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हास्यास्त्र भाग–३सूडान में शांति स्थापित होते ही एलन का iPhone अचानक गूंज उठा। उ...
39 गोल्ड अब मैनेजर ने जैसे ही अजय की शिकायत करने के लिए अपने मोबाइल में पु...
संजना और हर्षवर्धन एक बड़े, आलीशान लेकिन सुनसान से वैयर हाऊस के डायनिंग टेबल पर...
हनुमत पचासा - समीक्षा व कवित्त 5 अंतिम 'हनुमत पचासा' मान कवि कृत 50 कवित्त का...
8. सपने मीरा को नींद नहीं आ रही थी। उसे शिवा की याद सता रही थी। उसने शिवा से फो...
काका महाजनी के मित्र और सेठ, निर्बीज अंगुर, बान्द्रा के एक गृहस्थ की अनिद्रा, बा...
टूटे हुए दिलों का अस्पताल – एपिसोड 27पिछले एपिसोड में:भावेश का आदमी अस्पताल में...
भाग 5 (मजेदार मोड़): एक सनकी हसीना का आगमन टिमडेबिट ने सब सच बता दियारामू चौकीदार...
### एपिसोड 44: नई सुबह की ओरसमीरा की ज़िन्दगी में सबकुछ बदल चुका था। कोर्ट ने रा...
भूमिका मित्रों उपनिषद कहता है सर्व खल्विदं बृम्ह,सबकुछ परमात्मा है मै ऐक पुजारी...
दो तीन रोज़ से तय्यारे स्याह उक़ाबों की तरह पर फुलाए ख़ामोश फ़िज़ा में मंडला रहे थे। जैसे वो किसी शिकार की जुस्तुजू में हों सुर्ख़ आंधियां वक़तन फ़वक़तन किसी आने वाली ख़ूनी हादिसे का पैग़ाम...
सन इकत्तीस के शुरू होने में सिर्फ़ रात के चंद बरफ़ाए हुए घंटे बाक़ी थे। वो लिहाफ़ में सर्दी की शिद्दत के बाइस काँप रहा था। पतलून और कोट समेत लेटा था, लेकिन इस के बावजूद सर्दी की लहरें...
नाज़िम जब बांद्रा में मुंतक़िल हुआ तो उसे ख़ुशक़िसमती से किराए वाली बिल्डिंग में तीन कमरे मिल गए। इस बिल्डिंग में जो बंबई की ज़बान में चाली कहलाती है, निचले दर्जे के लोग रहते थे। छोटी...
दिन भर की थकी माँदी वो अभी अभी अपने बिस्तर पर लेटी थी और लेटते ही सो गई। म्युनिसिपल कमेटी का दारोगा सफ़ाई, जिसे वो सेठ जी के नाम से पुकारा करती थी। अभी अभी उस की हड्डियां पसलियां झ...
ये 1919-ई- की बात है भाई जान जब रौलट ऐक्ट के ख़िलाफ़ सारे पंजाब में एजीटेशन होरही थी। मैं अमृतसर की बात कररहा हूँ। सर माईकल ओडवायर ने डीफ़ैंस आफ़ इंडिया रूल्ज़ के मातहत गांधी जी का दाख़...
“मेरी तो आप ने ज़िंदगी हराम कर रखी है…. ख़ुदा करे मैं मर जाऊं।” “अपने मरने की दुआएं क्यों मांगती हो। मैं मर जाऊं तो सारा क़िस्सा पाक हो जाएगा...... कहो तो मैं अभी ख़ुदकुशी करने के लि...
अहमदाबाद हाइवे, फोर लेन, speed के दीवानोकी भाषामें बोले तो इकदम मखखन रोड. और उसी ऱोड पर इक जगह बहुत भयानक turn आता हैं.accident होने का खतरा :इक धंटे में एक तो होता ही है. मानो अैस...
बचपन के दिन थे- चिंता से मुक्त और कौतूहल से भरे पाँवों के नीचे आसमान बिछ जाता। पंख उग आए..., पंखों को फैलाए हम नाना के आसमान में जाने को बेताब..., हम यानि मैं, माँ और छोटी, वैसे हम...
..... तो एक ठहरी जिद के तहत सुरजू ने निर्णय लिया और गांव में मुनादी पिटा दी.... भूकंप आ गया गांव में.....! गोया सुरजू ने पृथ्वी तल पर घुस कर धीरे से खिसका दी हो प्लेट...., गांव के...
तेलंगाना एक्सप्रेस लेट हो गई है। पौने दस बजे की जगह अब पौने बारह में चलेगी। मैं वेटिंग रूम में बैठा हुआ था। सहसा, एक चिर-परिचित चेहरे पर मेरी नज़र गई। क्षणांश में मैं जान पाया कि ये...
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