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तिरस्कार कोई कब तक सहे, अपनो से ही यह प्रहार कोई कब तक सहे। जिसके लिए पूरा जीवन न्यौछावर कर दिया, उससे मिलता है, दुर्व्यवहार कोई कब तक सहे। जैसे बच्चे रहते है, अपने मातापिता के घर में, क्यों बूढ़े मातापिता वैसे नहीं रह पाते अपने ही घर में, की यह आभाव कोई कब तक सहे। तिनका तिनका जोड़ा, खुद को दर्द के साथ कार्यरत रखा, जिसको उस लायक बनाया कि, वो कही से भी पीछे न रह जाए, जब वही करे हरदम गुस्सा तो कोई कब तक सहे। दर्द का यह भाव ना छुप सकता है, ना तो इंसान छुपा सकता है। जब अपना खून ही पराया हो जाए, तो यह कोई कब तक सहे........ मातापिता को इतना मजबूर किया जाए कि, वो खुद ही अपने औलाद से दूर हो जाए तो ये कोई कब तक सहे।
अपनी अपूर्णताओं का स्वीकार कर की, यहां संपूर्ण कोई नहीं है। है किसी के पास रूप ओर रंग तो, बुद्धिमता से वो खाली है। है किसी के पास सब कुछ तो, वो अपने सोच से अपाहिज है। है किसी के पास अपने काम में योग्यता तो, वो अहंकार से भरा पड़ा है। हर इंसान मै कुछ ना कुछ तो कमियां है ही है, कोई संपूर्ण है ही नहीं!
तुझे तेरे ही बंधनों ने रोका है, तूने खुद ही खुद को रोका है, आजाद कर खुदको और खुली हवाकों महसूस कर, तेरे लिए पूरा आसमान है। है तेरे पास अपने पंख तो, क्या जरूरत है तुझे किसी के साथ की, है तेरे पास अपनी सोच तो क्या जरूरत है तुझे किसी के अभिप्राय की, है तेरे पास अपना आत्मविश्वास तो, क्या जरूरत है तुझे किसी के विश्वास की, है तेरे मै कुछ बात ये तू जानती है तो, क्या जरूरत है तुझे किसी भी वाह वाह की, तुझे तोड़ने तेरे आसपास हर कोई है, तुझे हिम्मत देने हौसला देने सिर्फ तू है अकेली, जब दुनिया तेरे खिलाफ हो जाए तो, डरना कभी मत, शेर को मात देना अकेले इंसान की बात तो है नहीं, वो झुंड बना करके तुम्हे शिकार करने आएंगे मेरे दोस्त। कर यक़ीन खुद पर की तेरी फतेह होगी, खुद को बना एक योद्धा की सदैव तेरी ही विजय होगी। सच पर चलने वाला इंसान हमेशा अकेला ही होता है, ओर तेरी इस जंग की केवल तू ही साक्षी होगी। तो पंखी बन कर उड़ पूरे आसमान में, क्यूंकि यही तेरी जगह है, ओर यही तेरा बसेरा।
हर रोज जिंदगी का एक सवाल है। की आज का मसला हल हुआ कि नहीं। मम्मी का सबसे बड़ा मसला है,की मम्मी को काम करने वाली दीदी का काम पसंद नहीं आता, मम्मी का दूसरा मसला होता है, किसी कारण पानी का ना आना, ओर तो ओर मम्मी का तीसरा मसला होता है लाइट चली जाना। जिंदगी में ये जो हमारी मम्मी के मसले है ना भाई ..... वो हल हो तो जाते है पर रोज के यही मसले होते है। मम्मी के ओर मसलों में शामिल है। अपनी चीजों को लेकर उसकी सही जगह पर ना रखना। मम्मी ने यदि कोई काम बताया तुम्हे ओर तुमने उस काम को वही समय पर ना किया तो, तो भई मम्मी इतना इंतजार नहीं कर सकते वो खुद ही वो काम कर लेंगे। कभी कभी मुझे लगता है मम्मी क्या 20साल के है, हमारी मम्मी हमे बोले बेटा पंखा साफ करदो और हमने ज़रा सी देरी लगाई तो बेड़ा पार.... 2 मिनिट खत्म होते होते मम्मी कोई टेबल पर चढ़कर पंखा को साफ करते हुवे हमें दिखेंगे। मम्मी को खुश रखने का केवल एक ही मंत्र है जनाब.... की मम्मी जो बोले जिस समय पर बोले उनकी सारी बातों को बस मान लिया करो। तो मम्मी मसला सही हो जाएगा। मम्मी अपने बच्चों से केवल थोड़ा सा समय मांगती है। मुझसे बाते करो, थोड़ा अपना समय मुझे दो, अपनी मम्मी को सिर्फ mother's day पर ही special feel नहीं करवाना। रोज करवाना है। सभी मम्मी को मेरी गुजारिश है कि please थोड़ा सब्र रखो, हम बच्चे काम करेंगे। लेखक ; कोमल मेहता
