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अगले हफ़्ते की एक सर्द-सी सुबह थी।प्रकाश, अपने कंधे पर झोला लटकाए,कॉलेज के गेट क...
१०.अबीर को यह समझ ही नहीं आया था कि लड़कियां उन पर...
यह कहानी एक सच्ची घटना पर आधारित है। इसमें जो कुछ भी हुआ, वह किसी की ज़िंदगी का...
"संसार में रूप सबके सिर चढ़कर बोलता है" जानवी ने यह अब जाना था। साधारण नैन नक्श प...
अगली सुबह अभिमान आईने के सामने खड़ा था।ब्लैक कॉलर वाली टी-शर्ट, ब्लू जीन्स, दाहि...
पूर्व कथा:आर्यन एक असाधारण लेकिन दिशाहीन युवा है जिसे प्रोफेसर ईशान वर्मा द्वारा...
लेखक: Aadi Jainबहुत समय पहले की बात है, जब इंसान और जादू एक ही आकाश के नीचे सांस...
1.टीपू सुल्तान की तलवारआँखें बंद करके अँधेरा बनानावीएम कोराथमातृभूमि के पूर्व सं...
रचना: बाबुल हक़ अंसारी भाग 2. "दरवाज़ा जो कभी खुल...
कहते हैं सपने सिर्फ सोने के लिए होते हैं... पर अर्जुन ने उन्हें जिया था।वो एक छो...
1)गृह प्रवेश--------------नंदिनी आज सुबह से ही उतावली थी । उसने पूजा की सारी तैयारी कर ली थी बस अपने माता- पिता के आने का इंतजार कर रही थी । नंदिनी के पति और उसके दोनों बच्चे उसके...
आज मे आपक एक कहानी सुनाती हु जिसका मे हिस्सा भी हु ओर किस्सा हु।साम के साडे सात बजे थेे ,घर मे चहल पहल थी, अचाानक घर मे एक इन्सान का आना हुआ , वो सीधे चलकर रसोईघर तक चला गया जह...
आकाश अहुजा , newspaper. Read कर रहे थे , अचानक उनकी नजर एक खबर पर आकर रुक गई । वह एक business news थी। उसमें कहा गया है कि excess inspection office ने आज एक नया मुकाम हा...
भाग 1 - यह कहानी सिंगल पेरेंटिंग की कहानी है जिसमें दिखाने की कोशिश की गयी है कि पत्नी के जाने के बाद एक अकेला पुरुष किस तरह अपनी बेटी को पालपोस कर बड़ा करता है ........
कहानी - मासूम की बद्दुआ Part 1 “ शिखा , कहाँ हो ? “ “ आ रही हूँ , दो मिनट और लगेगा विक्रम .मूसलाधार ब...
भाग - 1 कहानी - प्रतिशोध प्लस टू की बोर्ड परीक्षा समाप्त हो चुकी थी . रूपाली अपने क्लास की कुछ लड़कियों के साथ जबलपुर के भे...
ख़ुशियों का एहसास शनिवार होने के कारण दफ़्तर में छुट्टी थी. घर में था, पर तनाव बेहद ज़्यादा था. कुछ परेशानियाँ दफ़्तर की थीं, कुछ घर की. ज़िन्दगी जैसे एक बहुत बड़ी मुसीबत लगने लगी थी...
सन्देशा अरे सुनती हो कितना समय हो गया है उठ भी जाओ अब धूप सर पे चढने को है और महारानी अभी तक सो रही है। बगल के घर से - अम्मा आप ही ने चढ़ा रखा है सर पे वरना हम भी तो है घर का सारा क...
तुम और मैं — बचपन के कुछ किस्सों और कहानियों से निकाली गई एक छोटी सी लेखनी है। मैं Rahul Pandey ( poetpahadi ) आशा करता हूँ की आपको यह कोशिश ज़रूर पंसद आयेगी। और साथ ही साथ विनती क...
शाम होने को आयी थी | दोपहर से कभी तेज तो कभी हलकी हो रही बारिश अब थम चुकी थी | विनायक बाबू सुहानी शाम का मजा लेने बारिश थमते ही तुरंत अपने बिल्डिंग की छत पर पहुँच गए | आसमान अब साफ़...
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