदर -- सतह पर उभरते चित्रों का कोलाज लेखक--डॉ. अजय शर्मा ------------------------- आओ बात करें कुछ मन की, जीवन की और उसके क्षण की | ज़िंदगी की सुनहरी धूप-छाँह सबको अपने भी...

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शैडो- जयंती रंगनाथन By राजीव तनेजा

अन्य मानवीय अनुभूतियों के अतिरिक्त विस्मय..भय..क्रोध..लालच की तरह ही डर भी एक ऐसी मानवीय अनुभूति है जिससे मेरे ख्याल से कोई भी अछूता नहीं होगा। कभी रामसे ब्रदर्स की बचकानी शैली में...

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कथा चलती रहे- स्नेह गोस्वामी By राजीव तनेजा

कई बार कोई खबर..कोई घटना अथवा कोई विचार हमारे मन मस्तिष्क को इस प्रकार उद्वेलित कर देता है कि हम उस पर लिखे बिना नहीं रह पाते। इसी तरह कई बार हमारे ज़ेहन में निरंतर विस्तार लिए विचा...

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एक स्कूली छात्र की कहानी और जादू की किताब By Deepak Singh

एक स्कूली छात्र की कहानी और जादू की किताब एक बार की बात है, आर्यन नाम का एक स्कूली लड़का था जिसे जादू का शौक था। उसने हमेशा एक जादूगर बनने और जादू के करतब दिखाने का सपना देखा था। ह...

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हार्ट इमोजी की धड़कन- रोचिका अरुण शर्मा By राजीव तनेजा

समय के साथ-साथ ज्यों-ज्यों किसी लेखक या लेखिका का लेखन विस्तार पाता है तो तजुर्बे के साथ उसके लेखन और अधिक गंभीरता.. परिपक्वता एवं स्थायित्व आने लगता है। समय के साथ वह ऐसे धीर गंभी...

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कैसा हो बच्चों का साहित्य By Yashvant Kothari

कैसा हो बच्चों का साहित्य   यशवंत कोठारी   पिछले कुछ वर्षों में हिन्दी व भारतीय भाषाओं में प्रचुर मात्रा में बाल साहित्य का प्रकाशन हुआ है। अंग्रेजी के साहित्य से तुलना करने पर हिन...

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बाली उमर- भगवंत अनमोल By राजीव तनेजा

"सोलह बरस की बाली उमर को सलामए प्यार तेरी पहली नज़र को सलाम"जीवन में कभी ना कभी हम सभी को उम्र के ऐसे दौर से गुज़रना पड़ता है जहाँ हम ना बड़ों की गिनती में ही आते हैं और ना ही छोटों की...

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प्रेत लेखन का नंगा सच - योगेश मित्तल By राजीव तनेजा

अगर अपने पढ़ने के शौक की बात करूँ तो मेरी भी शुरुआत बहुतों की तरह चंपक, मधु मुस्कान, लोटपोट, नंदन, सरिता, मुक्ता, धर्मयुग.. वाया साप्ताहिक हिंदुस्तान, वेदप्रकाश शर्मा के थ्रिलर उपन्...

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कानून का अर्थ By Guri baba

कानून के बारे मे जानकारीविधि,कानून या सन्नियम किसी नियमसंहिता को कहते हैं। विधि प्रायः भलीभांति लिखी हुई दिशा व निर्देशों के रूप में होती है। समाज को सम्यक ढंग से चलाने के लिये विध...

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क्वीन- कामिनी कुसुम By राजीव तनेजा

बात ज़्यादा पुरानी नहीं बस उस वक्त की है जब हिंदी फिल्मों की पटकथा लेखक के रूप में स्वर्गीय कादर खान की तूती बोला करती थी। लेखन के साथ साथ वे अभिनय के क्षेत्र में इस कदर व्यस्त थे क...

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ज़िन्दगी 50 50- भगवंत अनमोल By राजीव तनेजा

जब भी कभी आपके पास किसी एक चीज़ के एक से ज़्यादा विकल्प हों तो आप असमंजस से भर.. पशोपेश में पड़ जाते हैं कि आप उनमें से किस विकल्प को चुनें? मगर दुविधा तब और बढ़ जाती है जब सभी के सभी...

