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आड़ा वक्त – किसान का उपन्यास By ramgopal bhavuk

आड़ा वक्त – किसान का उपन्यास                                                                                  रामगोपाल भावुक              आदमी धन-सम्पदा कमाकर अपने पास रखता है आड़े व...

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नीला स्कार्फ़ - अनु सिंह चौधरी By राजीव तनेजा

कई बार हम जब किसी लेखक या लेखिका का लेखन पहली बार पढ़ते हैं तो पसन्द आने पर उसके लेखन के मुरीद हो जाने के साथ साथ ये भी सोचने लगते हैं जब भी इनका लिखा कुछ और पढ़ने को मिलेगा तो हम ज़र...

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हनुमान साठिका-बलदेव दास By ramgopal bhavuk

हनुमान साठिका-बलदेव दासमंत्र समान छंददतिया निवासी प्रोफेसर राम भरोसे मिश्रा के सौजन्य से प्राप्त 'हनुमान साठिका' नामक एक लघु ग्रंथ प्राप्त हुआ है। यह पुस्तक श्रीसीताराम प्रकाशन की...

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मालूशाही मेरा छलिया बुराँश-प्रज्ञा By राजनारायण बोहरे

'मालूशाही...मेरा छलिया बुरांश'प्रज्ञा का नया व सशक्त कथा सँग्रहराजनारायण बोहरे मालूशाही...मेरा छलिया बुरांश नाम का यह कहानी संग्रह लोकभारती प्रकाशन इलाहाबाद से आया है, इसकी...

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वो फ़ोन कॉल- वंदना बाजपेयी By राजीव तनेजा

जब भी हम किसी लेखक या लेखिका की रचनाओं पर ग़ौर करते हैं तो पाते है कि बहुत से लेखक/लेखिकाएँ अपने एक ही सैट पैटर्न या ढर्रे पर चलते हुए..एक ही जैसे तरीके से अपनी रचनाओं का विन्यास एव...

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गुर्जरी पल्लव By Pranava Bharti

गुर्जरी पल्लव ---एक नई फिज़ा का स्वागत -------------------------------------------------- जैसे कोई महके -सबा, जैसे फूलों में बहार आ जाए, वैसे ही 'गुर्जरी पल्लव' को देख क्यों...

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मास्टरबा- कुमार विक्रमादित्य By राजीव तनेजा

किसी भी देश..राज्य..इलाके अथवा समाज के उद्धार के लिए ये बहुत ज़रूरी है कि वहाँ के ज़्यादा से ज़्यादा लोग पढ़े लिखे यानी कि समझदार हों। क्योंकि सिर्फ़ पढ़ा लिखा समझदार व्यक्ति ही अपने दिम...

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इतिहास और साहित्य अन्तर निर्भरता By कृष्ण विहारी लाल पांडेय

इतिहास और साहित्य अंतर निर्भरता केबीएल पांडेय इतिहास सामान्यतः मनुष्य के अतीत की घटनाओं कार्यों और स्थितियों का अध्ययन करता है। ज्ञान के विभिन्न अनुसाशनो में व्यापकता के साथ ही परस...

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रूपसिंह चन्देल की लोकप्रिय कहानियाँ - रूपसिंह चन्देल By राजीव तनेजा

मैं जब भी किसी कहानी संकलन या उपन्यास को पढ़ने का विचार बनाता हूँ तो अमूमन सबसे पहले मेरे सामने ये दुविधा उत्पन्न हो जाती है कि मैं किस किताब से अपने नए साहित्यिक सफ़र की शुरुआत करूँ...

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ईसुरी का श्रृंगार काव्य By कृष्ण विहारी लाल पांडेय

ईसुरी का श्रृंगार काव्यडॉ.के. बी. एल.पाण्डेयईसुरी मूलतः श्रृंगार के कवि हैं। उन्होंने भक्ति, वैराग्य, नीति और सामाजिक जीवन पर भी फागों की रचना की है,किंतु उनकी अधिकांश फागों का विष...

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वल्लभ सिद्धार्थ  By कृष्ण विहारी लाल पांडेय

वल्लभ सिद्धार्थ का जाना: एक दुःखद दृश्यांतरडॉ. के. बी. एल. पाण्डेयजाना हिंदी की सबसे खौफनाक क्रिया है- केदारनाथ सिंह सिर्फ संदर्भ बदलकर यह अनुभव वल्लभ सिद्धार्थ के चले जाने से भी ह...

