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  • अपराध ही अपराध - भाग 5

    अध्याय 5 पिछला सारांश- एक करोड़ रूपया तिरुपति के दान पेटी में डालना है। उसे संस्...

  • आखेट महल - 5 - 2

    उसने युवक को यह भी बता दिया कि कोठी से भागने के पहले रात को वहाँ क्या हुआ था और...

  • तमस ज्योति - 60 (अंतिम भाग)

    प्रकरण - ६०स्टूडियो में बैठे रोशनकुमारने कहा, "अपनी आंखों की रोशनी वापस आने से म...

  • दादीमा की कहानियाँ - 3

      *!! संगत का असर !!*~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~*आइंस्टीन के ड्राइवर ने एक बार आ...

  • द्वारावती - 73

    73नदी के प्रवाह में बहता हुआ उत्सव किसी अज्ञात स्थल पर पहुँच गया। चारों दिशाओं म...

  • जंगल - भाग 10

    बात खत्म नहीं हुई थी। कौन कहता है, ज़िन्दगी कितने नुकिले सिरे रखती है। पता नहीं ह...

  • My Devil Hubby Rebirth Love - 53

    अब आगे रूही ने रूद्र को शर्ट उतारते हुए देखा उसने अपनी नजर रूद्र पर से हटा ली रु...

  • बैरी पिया.... - 56

    अब तक : सीमा " पता नही मैम... । कई बार बेचारे को मारा पीटा भी जाता है... । दिमाग...

  • साथिया - 127

    नेहा और आनंद के जाने  के बादसांझ तुरंत अपने कमरे में चली गई उसे बहुत ही बुरा लग...

  • अंगद - एक योद्धा। - 9

    अब अंगद के जीवन में एक नई यात्रा की शुरुआत हुई। यह आरंभ था नहीं चेतना का, नए उत्...

कभी सोचा न था By महेश रौतेला

कभी सोचा न था१.अकेला हूँअकेला हूँशव में,श्मशान मेंशिव मेंतीर्थ में,तीर्थाटन मेंतथागत की भाँति,आँधी में,अँधियारे मेंधूप में,धूल मेंराह में,राह से आगे।अकेलाधुँध की भाँतिकोहरे की तरह,...

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मेरा भारत लौटा दो By बेदराम प्रजापति "मनमस्त"

दो शब्‍द-

प्‍यारी मातृभूमि के दर्दों से आहत होकर, यह जनमानस पुन: शान्ति, सुयश और गौरव के उस युग-युगीन आनन्‍द के सौन्‍दर्य की अनुभूति की चाह में अपने खोए हुए अतीत को, पुन: याद कर...

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क्षणभर By महेश रौतेला

१.बेटी से संवादतुम्हारा हँसना, तुम्हारा खिलखिलाना,तुम्हारा चलना,तुम्हारा मुड़ना , तुम्हारा नाचना ,बहुत दूर तक गुदगुदायेगा।मीठी-मीठी बातें ,समुद्र की तरह उछलना,आकाश को पकड़ना ,हवा की...

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ओ वसंत By महेश रौतेला

ओ वसन्त भाग-११.ओ वसन्त ओ वसन्तमैं फूल बन जाऊँसुगन्ध के लिए,ओ आसमानमैं नक्षत्र बन जाऊँटिमटिमाने के लिए।ओ शिशिरमैं बर्फ बन जाऊँदिन-रात चमकने के लिए,ओ समुद्रमैं लहर बन जाऊँथपेड़ों में...

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करवट बदलता भारत By बेदराम प्रजापति "मनमस्त"

’’करवट बदलता भारत’’ 1 काव्‍य संकलन- वेदराम प्रजापति ‘’मनमस्‍त’’ समर्पण— श्री सिद्ध गुरूदेव महाराज, जिनके आशीर्वाद से ही कमजोर करों को ताकत मिली, उन्‍हीं के श्री चरणों मे...

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वीर पंजाब की धरती By हेतराम भार्गव हिन्दी जुड़वाँ

*वीर पंजाब की धरती* महाकाव्य के दशम कृपाण (सर्ग): *"माच्छीवाडा़ से तलवंडी यात्रा चित्रण"* से चुनिंदा पद -?*जब गुरु गोविंद सिंह महाराज चमकोर युद्ध के बाद मछीवाड़ा जंगल में...

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बेटी’ By बेदराम प्रजापति "मनमस्त"

‘दो शब्दों की अपनी राहें’’

मां के आँचल की छाँव में पलता, बढ़ता एक अनजाना बचपन(भ्रूण), जो कल का पौधा बनने की अपनी अनूठी लालसा लिए, एक नवीन काव्य संकलन-‘‘बेटी’’ के रूप में, अपन...