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लोकतंत्र के पहरुए.. पद्मा शर्मा By Ram Bharose Mishra

ग्रामीण राजनीति की दास्तान पद्मा का उंपन्यास-लोकतंत्र के पहरुए! रामभरोसे मिश्राराजनीति सामाजिक जीवन को गहरे से प्रभावित करती है। संविधान द्वारा भले ही जनजाति और अनुसूचित जनजाति के...

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रेत समाधि याने टोम्ब ऑफ़ सेंड By Yashvant Kothari

रेत समाधि याने टोम्ब ऑफ़ सेंड - मातृशक्ति की महागाथा --एक पाठकीय प्रतिक्रिया यशवंत कोठारी कुछ समय पहले तक गीतांजलि श्री के नाम से परिचित नहीं था. अचानक टाइम्स ऑफ़ इंडिया में उनकी पुस...

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आदमी की नब्ज.राम गोपाल भावुक By Ram Bharose Mishra

आदमी की नब्ज - श्री राम गोपाल भावुकराम भरोसे मिश्राश्री राम गोपाल भावुक का नया कहानी संग्रह "आदमी की नब्ज़"लोकमित्र प्रकाशन दिल्ली से प्रकाशित हुआ है। इसमें लेखक की चौदह कहानियाँ सम...

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आढा़ वक्त -राज बोहरे By Ram Bharose Mishra

आड़ा वक़्त : अथ किसान कथा उपन्यास राजनारायण बोहरे भारत एक कृषि प्रधान देश है। प्रेमचंद से लेकर आज तक किसानों की दयनीय हालत पर बहुत कुछ लिखा गया है, लेकिन मर्ज बढ़ता गया ज्यों-ज्यों द...

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दीपक करे पहल रवींद्र परमार By Ram Bharose Mishra

दीपककरे पहल रवींद्रसिंह परमाररामभरोसे मिश्रादीपक रविंद्र सिंह परमार का कविता संग्रह 'दीपक करे पहल' पिछले दिनों संदर्भ प्रकाशन भोपाल से प्रकाशित होकर आया है। यह कवि का पहला...

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उठा पटक- प्रभुदयाल खट्टर By राजीव तनेजा

आजकल की फ़िल्मों या कहानियों के मुकाबले अगर 60-70 के दशक की फिल्मों या कहानियों को देखो तो उनमें एक तहज़ीब..एक अदब..एक आदर्शवादिता का फ़र्क दिखाई देता है। आजकल की फ़िल्मों अथवा नयी हिं...

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यह गाँव बिकाऊ है-एम एम चन्द्रा By राजनारायण बोहरे

समीक्षा यह गाँव बिकाऊ हैउंपन्यासएम एम चंद्रायुवा उपन्यासकार एम. एम. चंद्रा द्वारा रची जा रही उपन्यासत्रयी का दूसरा उपन्यास " यह गांव बिकाऊ है "डायमंड पब्लिकेशन से प्रकाशित हुआ है।...

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कोरोनकालीन पाखण्ड है कोरोना माई By Kishanlal Sharma

है कोरोना माई--उपन्यास--लेखक-डॉ राकेश कुमार सिंहप्रकाशक--निखिल पब्लिशर्स एंडडिस्टिब्यूटर्स, आगरामूल्य 500रु पृष्ठ-144-------------------------------------------------------ख्यातिलब...

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प्रेमचंद का किसान और आज By राजनारायण बोहरे

प्रेमचन्द की परंपरा पुनर्जीवित : केबीएल पाण्डेयप्रस्तुति राज बोहरे 'प्रेमचंद का कथा साहित्य सहज ही स्पष्ट कर देता है कि वे सर्वहारा वर्ग के पैरोकार हैं।उनका लेख "महाजनी सभ्यता"...

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CIU क्रिमिनल्स इन यूनिफॉर्म- संजय सिंह राकेश त्रिवेदी By राजीव तनेजा

आजकल जहाँ एक तरफ़ बॉलीवुड की फिल्में अपनी लचर कहानी या बड़े..महँगे..नखरीले सुपर स्टार्स की अनाप शनाप शर्तों के तहत जल्दबाज़ी में बन बुरी तरह फ्लॉप हो.. धड़ाधड़ पिट रही हैं तो वहीं दूसरी...

