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🌿 प्रकृति का नियम 🌿 प्रकृति का नियम भगवान के वश का नहीं है, सृष्टि का ये चक्र किसी के आदेश का नहीं है। सूरज अपनी धुन में ही हर दिन उगता है, बादल भी अपने मन से ही बरसता है। हवा की चाल किसी प्रार्थना से नहीं मुड़ती, नदियों की राह किसी इशारे से नहीं मुड़ती। पेड़ बढ़ते हैं अपनी ही गति, अपनी पहचान से, ऋतु बदलती हैं अपने समय, अपने सम्मान से। धरती का संतुलन किसी वरदान से नहीं चलता, जीवन का संगीत किसी फरमान से नहीं चलता। प्रकृति कहती है—मैं सत्य हूँ, नियम हूँ, प्रमाण हूँ, मैं स्वतंत्र हूँ, अनादि हूँ, हर जीवन की जान हूँ। इसलिए आदर करो मेरा, मेरे हर रूप का मान करो, जो मैं देती हूँ उसे सहेजो, और मुझे परेशान न करो।
🌱हल्दी का वरदान🌱 सुनहरी हल्दी, धरती का सोना, हर घर में बिखे खुशियों का होना। रसोई की सजावट, पूजा का संग, स्वास्थ्य, प्रेम, सौभाग्य का रंग। जड़ से फूल तक, सब में गुण छुपा, प्रकृति ने इसे दिया अनुपम रूप सुना। दुल्हन के हाथों में, हो या दीपक के पास, हल्दी बिखे उजियारा, हर कोने में प्रकाश। बीमारियों को दूर भगाए, शक्ति बढ़ाए, हर दिल में उम्मीद और उमंग जगाए। साधारण नहीं, वरदान है ये, जीवन को सजाए, खुशियाँ लाए ये। धरती का पीत रत्न, संस्कृति की पहचान, हर घर में इसका रहे हमेशा सम्मान। सरलता में छुपा अनमोल सौंदर्य, हल्दी से सजे जीवन का प्रत्येक अर्थ।
🌼✨ मेरे आँगन का हल्दी का फूल ✨🌼 मेरे आँगन में जब हल्दी का फूल खिला, सारा वातावरण जैसे सोना-सा झिलमिला। धरती मुस्काई, हवा ने गीत सुनाया, सूरज की किरणों ने इसे गले लगाया। पीली पंखुरियाँ जैसे सौभाग्य का संकेत, हर घर में भर दें आनंद और प्रेम का सन्देश। हल्दी का फूल है पावनता की निशानी, माँ अन्नपूर्णा की कृपा और कहानी। इसकी महक में छुपा है अपनापन, इसकी चमक में छुपा है जीवन का साधन। जहाँ खिले हल्दी, वहाँ सुख समाए, दुख-दर्द के बादल पल में छंट जाएँ। मेरे घर की रौनक, मेरा गर्व यही है, हल्दी का फूल मेरा आभूषण यही है। सादगी में लिपटा, पवित्रता का दर्पण, धरती का आशीर्वाद है ये अनमोल रत्न।
💧✨ “पानी की बूंदें” ✨💧 नन्हीं-नन्हीं मोतियों सी, टपक रही हैं छत की कोनों से, जैसे धरती को चूमने आई हों, आकाश के अमृत भरे सपनों से। 🌧️🌿 बूंदें गिरतीं मिट्टी पर, सुगंध हवाओं में भर जाती, हर कण में जीवन बोती हैं, प्रकृति मुस्कान लुटाती। 🌱💦 नन्हीं बूंदें मिलकर बन जातीं, सागर, झील और दरिया, सिखा जातीं हमें कि संगठित होकर, हर मुश्किल से लड़ सकता है जगरिया। 🌊🌍 हर बूंद में छिपा है जीवन, हर बूंद है उपहार, संभालो इनको दिल से तुम, यही है प्रकृति का आधार। 🌏💧
🌿 वृक्ष जीवन के रक्षक 🌿 वृक्ष हैं धरती का गहना, इनसे सजा है जीवन रेहना। छांव, शीतल जल की माया, इनके बिना जग सूना पाया। पंछी गाते डालों पर, फल-फूल झरते ऋतुओं के स्वर। सांस-सांस में प्राण ये भरते, मानव जीवन को संवरते। आंधी-पवन को झेल ये पाते, धरती माँ का श्रृंगार कहलाते। नदी-नाले इनसे बहते, वन्य जीव इनसे ही रहते। ओ मानव! मत इनको काटो, इनसे जीवन का दीप जलाओ। वृक्ष बचेंगे तो जग बचेगा, हर आंगन फिर से हरा-भरा खिलेगा। --- “वृक्ष केवल पेड़ नहीं, जीवन के प्रहरी हैं।” “जो इन्हें बचाएगा, वही आने वाली पीढ़ियों को बचाएगा।” “हरा-भरा वृक्ष ही असली दौलत है, सोना-चांदी नहीं।” “आओ मिलकर प्रण लें – हर वर्ष एक वृक्ष अवश्य लगाएंगे।”
