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दृश्य 1: "महापालकी की चर्चा"स्थान: गांव का चौपालसमय: शाम ढलने का वक्तबड़ा पीपल क...
मैं खुद से ज्यादा तुम्हे प्यार करता हूं...अब आगे..................जैसे ही विवेक...
---अंतिम अध्याय: अँधेरा… सच्चाई… और परछाई का खेलबारिश की झमाझम बूँदें कोठी की पु...
Chapter 1: एक अनजाना टेक्स्टअवनि ने एक दिन Instagram पर अर्जुन की कहानी देखी — ए...
भाग 3: अतीत की दस्तकरात के सन्नाटे में हवेली की दीवारें भी जैसे Lia की बेचैनी को...
ईर्ष्या की आग समया संकट सरोवर के जल में तैरते असंख्य दीपों के सामूहिक झिलमिल प्र...
कार में सफर: नफरत या मोहब्बत?संजना कार की खिड़की से बाहर झांक रही थी। घने जंगलों...
"आत्मनिर्भर"यह शब्द सुना तो बहुत था, बचपन में इस पर निबंध भी बहुत लिखे थे पर मेर...
Episode 2: “इस रिश्ते में तेरा नाम नहीं, बस मेरा हक़ है”सुबह की धूप 16वीं मंज़िल...
साई (Sai), 17 साल का। वह 12वीं कक्षा में पढ़ता था, लेकिन उसका दिमाग औसत छात्रों स...
खबर नहीं शायद तुम्हे तेरे मेरे प्यार के पल वो अहसास गुजर रहे खबर नहीं तुम्हे शायद मगर ख्वाब प्यार के बिखर रहे है तुम्हे अहसास नहीं बहुत कुछ बदल रहा है रहते थे जिस अंदाज हम पहल...
----वो दोस्ती ही क्या जिसमें तक़रार न हो----वो दोस्ती ही क्या जिसमें प्यार न हो ,वो सफलता ही क्या जिसमें इन्तजार न हो , दोस्ती तो दो आत्माओं का मिलन है ,पर वो दोस्ती ही क्या जिसमें...
।।। एकांत ।।। ................ सब ने देखा फूल सा खिलता सदा जिसका बदन । कोई क्या जाने कि वह कैसे जिया एकांत में ।। जिन लवों की बात सुन सब खिलखिलाते मस्त हो।...
* जिंदगी किसी फिल्म से कम है क्या , किस मोड़ पर क्या होगा पता नहीं , अगर कुछ मिला नहीं इक क्षण पर कुछ घटा नहीं , मोड़ भी जिंदगी में रास्तों से ज़्यादा है , दुख चाहे कितने हों ह...
उदास हूं पर इस क़दर नही,, की तेरी खुशी भी न देख सकू,,, मैं वहां भी चुप रहती हूं,, जहां मेरे अपनो की खुशी हो ╭─❀⊰╯ ╨────────────━❥ ╭─?•••••••अंजू कुमारी••••• ╨───,,,,,,,,────...
रात साक्षी है ‘रात साक्षी है’ डॉ० सूर्यपाल सिंह की कविता पुस्तक है। इसमें सीता के अन्तिम रात की कथा है। इसे छह खंडों में प्रस्तुत किया जा रहा है। प्रथम खंड प्रस्तुत है। कथा...
‘’रत्नावली’’ पर एक दृष्टि बद्री नारायण तिवारी आज वातानुकूलित कमरों में बैठ कर जो लिखा जा रहा है उसका क्षणिक प्रचार तो मिल जायेगा किन्तु वह रचनायें कालजयी नहीं हो पातीं। भक्तवत्...
प्रेम के विविध रूप हैं।यह दुनिया का सबसे खूबसूरत एहसास है।रात्रि में अंबर के चंद्र,तारे, बादल,आकाशगंगा की धवल पट्टिका,पूरी पृथ्वी में पसरी निस्तब्धता और चारों ओर फैली चांदनी..........
इज़ाज़त... आज मुझे ये शाम सजाने की इज़ाज़त दे दोदिल-ओ-जान तुम पर लुटानेकी इज़ाज़त दे दोमिले जो दर्द या मिले सुकून - कुबूल है हमेंकभी रिहा ना हो पाए वैसे क़ैद होनेकी इज़ाज़त दे दो क...
डेफोड़िल्स ! - 1 तेरे झरने से पहले समर्पित नेह को, स्नेह को डेफोड़िल्स ही क्यों ? यह प्रश्न अवश्य मस्तिष्क में आया होगा दिलो-दिमाग को सताया होगा आख़िर जब इतने खूबस...
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