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A Secret Letter By Hardik Chande

DISCLAIMERप्रस्तुत कथा संपूर्ण: काल्पनिक है। इसका किसी भी घटना, व्यक्ति, स्थान, समय, जाति, लिंग, धर्म से कोई संबंध नहीं है। ये कथा का उद्देश्य किसी की भी भावनाओं को ठेस पहुँचाना नह...

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डॉ सतीश राज पुष्करणा जी की लघुकथाओं पर मेरा अभ्यास By Kalpana Bhatt

डॉ. सतीश राज पुष्करणा ड्राइंग-रूम उमेश बाबू के ड्राइंग-रूम में प्रवेश करते हुए दीनानाथ ने कहा, “उमेश बाबू! ड्राइंग-रूम है तो बस आपका ! इतना सुन्दर, सुसज्जित तथा रख-रखाव वाला | एक-ए...

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में समय हूँ ! By Keval

रुको राजन ,क्या तुम अक्षरवंशिका के सम्राट अभय हो ?"

"कौन हो तुम , ओर हमारे पथ में आकर हमें नाम से बुलाने का दंड जानते हो ?"

"तुम्हारा क्रोध ही तुम्हारे निर्दोष...

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दिल की ज़मीन पर ठुकी कीलें By Pranava Bharti

ऋचा पैंसठ की हो चुकी, बच्चों के शादी-ब्याह --सब संपन्न ! तीसरी पीढ़ी भी बड़ी होने लगी पूरे -पूरे दिन लगी रहती सबकी फ़रमाइशें पूरी करने में बहुत आनंद मिलता उसे फिर बहुत सी बातें...

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रिश्ते -ज़रूरत या ईश्वरीय देन By A A rajput

बहुत दिनो से सोच रहा था कि आज कल के रिश्तों में वो बात क्यूँ नहीं हैं जिस रिश्तों की कहानी मैं अपने पापा माँ या फिर दादादादी से सुनता था ...क्यों अब लोगों की रिश्ते निभाने की चाह स...

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मेरे किरदार By Dhruvin Mavani

मुझे नही पता कि मै ये सब क्यूँ लिख रहा हूँ ! लेकिन दिल कह रहा है बस आखिरी बार ...बस एक बार । शायद इसीलिए मरना छोड़कर लिखने बैठ गया ।जी हाँ , मरना ! मै मरने जा रहा हूँ । पंखे...

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रंग थे मेरे पास लेकिन… By Hetal

रंग थे मेरे पास लेकिन… भाग 1हमारे जिंदगी में कुछ रंग इतने मायने रखते हैं कि जैसे वोही हमारे जीने का जरिया बन जाते हैं । है मेरी भी जिंदगी में ऐसे ही कुछ रंग थे,हा सही पढ़ा थे जो सिर...

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लम्हों की गाथा By सीमा जैन 'भारत'

1 - पानी
2 - भविष्य
3 - रोशनी

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मंटो की बदनाम कहानियाँ - पार्ट २ By Saadat Hasan Manto

लाहौर से बाबू हरगोपाल आए तो हामिद घर का रहा ना घाट का। उन्हों ने आते ही हामिद से कहा। “लो भई फ़ौरन एक टैक्सी का बंद-ओ-बस्त करो।” हामिद ने कहा। “आप ज़रा तो आराम कर लीजिए। इतना लंबा सफ़...

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मंटो की दिलचस्प कहानियाँ By Saadat Hasan Manto

मैं आज आप को चंद शिकारी औरतों के क़िस्से सुनाऊंगा। मेरा ख़याल है कि आप को भी कभी उन से वास्ता पड़ा होगा। मैं बंबई में था। फिल्मिस्तान से आम तौर पर बर्क़ी ट्रेन से छः बजे घर पहुंच जा...

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डॉ सतीश राज पुष्करणा जी की लघुकथाओं पर मेरा अभ्यास By Kalpana Bhatt

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दिल की ज़मीन पर ठुकी कीलें By Pranava Bharti

ऋचा पैंसठ की हो चुकी, बच्चों के शादी-ब्याह --सब संपन्न ! तीसरी पीढ़ी भी बड़ी होने लगी पूरे -पूरे दिन लगी रहती सबकी फ़रमाइशें पूरी करने में बहुत आनंद मिलता उसे फिर बहुत सी बातें...

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रिश्ते -ज़रूरत या ईश्वरीय देन By A A rajput

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1 - पानी
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