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    73नदी के प्रवाह में बहता हुआ उत्सव किसी अज्ञात स्थल पर पहुँच गया। चारों दिशाओं म...

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    बात खत्म नहीं हुई थी। कौन कहता है, ज़िन्दगी कितने नुकिले सिरे रखती है। पता नहीं ह...

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  • बैरी पिया.... - 56

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  • साथिया - 127

    नेहा और आनंद के जाने  के बादसांझ तुरंत अपने कमरे में चली गई उसे बहुत ही बुरा लग...

  • अंगद - एक योद्धा। - 9

    अब अंगद के जीवन में एक नई यात्रा की शुरुआत हुई। यह आरंभ था नहीं चेतना का, नए उत्...

  • कॉर्पोरेट जीवन: संघर्ष और समाधान - भाग 1

    पात्र: परिचयसुबह का समय था, और एक बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनी की कार्यलय की हलचल धीर...

  • इंटरनेट वाला लव - 90

    कर ये भाई आ गया में अब हैपी ना. नमस्ते पंडित जी. कैसे है आप सब ठीक है ना.हा नमस्...

  • नज़रिया

    “माँ किधर जा रही हो” 38 साल के युवा ने अपनी 60 वर्षीय वृद्ध माँ को पुकारते हुए क...

  • मनस्वी - भाग 1

    पुरोवाक्'मनस्वी' एक शोकगाथा है एक करुण उपन्यासिका (Elegiac Novelette) ।...

क्षितिज - काव्य संकलन By Rajesh Maheshwari

माँ का स्नेह

देता था स्वर्ग की अनुभूति।

उसका आशीष

भरता था जीवन में स्फूर्ति।



एक दिन

उसकी सांसों में हो रहा था सूर्यास्त

हम थे स्तब्ध और विवेक शून्य

देख रह...

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जीवन वीणा By Anangpal Singh Bhadoria

वीणा घर में रखी पुरानी , लेकिन नहीं बजाना आया । सारा घर उस पर चिल्लाया,जिस बच्चे ने हाथ लगाया।। जीवन वीणा के तारों की रीति -नीति नहिं हमने जानी । वीणा घर में रखी पुरानी, कदर न उसकी...

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तुम बिन जिन्दगी (मेरी कवितायें) By निखिल ठाकुर

नाम जिन्दगी का क्या दें अब हम ...तन्हा ए पल जीये है यूं उम्र भर मैने...

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रंग बदलता आदमी बदनाम गिरगिट By बेदराम प्रजापति "मनमस्त"

आज के परिवेश की,धरती की आकुलता और व्यवस्था को लेकर आ रहा है एक नवीन काव्य संकलन ‘रंग बदलता आदमी- बदनाम गिरगिट’-अपने दर्दीले ह्रदय उद्वेलनों की मर्मान्तक पीड़ा को,आपके चिंतन आँगन मे...

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जीवन के सप्त सोपान By बेदराम प्रजापति "मनमस्त"

जीवन के सप्त सोपान(सतशयी)काव्य संकलन के सुमन भावों को,आपके चिंतन आँगन में बिखेरने के लिए,मेरा मन अधिकाधिक लालायत हो रहा है।आशा और विश्वास है कि आप इन भावों के संवेगों को अवश्य ही आ...

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भारत By नन्दलाल सुथार राही

भारत की विविधताओं एवं यहाँ की संस्कृति पर एक काव्य ग्रंथ जिसमें अलग-अलग कविताओं का संग्रह है। जिसकी शुरुआत "भारत" कविता से कर रहा हूँ । आशा है आप इस रचना को उचित प्रोत्साहन...

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मोक्षधाम By बेदराम प्रजापति "मनमस्त"

नियति के सिद्धांतों की अटल परंपरा में, जीवन की क्या परिभाषा होगी तथा जीवन का घनत्व कितना क्या होगाॽ इन्हीं संवेगों और संवादों को, इस काव्य संकलन-मोक्षधाम (मिटा सके श्मशान क्याॽ)में...

