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Ashu_ Mishra

Ashu_ Mishra

@ashumishra046086


बच्चा बच्चा खेल खेलेंगे
मीठी मीठी जानकी
चोरी छुपम लोक काम छुपम
यह सभा मत जानकर
बच्चा बच्चा खेल खेलेंगे मीठी मीठी जानकर
सुबह शाम दोपहर में होगी मस्ती बहुत ग्राम कर
बच्चा बच्चा खेल खेलेंगे मीठी-मीठी जानकर

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मनोहर कविता बच्चों के लिए


सूरज मामा सुबह है निकले
ठंडी में स्नान को
चलो बच्चों हम स्नान कर लें
ठंडी हवा पहचान को
उसके बाद करेंगे मस्ती
अच्छी धूप जान को
सूरज मामा सुबह निकल
ठंडी में स्नान को
उसके बाद मम्मी और दादी के हाथों की मिस्टी खाएं
उसके बाद दादा जी के साथ बाजार की सब मिठाई खाएं
सूरज मामा सुबह निकल ठंडी में स्नान को

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वह हमसे इश्क करेंगे इसमें हमारी खता क्या
हम भी उनसे इश्क करें ऐसी शर्त है कहां
रोज-रोज की झंझट को मिले आराम यहां वहां
शांत हो जीवन मेरा और मुक्त हो इन जलो से
वह हमसे इश्क करेंगे इसमें हमारी खता क्या

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बैठ के हम दोस्तों ने जमाने की रुसवाई कारी
हमने कुछ बुराई करी उसने कुछ बढ़ई करी
रोज कहीं आना और जाना था
बस यही हम दोस्तों का फसाना था

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ठंडी हवाओं में धूप का आनंद क्या
सुबह की चाह में दोपहर का आनंद क्या
शाम की मध्य रोशनी में रात का आनंद क्या
जीवन के गम में खुशी का आनंद क्या

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मां ने मर्म को मर्म समझ
तुमने मर्म को जख्म समझा
कौन-कौन नहीं जख्म कुर्ता है समय के साथ
अब क्या जाने पर भी जख्म को जख्म समझा है
- Ashu_ Mishra

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तुम हमको गम देकर रुसवाई करते हो
आने पर केवल बेवफाई करते हो
जाने पर केवल शिकवाई करती हो
ओके करने पर दवाई करोगी
- Ashu_ Mishra

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रूठ गए तो मुस्कुराना सिखाती हो
हंस दिए तो गम भुलाना सिखाती हो
है तो जाना सिखाती हो
ना रहे तो क्या जमाना सिखाती हो
- Ashu_ Mishra

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मोहब्बत को मजाक समझती हो क्या
दिल को हिसाब समझती हो क्या
है तो कदर कर लो
जाने को गणित का हिसाब समझती हो क्या
- Ashu_ Mishra

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वह हमें रोशनी में ढूंढते हैं
उन्हें अंधेरों का हिसाब कहां
हम उन्हें उजाले में ढूंढते हैं
हमें अंधेरों का हिसाब का

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