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नरोत्तम दस पांडेय मधु By कृष्ण विहारी लाल पांडेय

शब्द का तर्पण-कवि मधु के नामडॉ.अवध विहारी पाठक बड़े गौर से सुन रहा था जमानातुम्ही सो गए दास्तां कहते कहते -साविक लखनवी समय इंसानी जिंदगी की बड़ी बुरी शै है । यह रहस्य ही है सदियों...

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बेहया- विनीता अस्थाना By राजीव तनेजा

आमतौर पर जब भी कोई लेखक किसी कहानी या उपन्यास को लिखने की बात अपने ज़ेहन में लाता है तो उसके मन में कहानी की शुरुआत से ले कर उसके अंत तक का एक ऐसा रफ़ खाका खिंचा रहता है। जिसमें उसके...

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सूखे पत्तों पर चलते शैलेंद्रशरण By राजनारायण बोहरे

समीक्षासूखे पत्ते पर चलते हुएशैलेन्द्र शरण का सशक्त सँग्रहराज बोहरेशैलेंद्र शरण एक विचारशील कवि हैं वे अपनी कविता में दर्शन विचार और सामाजिकता को शामिल करते हैं । यह शामिल करना साय...

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समीक्षा - कहानी संग्रह, सुर्ख़ लाल रंग By VIRENDER VEER MEHTA

जीवन के ठोस धरातल से जन्म लेती कहानियाँ. . . 'सुर्ख़ लाल रंग'साहित्य की विधाओं में कहानी विधा एक मात्र ऐसी विधा है जिसकी पहुँच एक साधारण पाठक से लेकर एक श्रेष्ठ ज्ञानी तक सम...

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खजुराहो की अनकही कथाएं By राजनारायण बोहरे

जिन्होंने खजुराहो नही देखा-अद्भुत उपन्यासखजुराहो का लपका :सुनील चतुर्वेदीराज बोहरेसुनील चतुर्वेदी का चौथा उपन्यास 'खजुराहो का लपका' भाषाई रूप से समृद्ध, शैलीगत रूप से एकदम...

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द देह, दरद और दिल! - विभा रानी By राजीव तनेजा

कई बार किसी किताब के कठिन या अलग़ से शीर्षक को देख कर अथवा लेखक की बड़े नाम वाली नामीगिरामी शख़्सियत को देख कर स्वतः ही मन में एक धारणा बनने लगती है कि..इस किताब को पढ़ना वाकयी में एक...

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कर्ज़ा वसूली- गिरिजा कुलश्रेष्ठ By राजीव तनेजा

आमतौर पर आप सभी ने कभी ना कभी देखा होगा कि आप किसी को कोई बात याद दिलाएँ या पूछें तो मज़ाक मज़ाक में सामने से ये सुनने को मिल जाता है कि हमें ये तक तो याद नहीं कि कल क्या खाया था? अब...

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Mirror Image Man of India By Piyush Goel

Piyush Goel - Mirror Image Man of IndiaPiyush Goel is popularly known as “Mirror Image Man” by the media and the Writer of “World First Handwrite Needle Book ‘Madhushala’.Piyush Go...

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स्टिल वेटिंग फ़ॉर यू- रश्मि रविजा By राजीव तनेजा

70- 80 के दशक के तक आते आते बॉलीवुडीय फिल्मों में कुछ तयशुदा फ़ॉर्मूले इस हद तक गहरे में अपनी पैठ बना चुके थे कि उनके बिना किसी भी फ़िल्म की कल्पना करना कई बार बेमानी सा लगने लगता था...

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प्रेमचंद By Anand Saxena

मचंद एक युग सृष्टा साहित्यकार थे उनमें जो जीवंतता थी वह अनुकरणीय है प्रेमचंद एक आम आदमी के रूप में जीवन जीते थे और आम आदमी के लिए ही लिखते थे समाज में व्याप्त जाति प्रथा विधवा दुर्...

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रमणिका गुप्ता: अनुवाद की श्रंखला - भाग 6 - अंतिम कड़ी By Neelam Kulshreshtha

रमणिका गुप्ता - श्रंखला -6 अंतिम कड़ी “परदेस से आती देशी स्त्री कलम की कसक” [ नीलम कुलश्रेष्ठ  ]          बाज़ारवाद के आक्रमण व लेखिकाओं की...

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डॉ.श्रीनारायण तिवारी जी की शोध परक दृष्टि By ramgopal bhavuk

       डॉ.श्रीनारायण तिवारी जी की शोध परक दृष्टि                                                                                              रामगोपाल भावुक                  डॉ.श्र...