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व्यंग्यगणिका समीक्षा -अनिल कुमार गुप्ता By ramgopal bhavuk

व्यंग्य और अनुभूतिपरक सृजन का सेतु है ‘ व्यंग्य गणिका’ – डॉ. अनिल कुमार गुप्ता ऐतिहासिक सालवई की माटी में जनमें एवं भवभूति की कर्मस्थली के सच्चे कलासाधक रामगोपाल भावुक की कृति ‘ व्...

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सियाराम सर्राफ - कसक By ramgopal bhavuk

कवि सियाराम सर्राफ की कसक रामगोपाल भावुक सियाराम सर्राफ जी अपनी कसक के अनुरोध में लिखते हैं-मैं कोई कवि नहीं, चिन्तक नहीं, विचारक नहीं पर मेर अपनी कुछ चिन्ताएं हैं कुछ भावनाएं हैं...

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मास्क मोहन कोरोना (समीक्षा) By Kishanlal Sharma

मास्क मोहन कोरोना,उपन्यासकार -डॉ राकेश कुमार सिंहप्रकाशक-निखिल पब्लिशर्स एंड डिस्टिब्यूटर्स,37 शिवराम कृपा,विष्णु कॉलोनी,शाहगंज,आगरा-282010पृष्ठ-144,मूल्य-500रुबिना दवाई के इलाज की...

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लक्खूराम चहवरिया का समग्र साहित्य By ramgopal bhavuk

लक्खूराम चहवरिया का समग्र साहित्य रामगोपाल भावुक मोवाइल-9425715707 चहवरिया जी की शिव सहस्त्रनाम कृति में आपने कविता, गीत गजल, बुन्देली गीत, दोहे, चैपाई के साथ कहानी लेखन एवं समीक्ष...

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योग वशिष्ठ रामायण-राधारमण बोहरे By ramgopal bhavuk

आनन्द के सागर में डुबोने वाली योग वशिष्ठ रामायण राम गोपाल भावुक मो. 9425715707 पं.राधारमण बोहरे के चिन्तन -मनन के परिणाम स्वरूप योग वशिष्ठ रामायण को जीवन में पहली बार पढ़ने का अवसर...

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कानून सो रहा है-अयोध्या कौशिक चक्रेश By ramgopal bhavuk

कानून सो रहा है। राम गोपाल भावुकपंचमहल की धरती पर चक्रेश ग्वालियरी जैसा व्यक्तित्व विचरण करता रहा है। आपका काव्य संकलन कानून सो रहा है जनवादी लेखक संध डबरा इकाई ने प्रकाशित किया है...

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रेड लाइट एरिया- जयंती रंगनाथन (संपादन) By राजीव तनेजा

"बेवफ़ा होना महज़ शग़ल नहीं उसके लिए मजबूरी था पति अपाहिज बच्चे भूखे पेट सबका भरना ज़रूरी था" दोस्तों..कुछ वक्त पहले जब मैंने ये टू लाइनर लिखा था तो उस वक्त ज़ेहन में एक ऐसी स्त्री की द...

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पं. रमाशंकर चतुर्वेदी ‘आनन्द’-मंथन काव्य संकलन By ramgopal bhavuk

आनन्द के अनुभवों का दस्तावेज मंथन राम गोपाल भावुकपंचमहल की धरती पं. रमाशंकर चतुर्वेदी ‘आनन्द’ की कर्म स्थली रही है। आप विजली विभाग में सेवा करते रहें। बोली- बाणी से आप मधुरभाषी हैं...

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पण्डित हरनारायण बोहरे का समग्र साहित्य By ramgopal bhavuk

पण्डित हरनारायण बोहरे का समग्र साहित्य राम गोपाल भावुक इस समय काव्य कलाधर पं.हरनारायण बोहरे की आठ पुस्तकें सामने हैं। उनसे उनकी रचनायें सुनने का मुझे सौभाग्य मिला हैं। उनकी ज्योतिष...

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श्री दत्तात्रेय ज्ञान दर्शन-पं. हरचरनलाल शर्मा वैद्य By ramgopal bhavuk

श्री दत्तात्रेय ज्ञान दर्शन की तलाश में- रामगोपाल भावुकजब मैं पहली वार अपने लधु भ्राता जगदीश तिवारी जी के साथ चित्रकूट की यात्रा पर गया था, उस समय वहां के चारों धाम की यात्रा करते...

