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जिस प्रकार हम गुलाब की खूबसूरती के आगे उसके कांटों को नजर अंदाज कर देते हैं उसी प्रकार इंसान की अच्छाइयों के समक्ष उसकी छोटी-मोटी कमियों को नजरअंदाज करना ही समझदारी है। सरोज प्रजापति ✍️ - Saroj Prajapati
हवा संग उड़कर आया वो एक नन्हा बीज गिर जमीन की गोद में अपना घर बनाता है प्रकृति से पाकर हवा पानी और रोशनी वह बीज से पौधा, फिर एक हरा भरा वृक्ष बन पर्यावरण को शुद्ध बना अपना ऋण चुकाता है। सरोज प्रजापति ✍️ - Saroj Prajapati
उसकी वो एक खास नजर कर गई दिल पर कुछ ऐसा असर धड़कता तो है अब भी मेरे सीने में बस कमबख्त पे रहा मेरा इख्तियार नहीं। सरोज प्रजापति ✍️ - Saroj Prajapati
पानी के बुलबुले सी है ख्वाहिशें उठती हैं मचलती हैं मारती है कुछ देर हिलोरे फिर जान नियति अपनी शांत सी विलीन हो जाती हैं। सरोज प्रजापति ✍️ - Saroj Prajapati
कुछ अजीब से ही रंग है जिंदगी तेरे बारिश में भी कितने यहां प्यासे खड़े। गमों को यहां सब हंसकर छिपाते हैं । और खुशियों में आंखों से आंसू लुटाते हैं देता नहीं अब दिल पर कोई दस्तक सब खुद में ही मशरुफ से नज़र आते हैं । आइना भी कहां पहले सी सूरत दिखाता है खुश रखने को तुझसे ही तेरे राज़ छुपाता है । सुनाने चला जो उनसे, मैं दिल ए हाल अपना वो खुद एक कांधे की तलाश में खड़े दिखाई देते हैं । सरोज प्रजापति ✍️ - Saroj Prajapati
बात तो सही थी बस गुस्से में कहीं गई थी मसला ज्यों का त्यों रहा रिश्ता भी पहले जैसा न रहा ।। सरोज प्रजापति ✍️ - Saroj Prajapati
खुद बनो अपनी जिंदगी के चित्रकार अपनी पसंदीदा रंगों से भरो इसका कैनवास यकीन मानिए जो चित्र उभरकर आएगा वो आपके होंठों पर मुस्कान और दिल को सुकून ही पहुंचाएगा।। सरोज प्रजापति ✍️ - Saroj Prajapati
शहरों में जाकर भले ही कीजिए अपने सपने पूरे लेकिन गांव में भी रहने दीजिए अपना एक कच्चा पक्का सा वो पुश्तैनी घर जब जिंदगी भर की भाग दौड़ तुम थक जाओगे तब माता-पिता सा स्नेह और आराम उस घर में ही पाओगे।। सरोज प्रजापति ✍️ - Saroj Prajapati
मस्तक जिसके हिमालय विराजे, पवित्र गंगा चरण पखारे रक्षा में जिसके खड़े रणबांकुरे, रात दिन सीना ताने..... शान में जिसके लहराए तिरंगा, शहीदों की शहादत संभाले युग आएंगे युग जाएंगे...... भारत का गौरव गान फिजाओं में यूं ही सदियों तक गाएं जाएंगे। जय हिन्द जय भारत 🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳 सरोज प्रजापति ✍️
कुछ जज्बातों को नहीं मिलते कभी लफ्ज़ कुछ लफ्ज़ कभी नहीं उतर पाते पन्नों पर ताउम्र दफन रहते हैं ये दिल के किसी कोने में वक्त बेवक्त दर्द बनकर उभर आते हैं बस चेहरे पर।। सरोज प्रजापति ✍️ - Saroj Prajapati
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