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अपने अपने मेघदूत- पूनम अहमद By राजीव तनेजा

किसी भी कहानी या उपन्यास के लेखन का मकसद अगर ज़्यादा से ज़्यादा पाठकों तक उसकी पहुँच.. उसकी पकड़ को बनाना हो तो ये लाज़मी हो जाता है कि उसकी भाषा..शैली एवं ट्रीटमेंट आम आदमी की समझ के...

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रमणिका गुप्ता: अनुवाद की श्रंखला - भाग 5 By Neelam Kulshreshtha

रमणिका गुप्ता - श्रंखला -5 तेलुगु की स्त्री विमर्श कहानियां दिल्ली की दामिनी के केस ने सारे देश को जगा दिया था. गुजरात की सरकार ने फ़रवरी 2014 में 181 हेल्पलाइन का शुभारंभ किया था....

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बारिश और अन्य लघुकथाएं By Sandeep Tomar

“रचनाओ की रिमझिम”  पुस्तक-“ बारिश तथा अन्य लघुकथाएँ” रचनाकार- सुभाष नीरव  प्रकाशक: किताबगंज प्रकाशन प्रकाशन वर्ष: २०१९ आलोचक भले ही लघुकथाओं को तवज्जो न देते हो भले ही वो गद्य में...

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रमणिका गुप्ता: अनुवाद की श्रंखला - भाग 4 By Neelam Kulshreshtha

रमणिका गुप्ता - श्रंखला -4 पंजाबी स्त्री विमर्श कहानियां [ नीलम कुलश्रेष्ठ ] इसी नारी अस्मिता की सुरक्षा का अभियान है रमणिका गुप्ता जी द्वारा संपादित 'हाशिये उलांघती औरत 'ज...

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रमणिका गुप्ता: अनुवाद की श्रंखला - भाग 3 By Neelam Kulshreshtha

रमणिका गुप्ता - श्रंखला -3 मराठी स्त्री विमर्श कहानियां महाराष्ट्र की स्त्री के लिए मशहूर है कि वह जब बाज़ार जाती है तो पुस्तकें खरीद कर लौटती है. इस बात की पुष्टि होती है मराठी से...

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श्री श्री श्री विष्णुसहस्रनाम By king offear

1 विश्वम् जो स्वयं ही ब्रह्माण्ड है2 विष्णुः सर्वत्र विद्यमान3 वषट्कारः जिसका यज्ञ में आह्वान किया जाता है4 भूतभव्यभवत्प्रभुः अतीत, वर्तमान और भविष्य के भगवान5 भूतकृत् सभी प्राणियो...

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रमणिका गुप्ता: अनुवाद की श्रंखला - भाग 2 By Neelam Kulshreshtha

रमणिका गुप्ता श्रंखला -2 “गुजराती स्त्री विमर्श कहानियां” सारे विश्व की औरतों के पुरुष व्यवस्था के कारण दुःख के सामांतर कारण हैं सिर्फ़ परिस्थितियां भिन्न हैं. इसी बात...

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रमणिका गुप्ता: अनुवाद की श्रंखला By Neelam Kulshreshtha

रमणिका गुप्ता जी और स्त्री विमर्श कहानियों के अनुवाद की श्रंखला रमणिका गुप्ता---1 [नीलम कुलश्रेष्ठ ] स्त्रियों की जागृति का इतिहास सवा सौ साल पुराना है जिस पर कुछ ना कुछ लिखा जाता...

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पिशाच- संजीव पालीवाल By राजीव तनेजा

बचपन में बतौर पाठक मेरी पढ़ने की शुरुआत कब कॉमिक्स से होती हुई वेदप्रकाश शर्मा के थ्रिलर उपन्यासों तक जा पहुँची.. मुझे खुद ही नहीं पता चला। उन दिनों में एक ही सिटिंग में पूरा उपन्या...

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माफ़ कीजिए श्रीमान- सुभाष चन्दर By राजीव तनेजा

व्यंग्य..साहित्य की एक ऐसी विधा है जिसमें आमतौर पर सरकार या समाज के उन ग़लत कृत्यों को इस प्रकार से इंगित किया जाता है की वह उस कृत्य के लिए ज़िम्मेदार व्यक्ति के मस्तिष्क से ले कर अ...