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महावीर काव्य कुसुम-डा. महावीर प्रसाद चंसौलिया By ramgopal bhavuk

परम्पराओं को खगालती महावीर काव्य कुसुम, रामगोपाल भावुक डा. महावीर प्रसाद चंसौलिया जी की कुछ क्ृतियां महावीर ज्योतिष दोहावली, और रामचरितमानस में नई दृष्टि पर मैंने अपनी बात रखी थी।...

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रानी सत्यवती कृत श्रृंगार- मंजरी By ramgopal bhavuk

भक्ति भावना से ओत प्रोत रानी सत्यवती कृत श्रृंगार- मंजरी रामगोपाल भावुक रानी सत्यवती द्वारा विरचित श्रृंगार मंजरी वि. सं. 2001 में लिखी गई और वि. सं. 2033 में प्रकाशित की गई थी। सं...

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क्योटो टू काशी- सौरभ शर्मा By राजीव तनेजा

धार्मिक नज़रिए से भारत में बनारस की काशी नगरी और जापान में वहाँ का क्योटो शहर काफ़ी महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है। जैसे काशी में मंदिरों की भरमार है ठीक वैसे ही क्योटो भी बौद्ध मंदिरों...

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राज बोहरे का कथा साहित्य By राजनारायण बोहरे

राज बोहरे का कथा साहित्यप्रथम पुस्तकगोस्टा तथा अन्य कहानियाँDr के बी एल पाण्डेयबौद्धिक विविधता और सामाजिक-सांस्कृतिक अनुभवों में व्यावहारिक संलग्नता से समग्र रूप में विकसित राजनारा...

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बालमन की संवेदना By Pranava Bharti

बालमन की संवेदना ---डॉ.वीना शर्मा बालमन की संवेदनशील अभिव्यक्ति से जुड़ाव ============== जीवन की पगडंडी पर चलते हुए न जाने कि...

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दरकते दायरे - विनीता अस्थाना By राजीव तनेजा

कहा जाता है कि हम सभी के जीवन में कुछ न कुछ ऐसा अवश्य अवश्य होता है जिसे हम अपनी झिझक..हिचक..घबराहट या संकोच की वजह से औरों से सांझा नहीं कर पाते कि.. लोग हमारा सच जान कर हमारे बार...

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शुद्धि - वन्दना यादव By राजीव तनेजा

कहते हैं कि सिर्फ़ आत्मा अजर..अमर है। इसके अलावा पेड़-पौधे,जीव-जंतु से ले कर हर चीज़ नश्वर है। सृष्टि इसी प्रकार चलती आयी है और चलती रहेगी। जिसने जन्म लिया है..वक्त आने पर उसने नष्ट अ...

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राजनर्तकी सुजान व कवि घनानंद By Neelam Kulshreshtha

[ नीलम कुलश्रेष्ठ ] “हौंस हौंस फूलन के सारे सिंगार सजौं आँगन में फूलन कौ चदरा बिछाऊँगी। जा दिन सनेही घर आवै घन आनंद जू घर द्वार गली गली दियरा जलाऊँगी।” बृजभाषा में पंक्...

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कैलेण्डर पर लटकी तारीखें - दिव्या शर्मा By राजीव तनेजा

आमतौर पर किसी भी रचना को पढ़ने पर चाहत यही होती है कि उससे कुछ न कुछ ग्रहण करने को मिले। भले ही उसमें कुछ रुमानियत या फ़िर बचपन की यादों से भरे नॉस्टेल्जिया के ख़ुशनुमा पल हों या फ़िर...

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ढाई चाल - नवीन चौधरी By राजीव तनेजा

देखा जाए तो सत्ता का संघर्ष आदि काल से चला आ रहा है। कभी कबीलों में अपने वर्चस्व की स्थापना के लिए साजिशें रची गयी तो कभी अपनी प्रभुसत्ता सिद्ध करने के लिए कत्लेआम तक किए गए। समय अ...

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पानी के लिये चिंतित जल नाद : पानी हाट बिकाये By Neelam Kulshreshtha

[ नीलम कुलश्रेष्ठ ] ‘जल’ फ़िल्म [सन -२०१३] आरम्भ ही होती है गुजरात के कच्छ के रन की फटी हुई धरती पर चलते कैमरे से व पानी मिल जाने की आस की छटपटाहट से. हीरो बक्का धूल से...

