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वैजयंतीमाला फ़िल्मों में दक्षिण का ऐसा पहला चेहरा थीं जो जल्दी ही अखिल भारतीय चे...
हास्यास्त्र भाग–३सूडान में शांति स्थापित होते ही एलन का iPhone अचानक गूंज उठा। उ...
39 गोल्ड अब मैनेजर ने जैसे ही अजय की शिकायत करने के लिए अपने मोबाइल में पु...
संजना और हर्षवर्धन एक बड़े, आलीशान लेकिन सुनसान से वैयर हाऊस के डायनिंग टेबल पर...
हनुमत पचासा - समीक्षा व कवित्त 5 अंतिम 'हनुमत पचासा' मान कवि कृत 50 कवित्त का...
8. सपने मीरा को नींद नहीं आ रही थी। उसे शिवा की याद सता रही थी। उसने शिवा से फो...
काका महाजनी के मित्र और सेठ, निर्बीज अंगुर, बान्द्रा के एक गृहस्थ की अनिद्रा, बा...
टूटे हुए दिलों का अस्पताल – एपिसोड 27पिछले एपिसोड में:भावेश का आदमी अस्पताल में...
भाग 5 (मजेदार मोड़): एक सनकी हसीना का आगमन टिमडेबिट ने सब सच बता दियारामू चौकीदार...
### एपिसोड 44: नई सुबह की ओरसमीरा की ज़िन्दगी में सबकुछ बदल चुका था। कोर्ट ने रा...
यह कहानी अनुरंजन की कैशोर्य कल्पनाशीलता की है। उसकी अनगढ़ता और दुःसाहस की है। एक ग्रामीण किशोर की अदम्य जिजीविषा भी है यहाँ। जाने क्या है इस कहानी में और जाने क्या नहीं है! कुछ भी ह...
‘‘सलोनी!’’ किवाड़ तो बन्द थे..., अन्दर कैसे घुस गई...! मैंने ही किये थे इन्हीं हथेलियों से .... तुम रोई थी... छटपटाई थी.... तड़फ कर कितना कुछ कह रही थी... आकुल तुम्हारी हिरनी आँखों...
नदी की उंगलियों के निशान हमारी पीठ पर थे। हमारे पीछे दौड़ रहा मगरमच्छ जबड़ा खोले निगलने को आतुर! बेतहाशा दौड़ रही पृथ्वी के ओर-छोर हम दो छोटी लड़कियाँ...! मौत के कितने चेहरे होते हैं अ...
क्षितीज पर सिन्दूरी सांझ उतर रही थी और अंतस में जमा हुआ बहुत कुछ जैसे पिघलता जा रहा था. मन में जाग रही नयी-नयी ऊष्मा से दिलों दिमाग पर जमी बर्फ अब पिघल रही थी. एक ठंडापन जो पसरा हु...
नंदलाल यादव दिल्ली में नौकरी करते हैं और साहिबाबाद में किराए के एक फ्लैट में रहते हैं। लोकल ट्रेन से आना-जाना करते हैं। आई.टी.ओ. पर उतर कर बस से आर.के.पुरम जाते हैं।सुबह शाम सप्ताह...
‘‘मुझे हवा के घूँट पीने हैं....’’ आवाज झमक कर चेतना में गिरती है... सफेद पिलपिले हाथों से चेहरा घुमाने लगा है बेताल - सीधे..... ‘‘लिजलिजे स्पृश के बोझ तले दबी मेरी गर्दन टीसने लगी...
सब अपने-अपने हिसाब से नौकरी करने आए थे। सब अपने-अपने हिसाब से नौकरी किए जा रहे थे। अगर देखा जाए तो आख़िरकार कोई ऑफिस भला क्या होता है! राजनीति और कार्यनीति का अखाड़ा ही तो। एन.आई.सी....
....आज सांवली शाम का जादू गायब था! वह टहलुई सी चलती रही..., मन का बेड़ा अभी अचानक उठे तूफान के बीच फंसा था...! एक पल को उसके जेहन में खौफनाक विचार उठा - समाप्त कर दे काया माँ... निर...
घर से निकलते समय उसने एक बार भी नहीं सोचा। तूफान का मुकाबला करने की ताकत नहीं थी उसमें। पति ने मारपीट की- बच्चों के सामने! ग्लानि हुई! रोज़-रोज़ गाली-गलौज़, मारपीट... तंग आ गयी थी। वह...
पात्र -चार लडके एक लडकी उम्र -7-8-9नाम- प्रेम ,समीर ,ईशान ,राज राज की बहन रानी सारे बच्चे अपने मामा की गाव छ...
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