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    धरती फट गई — और उस गहरी खाई से निकली वह काली परछाई अब पूरी तरह आकार ले चुकी थी।...

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    शीर्षक : "अधूरी घंटी"Part 6 : श्राप का वारिसहवेली के बाहर आते ही विवेक और बाबा न...

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    चैप्टर 49 शिवाय बच्चों को सूलाकर ,छत पर आकर खड़ा होता है इस वक्त वह ठंडी रात में...

  • अधूरे सपनों की चादर - 10

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  • मजनू की मोहब्बत पार्ट-1

    मजनू की मोहब्बतशाम ढल चुकी थी। कॉलोनी के मोड़ पर बनी उस पुरानी चाय की टपरी से भा...

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  • बचपन के खेल

    बचपन के खेल ️ लेखक – विजय शर्मा एरीगाँव की कच्ची गलियों में शाम का धुँधलका उतर र...

डेफोड़िल्स ! By Pranava Bharti

डेफोड़िल्स ! - 1

तेरे झरने से पहले



समर्पित

नेह को, स्नेह को

डेफोड़िल्स ही क्यों ?

यह प्रश्न अवश्य मस्तिष्क में आया होगा दिलो-दिमाग को सताया होगा आख़िर जब इतने खूबस...

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देखो भारत की तस्वीर By बेदराम प्रजापति "मनमस्त"

जीवन अनुनादों के संग में,धर्म धरा पर,पावन धरती।

नद-नादी संगीत सुभेरी,जीवन को अल्हादित करती।

थोड़ा सा अवलोकन कर लो,यहाँ पर आकर मेरे भाई।

भारत को ही स्वर्ग बनाती,पंचमहल की प...

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उत्सु्क सतसई By ramgopal bhavuk

सरस्‍वती मॉं बन्‍दना, ज्ञान ज्‍योति उर बार।

स्‍वीकारो मम प्रार्थना, करदो मॉं उद्धार ।।1।।

गौरी सुत, गणपति करूं, बिनती बारम्‍बार।

विधा, बुद्धि, उर में भरो, सुनलो शीघ्र पुका...

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क्षितिज - काव्य संकलन By Rajesh Maheshwari

माँ का स्नेह

देता था स्वर्ग की अनुभूति।

उसका आशीष

भरता था जीवन में स्फूर्ति।



एक दिन

उसकी सांसों में हो रहा था सूर्यास्त

हम थे स्तब्ध और विवेक शून्य

देख रह...

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जीवन वीणा By Anangpal Singh Bhadoria

वीणा घर में रखी पुरानी , लेकिन नहीं बजाना आया । सारा घर उस पर चिल्लाया,जिस बच्चे ने हाथ लगाया।। जीवन वीणा के तारों की रीति -नीति नहिं हमने जानी । वीणा घर में रखी पुरानी, कदर न उसकी...

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तुम बिन जिन्दगी (मेरी कवितायें) By निखिल ठाकुर

नाम जिन्दगी का क्या दें अब हम ...तन्हा ए पल जीये है यूं उम्र भर मैने...

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रंग बदलता आदमी बदनाम गिरगिट By बेदराम प्रजापति "मनमस्त"

आज के परिवेश की,धरती की आकुलता और व्यवस्था को लेकर आ रहा है एक नवीन काव्य संकलन ‘रंग बदलता आदमी- बदनाम गिरगिट’-अपने दर्दीले ह्रदय उद्वेलनों की मर्मान्तक पीड़ा को,आपके चिंतन आँगन मे...

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जीवन के सप्त सोपान By बेदराम प्रजापति "मनमस्त"

जीवन के सप्त सोपान(सतशयी)काव्य संकलन के सुमन भावों को,आपके चिंतन आँगन में बिखेरने के लिए,मेरा मन अधिकाधिक लालायत हो रहा है।आशा और विश्वास है कि आप इन भावों के संवेगों को अवश्य ही आ...

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भारत By नन्दलाल सुथार राही

भारत की विविधताओं एवं यहाँ की संस्कृति पर एक काव्य ग्रंथ जिसमें अलग-अलग कविताओं का संग्रह है। जिसकी शुरुआत "भारत" कविता से कर रहा हूँ । आशा है आप इस रचना को उचित प्रोत्साहन...

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मोक्षधाम By बेदराम प्रजापति "मनमस्त"

नियति के सिद्धांतों की अटल परंपरा में, जीवन की क्या परिभाषा होगी तथा जीवन का घनत्व कितना क्या होगाॽ इन्हीं संवेगों और संवादों को, इस काव्य संकलन-मोक्षधाम (मिटा सके श्मशान क्याॽ)में...

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डेफोड़िल्स ! By Pranava Bharti

डेफोड़िल्स ! - 1

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देखो भारत की तस्वीर By बेदराम प्रजापति "मनमस्त"

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नद-नादी संगीत सुभेरी,जीवन को अल्हादित करती।

थोड़ा सा अवलोकन कर लो,यहाँ पर आकर मेरे भाई।

भारत को ही स्वर्ग बनाती,पंचमहल की प...

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गौरी सुत, गणपति करूं, बिनती बारम्‍बार।

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क्षितिज - काव्य संकलन By Rajesh Maheshwari

माँ का स्नेह

देता था स्वर्ग की अनुभूति।

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भरता था जीवन में स्फूर्ति।



एक दिन

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हम थे स्तब्ध और विवेक शून्य

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आज के परिवेश की,धरती की आकुलता और व्यवस्था को लेकर आ रहा है एक नवीन काव्य संकलन ‘रंग बदलता आदमी- बदनाम गिरगिट’-अपने दर्दीले ह्रदय उद्वेलनों की मर्मान्तक पीड़ा को,आपके चिंतन आँगन मे...

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भारत By नन्दलाल सुथार राही

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