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समय की नब्ज पहिचानों By बेदराम प्रजापति "मनमस्त"

समय की नब्ज पहिचानों 1 काव्य संकलन- समर्पण- समय के वे सभी हस्ताक्षर, जिन्होने समय की नब्ज को, भली भाँति परखा, उन्हीं- के कर कमलों में-सादर।...

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सरल नहीं था यह काम By डॉ स्वतन्त्र कुमार सक्सैना

1 तनी बंदूकों के साए



तनी बंदूकों के साए हों, भय के अंधियारे छाए हों

घड़ी-घड़ी आशंक...

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बोलता आईना By बेदराम प्रजापति "मनमस्त"

(काव्य संकलन) समर्पण - जिन्होंने अपने जीवन को, समय के आईने के समक्ष, खड़ाकर,उससे कुछ सीखने - समझने की कोशिश की, उन्हीं के कर कमलों में-सादर। वेदराम प्रजापति मनमस्त मो.9981284867...

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क्षितिज - काव्य संकलन By Rajesh Maheshwari

माँ का स्नेह

देता था स्वर्ग की अनुभूति।

उसका आशीष

भरता था जीवन में स्फूर्ति।



एक दिन

उसकी सांसों में हो रहा था सूर्यास्त

हम थे स्तब्ध और विवेक शून्य

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जीवन वीणा By Anangpal Singh Bhadoria

वीणा घर में रखी पुरानी , लेकिन नहीं बजाना आया । सारा घर उस पर चिल्लाया,जिस बच्चे ने हाथ लगाया।। जीवन वीणा के तारों की रीति -नीति नहिं हमने जानी । वीणा घर में रखी पुरानी, कदर न उसकी...

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आज के परिवेश की,धरती की आकुलता और व्यवस्था को लेकर आ रहा है एक नवीन काव्य संकलन ‘रंग बदलता आदमी- बदनाम गिरगिट’-अपने दर्दीले ह्रदय उद्वेलनों की मर्मान्तक पीड़ा को,आपके चिंतन आँगन मे...

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जीवन के सप्त सोपान By बेदराम प्रजापति "मनमस्त"

जीवन के सप्त सोपान(सतशयी)काव्य संकलन के सुमन भावों को,आपके चिंतन आँगन में बिखेरने के लिए,मेरा मन अधिकाधिक लालायत हो रहा है।आशा और विश्वास है कि आप इन भावों के संवेगों को अवश्य ही आ...

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भारत By नन्दलाल सुथार राही

भारत की विविधताओं एवं यहाँ की संस्कृति पर एक काव्य ग्रंथ जिसमें अलग-अलग कविताओं का संग्रह है। जिसकी शुरुआत "भारत" कविता से कर रहा हूँ । आशा है आप इस रचना को उचित प्रोत्साहन...

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मोक्षधाम By बेदराम प्रजापति "मनमस्त"

नियति के सिद्धांतों की अटल परंपरा में, जीवन की क्या परिभाषा होगी तथा जीवन का घनत्व कितना क्या होगाॽ इन्हीं संवेगों और संवादों को, इस काव्य संकलन-मोक्षधाम (मिटा सके श्मशान क्याॽ)में...

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समय की नब्ज पहिचानों By बेदराम प्रजापति "मनमस्त"

समय की नब्ज पहिचानों 1 काव्य संकलन- समर्पण- समय के वे सभी हस्ताक्षर, जिन्होने समय की नब्ज को, भली भाँति परखा, उन्हीं- के कर कमलों में-सादर।...

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तनी बंदूकों के साए हों, भय के अंधियारे छाए हों

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(काव्य संकलन) समर्पण - जिन्होंने अपने जीवन को, समय के आईने के समक्ष, खड़ाकर,उससे कुछ सीखने - समझने की कोशिश की, उन्हीं के कर कमलों में-सादर। वेदराम प्रजापति मनमस्त मो.9981284867...

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