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Sarika Sangani

Sarika Sangani

@sarikasanganigmail.com202923
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कुछ उलझी सी लगती है ये जिंदगी जब बार बार अपने सपनों को टूटते हुए देखती हु मै। जिंदगी में क्या करना चाहा था क्या हो गई हूं। उदास हो जाती हूं।गमोंको महसूस करती हूं। पर किसी से कुछ कह नहीं पाती।
कुछ उलझी सी लगती है ये जिंदगी जब अपने बच्चों को यूं आपस में लड़ते हुए देखती हूं। जब वे नादान गैर जिम्मेदार से लगते है।जानती हु उनके जवां उम्र का तकाजा है,वे ऐसाही बर्ताव करेंगे,उनकी फिक्र करती हु क्या करूं एक मा के मन को समझा नहीं पाती।
कुछ उलझी सी लगती है जिंदगी जब चुपचाप रिश्तोंमे पड़ी दरारों सह जाती हूं। हां कभी इस मनमुटाव से सहम जाती हु। पर किसी से कुछ पूछती नहीं।किसी से कोई शिकायत करती नहीं।जानती हु धीरे धीरे अकेली हो रही हु मैं, पर अब रिश्तों में समझौता नहीं कर पाती।
कुछ उलझी सी लगती है ये जिंदगी जब घर में बिखरी किताबें , फैले कपड़े, जमी हुई धूल और मेरी ढेर सारी दवाईयां देखती हु। क्षमता से अधिक काम करने लगती हु और थक हार कर बैठ जाती हु। पता है मुझे मेरा हालचाल तो कोई पूछेगा नहीं। फिरभी सबका ख़्याल रखती हु पर खुदको सम्भाल नहीं पाती।
कुछ उलझी सी लगती है ये जिंदगी जब मुसीबतें पीछा नहीं छोड़ती। खुशी के चंद पल चंद ही होते है, और ग़म की पूरी रात होती है । सब कुछ जानते हुए भी नासमझ बन जाती हु। सब ऊपरवाले पे छोड़ रखा है मैने। सोचती हूं चाहे जैसी भी है, उलझी ही सही आखिर अपनी ही तो है , इसीलिए इसी जिंदगी को हंसते हुए जीए जाती हु, मै लड़वैया हूं। मैदान छोड़कर भाग नहीं सकती।
चाहे फिर कुछ उलझी सी लगे यह जिंदगी।
@sanganiwrites

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Dear all readers, followers, my new story is published for you to feel the essence of love"आसमां से आंखों तक का बोझ"। प्यार के रंग हजार, उसमें से एक अपने प्यार को समझना उसी पे आधारित छोटीसी कहानी , संवेदनशील लोगोंको अपनी भावनाएं इसमें व्यक्त होती हुई प्रतीत होगी।आपका बहुत बहुत धन्यवाद।

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वो जो तुम जिंदगी में आगे बढ़ने के लिए प्रयत्न करते वक्त लोग क्या कहेंगे यह सोचते हो न तभी तुम दो कदम और पीछे चले जाते हो।
- Sarika Sangani

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दुनियाका सबसे दयनीय चेहरा
उसका होता है जो किसी से उधार मांगता है।
और दुनिया सबसे मक्कार
चेहरा भी उसी इंसान का होता है
जब आप उधार वापस मांगते हो।
- Sarika Sangani

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हर इंसान की रचना निरंतर प्रगति होने के लिए ही है, बशर्ते वह "भय" शब्द को अपने जीवन से हटा दे।
- Sarika Sangani

नया ब्लॉग उन महिलाओं के बारे में जो करती है कुछ ज्यादा, देती है कुछ ज्यादा अपनी क्षमताओं से अधिक,सहती है कुछ ज्यादा अपनी सीमाओं से आगे। Read "ये जो कुछ ज्यादा...." on Matrubharti

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हां तो क्या हुआ जो मैं तुम्हे थोड़ी स्वार्थी लगती हु ,पर तुम्हारा ख्याल रखने के लिए ही मै तुमसे पहले खुदका ख्याल रखती हूं।

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check out my new blog on Matru bharti. It's all about Cricket and all overpresence of cricket in our lives

वो कहते है हमसे,अभी उमर बीत गई प्यार की, नादान है वो क्या जाने
कब कली खिले बहार की।
- Sarika Sangani

I am not changed as rude dear, I am more wiser to give you my time, my energy as per I want and not you need, and you don't like it.
- Sarika Sangani