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मून गेट - पूनम अहमद By राजीव तनेजा

ऊपरी तौर पर ईश्वर ने सभी मनुष्यों (स्त्री-पुरुष) को एक समान शक्तियाँ तो दी हैं मगर गुण-अवगुण सभी में अलग-अलग प्रदान किए। गौर करने पर हम पाते हैं कि जहाँ एक तरफ़ कोई मनुष्य दया..मानव...

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महारानी चिमणाबाई की पुस्तक और नारीवाद By Neelam Kulshreshtha

नीलम कुलश्रेष्ठ स्त्री चेतना जागृत करने के आधुनिक इतिहास का आरंभ लगभग दयानंद सरस्वती से मान सकते हैं लेकिन स्त्री में चेतना जागी हो ऐसा हम सवा सौ वर्ष से भी अधिक पूर्व का समय मान स...

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काली धार - महेश कटारे का उपन्यास By राज बोहरे

काली धार -महेश कटारे का उपन्यासराजनारायण बोहरेकाली धार उपन्यास अमरसत्य प्रकाशन दिल्ली से प्रकाशित हुआ है। 'काली धार ' यानी चंबल (काले रँग के पानी के कारण और खरी वानी के कार...

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हवा ! ज़रा थमकर बहो By Pranava Bharti

हवा ! ज़रा थमकर बहो, मन की बयार में डूबते-उतरते अहसासों का स्निग्ध चित्र ===================== रो...

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लीलावती By DINESH KUMAR KEER

गणितज्ञ "लीलावती" का नाम हममें से अधिकांश लोगों ने नहीं सुना है, उनके बारे में कहा जाता है कि वो पेड़ के पत्ते तक गिन लेती थीं,,शायद ही कोई जानता हो कि आज यूरोप सहित विश्व के सैंकड...

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दिसंबर संजोग - आभा श्रीवास्तव By राजीव तनेजा

वैसे अगर देखा जाए तो हमारे आसपास के माहौल में इतनी कहानियाँ अपने किसी न किसी रूप में मौजूद रह इधर-उधर विचरती रहती है। जिन्हें ज़रूरत होती है पारखी नज़र..सुघड़ हाथों एवं परिपक्व सोच की...

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बातें कम Scam ज़्यादा- नीरज बधवार By राजीव तनेजा

खुद भी एक व्यंग्यकार होने के नाते मुझे और भी कई अन्य व्यंग्यकारों का लिखा हुआ पढ़ने को मिला मगर ज़्यादातर में मैंने पाया कि अख़बारी कॉलम की तयशुदा शब्द सीमा में बँध अधिकतर व्यंग्यकार...

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शंख में समंदर By Pranava Bharti

शंख में समंदर -- सतह पर उभरते चित्रों का कोलाज लेखक--डॉ. अजय शर्मा ------------------------- आओ बात करें कुछ मन की, जीवन की और उसके क्षण की | ज़िंदगी की सुनहरी धूप-छाँह सबको अपने भी...

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शैडो- जयंती रंगनाथन By राजीव तनेजा

अन्य मानवीय अनुभूतियों के अतिरिक्त विस्मय..भय..क्रोध..लालच की तरह ही डर भी एक ऐसी मानवीय अनुभूति है जिससे मेरे ख्याल से कोई भी अछूता नहीं होगा। कभी रामसे ब्रदर्स की बचकानी शैली में...

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कथा चलती रहे- स्नेह गोस्वामी By राजीव तनेजा

कई बार कोई खबर..कोई घटना अथवा कोई विचार हमारे मन मस्तिष्क को इस प्रकार उद्वेलित कर देता है कि हम उस पर लिखे बिना नहीं रह पाते। इसी तरह कई बार हमारे ज़ेहन में निरंतर विस्तार लिए विचा...

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एक स्कूली छात्र की कहानी और जादू की किताब By Deepak Singh

एक स्कूली छात्र की कहानी और जादू की किताब एक बार की बात है, आर्यन नाम का एक स्कूली लड़का था जिसे जादू का शौक था। उसने हमेशा एक जादूगर बनने और जादू के करतब दिखाने का सपना देखा था। ह...

