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मेरी नज़रों से गिरने के बाद वो, फ़लक का चांद भी बन जाए, तो मुझे क्या।।
जूते घिसकर बनाई गई पहचान और जूते चाटकर बनाई गई पहचान में फर्क होता है...
तुलनाएँ अक्सर सम्बन्ध बिगाड़ देते हैं, श्रेष्ठता सबूत की मोहताज नहीं होती।
जैसे-जैसे आप बड़े होते जाते हैं, आपको यह एहसास होता जाता है कि आपको इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपको कौन अच्छे से जनता है या कौन नहीं... बल्कि फर्क पड़ता है तो इस बात से की कौन आपसे अपनापन रखता है, आपको दिल से महसूस करता है, आपको सुनता है और आपसे स्नेह रखता है...❤️💫
जानते हो जिससे प्रेम होता है न और जो मन को भा जाता है वो हर हाल में खूबसूरत लगता है...मुझे लगता है प्रेम को अपने तक ही सीमित रखना चाहिए..प्रेम कोई कारोबार नहीं जिसका ढिंढोरा बाजार में पीटा जाए..प्रेम तो शांत लहरों सा मन में उठता हुआ एक खूबसूरत सा सुकून है किसी के लिए❤️
चरण छूने योग्य हैं वो पुरुष जिन्होंने रिश्ता समाप्त होने के बाद भी अपनी प्रेमिका के राज़ को स्वयं तक ही सीमित रखा....❣️
शारीरिक जरूरत पूरी हो जाने के बाद पुरुष का मूंह मोड़ कर सो जाना स्त्री के लिए मर जाने के समान होता है उस वक्त स्त्री खुद को ठगा हुआ महसूस करती है..
————————————————––––– अच्छा हुआ मरने के बाद कोई मोबाइल लेकर नहीं जा सकता अन्यथा उधर से पोस्ट आती: “आज बड़े भाई यमराज जी का सानिध्य प्राप्त हुआ और पृथ्वी के गहन मुद्दों पर चर्चा की !”
मै अपने मन के उतार चढ़ाव के दौरान नितांत अकेला रहना पसंद करता हूं,मुझे किसी की भी मौजूदगी असहज करती है...!
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