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महाभारत की कहानी - भाग-८७ धृतराष्ट्र के पास बिदुर की आगमन और सहि सलाह देने की कह...
काफला यूँ ही चलता रहा ---- ये उपन्यास भी सत्य घटना पर आधारित है, इसको भी सत्य ही...
शांति का मार्गएक दिन गौतम बुद्ध अपने शिष्यों के मध्य शांति की चर्चा कर रहे थे। च...
अनंत और शानवी की अनोखी कहानी(एक भावनात्मक प्रेम कहानी)दोस्तों,मेरा नाम अनंत है।म...
स्वर्गीय विद्रोह: - विराज लोक का उदयआर्यन का अंत अमरपुरी के लिए एक क्षणिक विजय...
आज मैं आपके साथ एक बहुत ही गंभीर और सुंदर विषय पर चर्चा करने जा रहा हूँ। हम सभी...
Hello army Aaj hm jk oppa ki life story delhenge.Let's start ...
गाँव में सब उसे "भोला" कहकर पुकारते थे। नाम भले ही भोला था, पर मन से वह बेहद समझ...
From Pages of History इतिहास के पन्नों स...
वाजिद हुसैन सिद्दीक़ी की कहानीअंधेरे घुप घर में सन्नाटा भाऐं-भाएं कर रहा था। डाल...
(काव्य संकलन) समर्पण - जिन्होंने अपने जीवन को, समय के आईने के समक्ष, खड़ाकर,उससे कुछ सीखने - समझने की कोशिश की, उन्हीं के कर कमलों में-सादर। वेदराम प्रजापति मनमस्त मो.9981284867...
कभी सोचा न था१.अकेला हूँअकेला हूँशव में,श्मशान मेंशिव मेंतीर्थ में,तीर्थाटन मेंतथागत की भाँति,आँधी में,अँधियारे मेंधूप में,धूल मेंराह में,राह से आगे।अकेलाधुँध की भाँतिकोहरे की तरह,...
दो शब्द- प्यारी मातृभूमि के दर्दों से आहत होकर, यह जनमानस पुन: शान्ति, सुयश और गौरव के उस युग-युगीन आनन्द के सौन्दर्य की अनुभूति की चाह में अपने खोए हुए अतीत को, पुन: याद कर...
१.बेटी से संवादतुम्हारा हँसना, तुम्हारा खिलखिलाना,तुम्हारा चलना,तुम्हारा मुड़ना , तुम्हारा नाचना ,बहुत दूर तक गुदगुदायेगा।मीठी-मीठी बातें ,समुद्र की तरह उछलना,आकाश को पकड़ना ,हवा की...
ओ वसन्त भाग-११.ओ वसन्त ओ वसन्तमैं फूल बन जाऊँसुगन्ध के लिए,ओ आसमानमैं नक्षत्र बन जाऊँटिमटिमाने के लिए।ओ शिशिरमैं बर्फ बन जाऊँदिन-रात चमकने के लिए,ओ समुद्रमैं लहर बन जाऊँथपेड़ों में...
’’करवट बदलता भारत’’ 1 काव्य संकलन- वेदराम प्रजापति ‘’मनमस्त’’ समर्पण— श्री सिद्ध गुरूदेव महाराज, जिनके आशीर्वाद से ही कमजोर करों को ताकत मिली, उन्हीं के श्री चरणों मे...
*वीर पंजाब की धरती* महाकाव्य के दशम कृपाण (सर्ग): *"माच्छीवाडा़ से तलवंडी यात्रा चित्रण"* से चुनिंदा पद -?*जब गुरु गोविंद सिंह महाराज चमकोर युद्ध के बाद मछीवाड़ा जंगल में...
‘दो शब्दों की अपनी राहें’’ मां के आँचल की छाँव में पलता, बढ़ता एक अनजाना बचपन(भ्रूण), जो कल का पौधा बनने की अपनी अनूठी लालसा लिए, एक नवीन काव्य संकलन-‘‘बेटी’’ के रूप में, अपन...
स नावेल मे आप सब को अलग अलग तरह की कविताएं पढ़ने को मिली गई l इस नावेल को लिख कर जितनी मुझे ख़ुशी हो रही है , उम्मीद है आप सब wonderful readers को भी जे नावेल पढ़ कर उतनी ही ख़ुशी हो...
नि.र.स. --------------------------------------------------- क्या तुम्हे पता है कि - गर तुम कुछ ना कहो, ना लिखो, ना ही मेरी हकीकत में हो, तो मै नि.र.स. हो जाता हूँ। -------...
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