The Download Link has been successfully sent to your Mobile Number. Please Download the App.
Continue log in with
By clicking Log In, you agree to Matrubharti "Terms of Use" and "Privacy Policy"
Verification
Download App
Get a link to download app
वो मेरी एक ऐसी सखी थी जो मुझसे एक बार मिलने के बाद भी साथ थी और अपनी आखिरी सांस तक उसने दोस्ती निभाई।जब मैंने अपनी जिंदगी के सबसेकीमती ...बेशकीमती शख्स को खोया तब मुझसे लगभग सारे ही रिश्ते छुट गए थे कुछ बचे थे जिन्होंने उस मुश्किल वक्त में साथ दिया था उसमें से वो एक थी...उसने मेरे मुश्किल वक्त में मेरा साथ नहीं छोड़ा था इसलिए भी वो कुछ खास थी । कुछ दिन बीत गए इस बात को...फिर एक ऐसी बदनसीब सी सुबह आई...जब किसी ने मुझे उसके जाने की खबर दी... मैं चाहती थी कि वो कोई गंदा सा मजाक हो।मेरे लिए ये मान पाना अविश्वनीय सा था।उन भावों को शब्दों में व्यक्त करना मेरे लिए बहुत मुश्किल है जो उस क्षण मेरे जेहन में थे। मुझे समझ ही नहीं आया कि क्या करूं कैसे पता करू किससे बात करूं क्योंकि मेरे पास उसके सिवा उसके किसी परिवारजन के नंबर नहीं थे।मुझे लगा था मैं जिंदगी भर इन्हीं नंबर पर फोन कर बात कर लिया करूंगी। कुछ समझ नहीं आया तो मैंने उसी नंबर पर फोन किया... कॉलरट्यून वो ही थी जो हमेशा से उसके फोन में लगी थी।दिल में एक आस जगी...चित्त थोड़ा शांत हुआ मुझे यकीन था कि वो फोन उठाएगी और मुझसे कहेगी कि अच्छा अब याद आई तुझे मेरी...हां ऐसे किया जाता है फोन...जैसे आज किया न वैसे ही रोज फोन किया कर और मैं उसे बताऊंगी कि देख न यार किसी ने कितना गंदा मजाक किया है मेरे साथ..तू ठीक है न अब...पर उम्मीदों से परे दूसरी तरफ किसी आदमी की आवाज थी...जो मुझसे कह रही थी कि राधिका अब इस दुनिया में नहीं है💔
एक राजनीतिक चेहरा था जिसे वो बहुत ज्यादा पसंद करती थी इतना ज्यादा की उसके फोन का वॉलपेपर भी वो ही शख्स था पर मैं उसके खिलाफ...उसे बिल्कुल नापसंद करने वाली। हमारी अक्सर बहस इस बात पर हो जाती पर न वो मेरे रंग में कभी रंग पाई और न मै कभी उसकी पसंद को पसंद कर पाई ...हमारी राजनैतिक सोच कभी मिली नहीं बावजूद इसके हम हमेशा अच्छे दोस्त रहे...विचारों में अंतर कभी हमारे बीच की दोस्ती में दरार न ला पाया। वो कभी मुझे खुद सा मासूम और सरल न बना पाई और मैं कभी उसको अपने जैसी खुराफाती चालाक न बना पाई ।मेरी ज्ञान भरी बाते उसके सरल मस्तिष्क में टिक ही नहीं पाती और उसकी सरलता भरी बाते मेरे चंचल हृदय में कभी समा न पाई। पर फिर भी हमारा रिश्ता दुनिया की सब उम्मीदों से परे एक पवित्र बंधन था। उसने एक बार कहा था कि मैं तुझ पर एक किताब लिखूंगी तब मुझे क्या मालूम था कि मुझे अपने ही मनोभाव उसके लिए लिखने पड़ जाएंगे और तब भी मेरे पास शब्द कम पड़ जाएंगे। उसकी शादी की पार्टी बाकी थी तो मेरी जॉब की पर शर्त ये थी कि उसकी शादी पहले हुई तो वो पहले पार्टी देगी और फिर मैं अपनी जॉब की ।वो कहती की एक बार तुझे शादी की पार्टी दे दूं फिर देखना तुझसे कितना खर्चा करवाती हूं...पर हुआ यूं कि वापस कभी मिलना हुआ नहीं...जब वो पीहर होती तो में जॉब पर होती और जब मैं घर होती तो वो ससुराल होती और वो पार्टी भी अब जिंदगी भर के लिए पेंडिंग रह गई शायद जब ऊपर कभी मुलाकात होगी तब ये हिसाब भी पूरा कर लेंगे।