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हार्ट इमोजी की धड़कन- रोचिका अरुण शर्मा By राजीव तनेजा

समय के साथ-साथ ज्यों-ज्यों किसी लेखक या लेखिका का लेखन विस्तार पाता है तो तजुर्बे के साथ उसके लेखन और अधिक गंभीरता.. परिपक्वता एवं स्थायित्व आने लगता है। समय के साथ वह ऐसे धीर गंभी...

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कैसा हो बच्चों का साहित्य By Yashvant Kothari

कैसा हो बच्चों का साहित्य   यशवंत कोठारी   पिछले कुछ वर्षों में हिन्दी व भारतीय भाषाओं में प्रचुर मात्रा में बाल साहित्य का प्रकाशन हुआ है। अंग्रेजी के साहित्य से तुलना करने पर हिन...

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बाली उमर- भगवंत अनमोल By राजीव तनेजा

"सोलह बरस की बाली उमर को सलामए प्यार तेरी पहली नज़र को सलाम"जीवन में कभी ना कभी हम सभी को उम्र के ऐसे दौर से गुज़रना पड़ता है जहाँ हम ना बड़ों की गिनती में ही आते हैं और ना ही छोटों की...

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प्रेत लेखन का नंगा सच - योगेश मित्तल By राजीव तनेजा

अगर अपने पढ़ने के शौक की बात करूँ तो मेरी भी शुरुआत बहुतों की तरह चंपक, मधु मुस्कान, लोटपोट, नंदन, सरिता, मुक्ता, धर्मयुग.. वाया साप्ताहिक हिंदुस्तान, वेदप्रकाश शर्मा के थ्रिलर उपन्...

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कानून का अर्थ By Guri baba

कानून के बारे मे जानकारीविधि,कानून या सन्नियम किसी नियमसंहिता को कहते हैं। विधि प्रायः भलीभांति लिखी हुई दिशा व निर्देशों के रूप में होती है। समाज को सम्यक ढंग से चलाने के लिये विध...

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क्वीन- कामिनी कुसुम By राजीव तनेजा

बात ज़्यादा पुरानी नहीं बस उस वक्त की है जब हिंदी फिल्मों की पटकथा लेखक के रूप में स्वर्गीय कादर खान की तूती बोला करती थी। लेखन के साथ साथ वे अभिनय के क्षेत्र में इस कदर व्यस्त थे क...

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ज़िन्दगी 50 50- भगवंत अनमोल By राजीव तनेजा

जब भी कभी आपके पास किसी एक चीज़ के एक से ज़्यादा विकल्प हों तो आप असमंजस से भर.. पशोपेश में पड़ जाते हैं कि आप उनमें से किस विकल्प को चुनें? मगर दुविधा तब और बढ़ जाती है जब सभी के सभी...

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लोकतंत्र के पहरुए.. पद्मा शर्मा By Ram Bharose Mishra

ग्रामीण राजनीति की दास्तान पद्मा का उंपन्यास-लोकतंत्र के पहरुए! रामभरोसे मिश्राराजनीति सामाजिक जीवन को गहरे से प्रभावित करती है। संविधान द्वारा भले ही जनजाति और अनुसूचित जनजाति के...

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रेत समाधि याने टोम्ब ऑफ़ सेंड By Yashvant Kothari

रेत समाधि याने टोम्ब ऑफ़ सेंड - मातृशक्ति की महागाथा --एक पाठकीय प्रतिक्रिया यशवंत कोठारी कुछ समय पहले तक गीतांजलि श्री के नाम से परिचित नहीं था. अचानक टाइम्स ऑफ़ इंडिया में उनकी पुस...

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आदमी की नब्ज.राम गोपाल भावुक By Ram Bharose Mishra

आदमी की नब्ज - श्री राम गोपाल भावुकराम भरोसे मिश्राश्री राम गोपाल भावुक का नया कहानी संग्रह "आदमी की नब्ज़"लोकमित्र प्रकाशन दिल्ली से प्रकाशित हुआ है। इसमें लेखक की चौदह कहानियाँ सम...

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आढा़ वक्त -राज बोहरे By Ram Bharose Mishra

आड़ा वक़्त : अथ किसान कथा उपन्यास राजनारायण बोहरे भारत एक कृषि प्रधान देश है। प्रेमचंद से लेकर आज तक किसानों की दयनीय हालत पर बहुत कुछ लिखा गया है, लेकिन मर्ज बढ़ता गया ज्यों-ज्यों द...