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Money कथा अनंता- कुशल सिंह By राजीव तनेजा

पिछले कुछ सालों में हमारे देश में नोटबंदी.. जी.एस.टी..किसान आंदोलन से ले कर कोरोना महामारी तक की वजह से ऐसे-ऐसे बदलाव हुए कि मज़दूर या मध्यमवर्गीय तबके के आम आदमी से ले कर बड़े बड़े ध...

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आड़ा वक्त- राजनारायण बोहरे By राजीव तनेजा

आम इनसान की भांति हर लेखक..कवि भी हर वक्त किसी ना किसी सोच..विचार अथवा उधेड़बुन में खोया रहता है। बस फ़र्क इतना है कि जहाँ आम व्यक्ति इस सोच विचार से उबर कर फिर से किसी नयी उधेड़बुन म...

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गुजरात में सबसे सफ़ल नारी अदालत : महिला सामाख्या योजना - 2 By Neelam Kulshreshtha

एपीसोड -2 पुरुषों के विरोध के उत्तर में वे कहतीं हैं "ज़ाहिर है पुरानी मान्यताएं टूट रहीं हैं. पहले पंचायत में स्वयं निर्णय लेकर सरपंच ग्राम पंचायत की सद्स्यायों के दस्तखत करवाने उन...

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कुम्हलाई कलियाँ- सीमा शर्मा (संपादन) By राजीव तनेजा

यह कोई गर्व या खुशी की नहीं बल्कि लानत..मलामत और शर्म की बात है कि भारत जैसे जनसँख्या बहुल देश में, जो कि आबादी के मामले में पूरे विश्व में दूसरा स्थान रखता है, सैक्स को देश..समाज...

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महाकवि भवभूति रामगोपाल भावुक By ramgopal bhavuk

महाकवि भवभूति  रामगोपाल भावुक डॉ. नौनिहाल गौतम   (ग्रन्थ-महाकवि भवभूति, लेखक-रामगोपाल भावुक, विधा-उपन्यास, भाषा-हिन्दी, प्रकाशक-कालिदास संस्कृत अकादमी, उज्जैन, म.प्र., प्रथम संस्कर...

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भोर की किरणों सी सकारात्मक - ’खुसुर पुसुर’ By Neelam Kulshreshtha

[ नीलम कुलश्रेष्ठ ] आदरणीय कन्हैया लाल पांडेय जी से वड़ोदरा में उनका सन 2006 में उनका उसी शहर में वहीं लिखा, शिल्पायन प्रकाशन, देल्ही से प्रकाशित काव्य संग्रह 'भीगी हवाएँ' भ...

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उत्कृष्ट कलात्मक सांकेतिकता से किर्च किर्च होते मानव मन की व्यथा By Neelam Kulshreshtha

नीलम कुलश्रेष्ठ 'सिलवटें 'विकेश निझावन जी के कहानी संग्रह की एक एक सिलवट मैं पलट क्या रहीं हूँ एक तीखे दर्द से गुज़र रहीं हूँ या उस साँकेतिक भाषा से झटके खा रहीं हूँ जो सिर्...

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फागुन वाली धूप रामलखन शर्मा By ramgopal bhavuk

समीक्षा                       फागन वाली धूप की संवेदना                                      रामगोपाल भावुक          दोहे लिखने की परम्परा हिन्दी साहित्य में हिन्दी के विकास के साथ...

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आम औरत की दैहिक या मानसिक यातना के लिए दहकते सवाल By Neelam Kulshreshtha

नीलम कुलश्रेष्ठ आदरणीय सुधा अरोड़ा जी की पुस्तक मंगाने से पहले उसकी समीक्षा लिखने के अपने निर्णय से पहले मैंने सोचा भी नहीं था कि मैं एक जटिल चुनौती को आमंत्रित कर रहीं हूँ। इस पुस्...

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आशा पाण्डेय का गीत संग्रह बाबा के गाँव में By ramgopal bhavuk

 आशा पाण्डेय का गीत संग्रह बाबा के गाँव में                                  रामगोपाल भावुक   जब जब गाँव की बात सामने आती है , मुझे मेरा गाँव, वहाँ की संस्कृति, वहाँ के लोक गीत , व...

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रेत समाधि याने टोम्ब ऑफ़ सेंड By Yashvant Kothari

मातृशक्ति की महागाथा --एक पाठकीय प्रतिक्रिया  यशवंत कोठारी कुछ समय पहले तक गीतांजलि श्री के नाम से परिचित नहीं था. अचानक टाइम्स ऑफ़ इंडिया में उनकी पुस्तक को अंतर राष्ट्रीय बुक...

