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Maya

Maya Matrubharti Verified

@mayakumariart225gmail.com6689
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"तुमसे, तुम्हारे लिए…"

मुझे इस बात से कोई शिकायत नहीं कि तुम दूसरों से बात करते हो।
शिकायत बस इतनी है…
कि जिस तरह की हँसी, जिस सुकून के साथ तुम उनसे जुड़ते हो —
वो सब जैसे मुझसे कहीं खो गया है।

ऐसा लगता है जैसे…
मेरे आने से तुम्हारे जीवन में कोई बोझ आ गया हो,
जैसे मैंने कोई भूल कर दी हो —
और अब हर दिन तुम उस भूल की सज़ा मुझे अपनी बेरुख़ी से दे रहे हो।

मुझे तुमसे कोई बड़ी चीज़ नहीं चाहिए थी,
बस तुम्हारी थोड़ी-सी चाह,
तुम्हारा हालचाल पूछ लेना…
बस यही मेरी पूरी ज़िंदगी बन सकती थी।

पर शायद मेरी ये बातें कभी तुम्हारे दिल तक पहुँची ही नहीं।
तुमने मेरी हर तकलीफ़, हर टूटी हुई चुप्पी को
सिर्फ़ एक "नाटक" समझ लिया…

पर मैं वैसी नहीं थी।

मैं तो कभी बहुत ख़ुशमिज़ाज थी,
संतुलित… मुस्कुराती हुई।
जैसे एक पुजारी हर सुबह अपने भगवान को भोग लगाकर
प्रार्थना करता है —
"हे प्रभु, आओ और मेरी भक्ति स्वीकार करो"…
बस वैसे ही मैं भी हर रोज़ यही दुआ करती हूँ,
कि तुम मुझसे बात कर लो…
मुझसे दूर मत जाओ।

कभी-कभी ये चाह इतनी गहरी हो जाती है,
कि मैं खुद को एक भिखारी की तरह महसूस करती हूँ —
तुम्हारी एक नज़र, एक शब्द मांगते हुए।

और फिर…
जब मैं तुम्हें किसी और के पास देखती हूँ,
तुम्हारी बातों में तुम्हारी मुस्कान खोजती हूँ,
तो कुछ टूट जाता है मेरे अंदर।

मैं अपने आप को खो देती हूँ।
सब कुछ भूल जाती हूँ —
सिर्फ़ एक बात याद रहती है —
कि मैं तड़प रही हूँ… और तुम अब भी अजनबी से हो गए हो।


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"मैं तुमसे नाराज़ नहीं हूँ… बस खुद से हार गई हूँ।
फिर भी, शायद कहीं न कहीं — आश मे रहती हुँ
तुम अब भी मुझे थोड़ा सा… चाहो।"

— Maya 💔

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"तुम बिन ज़िंदगी कुछ यूँ अधूरी लगती है,
जैसे स्मार्टफोन हो, पर उसमें इंटरनेट नहीं चलती हैं

-maya

निकल पड़े हैं पाँव,
इस पार हूं, या उस पार हूं.

संभला हुआ हूं या तार तार हूं..
किसी काम का हूं, या बेकार हूं

सही कहा हैँ किसी ने
हर सफर के हमसफर नहीं होते

मेरी चाहत की अब तुम्हे असर नहीं होते
सही कहा तुम्हारे नजरों मै बस मै बेकार हूँ

- maya

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एक अधूरा ख़त... तेरे नाम"

कभी सोचा है कि किसी का सब कुछ होकर भी, कुछ न होना कैसा लगता है?
मैंने तुम्हें बेइंतहा चाहा... बिन शर्तों के, बिन उम्मीदों के।
बस एक चाह थी — कि तुम मेरी बातों में मुस्कुराओ, मेरी आँखों में खुद को देखो।

तुम जानते थे, मैं तुमसे प्यार करती हूँ।
जानते हुए भी, तुमने कभी वो जगह नहीं दी जिसे पाने के लिए मैंने खुद को भी पीछे छोड़ दिया।

मैंने अपने आपसे झूठ बोला, अपनी इज़्ज़त से समझौता किया, सिर्फ़ तुम्हारे लिए।
तुम्हें खोने का ख्याल भी मौत सा लगता था।
एक दिन भी अगर तुमसे बात न होती, तो लगता था कि सब कुछ खत्म हो गया है।

तुम्हें क्या पता, किसी की दुनिया सिर्फ़ एक इंसान से शुरू और खत्म हो सकती है।
तुम्हें क्या पता, प्यार कैसे किसी को तोड़ देता है — बिल्कुल ख़ामोशी से।

अब सोचती हूँ, प्यार वाकई अंधा होता है।
वो इंसान जिसे हम सब कुछ मानते हैं, वही हमें सबसे ज़्यादा रुलाता है।

मैं नहीं जानती अब तुम इस ख़त को कभी पढ़ोगे या नहीं।
पर अगर पढ़ो... तो इतना समझ लेना —
किसी ने तुम्हें पूरे दिल से चाहा था, और आज भी तुम्हारी यादों में कहीं ज़िंदा है।

– तुम्हारी कभी न पूरी हुई मोहब्बत

maya-

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तुम्हारी गुफ्तगू मुझे नजदीक ला रही है
लगता हैं मोहब्बत से नाता जल्द टूटेगा

बहुत  क़रीब  रहे  हैं  , कुछ  लोग  ज़िंदगी  मे हम से!
ना गमो को भुलाने दिया, ना खुशीयो को आने दिया!!

-Maya