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दीपक करे पहल रवींद्र परमार By Ram Bharose Mishra

दीपककरे पहल रवींद्रसिंह परमाररामभरोसे मिश्रादीपक रविंद्र सिंह परमार का कविता संग्रह 'दीपक करे पहल' पिछले दिनों संदर्भ प्रकाशन भोपाल से प्रकाशित होकर आया है। यह कवि का पहला...

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उठा पटक- प्रभुदयाल खट्टर By राजीव तनेजा

आजकल की फ़िल्मों या कहानियों के मुकाबले अगर 60-70 के दशक की फिल्मों या कहानियों को देखो तो उनमें एक तहज़ीब..एक अदब..एक आदर्शवादिता का फ़र्क दिखाई देता है। आजकल की फ़िल्मों अथवा नयी हिं...

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यह गाँव बिकाऊ है-एम एम चन्द्रा By राजनारायण बोहरे

समीक्षा यह गाँव बिकाऊ हैउंपन्यासएम एम चंद्रायुवा उपन्यासकार एम. एम. चंद्रा द्वारा रची जा रही उपन्यासत्रयी का दूसरा उपन्यास " यह गांव बिकाऊ है "डायमंड पब्लिकेशन से प्रकाशित हुआ है।...

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कोरोनकालीन पाखण्ड है कोरोना माई By Kishanlal Sharma

है कोरोना माई--उपन्यास--लेखक-डॉ राकेश कुमार सिंहप्रकाशक--निखिल पब्लिशर्स एंडडिस्टिब्यूटर्स, आगरामूल्य 500रु पृष्ठ-144-------------------------------------------------------ख्यातिलब...

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प्रेमचंद का किसान और आज By राजनारायण बोहरे

प्रेमचन्द की परंपरा पुनर्जीवित : केबीएल पाण्डेयप्रस्तुति राज बोहरे 'प्रेमचंद का कथा साहित्य सहज ही स्पष्ट कर देता है कि वे सर्वहारा वर्ग के पैरोकार हैं।उनका लेख "महाजनी सभ्यता"...

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CIU क्रिमिनल्स इन यूनिफॉर्म- संजय सिंह राकेश त्रिवेदी By राजीव तनेजा

आजकल जहाँ एक तरफ़ बॉलीवुड की फिल्में अपनी लचर कहानी या बड़े..महँगे..नखरीले सुपर स्टार्स की अनाप शनाप शर्तों के तहत जल्दबाज़ी में बन बुरी तरह फ्लॉप हो.. धड़ाधड़ पिट रही हैं तो वहीं दूसरी...

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व्यंग्यगणिका समीक्षा -अनिल कुमार गुप्ता By ramgopal bhavuk

व्यंग्य और अनुभूतिपरक सृजन का सेतु है ‘ व्यंग्य गणिका’ – डॉ. अनिल कुमार गुप्ता ऐतिहासिक सालवई की माटी में जनमें एवं भवभूति की कर्मस्थली के सच्चे कलासाधक रामगोपाल भावुक की कृति ‘ व्...

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सियाराम सर्राफ - कसक By ramgopal bhavuk

कवि सियाराम सर्राफ की कसक रामगोपाल भावुक सियाराम सर्राफ जी अपनी कसक के अनुरोध में लिखते हैं-मैं कोई कवि नहीं, चिन्तक नहीं, विचारक नहीं पर मेर अपनी कुछ चिन्ताएं हैं कुछ भावनाएं हैं...

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मास्क मोहन कोरोना (समीक्षा) By Kishanlal Sharma

मास्क मोहन कोरोना,उपन्यासकार -डॉ राकेश कुमार सिंहप्रकाशक-निखिल पब्लिशर्स एंड डिस्टिब्यूटर्स,37 शिवराम कृपा,विष्णु कॉलोनी,शाहगंज,आगरा-282010पृष्ठ-144,मूल्य-500रुबिना दवाई के इलाज की...

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लक्खूराम चहवरिया का समग्र साहित्य By ramgopal bhavuk

लक्खूराम चहवरिया का समग्र साहित्य रामगोपाल भावुक मोवाइल-9425715707 चहवरिया जी की शिव सहस्त्रनाम कृति में आपने कविता, गीत गजल, बुन्देली गीत, दोहे, चैपाई के साथ कहानी लेखन एवं समीक्ष...