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संगीत व साहित्य के सुरूर से मचलकर पटरी से उत्तर गई मालगाड़ी By Neelam Kulshreshtha

विश्व संगीत दिवस 21 जून पर विशेष [ संस्मरण --सन 2006 ] [नीलम कुलश्रेष्ठ] ‘ऐसे हैं सुख-सुपन हमारे, बन-बन कर मिट जाएं जैसे बालू के घर नदी किनारे ।’ पंडित नरेन्द्र शर्मा क...

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महेश कटारे-छछिया भर छाछ की धडकनें By ramgopal bhavuk

महेश कटारे-छछिया भर छाछ की धडकनें रामगोपाल भावुक हमारा देश कृषि प्रधान है। हिन्दी कहानी में मुंशी प्रेमचन्द्र ने सबसे पहले किसानों की व्यथा कथा कहना शुरू की थी। इसी नब्ज को पकड़कर भ...

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आड़ा वक्त – किसान का उपन्यास By ramgopal bhavuk

आड़ा वक्त – किसान का उपन्यास                                                                                  रामगोपाल भावुक              आदमी धन-सम्पदा कमाकर अपने पास रखता है आड़े व...

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नीला स्कार्फ़ - अनु सिंह चौधरी By राजीव तनेजा

कई बार हम जब किसी लेखक या लेखिका का लेखन पहली बार पढ़ते हैं तो पसन्द आने पर उसके लेखन के मुरीद हो जाने के साथ साथ ये भी सोचने लगते हैं जब भी इनका लिखा कुछ और पढ़ने को मिलेगा तो हम ज़र...

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हनुमान साठिका-बलदेव दास By ramgopal bhavuk

हनुमान साठिका-बलदेव दासमंत्र समान छंददतिया निवासी प्रोफेसर राम भरोसे मिश्रा के सौजन्य से प्राप्त 'हनुमान साठिका' नामक एक लघु ग्रंथ प्राप्त हुआ है। यह पुस्तक श्रीसीताराम प्रकाशन की...

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मालूशाही मेरा छलिया बुराँश-प्रज्ञा By राजनारायण बोहरे

'मालूशाही...मेरा छलिया बुरांश'प्रज्ञा का नया व सशक्त कथा सँग्रहराजनारायण बोहरे मालूशाही...मेरा छलिया बुरांश नाम का यह कहानी संग्रह लोकभारती प्रकाशन इलाहाबाद से आया है, इसकी...

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वो फ़ोन कॉल- वंदना बाजपेयी By राजीव तनेजा

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गुर्जरी पल्लव By Pranava Bharti

गुर्जरी पल्लव ---एक नई फिज़ा का स्वागत -------------------------------------------------- जैसे कोई महके -सबा, जैसे फूलों में बहार आ जाए, वैसे ही 'गुर्जरी पल्लव' को देख क्यों...

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मास्टरबा- कुमार विक्रमादित्य By राजीव तनेजा

किसी भी देश..राज्य..इलाके अथवा समाज के उद्धार के लिए ये बहुत ज़रूरी है कि वहाँ के ज़्यादा से ज़्यादा लोग पढ़े लिखे यानी कि समझदार हों। क्योंकि सिर्फ़ पढ़ा लिखा समझदार व्यक्ति ही अपने दिम...

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इतिहास और साहित्य अन्तर निर्भरता By कृष्ण विहारी लाल पांडेय

इतिहास और साहित्य अंतर निर्भरता केबीएल पांडेय इतिहास सामान्यतः मनुष्य के अतीत की घटनाओं कार्यों और स्थितियों का अध्ययन करता है। ज्ञान के विभिन्न अनुसाशनो में व्यापकता के साथ ही परस...

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रूपसिंह चन्देल की लोकप्रिय कहानियाँ - रूपसिंह चन्देल By राजीव तनेजा

मैं जब भी किसी कहानी संकलन या उपन्यास को पढ़ने का विचार बनाता हूँ तो अमूमन सबसे पहले मेरे सामने ये दुविधा उत्पन्न हो जाती है कि मैं किस किताब से अपने नए साहित्यिक सफ़र की शुरुआत करूँ...

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ईसुरी का श्रृंगार काव्य By कृष्ण विहारी लाल पांडेय

ईसुरी का श्रृंगार काव्यडॉ.के. बी. एल.पाण्डेयईसुरी मूलतः श्रृंगार के कवि हैं। उन्होंने भक्ति, वैराग्य, नीति और सामाजिक जीवन पर भी फागों की रचना की है,किंतु उनकी अधिकांश फागों का विष...

