Poems Books and Novels are free to read and download

You are welcome to the world of inspiring, thrilling and motivating stories written in your own language by the young and aspiring authors on Matrubharti. You will get a life time experience of falling in love with stories.


Languages
Categories
Featured Books
  • राक्षवन - 3

    धरती फट गई — और उस गहरी खाई से निकली वह काली परछाई अब पूरी तरह आकार ले चुकी थी।...

  • अधूरी घंटी - 6

    शीर्षक : "अधूरी घंटी"Part 6 : श्राप का वारिसहवेली के बाहर आते ही विवेक और बाबा न...

  • तेरा लाल इश्क - 8

    "अपनी शक्ल तो देखो यारों,,," ये बोल रिहा ठहाका लगा कर हस पड़ी।और अपनी हसी कंट्रो...

  • अधूरा सच - 5

    अध्याय 5 : मृतक की डायरीरात का सन्नाटा पूरे हॉस्टल को अपने आगोश में ले चुका था।...

  • बंधन (उलझे रिश्तों का) - भाग 49

    चैप्टर 49 शिवाय बच्चों को सूलाकर ,छत पर आकर खड़ा होता है इस वक्त वह ठंडी रात में...

  • अधूरे सपनों की चादर - 10

    अध्याय 10 – उमंगों की उड़ान और आत्मसम्मान का जन्मछठी कक्षा का समय तनु के जीवन का...

  • मजनू की मोहब्बत पार्ट-1

    मजनू की मोहब्बतशाम ढल चुकी थी। कॉलोनी के मोड़ पर बनी उस पुरानी चाय की टपरी से भा...

  • एक लड़का एक लड़की

    एक लड़का एक लड़की फिल्म की समीक्षासन 1992 में प्रदर्शित हुई फिल्म एक लड़का एक लड...

  • गायब

    एक पार्टी की रात हैं । जिसमें डीम लाइट में मिस राठौड़ ने अजय को पैसे दिए और बोला...

  • बचपन के खेल

    बचपन के खेल ️ लेखक – विजय शर्मा एरीगाँव की कच्ची गलियों में शाम का धुँधलका उतर र...

कलम मेरी लिखती जाएँ By navita

स नावेल मे आप सब को अलग अलग तरह की कविताएं पढ़ने को मिली गई l
इस नावेल को लिख कर जितनी मुझे ख़ुशी हो रही है , उम्मीद है आप सब wonderful readers को भी जे नावेल पढ़ कर उतनी ही ख़ुशी हो...

Read Free

नि.र.स. By Rajat Singhal

नि.र.स.

---------------------------------------------------
क्या तुम्हे पता है कि -
गर तुम कुछ ना कहो, ना लिखो,
ना ही मेरी हकीकत में हो,
तो मै नि.र.स. हो जाता हूँ।
-------...

Read Free

मेरा भारत दिखा तुम्‍हें क्‍या By बेदराम प्रजापति "मनमस्त"

आज की इस भयावह चकाचौंध में भारत की पावन धरती से मानवी के बहुत सारे सच्‍चे चेहरे गायब और अनदिखे से हो रहे हैं, उन्‍हीं की खोज में यह काव्‍य संकलन ‘मेरा भारत दिखा तुम्‍हें क्‍या ?’...

Read Free

મારા કાવ્ય By Nikita panchal

1.तड़पतेरे इश्क ने ये हालत कैसी कर दी मेरी ये जालिम।दरबदर भटकते रहेते हम तुम्हें भूलने को रात दिन।हम तो मयखाने में भी जाते है तुम्हे भुलाने के लिए।कमबख्त शराब की हर एक बूंद में भी...

Read Free

गांव की तलाश By बेदराम प्रजापति "मनमस्त"

जीवन को स्‍वस्‍थ्‍य और समृद्ध बनाने वाली पावन ग्राम-स्‍थली जहां जीवन की सभी मूलभूत सुविधाऐं प्राप्‍त होती हैं, उस अंचल में आने का आग्रह इस कविता संगह ‘गांव की तलाश ’में किया गया है...

Read Free

मैं भारत बोल रहा हूं-काव्य संकलन By बेदराम प्रजापति "मनमस्त"

(काव्य संकलन) वेदराम प्रजापति‘ मनमस्त’ 1. सरस्वती बंदना (मॉं शारदे) मॉं शारदे! मृदु सार दे!!, सबके मनोरथ सार दै!!! झंकृत हो, मृदु वीणा मधुर, मॉं शारदे, वह प्यार दे।। अज्ञान त...

Read Free

सचमुच तुम ईश्वर हो! By ramgopal bhavuk

व्यंग्य की तेजधर उच्छंखल समाज की शल्य-क्रिया करने में समर्थ होती है। आज के दूषित वातावरण में यहाँ संवेदना मृत प्रायः हो रही है। केवल व्यंग्य पर ही मेरा विश्वास टिक पा रहा है कि कही...

Read Free

तुम्हारे बाद By Pranava Bharti

दिल के दरवाज़े पे साँकल जो लगा रखी थी
उसकी झिर्री से कभी ताक़ लिया करती थी
वो जो परिंदों की गुटरगूं सुनाई देती थी
उसकी आवाजों को ही माप लिया करती थी
न जाने गुम सी हो गईं हैं ये...