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योग वशिष्ठ रामायण-राधारमण बोहरे By ramgopal bhavuk

आनन्द के सागर में डुबोने वाली योग वशिष्ठ रामायण राम गोपाल भावुक मो. 9425715707 पं.राधारमण बोहरे के चिन्तन -मनन के परिणाम स्वरूप योग वशिष्ठ रामायण को जीवन में पहली बार पढ़ने का अवसर...

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कानून सो रहा है-अयोध्या कौशिक चक्रेश By ramgopal bhavuk

कानून सो रहा है। राम गोपाल भावुकपंचमहल की धरती पर चक्रेश ग्वालियरी जैसा व्यक्तित्व विचरण करता रहा है। आपका काव्य संकलन कानून सो रहा है जनवादी लेखक संध डबरा इकाई ने प्रकाशित किया है...

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रेड लाइट एरिया- जयंती रंगनाथन (संपादन) By राजीव तनेजा

"बेवफ़ा होना महज़ शग़ल नहीं उसके लिए मजबूरी था पति अपाहिज बच्चे भूखे पेट सबका भरना ज़रूरी था" दोस्तों..कुछ वक्त पहले जब मैंने ये टू लाइनर लिखा था तो उस वक्त ज़ेहन में एक ऐसी स्त्री की द...

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पं. रमाशंकर चतुर्वेदी ‘आनन्द’-मंथन काव्य संकलन By ramgopal bhavuk

आनन्द के अनुभवों का दस्तावेज मंथन राम गोपाल भावुकपंचमहल की धरती पं. रमाशंकर चतुर्वेदी ‘आनन्द’ की कर्म स्थली रही है। आप विजली विभाग में सेवा करते रहें। बोली- बाणी से आप मधुरभाषी हैं...

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पण्डित हरनारायण बोहरे का समग्र साहित्य By ramgopal bhavuk

पण्डित हरनारायण बोहरे का समग्र साहित्य राम गोपाल भावुक इस समय काव्य कलाधर पं.हरनारायण बोहरे की आठ पुस्तकें सामने हैं। उनसे उनकी रचनायें सुनने का मुझे सौभाग्य मिला हैं। उनकी ज्योतिष...

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श्री दत्तात्रेय ज्ञान दर्शन-पं. हरचरनलाल शर्मा वैद्य By ramgopal bhavuk

श्री दत्तात्रेय ज्ञान दर्शन की तलाश में- रामगोपाल भावुकजब मैं पहली वार अपने लधु भ्राता जगदीश तिवारी जी के साथ चित्रकूट की यात्रा पर गया था, उस समय वहां के चारों धाम की यात्रा करते...

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महावीर काव्य कुसुम-डा. महावीर प्रसाद चंसौलिया By ramgopal bhavuk

परम्पराओं को खगालती महावीर काव्य कुसुम, रामगोपाल भावुक डा. महावीर प्रसाद चंसौलिया जी की कुछ क्ृतियां महावीर ज्योतिष दोहावली, और रामचरितमानस में नई दृष्टि पर मैंने अपनी बात रखी थी।...

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रानी सत्यवती कृत श्रृंगार- मंजरी By ramgopal bhavuk

भक्ति भावना से ओत प्रोत रानी सत्यवती कृत श्रृंगार- मंजरी रामगोपाल भावुक रानी सत्यवती द्वारा विरचित श्रृंगार मंजरी वि. सं. 2001 में लिखी गई और वि. सं. 2033 में प्रकाशित की गई थी। सं...

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क्योटो टू काशी- सौरभ शर्मा By राजीव तनेजा

धार्मिक नज़रिए से भारत में बनारस की काशी नगरी और जापान में वहाँ का क्योटो शहर काफ़ी महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है। जैसे काशी में मंदिरों की भरमार है ठीक वैसे ही क्योटो भी बौद्ध मंदिरों...

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राज बोहरे का कथा साहित्य By राजनारायण बोहरे

राज बोहरे का कथा साहित्यप्रथम पुस्तकगोस्टा तथा अन्य कहानियाँDr के बी एल पाण्डेयबौद्धिक विविधता और सामाजिक-सांस्कृतिक अनुभवों में व्यावहारिक संलग्नता से समग्र रूप में विकसित राजनारा...

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