જોત જોતામાં કેટલાં વર્ષો વિતી ગયા...... વર્ષો વીતવા ની સાથે આપણે કેટલાં મોટા થઈ ગયા..... શું જાણ્યું તમે કે શું જરૂરી છે જીવન માટે... તો ખબર પડી કે કઈ એવું ખાસ નથી જેના વગર તમે જીવી નથી શકતાં.... પૈસા થી ખુશી ને ખરીદી નથી શકાતી... પૈસા થી દુઃખ ને બીજાને આપી નથી શકાતું.... જે પણ છે જીવન માં એ બધું તમારા મન ની સ્થિતિ ઉપર નિર્ભર કરે છે. 1. જીવન જીવવા માટે સંતોષ હોવો જરૂરી છે. 2. જીવન જીવવા માટે ધીરજ રાખવી જરૂરી છે. 3. જીવન જીવવા માટે સ્વીકાર કરવું જરૂરી છે 4. જીવન જીવવા માટે જતું કરવું બહુજ જરૂરી છે. 5. જીવન જીવવા માટે કોઈ માફી ના પણ માંગે ને તો પણ એણે માફ કરવું જરૂરી છે. 6. જરૂરી છે આત્મમંથન કરવું પોતાની જાતનું. 7. જરૂરી છે સતત કાર્યરત રહેવું. 8. જરૂરી છે આપણી દરેક ઇન્દ્રિયોને આપણા કાબૂ માં હોવું. 9. સૌથી મહત્વ નું પોતાના શરીર ને સ્વસ્થ રાખવું. જરૂરી છે આ વસ્તું . 10. જરૂરી છે જીવનમાં ક્યાં અટકવું,. ક્યાં છ્ટકવું, ક્યાં લટકવું. ક્યાં રહેવું એટલું બસ આવડી જાય તો જીવન સાવ સરળતા થી જીવી શકાય છે. હિસાબ લગાવો આમાંથી કેટલું તમે પામ્યા છો?
ये जीवन है इसे जीना ही पड़ेगा। चाहे जिंदगी से कोई रुकसत हो जाए...... चाहे जिंदगी में तुम्हें कुछ ऐसा ना मिले को तुम्हे चाहिए था कभी..... चाहे सारे रस्ते बंध हो जाए....... चाहे जीने की कोई वजह न बचे...... चाहे समुंदर में पानी सुख जाए.... चाहे अग्नि की ज्योत में उजाला ही न बचे।। चाहे सूरज ना निकले, चाहे चांद ना दिखे.... चाहे सबकुछ खत्म हो जाए, पर जब तक .... जिस सफर तक लिखा है जीना तब तक तुझे जीना ही होगा। ये जीवन है...
तुझे गिरा ने को तो पूरा जहान खड़ा है, पर तुझे गिर के खुद ही खड़ा होना है, फौजी का दर्द नहीं दिखता किसी को, दिखता सिर्फ उसका जिगरा है, तो तुझे बनना उसी फौजी के फौलाद की तरह है। लड़ाई से हार के मुंह छुपा के भाग नहीं जाना है, तुझे हर रंजिश ,हर नफरत का मुंह पर सामना करना है, पीठ दिखाना तो कायरों का काम है, तुझे तो झांसी की रानी कहलाना है।
હાં..વળગણ વળગ્યું છે મને..... મને નફરત કરવાવાળા તમે સતત મને નફરત કરતા રહો, તમે નફરત કરતાં રહો તો સમયસર એણે મારા સામે પણ જતાવતા રહો, જેથી મને કિક મળતી રહે સતત આગળ વધવાની..... જે મજા છે પોતાના વિરોધીઓ ને કઈ પણ જવાબ ના આપ્યાં વગર, જવાબ આપવાની... ઓહો ઓહો....... મજા હી આ ગયા ભઈ...... જીવન માં જરૂરી છે કોઈ સતત તમારી અવગળના કરતુ રહે,. એ અવગળના તમને તમારા ઉપર વિશ્વાસ કરતાં શીખવે છે કે તમે જીવન માં બધુંજ કરી શકો છો, આ અવગળના તમારામાં એક નવો આત્મવિશ્વસ જગાવે છે, આ અવગળના તમારા અંતરમન માં રહેલી તમારી કમજોરી પર કાબૂ મેળવીને તમને સક્ષમ બનાવવા મદદ કરે છે. આ અવગળના તમને તમારા થી મલાવે છે. આ અવગળના તો તમારો સૌથી મોટો મજબૂત પાયો બને છે, કઈ કરી છૂટવાની નવી તાકાત ને સંચારિત કરે છે. માટે કહું છું કે હા મને વળગણ વળગ્યું છે.....જુનૂનન સુધી નું...
કલમ ને પ્રેમ થયો છે મારા આ શબ્દો થી કે પછી... મને પ્રેમ થયો છે આ કલમ થકી લખાયેલા શબ્દો થી..... - Komal Mehta
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