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Saroj Prajapati

Saroj Prajapati Matrubharti Verified

@saroj6130
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चाय की चुस्की और दोस्तों का साथ
कुछ मिनटों में ही खत्म हो जाती है
दिनभर की थकान।
Saroj Prajapati

जुबान आपकी, चलाइए इसे अपने हिसाब
बस इसे चलाते समय रखें, इतना सा ध्यान
बेवजह दूसरों को घायल न करें, इसकी धार।।
सरोज ✍️
- Saroj Prajapati

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क्यों करना किसी से प्रशंसा की उम्मीद
अगर है आपको खुद पर यकीन।
सरोज प्रजापति ✍️
- Saroj Prajapati

छोड़ दीजिए खुद को दूसरों की कसौटी पर परखना
खुद को खुश रखने का इससे बेहतर नहीं कोई रास्ता।
सरोज ✍️
- Saroj Prajapati

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जब कभी करनी हो खुद से गुफ्तगूं
तब अकेलेपन से बेहतर कोई साथी नहीं।।
सरोज ✍️
- Saroj Prajapati

स्त्रियां उठ जाती हैं मुंह अंधेरे,
फिर एक पैर पर चक्करघिन्नी सी घूमती रसोई संग घर के और जरूरी कई काम निपटाती जाती है।
बच्चे और पति खा पीकर हो अच्छे से तैयार इसलिए
सबको टिफिन संग उनका हर सामान हाथ में पकड़ाती है।
लेकिन सुबह की इस आपा धापी में अक्सर ठंडी हो जाती उसकी चाय तो कभी अपना टिफिन ही भूल जाती है।

कितनी ही बार सोचती है कि कल मैं भी
अच्छे से सज संवर अपने स्कूल और दफ्तर जाऊंगी
लेकिन घर परिवार की जिम्मेदारियां के आगे
कहां खुद को चाह कर भी वो समय दे पाती है।
अब तो अलमारी में टंगी साड़ियां भी उसको मुंह चिढ़ाती है ।
लेकिन कर उनको अनदेखा बेमन से कुछ भी पहन
अस्त-व्यस्त सी वो हर रोज़ दौड़ती भागती सी स्कूल ,ऑफिस के लिए निकल जाती है।

भर जाता जब भीतर उसके अथाह लावा
तब खूब चीख चिल्लाकर अपनी तकलीफ दिखलाती है।
लेकिन अगले ही पल सबका दिल दुखाने के लिए
खुद को ही दोषी पाकर फूट-फूट कर आंसू बहाती है।
नहीं चाहती उसके कारण हो किसी को तकलीफ
इसलिए हर ग़म खुद ही हंसते हंसते पी जाती है।

झूठे हैं वो लोग... जो कहते हैं कि
एक स्त्री अपने भीतर कोई राज़ छुपा नहीं पाती है।
जुड़े रहे रिश्ते और बसा रहे उसका घर संसार
इस खातिर जीवन भर दफनाए रखती सीने में कई राज़
और आखिर में इन राज़ संग ही वो दफन हो जाती है।।
सरोज ✍️


- Saroj Prajapati

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चंचल मन की हर बात निराली
बैठे बैठे सपने दिखलाए भारी।
कभी आसमान की सैर कराएं
कभी रानी बन गद्दी पर बैठाए।
तितली समान इत उत इतराएं
सुनहरे ख्वाब दिखा मन को हर्षाएं।
चंचल मन नित नई लालसा जगाएं
बेकाबू हो मुसीबत में फंसाएं।
जिसने कर लिए इसको वश में
उससे बढ़कर नहीं कोई जग में।
सरोज ✍️








- Saroj Prajapati

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ईश्वर के बाद माता पिता का साया ही है जो उनके साथ भी और बाद भी अपने बच्चों के साथ बना रहता है।
सरोज प्रजापति ✍️
- Saroj Prajapati

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गत वर्ष का थामें हाथ
देखो धीरे धीरे चला आ रहा है नया साल।
दुख निराशा और उदासियों की पोटली बांध
देखो धीरे धीरे चला जा रहा है पिछला साल।
नई खुशियों, उमंगों और आशाओं की लेकर सौगात
देखो मुस्कुराता सा चला आ रहा है नया साल।
फीके पड़ चुके रिश्तों में घोलने फिर से मिठास
देखो प्रेम से भरा चला आ रहा है नया साल।
जीवन में करने सकारात्मकता का संचार
देखो जोश से भरा चला आ रहा है नया साल।
हर ख्वाहिश को देने उसका मुकाम
देखो धीरे धीरे चला आ रहा है नया साल।
नववर्ष आपके जीवन में लाए खुशियां अपार
इन्हीं शुभकामनाओं संग मुस्कुराता चला आ रहा है नया साल।
सरोज प्रजापति ✍️


- Saroj Prajapati

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दिसंबर - जनवरी सी
आनी जानी
इस जीवन की यही कहानी।
सरोज ✍️
- Saroj Prajapati