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वल्लभ सिद्धार्थ  By कृष्ण विहारी लाल पांडेय

वल्लभ सिद्धार्थ का जाना: एक दुःखद दृश्यांतरडॉ. के. बी. एल. पाण्डेयजाना हिंदी की सबसे खौफनाक क्रिया है- केदारनाथ सिंह सिर्फ संदर्भ बदलकर यह अनुभव वल्लभ सिद्धार्थ के चले जाने से भी ह...

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नरोत्तम दस पांडेय मधु By कृष्ण विहारी लाल पांडेय

शब्द का तर्पण-कवि मधु के नामडॉ.अवध विहारी पाठक बड़े गौर से सुन रहा था जमानातुम्ही सो गए दास्तां कहते कहते -साविक लखनवी समय इंसानी जिंदगी की बड़ी बुरी शै है । यह रहस्य ही है सदियों...

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बेहया- विनीता अस्थाना By राजीव तनेजा

आमतौर पर जब भी कोई लेखक किसी कहानी या उपन्यास को लिखने की बात अपने ज़ेहन में लाता है तो उसके मन में कहानी की शुरुआत से ले कर उसके अंत तक का एक ऐसा रफ़ खाका खिंचा रहता है। जिसमें उसके...

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सूखे पत्तों पर चलते शैलेंद्रशरण By राजनारायण बोहरे

समीक्षासूखे पत्ते पर चलते हुएशैलेन्द्र शरण का सशक्त सँग्रहराज बोहरेशैलेंद्र शरण एक विचारशील कवि हैं वे अपनी कविता में दर्शन विचार और सामाजिकता को शामिल करते हैं । यह शामिल करना साय...

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समीक्षा - कहानी संग्रह, सुर्ख़ लाल रंग By VIRENDER VEER MEHTA

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खजुराहो की अनकही कथाएं By राजनारायण बोहरे

जिन्होंने खजुराहो नही देखा-अद्भुत उपन्यासखजुराहो का लपका :सुनील चतुर्वेदीराज बोहरेसुनील चतुर्वेदी का चौथा उपन्यास 'खजुराहो का लपका' भाषाई रूप से समृद्ध, शैलीगत रूप से एकदम...

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द देह, दरद और दिल! - विभा रानी By राजीव तनेजा

कई बार किसी किताब के कठिन या अलग़ से शीर्षक को देख कर अथवा लेखक की बड़े नाम वाली नामीगिरामी शख़्सियत को देख कर स्वतः ही मन में एक धारणा बनने लगती है कि..इस किताब को पढ़ना वाकयी में एक...

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कर्ज़ा वसूली- गिरिजा कुलश्रेष्ठ By राजीव तनेजा

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Mirror Image Man of India By Piyush Goel

Piyush Goel - Mirror Image Man of IndiaPiyush Goel is popularly known as “Mirror Image Man” by the media and the Writer of “World First Handwrite Needle Book ‘Madhushala’.Piyush Go...

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स्टिल वेटिंग फ़ॉर यू- रश्मि रविजा By राजीव तनेजा

70- 80 के दशक के तक आते आते बॉलीवुडीय फिल्मों में कुछ तयशुदा फ़ॉर्मूले इस हद तक गहरे में अपनी पैठ बना चुके थे कि उनके बिना किसी भी फ़िल्म की कल्पना करना कई बार बेमानी सा लगने लगता था...

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प्रेमचंद By Anand Saxena

मचंद एक युग सृष्टा साहित्यकार थे उनमें जो जीवंतता थी वह अनुकरणीय है प्रेमचंद एक आम आदमी के रूप में जीवन जीते थे और आम आदमी के लिए ही लिखते थे समाज में व्याप्त जाति प्रथा विधवा दुर्...

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रमणिका गुप्ता: अनुवाद की श्रंखला - भाग 6 - अंतिम कड़ी By Neelam Kulshreshtha

रमणिका गुप्ता - श्रंखला -6 अंतिम कड़ी “परदेस से आती देशी स्त्री कलम की कसक” [ नीलम कुलश्रेष्ठ  ]          बाज़ारवाद के आक्रमण व लेखिकाओं की...

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डॉ.श्रीनारायण तिवारी जी की शोध परक दृष्टि By ramgopal bhavuk

       डॉ.श्रीनारायण तिवारी जी की शोध परक दृष्टि                                                                                              रामगोपाल भावुक                  डॉ.श्र...