कुछ दोस्त कम वक्त के लिए मिलकर भी खास बन जाते है और जिंदगी में एक प्यारी सी याद बन कर रह जाते है। बात कुछ 4-5 साल पहले की है...जब मेरा B.ed में एडमिशन हुआ। वहा सब लोग नए थे मेरे लिए ...हां कुछ लोग जान पहचान के थे पर मेरी क्लास में सारे ही लोग मेरे लिए नए थे । मुझे क्लास में रेगुलर जाते हुए 4_5 दिन हुए थे...एक तो अपने BSC वाली फ्रेंड्स को बहुत मिस किया करती थी तो BSC में कॉलेज इतना बंक मारने के बाद b.ed "> b.ed में रोज़ जाने का जी ही नहीं चाहता था। एक दिन यूंही पुरानी यादों की उड़ेदबुन में थी कि मैंने उसे पहली बार देखा।पहली मुलाकात कुछ खास याद नहीं पर वो कुछ संकुचाई सी मासूम सी लड़की लगी ...हां पहले दिन की एक फोटो मेरे पास आज भी पड़ी है जब में उसे जानती भी नहीं थी बस थोड़ी सी बातचीत हुई थी। धीरे धीरे हमारी बाते बढ़ने लगी...हम दोनों क्लास में भी पास बैठते ओर क्लास बंक भी साथ करते...ऐसे ही लगभग 20_25 दिन बीत गए ।एक दिन यूंही हम क्लास मैं बैठे थे हमने एक दूसरे को अपने खूब सारे राज तब तक बता दिए थे अचानक वो मुझसे हाथ आगे बढ़ा कर बोली फ्रेंड्स...वो मेरी तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ा रही थी मुझे उसकी इस हरकत पर बहुत हंसी आई... मैं खूब हँसी उसकी इस बात पर लेकिन वो मुझे मासूम सी नजरों से देख रही थी...मैं कहा पागल जब हम इतने टाइम से साथ है साथ घूम रहे साथ खाना खा रहे दिन भर इतनी बाते करते है मस्ती करते है और तू अब जा कर बोल रही फ्रेंड्स...तो जब हम अब फ्रेंड बनेंगे तो इतने दिन क्या था ...इस बात पर वो भी खूब हँसी और बोली अब अपन पक्के दोस्त है ना...।।। वो टाइम बहुत अच्छा था...में दिन भर की परेशानियां उसे बता देती वो हमेशा मेरी बाते सुनती मुझे समझती।हम पूरे दिन साथ रहते बाते करते मौज मस्ती करते घर से अच्छा खाना बना के खूब टिफिन भर के लाते और क्लास रूम में टीचर से छूप कर खाते... लंच तक आधा टिफिन चट कर जाते। वो मुझे अपने जैसी सीधी बनाना चाहती थी और मैं उसे अपने जैसी खुराफाती । वक्त बीत बीतता गया दो साल पूरे हुए और हमारी b.ed "> b.ed complete होने के साथ ही मेरी जॉब लग गई और उसकी शादी हो गई।बावजूद उसके वो हमेशा मुझे फोन करती। हमारी बाते होती वो मुझे खूब ताने देती की जॉब के बाद तू बदल गई है...मुझे फोन नहीं करती मैं हमेशा अकड़ से कहती तू है न फोन करने को तो मुझे जरूरत ही नहीं पड़ती और वैसे भी मैं तो हमेशा फ्री हूं तू भाई शादी ससुराल वाली जब वक्त मिले कर लिया कर फोन वो हंस दिया करती। वो मुझसे हमेशा हक से बात किया करती जैसे मुझ पर उसका सबसे ज्यादा हक हो...कहती अगली बार तू फोन करेगी मुझे ...मैं नहीं करूंगी तुझे इस बार और मैं तेरे फोन का wait करूंगी।