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कलम मेरी लिखती जाएँ By navita

स नावेल मे आप सब को अलग अलग तरह की कविताएं पढ़ने को मिली गई l
इस नावेल को लिख कर जितनी मुझे ख़ुशी हो रही है , उम्मीद है आप सब wonderful readers को भी जे नावेल पढ़ कर उतनी ही ख़ुशी हो...

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नि.र.स. By Rajat Singhal

नि.र.स.

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क्या तुम्हे पता है कि -
गर तुम कुछ ना कहो, ना लिखो,
ना ही मेरी हकीकत में हो,
तो मै नि.र.स. हो जाता हूँ।
-------...

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मेरा भारत दिखा तुम्‍हें क्‍या By बेदराम प्रजापति "मनमस्त"

आज की इस भयावह चकाचौंध में भारत की पावन धरती से मानवी के बहुत सारे सच्‍चे चेहरे गायब और अनदिखे से हो रहे हैं, उन्‍हीं की खोज में यह काव्‍य संकलन ‘मेरा भारत दिखा तुम्‍हें क्‍या ?’...

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कभी सोचा न था By महेश रौतेला

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मेरा भारत लौटा दो By बेदराम प्रजापति "मनमस्त"

दो शब्‍द-

प्‍यारी मातृभूमि के दर्दों से आहत होकर, यह जनमानस पुन: शान्ति, सुयश और गौरव के उस युग-युगीन आनन्‍द के सौन्‍दर्य की अनुभूति की चाह में अपने खोए हुए अतीत को, पुन: याद कर...

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क्षणभर By महेश रौतेला

१.बेटी से संवादतुम्हारा हँसना, तुम्हारा खिलखिलाना,तुम्हारा चलना,तुम्हारा मुड़ना , तुम्हारा नाचना ,बहुत दूर तक गुदगुदायेगा।मीठी-मीठी बातें ,समुद्र की तरह उछलना,आकाश को पकड़ना ,हवा की...

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ओ वसंत By महेश रौतेला

ओ वसन्त भाग-११.ओ वसन्त ओ वसन्तमैं फूल बन जाऊँसुगन्ध के लिए,ओ आसमानमैं नक्षत्र बन जाऊँटिमटिमाने के लिए।ओ शिशिरमैं बर्फ बन जाऊँदिन-रात चमकने के लिए,ओ समुद्रमैं लहर बन जाऊँथपेड़ों में...

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करवट बदलता भारत By बेदराम प्रजापति "मनमस्त"

’’करवट बदलता भारत’’ 1 काव्‍य संकलन- वेदराम प्रजापति ‘’मनमस्‍त’’ समर्पण— श्री सिद्ध गुरूदेव महाराज, जिनके आशीर्वाद से ही कमजोर करों को ताकत मिली, उन्‍हीं के श्री चरणों मे...

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वीर पंजाब की धरती By हेतराम भार्गव हिन्दी जुड़वाँ

*वीर पंजाब की धरती* महाकाव्य के दशम कृपाण (सर्ग): *"माच्छीवाडा़ से तलवंडी यात्रा चित्रण"* से चुनिंदा पद -?*जब गुरु गोविंद सिंह महाराज चमकोर युद्ध के बाद मछीवाड़ा जंगल में...

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बेटी’ By बेदराम प्रजापति "मनमस्त"

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मां के आँचल की छाँव में पलता, बढ़ता एक अनजाना बचपन(भ्रूण), जो कल का पौधा बनने की अपनी अनूठी लालसा लिए, एक नवीन काव्य संकलन-‘‘बेटी’’ के रूप में, अपन...

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कलम मेरी लिखती जाएँ By navita

स नावेल मे आप सब को अलग अलग तरह की कविताएं पढ़ने को मिली गई l
इस नावेल को लिख कर जितनी मुझे ख़ुशी हो रही है , उम्मीद है आप सब wonderful readers को भी जे नावेल पढ़ कर उतनी ही ख़ुशी हो...

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नि.र.स. By Rajat Singhal

नि.र.स.

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क्या तुम्हे पता है कि -
गर तुम कुछ ना कहो, ना लिखो,
ना ही मेरी हकीकत में हो,
तो मै नि.र.स. हो जाता हूँ।
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मेरा भारत दिखा तुम्‍हें क्‍या By बेदराम प्रजापति "मनमस्त"

आज की इस भयावह चकाचौंध में भारत की पावन धरती से मानवी के बहुत सारे सच्‍चे चेहरे गायब और अनदिखे से हो रहे हैं, उन्‍हीं की खोज में यह काव्‍य संकलन ‘मेरा भारत दिखा तुम्‍हें क्‍या ?’...

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