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अपने अपने मेघदूत- पूनम अहमद By राजीव तनेजा

किसी भी कहानी या उपन्यास के लेखन का मकसद अगर ज़्यादा से ज़्यादा पाठकों तक उसकी पहुँच.. उसकी पकड़ को बनाना हो तो ये लाज़मी हो जाता है कि उसकी भाषा..शैली एवं ट्रीटमेंट आम आदमी की समझ के...

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रमणिका गुप्ता: अनुवाद की श्रंखला - भाग 5 By Neelam Kulshreshtha

रमणिका गुप्ता - श्रंखला -5 तेलुगु की स्त्री विमर्श कहानियां दिल्ली की दामिनी के केस ने सारे देश को जगा दिया था. गुजरात की सरकार ने फ़रवरी 2014 में 181 हेल्पलाइन का शुभारंभ किया था....

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बारिश और अन्य लघुकथाएं By Sandeep Tomar

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रमणिका गुप्ता: अनुवाद की श्रंखला - भाग 4 By Neelam Kulshreshtha

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रमणिका गुप्ता: अनुवाद की श्रंखला - भाग 3 By Neelam Kulshreshtha

रमणिका गुप्ता - श्रंखला -3 मराठी स्त्री विमर्श कहानियां महाराष्ट्र की स्त्री के लिए मशहूर है कि वह जब बाज़ार जाती है तो पुस्तकें खरीद कर लौटती है. इस बात की पुष्टि होती है मराठी से...

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श्री श्री श्री विष्णुसहस्रनाम By king offear

1 विश्वम् जो स्वयं ही ब्रह्माण्ड है2 विष्णुः सर्वत्र विद्यमान3 वषट्कारः जिसका यज्ञ में आह्वान किया जाता है4 भूतभव्यभवत्प्रभुः अतीत, वर्तमान और भविष्य के भगवान5 भूतकृत् सभी प्राणियो...

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रमणिका गुप्ता: अनुवाद की श्रंखला - भाग 2 By Neelam Kulshreshtha

रमणिका गुप्ता श्रंखला -2 “गुजराती स्त्री विमर्श कहानियां” सारे विश्व की औरतों के पुरुष व्यवस्था के कारण दुःख के सामांतर कारण हैं सिर्फ़ परिस्थितियां भिन्न हैं. इसी बात...

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रमणिका गुप्ता: अनुवाद की श्रंखला By Neelam Kulshreshtha

रमणिका गुप्ता जी और स्त्री विमर्श कहानियों के अनुवाद की श्रंखला रमणिका गुप्ता---1 [नीलम कुलश्रेष्ठ ] स्त्रियों की जागृति का इतिहास सवा सौ साल पुराना है जिस पर कुछ ना कुछ लिखा जाता...

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पिशाच- संजीव पालीवाल By राजीव तनेजा

बचपन में बतौर पाठक मेरी पढ़ने की शुरुआत कब कॉमिक्स से होती हुई वेदप्रकाश शर्मा के थ्रिलर उपन्यासों तक जा पहुँची.. मुझे खुद ही नहीं पता चला। उन दिनों में एक ही सिटिंग में पूरा उपन्या...

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माफ़ कीजिए श्रीमान- सुभाष चन्दर By राजीव तनेजा

व्यंग्य..साहित्य की एक ऐसी विधा है जिसमें आमतौर पर सरकार या समाज के उन ग़लत कृत्यों को इस प्रकार से इंगित किया जाता है की वह उस कृत्य के लिए ज़िम्मेदार व्यक्ति के मस्तिष्क से ले कर अ...

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Money कथा अनंता- कुशल सिंह By राजीव तनेजा

पिछले कुछ सालों में हमारे देश में नोटबंदी.. जी.एस.टी..किसान आंदोलन से ले कर कोरोना महामारी तक की वजह से ऐसे-ऐसे बदलाव हुए कि मज़दूर या मध्यमवर्गीय तबके के आम आदमी से ले कर बड़े बड़े ध...

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आम इनसान की भांति हर लेखक..कवि भी हर वक्त किसी ना किसी सोच..विचार अथवा उधेड़बुन में खोया रहता है। बस फ़र्क इतना है कि जहाँ आम व्यक्ति इस सोच विचार से उबर कर फिर से किसी नयी उधेड़बुन म...

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गुजरात में सबसे सफ़ल नारी अदालत : महिला सामाख्या योजना - 2 By Neelam Kulshreshtha

एपीसोड -2 पुरुषों के विरोध के उत्तर में वे कहतीं हैं "ज़ाहिर है पुरानी मान्यताएं टूट रहीं हैं. पहले पंचायत में स्वयं निर्णय लेकर सरपंच ग्राम पंचायत की सद्स्यायों के दस्तखत करवाने उन...