उसको अब मैं फोन करना भी सिख गई थी जब कभी बस का wait करती या किसी काम में मन नहीं लगता तो मैं उसे फोन कर दिया करती और कभी जब वो बहुत दिन फोन नहीं करती तो अब उसे मैं ही याद दिला दिया करती कि अरुणा नाम की भी उसकी कोई सखी है। वो बड़ा खुश हो जाया करती कहती की हां ऐसे फोन किया कर ग्रीन बटन तो तेरे फोन में भी है। 2nd लास्ट बार जब बात हुई तो वो बहुत खुश थी अपनी जिंदगी ओर आने वाले अच्छे दिनों के बारे में बता रही थी...दिन संघर्ष में बीत रहे थे पर वो आने वाले सुखद पलो में सब भूल जाना चाहती थी। पर नियति क्रूर है... बहुत क्रूर जब आखिरी बार मेरी 17 दिसंबर को उससे बात हुई तो वो उम्मीदों से भरी थी उसकी जिंदगी में बहुत बड़ी खुशी आने वाली थी वो बोली डॉक्टर ने बोला है कुछ दिन सही से निकल जाए बस... मैने उससे कहा तेरे बाबू तो दिसंबर में ही होंगे और देखना मेरे बर्थडे पर ही होंगे और बिल्कुल मेरे जैसे होंगे नालायक ...तू दिन भर उनको संभालती संभालती थक जाएगी...वो खिलखिला कर हंसी और बोली चुप कर यार तेरे जैसे बदमाश बच्चे मै कैसे संभालूंगी .....कुछ बाते की फिर वो थक गई...कहने लगी मैं तुझसे बाद में बात करती हूं पर तू ये मत सोचना कि मैंने फोन किया और ये मुझसे बात ही नहीं कर रही...में किसी से बात नहीं कर पाती मेरी सांस फूलने लगती है और उसने वापस फोन करने का वादा कर फोन रख दिया कुछ दिन बीत गए इस बात को...फिर एक ऐसी बदनसीब सी सुबह आई...जब किसी ने मुझे उसके जाने की खबर दी... मैं चाहती थी कि वो कोई गंदा सा मजाक हो। उन भावों को शब्दों में व्यक्त करना मेरे लिए बहुत मुश्किल है जो उस क्षण मेरे जेहन में थे। मुझे समझ ही नहीं आया कि क्या करूं कैसे पता करू किससे बात करूं क्योंकि मेरे पास उसके सिवा उसके किसी परिवारजन के नंबर नहीं थे।मुझे लगा था में जिंदगी भर इन्हीं नंबर पर फोन कर बात कर लिया करूंगी। कुछ समझ नहीं आया तो मैंने उसी नंबर पर फोन किया...कॉलरटोन वोही थी जो हमेशा से उसके फोन में लगी थी दिल में एक आस जगी...चित्त थोड़ा शांत हुआ मुझे यकीन था कि वो फोन उठाएगी और मुझसे कहेगी कि अच्छा अब याद आई तुझे मेरी...हां ऐसे किया जाता है फोन...जैसे आज किया न वैसे ही रोज फोन किया कर और मैं उसे बताऊंगी कि देख न यार किसी ने कितना गंदा मजाक किया है मेरे साथ..तू ठीक है न अब...पर उम्मीदों से परे दूसरी तरफ किसी आदमी की आवाज थी...जो मुझसे कह रही थी कि राधिका अब इस दुनिया में नहीं है💔