Read Free

सुरेश पाण्‍डे सरस डबरा का काव्‍य संग्रह By Ramgopal Bhavuk Gwaaliyar

श्री सुरेश पाण्‍डे सरस की कृति है। इस संग्रह की अधिकतर रचनायें (कवितायें) जिस धरती पर अंकुरित हुई हैं। उसे हम प्रेम की धरती कह सकते हैं यों भी कविता का विशेष कर ‘गीत’ का जन्‍म प्रे...

Read Free

वो भारत! है कहाँ मेरा? By बेदराम प्रजापति "मनमस्त"

आज मानव संवेदनाओं का यह दौर बड़ा ही भयावह है। इस समय मानव त्राशदी चरम सीमा पर चल रही है। मानवता की गमगीनता चारों तरफ बोल रहीं है जहां मानव चिंतन उस विगत परिवेश को तलासता दिख रहा है,...

Read Free

कलम मेरी लिखती जाएँ By navita

स नावेल मे आप सब को अलग अलग तरह की कविताएं पढ़ने को मिली गई l
इस नावेल को लिख कर जितनी मुझे ख़ुशी हो रही है , उम्मीद है आप सब wonderful readers को भी जे नावेल पढ़ कर उतनी ही ख़ुशी हो...

Read Free

नि.र.स. By Rajat Singhal

नि.र.स.

---------------------------------------------------
क्या तुम्हे पता है कि -
गर तुम कुछ ना कहो, ना लिखो,
ना ही मेरी हकीकत में हो,
तो मै नि.र.स. हो जाता हूँ।
-------...

Read Free

मेरा भारत दिखा तुम्‍हें क्‍या By बेदराम प्रजापति "मनमस्त"

आज की इस भयावह चकाचौंध में भारत की पावन धरती से मानवी के बहुत सारे सच्‍चे चेहरे गायब और अनदिखे से हो रहे हैं, उन्‍हीं की खोज में यह काव्‍य संकलन ‘मेरा भारत दिखा तुम्‍हें क्‍या ?’...

Read Free

મારા કાવ્ય By Nikita panchal

1.तड़पतेरे इश्क ने ये हालत कैसी कर दी मेरी ये जालिम।दरबदर भटकते रहेते हम तुम्हें भूलने को रात दिन।हम तो मयखाने में भी जाते है तुम्हे भुलाने के लिए।कमबख्त शराब की हर एक बूंद में भी...

Read Free

गांव की तलाश By बेदराम प्रजापति "मनमस्त"

जीवन को स्‍वस्‍थ्‍य और समृद्ध बनाने वाली पावन ग्राम-स्‍थली जहां जीवन की सभी मूलभूत सुविधाऐं प्राप्‍त होती हैं, उस अंचल में आने का आग्रह इस कविता संगह ‘गांव की तलाश ’में किया गया है...

Read Free

मैं भारत बोल रहा हूं-काव्य संकलन By बेदराम प्रजापति "मनमस्त"

(काव्य संकलन) वेदराम प्रजापति‘ मनमस्त’ 1. सरस्वती बंदना (मॉं शारदे) मॉं शारदे! मृदु सार दे!!, सबके मनोरथ सार दै!!! झंकृत हो, मृदु वीणा मधुर, मॉं शारदे, वह प्यार दे।। अज्ञान त...

Read Free

सचमुच तुम ईश्वर हो! By ramgopal bhavuk

व्यंग्य की तेजधर उच्छंखल समाज की शल्य-क्रिया करने में समर्थ होती है। आज के दूषित वातावरण में यहाँ संवेदना मृत प्रायः हो रही है। केवल व्यंग्य पर ही मेरा विश्वास टिक पा रहा है कि कही...

Read Free

तुम्हारे बाद By Pranava Bharti

दिल के दरवाज़े पे साँकल जो लगा रखी थी
उसकी झिर्री से कभी ताक़ लिया करती थी
वो जो परिंदों की गुटरगूं सुनाई देती थी
उसकी आवाजों को ही माप लिया करती थी
न जाने गुम सी हो गईं हैं ये...

Read Free

सुरेश पाण्‍डे सरस डबरा का काव्‍य संग्रह By Ramgopal Bhavuk Gwaaliyar

श्री सुरेश पाण्‍डे सरस की कृति है। इस संग्रह की अधिकतर रचनायें (कवितायें) जिस धरती पर अंकुरित हुई हैं। उसे हम प्रेम की धरती कह सकते हैं यों भी कविता का विशेष कर ‘गीत’ का जन्‍म प्रे...

Read Free

वो भारत! है कहाँ मेरा? By बेदराम प्रजापति "मनमस्त"

आज मानव संवेदनाओं का यह दौर बड़ा ही भयावह है। इस समय मानव त्राशदी चरम सीमा पर चल रही है। मानवता की गमगीनता चारों तरफ बोल रहीं है जहां मानव चिंतन उस विगत परिवेश को तलासता दिख रहा है,...

Read Free