✨ “ज्ञान ही उजियारा है” ✨ अंधकार सब मिटे यहाँ, शिक्षा का दीप जलाओ, हर गली, हर गाँव में, उजियारा अब फैलाओ। माता-पिता का धर्म यही, संतान को पढ़ाना, ज्ञान से बढ़कर धन नहीं, ये मंत्र सभी को गाना। बच्चे हैं भविष्य हमारे, इनको मत रोको भाई, पढ़ाई संग खेलकूद हो, खुशियाँ हर पल समाई। मनोरंजन संग सीख मिले, जीवन हो साकार, हर बच्चा पंख लगाकर, पहुँचे नभ के पार। कभी न छूटे शिक्षा से, कोई भी बालक प्यारा, पुस्तक, खेल, विज्ञान से, सजता है संसार सारा। मिल-जुल कर सब साथ दें, शिक्षा का व्रत निभाएँ, घर-घर दीप जलाकर हम, नयी दिशा दिखाएँ। सपनों के पंख लगाकर, हर बालक ऊँचा उड़े, न कोई हो अंधकार अब, उजियारा सबमें चढ़े। शिक्षा से ही समता होगी, शिक्षा से ही बल है, यही सच्चा स्वर्णिम पथ है, यही सच्चा संबल है। ............ Writer- Dharmendra Kumar
🌾 धान – जीवन का अनमोल दान 🌾 धान है धरती का सुनहरा ताज, जीवन का आधार, किसान का राज। जल की धारा में पलता है प्यारा, सबको अन्न दे, बनता सहारा। पूर्व की हवाओं में गुनगुनाता, पश्चिम के खेतों में झूमता जाता। उत्तर की मिट्टी से जुड़ा इतिहास, दक्षिण में गाता हरियाली का राग। धान है भूख का सबसे बड़ा इलाज, हर थाली में देता अमन का साज़। पसीने की बूंदों से पाता रूप, दुनिया को देता है जीवन का स्वरूप। धान में बसी सभ्यता की पहचान, हर दाने में है श्रम का सम्मान। सोने से भी बढ़कर इसका मान, धान ही है भारत की सच्ची जान। ------ Writer- Dharmendra Kumar
🌾 धान का पहला फूल 🌾 खेतों में आई, पहली खुशबू, धरती हँसी, जैसे कोई नव रूप। सपनों में सोना, चमका अनमोल, आया है धान का, पहला सा फूल। माँ की दुआ, पसीने का रंग, मेहनत से खिलते, जीवन के संग। चाँद भी देखे, झुककर यह भूल, आया है धान का, पहला सा फूल। गाँव के आँगन, गूँजे पुकार, "भर देंगे कोठी, अबकी इस बार।" मिट्टी में छुपा, आशा का मूल, आया है धान का, पहला सा फूल। अन्नदाता की आँखों में नूर, सच्चे सुख का यही दस्तूर। धरती के कण-कण में रस घुल, आया है धान का, पहला सा फूल। Writer - Dharmendra Kumar
🌏✨ "मानव गाथा – युगों का आह्वान" ✨🌏 हे मानव! तू धरा का गहना, 🌸 ज्ञान-विवेक का अनुपम रत्न है रहना। अग्नि जलाई, नभ को छुआ, 🚀 धरती पर तूने इतिहास लिखा। नदियों के संग तूने गीत गाए, 🌊 वनों की छाँव में सपने सजाए। पर जब तूने लोभ का जाल बुना, धरती का आँचल आँसू से भरा। जाग उठ, सुन प्रकृति की पुकार, 🌿 करुणा से ही बनेगा संसार। प्रेम ही तेरा सच्चा धर्म है, ❤️ भाईचारा ही अमर कर्म है। अंधियारे में दीपक तू जलाना, 🕯️ भटकों को सच्ची राह दिखाना। विनाश नहीं, सृजन की राह चुन, विश्व को परिवार मान हर जन। 🌍 तेरे ही हाथों है भविष्य का मान, हे मानव! बन धरती का अभिमान। 🇮🇳 ........ Writer - Dharmendra Kumar
"झिलमिल सितारों का आंगन" झिलमिल सितारों का आंगन होगा, चाँद की चाँदनी संग बिखरा सोना होगा। 🌙✨ हवाओं में खुशबू और गीत होंगे, फूलों की पंखुड़ियों पर सोने के मीत होंगे। 🌸🎶 नदियों की सरगम में संगीत की लहर, और हर दिल में स्नेह की अमर पहर। 💖 रात की चादर पर सपनों की रौशनी, हर कोने में उजाले की सौम्य गूँज होगी। 🌠 पक्षियों की चहक और बहारों की साज़, हर धड़कन में बस खुशी का राज। 🕊️🌿 सितारों की बारात में, चाँद का मेहमान, आंगन महकेगा जैसे हर दिन नवजीवन का ज्ञान। ✨🌌 जहाँ कोई ग़म न होगा, केवल हँसी का बसेरा, झिलमिल सितारों का आंगन, सच्चे सुख का सेंरा। 💫 हर कदम पर प्रेम की मिठास, हर साँस में भरोसे की आस। 💞 और हर रात हो जैसे स्वर्ग का जश्न, जहाँ मन और आत्मा दोनों पाएँ विश्राम और प्रसन्न। 🌙🌸 Writer.... Dharmendra Kumar
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