ये कौन लोग होते है भाई जिनको हर बात से मिर्ची लग जाती है ये किसी की खुशी देख नहीं पाते खुद दुनिया भर की नेगेटिविटी ले कर घूम लेते है पर जहां कोई हंसना चाहे...इस टेंशन भरी दुनिया में खुश होना चाहे वहां ये लोग पहुंच जाते है कि भाई तुम हो कैसे लिए खुश...हमारे होते हुए हमारी मेहनत में क्या कमी रह गई जो तुम खुश हो रहे... हमारी नेगेटिव एनर्जी पहुंच क्यों नहीं रही इनके पास अब न्यू ईयर है चलो ये तो नहीं पता क्यों है न्यू ईयर.. पर है तो ठीक ही है इतना बुरा भी नहीं है राम जाने कब अपनी पृथ्वी देवी अपने सूर्य देव की परिक्रमा पूरी करती है पर ठीक है न है तो है..हो रहे लोग खुश तो क्यों टांग अड़ानी है भाई और कुछ लोग जो अपने बच्चों को अंग्रेजी मीडियम में पढ़ाने के बावजूद अंग्रेजी नव वर्ष का विरोध कर रहे...कहते है कि हम हिंदू है ...हिंदू नववर्ष मनाएंगे...ठीक है भाई मना लो पर अपने बच्चों को भी गीता का ज्ञान तो करवाओ...सिर्फ इसी मुद्दे पर टांग क्यों अड़ानी है... हां इसी बात पर नहीं इनको हार वार त्यौहार अपनी नेगेटिविटी फैलानी ही होती है...ये लोग खुद बड़ा सा उदास चेहरा लिए एक दिन पहले हर सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर एक्टिव रहते है...मजाल है कोई खुश हो ले...पूरे subconscious mind की वाट लगा देते है🙂
मुझे जाने क्या दुख है मुझे नए साल से ज्यादा दुख इस साल के जाने का है और भाई ये इस साल के साथ नहीं पिछले साल के साथ भी था मैं बैठे बैठे सोच रही की यार बेचारा 2024 जा रहा अब वो कभी वापस नहीं आयेगा कभी मतलब कभी नहीं🥺 हम कभी नहीं कह सकते कि 2024 चल रहा बिना मतलब फिलिंग में घुस रही🤦🏻♀️ मैं कभी नई चीजों के लिए तैयार नहीं हो पाती मुझे पुरानी या जाने वाली चीजें ज्यादा अपनी और खींचती है अतीत में जीना जाने कब बंद करूंगी मैं 🥲 पर जो भी है😭दुख तो होता है न यार किसी के जाने का भले वो महज एक अंक ही क्यों न हो☹️
मेरा बर्थडे हमेशा ही मेरे लिए खास होता है मुझे नहीं पता ये दिन किसी के लिए खास है या नहीं पर मेरे लिए है क्योंकि इस दिन मैं पैदा हुई थी😂 मुझे ये भी नहीं पता कि मेरे होने से किसी को खुशी है कि नहीं पर मुझे है क्योंकि मैं तो मैं हूं न😂 हां पहले ऐसा नहीं था पर अब है क्योंकि अब मुझे खुद से प्यार है मैं खुद के लिए ही बहुत स्पेशल हूं भले किसी को ना पड़े फर्क पर मुझे खुद से पड़ता है और मैं कोशिश करती हूं कि मेरा स्पेशल दिन स्पेशल बना रहे मैं हर छोटे से छोटा लम्हा एंजॉय करना चाहती हूं क्योंकि मुझे मरने से पहले खुल कर जीना है जिंदगी भर बस जिंदगी की चिंता करती रही तो जिऊंगी कब कौन जाने कल हो ना हो❤️
मेरी काबिलियत पर कभी शक मत करना क्योंकि मैने तो पैदा होने के एक दिन बाद ही साल बदल दिया था😂😂😂 - ArUu
किसी ने क्या खूब कहा है की अगर सैलरी न बढ़े तो काम उतना ही करो कि सैलरी ज्यादा लगने लगे😂😁 - ArUu - ArUu
मैं बात बात पर आंखे भिगोने वाली आजमा पाऊंगी क्या खुद को?😑 - ArUu
Copyright © 2025, Matrubharti Technologies Pvt. Ltd. All Rights Reserved.
Please enable javascript on your browser