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कुम्हलाई कलियाँ- सीमा शर्मा (संपादन) By राजीव तनेजा

यह कोई गर्व या खुशी की नहीं बल्कि लानत..मलामत और शर्म की बात है कि भारत जैसे जनसँख्या बहुल देश में, जो कि आबादी के मामले में पूरे विश्व में दूसरा स्थान रखता है, सैक्स को देश..समाज...

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महाकवि भवभूति रामगोपाल भावुक By ramgopal bhavuk

महाकवि भवभूति  रामगोपाल भावुक डॉ. नौनिहाल गौतम   (ग्रन्थ-महाकवि भवभूति, लेखक-रामगोपाल भावुक, विधा-उपन्यास, भाषा-हिन्दी, प्रकाशक-कालिदास संस्कृत अकादमी, उज्जैन, म.प्र., प्रथम संस्कर...

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भोर की किरणों सी सकारात्मक - ’खुसुर पुसुर’ By Neelam Kulshreshtha

[ नीलम कुलश्रेष्ठ ] आदरणीय कन्हैया लाल पांडेय जी से वड़ोदरा में उनका सन 2006 में उनका उसी शहर में वहीं लिखा, शिल्पायन प्रकाशन, देल्ही से प्रकाशित काव्य संग्रह 'भीगी हवाएँ' भ...

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उत्कृष्ट कलात्मक सांकेतिकता से किर्च किर्च होते मानव मन की व्यथा By Neelam Kulshreshtha

नीलम कुलश्रेष्ठ 'सिलवटें 'विकेश निझावन जी के कहानी संग्रह की एक एक सिलवट मैं पलट क्या रहीं हूँ एक तीखे दर्द से गुज़र रहीं हूँ या उस साँकेतिक भाषा से झटके खा रहीं हूँ जो सिर्...

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फागुन वाली धूप रामलखन शर्मा By ramgopal bhavuk

समीक्षा                       फागन वाली धूप की संवेदना                                      रामगोपाल भावुक          दोहे लिखने की परम्परा हिन्दी साहित्य में हिन्दी के विकास के साथ...

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आम औरत की दैहिक या मानसिक यातना के लिए दहकते सवाल By Neelam Kulshreshtha

नीलम कुलश्रेष्ठ आदरणीय सुधा अरोड़ा जी की पुस्तक मंगाने से पहले उसकी समीक्षा लिखने के अपने निर्णय से पहले मैंने सोचा भी नहीं था कि मैं एक जटिल चुनौती को आमंत्रित कर रहीं हूँ। इस पुस्...

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आशा पाण्डेय का गीत संग्रह बाबा के गाँव में By ramgopal bhavuk

 आशा पाण्डेय का गीत संग्रह बाबा के गाँव में                                  रामगोपाल भावुक   जब जब गाँव की बात सामने आती है , मुझे मेरा गाँव, वहाँ की संस्कृति, वहाँ के लोक गीत , व...

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रेत समाधि याने टोम्ब ऑफ़ सेंड By Yashvant Kothari

मातृशक्ति की महागाथा --एक पाठकीय प्रतिक्रिया  यशवंत कोठारी कुछ समय पहले तक गीतांजलि श्री के नाम से परिचित नहीं था. अचानक टाइम्स ऑफ़ इंडिया में उनकी पुस्तक को अंतर राष्ट्रीय बुक...

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संगीत व साहित्य के सुरूर से मचलकर पटरी से उत्तर गई मालगाड़ी By Neelam Kulshreshtha

विश्व संगीत दिवस 21 जून पर विशेष [ संस्मरण --सन 2006 ] [नीलम कुलश्रेष्ठ] ‘ऐसे हैं सुख-सुपन हमारे, बन-बन कर मिट जाएं जैसे बालू के घर नदी किनारे ।’ पंडित नरेन्द्र शर्मा क...

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महेश कटारे-छछिया भर छाछ की धडकनें By ramgopal bhavuk

महेश कटारे-छछिया भर छाछ की धडकनें रामगोपाल भावुक हमारा देश कृषि प्रधान है। हिन्दी कहानी में मुंशी प्रेमचन्द्र ने सबसे पहले किसानों की व्यथा कथा कहना शुरू की थी। इसी नब्ज को पकड़कर भ...

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